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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, February 11, 2018

सम्राट पांडु का गढ़वाल प्रवास और 'स्पर्म डोनेसन' (वीर्य दान) का मेडिकल टूरिज्म में महत्व

उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (उत्तराखंड में पर्यटन इतिहास )   -8

   Medical Tourism Development in Uttarakhand  (History Tourism )   -8  -                    
  (Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Haridwar series--113  

      
उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 113    

    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन  विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ ) 
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  महाभारत महाकाव्य वास्तव में कौरव -पांडवों के मध्य युद्ध पर केंद्रित महाकाव्य है।  शांतुन के पुत्र विचित्रवीर्य की कोई संतान न होने के कारण महर्षि व्यास ने विचित्रवीर्य की  दोनों पत्नियों व एक दासी को वीर्य दान ( स्पर्म डोनेसन ) दिया और उन स्त्रियों से जन्मांध धृतराष्ट्र , पांडु रोग ग्रसित पांडु व दासी पुत्र विदुर पैदा हुए (१, २ ) . कालांतर में पांडु को हस्तिनापुर  सिंघसन मिला।. एक बार गढ़वाल भाभर (पांडुवालासोत ) में शिकार करते वक्त  पाण्डु ने एक हिरणी को मार डाला और श्राप का शिकार हो गया (२ ). पांडु रोग पीड़ित हुआ और पांडु अपनी दोनों पत्नियों को लेकर गढ़वाल भ्रमण पर चल पड़ा। 
    संभवत: पांडु पांडुवालासोत  से नागशत (नागथात ) पर्वत श्रेणी से चैत्ररथ , कालकूट (कालसी ) होते हुए कई हिमालय श्रेणियां पर कर गनधमाधन , बदरी केदार श्रेणियों के पास शतश्रृंग पर्वत (वर्तमान पांडुकेश्वर ) में तपस्या करने लगा याने स्वास्थ्य  लाभ करने लगा (3 ) . अपनी मृत्यु के समय पांडु संभवतया मंदाकिनी घाटी में वास कर रहा था जहां आम व पलाश वृक्ष मिलते हैं।  महाभारत में पांडु को नागपुरश्रिप व नागपुर  सिंह कहा गया है।  हो सकता है नागपुर क्षेत्र का नाम पांडु के कारण पड़ा हो  
         पांडु के स्वास्थ्य में लाभ हुआ किंतु वह स्त्री समागम व पुत्र देने में नाक़ायम ही रहा। 
      पांडु के बार बार आग्रह से कुंती ने बारी बारी धर्मदेव , वायु व इंद्र से वीर्य दान लिया और युधिष्ठिर , भीम व अर्जुन पुत्रों को जन्म दिया।  पांडु की दूसरी पत्नी माद्री ने अश्वनीकुमारों से वीर्य दान प्राप्त किया और नकुल सहदेव को जन्म दिया।  (4 )
     पांडु व माद्री के स्वर्गारोहण पश्चात पंचों पुत्रों का लालन पोषण कुंती ने किया और पांडु पुत्रों की शिक्षा दीक्षा ऋषियों ने की। जब युधिष्ठिर सोलह वर्ष के हो गए तो कुंती अपने पुत्रों व शतशृंग के ऋषियों को साथ लेकर सत्रहवें दिन  हस्तिनापुर पंहुची।  (5 )
     महाभारत के आदिपर्व के इन अध्याय वाचन व विश्लेषण कि पांडु काल में गढ़वाल मेडिकल टूरिज्म हेतु एक प्रसिद्ध क्षेत्र था तभी तो  सम्राट पांडु ने गढ़वाल को चिकित्सा प्रवास हेतु चुना। 
     आदि पर्व में कुछ वृक्षों का वर्णन है जो औषधि हेतु आज भी प्रयोग में आते हैं।  पांडु एक सम्राट था  तो वः वहीं गया होगा जहां चिकत्सा व चिकित्स्क उपलब्ध रहे होंगे।  इसका सीधा अर्थ है कि पांडु की  चिकत्सा व चिकित्सा सलाह हेतु गढ़वाल में चिकत्सा व चिकत्स्क उपलब्ध थे।  पांडु काल में गढ़वाल में मेडिकल टूरिज्म विद्यमान था। 
       कुंती व माद्री ने वीर्य दान लेकर पुत्रों को जन्म दिया।  माह्भारत का यह प्रकरण भी सिद्ध करता है कि गढ़वाल , उत्तराखंड में वीर्य दान या स्पर्म डोनेसन हेतु एक सशक्त संस्कृति थी।  यदि पांडु पत्नियों ने स्पर्म डोनेसन संस्कृति हेतु पुत्र प्राप्त किये तो अन्य लोगों ने भी वीर्य दान का सहारा लिया ही होगा। वाह्य लोगों द्वारा वीर्य दान से संतति जन्मना कुछ नहीं मेडिकल टूरिज्म ही है। 
        फिर आदिपर्व स्पर्म डोनेसन तक ही सीमित नहीं रहा अपितु आदि पर्व में पांडु पुत्रों की स्थानीय ऋषियों द्वारा देख रेख, शिक्षा  का भी पूरा वर्णन मिलता है. आजकल डबल इनकम ग्रुप के पति -पत्नियों के बच्चों को क्रेश में भर्ती किया जाता है जहां बच्चों का लालन पोषण होता है।  पाण्डु काल में गढ़वाल में ऋषियों द्वारा पांडु पुत्रों का लालन पोषण में सहायता देना भी मेडिकल टूरिज्म का ही हिस्सा है।  पोषण शब्द ही स्वास्थ्य रक्षा का पर्यायवाची है।  
 स्पर्म डोनेसन संस्कृति को भारत में संवैधानिक आज्ञा मिली हुयी है।  तथापि अभी भी वीर्य दान पर बहस बंद नहीं हुयी कि यह कार्य सही है या गलत।  
     महाभारत के आदिपर्व में पांडु प्रकरण से सिद्ध होता है कि पांडु काल में गढ़वाल -उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म में समृद्ध क्षेत्र था। 
    


संदर्भ -
1 - आदिपर्व 63 , 95 
2 - आदिपर्व 111 /8 -9 
3 -  आदिपर्व 111 , 112 , 124  
4 - आदिपर्व - 122 -123 
5 - आदिपर्व 125 , 129 
Copyright @ Bhishma Kukreti  9 /2 //2018 
Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...

उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी 

                                   
 References

1 -
भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना शैलवाणी (150  अंकों में ) कोटद्वार गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
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