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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, February 11, 2018

उत्तराखंड परिपेक्ष में लिसोड़ा , लसोड़ा की सब्जी ,औषधीय व अन्य उपयोग और इतिहास

 History /Origin /introduction, Food uses , Economic Uses of  Himalayan Indian Cherry or Glue Berry , Cordia dichotuma   in Uttarakhand context 

          उत्तराखंड  परिपेक्ष  में  जंगल से उपलब्ध सब्जियों  का  इतिहास - 33 

                                     History of Wild Plant Vegetables ,  Agriculture and Food in Uttarakhand -   33                        
          
           उत्तराखंड में कृषि व खान -पान -भोजन का इतिहास --   74
                     History of Agriculture , Culinary , Gastronomy, Food, Recipes  in Uttarakhand -74 
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      आलेख -भीष्म कुकरेती (वनस्पति व सांस्कृति शास्त्री ) 
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वनस्पति शास्त्रीय नाम -Cordia dichotoma
सामन्य अंग्रेजी नाम -Indian Cherry or Glue Berry
संस्कृत नाम - बहुवारा , सेलु 
हिंदी नाम -लसोड़ा , लसोड़ा टेंटी ,गुंदा 
नेपाली नाम -लसूरा , लसूड़ा 
उत्तराखंडी नाम - लिसोड़ा , लसोड़ा 
वृक्ष - लिसोड़ा , लसोड़ा , गुंदा  का पेड़ मध्य ऊंचाई वाला पेड़ है। इसकी ठूंठ 25 -50 सेंटीमीटर की होती है और ऊंचाई 10 मित्र तक हो जाती है।  पत्तियों से यह छत जैसा दीखता है।  भूरे रंग की छाल   वाला पेड़ है। इसके फूल  सफेद होते हैं और केवल रात को ही। लिसोड़ा , लसोड़ा , गुंदा के  फल पहले गुलाबी पीले होते हैं जो पककर काले हो जाते हैं। 
जन्मस्थल संबंधी सूचना -लसोड़ा, लिसोड़ा , गुंदा की जन्मभूमि दक्षिण पूर्व चीन , भारत , हिमालय , हिन्द चीन आदि स्थल।  इससे जाहिर होता है कि लसोड़ा उत्तराखंड में हजारों साल से पाया जाता है। 
संदर्भ पुस्तकों में वर्णन - सुश्रुता ने लसोड़ा, लिसोड़ा , गुंदा के औषधीय उपयोग के बारे में उल्लेख किया है।  वाल्मीकि रामायण में उडालकास पेड़ का  उल्लेख है जो शायद लसोड़ा हो सकता है। महाभारत में भी उड्डालका का  है। महाभारत सेल्समातका  का उल्लेख है जो Cordia myxa   हो सकता  है।  Cordia myxa को उत्तराखंड में लसोड़ा  ही कहा जाता है।
 जानवर औषधि - लसोड़ा, लिसोड़ा , गुंदा मवेशियों की ल्यूकोरहोइया , मुंह और पैर की बीमारियां उपचार हेतु  लसोड़ा, लिसोड़ा , गुंदा का उपयोग  होता है। 
चारा - जानवरों को पत्तियां  व फल चारे हेतु उपयोग होता है। 
मनुष्य औषधि -उपयोग  -लसोड़ा, लिसोड़ा , गुंदा के कई भागों का कीड़ों  के काटने पर घाव सफाई, छाल का रस दस्त व अन्य पेट की बीमारी हेतु , पाचन  वृद्धि , फल रस शरीर में जलन उपचार , फल रस कफ , बलगम साफ़ करने हेतु उपयोग होता है 
लकड़ी - कृषि उपकरण  बनाने में उपयोग 
 
--------लसोड़ा की सब्जी -
जितनी सब्जी बनानी हो उतने कच्चे फलों को अलग कर दीजिये। 
फिर इन फलों को 10 मिनट तक उबालें।  पानी निथार कर ठंडा होने दीजिये। 
फिर चाकू से लसोड़े की टोपी छील  दीजिये।   और दो से चार टुकड़ों में काट लीजिये। गुठली  दीजिये। 
अब जैसे उबले आलू के गुटके दार  जाती है वैसे  छौंका लगाकर , नमक , मसालों के साथ भूना जाता है और 4 से 5 मिनट तक पकाया जाता है। 
मुख्यतया लसोड़ा उप सब्जी होती है। 
-------लसोड़ा , गुंदा का अचार -
गुंदा का अचार भी बनाया जाता है। 




Copyright@Bhishma Kukreti Mumbai 2018

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1 comment:

  1. बहुत अच्छा लेख लिखा आपने पढ़ के बहुत अच्छा लगा इसे भी देखे उत्तराखंड के भोजन के व्यंजन

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आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments