उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Tuesday, February 20, 2018

पांडवों का उत्तराखंड भ्रमण : बहुत कुछ अभी भी नहीं बदला

(महाभारत महाकाव्य  में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म ) 
  -

उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास ) - 15

-
 Medical Tourism Development in Uttarakhand  (Medical Tourism History  )     -  15                  
  (Tourism and Hospitality Marketing Management in  Garhwal, Kumaon and Haridwar series--120  

      
उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 120    

    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन  विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ ) 
-- 

  अर्जुन के स्वर्गागमन के बाद पांडव , द्रौपदी को लेकर ऋषि धौम्य व ऋषि लोमस के साथ उत्तराखंड के तीर्थ भ्रमण हेतु चल पड़े। लोमश ऋषि तीर्थों के ज्ञाता थे व उनके शरीर पर लम्बे लम्बे बल थे।  पांडव कनखल से आगे गंगा किनारे किनारे सभी जन उशीरबीज , मैनाक , कालशैल पहाड़ियों को पार करते हुए सुबाहु के राज में पंहुचे।  राजा सुबाहु  ने उनका स्वागत किया। यहां से पांडवों ने सेवक , रसोइए  , पाकशाला के अध्यक्ष व द्रौपदी की सामग्री  को सुबाहु  को सौंपकर  आगे बढ़े। 
उशीरबीज व मैनाक को लक्ष्मण झूला से बंदरभेळ पर्वत श्रृंखला समझा जा सकता है और कालशैल की पहचान ढांग गढ़ से हो सकती है। (वनपर्व 140 /27 -29 )
    गंधमाधन पर्वत के पदतल पर पंहुचते ही वहां भयंकर आंधी व मूसलाधार बारिश ने उन्हें आ घेरा।  महारानी द्रौपदी वर्षा व थकान  से बेहोश हो गयी। (वनपर्व 143 -5 )
     भीमसेन द्वारा घटोतकच को याद करने पर घटोत्कच वहां उपस्थित हुआ और वह व उसके राक्षस गण द्रौपदी , पांडवों को पीठ पर उठाकर बद्रिकाश्रम ले गए। (वनपर्व 145 /9 )
       
    एक दिन भीम द्रौपदी के लिए सुगंधित कमल लेने कदलीवन पंहुचा वहां हनुमान से भेंट हुयी।  गंधमाधन में भीम ने जटासुर को मारा ।
      बद्रिकाश्रम से पांडव आर्ष्टिपण आश्रम आये जहां उन्हें अर्जुन मिल गए।  पांडव कैलाश , वृषपर्चा , विशालपुरी का न्र नारायण आश्रम , पुष्करणी होकर सुबाहु की राजधानी पंहुचे।  वहां से रसोइये , द्रौपदी का सामन लेकर आगे बढ़े और उन्होंने घटोत्कच को भी विदा किया। 
   आगे वे काम्यक वन में  पंहुचे जहां दुर्योधन भी पंहुचा और गंधर्व नरेश द्वारा दुर्योधन को बंधक बनाने की घटना का उल्लेख वनपर्व में मिलता है। 
             फिर वहीं जयद्रथ द्वारा द्रौपदी हरण व उसकी हार की कथा वनपर्व में है। जयद्रथ ने गंगाद्वार (हरिद्वार ) में तपस्या की व शिव वरदान प्राप्त किया। 
 
 फिर  गुप्त वनवास हेतु पण्डव मत्स्य नरेश के यहां चले गए।   महाभारत में वनपर्व के आगे कुरुक्षेत्र का युद्ध वर्णन है ।
         
              - उत्तराखंड पर्यटन संबंधी कुछ तत्व -
वनपर्व में  में उत्तराखंड संबंधी भौगोलिक , राजनैतिक व सामाजिक वर्णन तो है ही साथ पर्यटन प्रबंधन संबंधी कई सूत्र व सूचनाएं भी देता है। 
 आश्रमों में जो भी सुविधा थी वह  वास्तव में मोटर रोड आने तक की 'चट्टी ' प्रबंध जैसी सुविधा ही थी।  चट्टी तमिल शब्द है और आश्रम संस्कृत शब्द है।  इन आश्रमों में पर्यटकों को कई सुविधाएं मिलती रही होंगी वह वनपर्व में पांडवों द्वारा उत्तराखंड तीर्थ यात्रा वर्णन में साफ़ साफ़ झलकत है। 
    पण्डवों द्वारा अपने रसोईये को छोड़कर  , अन्य सामान छोड़कर उत्तराखंड यात्रा पर निकलने का अर्थ है कि उत्तराखंड के आश्रमों में भोजन व्यवस्था अवश्य थी। चूंकि आश्रम अध्यक्ष संस्कृत विद्वान् थे तो कर्मकांड के अतिरिक्त औषधि विज्ञान के भी ज्ञाता होते थे। लोमश ऋषि तीर्थों के ज्ञाता भी थे  अतः उन्होंने टूरिस्ट गाइड की भी भूमिका निभायी थी। 
     उस समय भी भार वाहन , परिहवन हेतु कुली की आवश्यकता पड़ती थी जो वनपर्व में घटोत्कच व उसके राक्षसों द्वारा बखूबी निर्वाह किया गया। 
  आज भी यात्री अपना सामान पर्वत के पदतल पर होटल वालों के पास छोड़ देते हैं और फिर वापसी में होटल वाले से ले लेते हैं। 
       आश्रम उस समय के होटल या मोटल जैसे ही थे जो यात्रियों की आवश्यकताओं को पूरी करते थे।  बाद में इन आश्रमों ने  चट्टियों का रूप धारण किया और आज होटल , मोटल के रूप में विद्यमान  हैं। 
  वनपर्व में पर्वतों , जंतुओं व वनस्पतियों का भी वर्णन है।  आगे इन वनस्पतियों का जिक्र होगा जो औषधि पर्यटन हेतु आवश्यक अवयव थे। 
  
                    
  


Copyright @ Bhishma Kukreti  16  /2 //2018   

Tourism and Hospitality Marketing Management  History for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...

उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी 

                                   
 References

1 -
भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना शैलवाणी (150  अंकों में ) कोटद्वार गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
-

  
  Medical Tourism History  Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History of Pauri Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Chamoli Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand, India , South Asia;  Medical   Tourism History Tehri Garhwal , Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History Uttarkashi,  Uttarakhand, India , South Asia;  Medical Tourism History  Dehradun,  Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Haridwar , Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History Udham Singh Nagar Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;  Medical Tourism History  Nainital Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;  Medical Tourism History Almora, Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History Champawat Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;   Medical Tourism History  Pithoragarh Kumaon, Uttarakhand, India , South Asia;

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments