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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, February 11, 2018

भगीरथ और गंगा नदी द्वारा मेडकल टूरिज्म विकास

उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास पारिकल्पना -6

   Medical Tourism Development in Uttarakhand     -  6                  
  (Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series--111  

      
उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 111    

    लेखक : भीष्म कुकरेती  (विपणन  विक्री प्रबंधन विशेषज्ञ ) 
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  रामायण काल का सबसे प्रथम वर्णन 'महभारत '  में मिलता है और बाद में वाल्मीकि ने 'रामायण ' की रचना की।  रामायण में सगर व उसके पुत्र भगीरथ का वर्णन मिलता है।  भगीरथ द्वारा गंगा को पृथ्वी पर लाने की कल्पना महाभारत में मिलती है (वनपर्व-107 , 109  अध्याय ) . भगीरथ द्वारा गंगा को पृथ्वी पर लाने से वह नदी भगीरथी याने भगीरथ पुत्री कहलायी जाती है।  भगीरथ द्वारा भगीरथी या गंगा को पृथ्वी में लाना व फिर गंगा हेतु रास्ता बनाना दो बातों को सिद्ध करता है।  भगीरथ युग में भगीरथी के लिए रास्ता बनाना याने नहर निर्माण की महत्ता को उस समय लोग समझ चुके थे।  मजूमदार , पुसलकर आदि जैसे इतिहासकारों ने ने भगीरथ द्वारा भगीरथी लाने का अर्थ गंगा पर नहर खोदने का अर्थ समझाया है।  नहर खोदना याने कृषि में क्रांति और कृषि में क्रान्ति याने मेडिकल उद्यम में विकास।  
     महाभारत में बताया गया है कि भगीरथ ने भगीरथी जल से अपने पुरखों का तर्पण किया।  गंगा या उत्तराखंड की नदियों में स्वास्थ्य वर्धक जल होने पर अन्वेषण हुए होंगे जो सैकड़ों साल के मेहनत से ही प्राप्त हुए होंगे। उस काल याने सात आठ हजार साल पहले उत्तराखंड में मेडिकल क्षेत्र में अन्वेषण , अनुभव प्राप्त करना व उन परिणामों को  श्रुति माध्यमों से प्रचार -प्रसारित करने जैसी पद्धति परिपक्वा हो चुकी थी। गंगा जल का स्वास्थ्य वर्धक गुण व कई रोग निरोधक गुणों के होने से ही गंगा को कई धार्मिक अनुष्ठानो (जैसे भगीरथ द्वारा पुरखों को गंगाजल से तर्पण देना ) जोड़ना इस बात का परिचालक है कि  गंगा पर आरोग्य संबंधी कई अन्वेषण हुए थे।  सर्वपर्थम गंगा को मेडिकल बेनिफिट्स से जोड़ा गया होगा और फिर गंगा को धार्मिक अनुष्ठानों से जोड़ा गया होगा।  सर्वपर्थम भारतीय नागरिक गंगा में नहाने स्वास्थ्य लाभ हेतु उत्तराखंड आये होंगे तो मेडिकल टूरिज्म भी  विकसित भी हुआ होगा। 

   आज ही नहीं भगीरथ काल में भी गंगा जल एलर्जी (पीत उठना ) , कई त्वचा रोगों के उपचार हेतु उपयोग होता रहा होगा और भारत के लोग उपचार हेतु उत्तराखंड आते रहे होंगे।  सम्राट अशोक के समय तो गंगाजल निर्यात होने लगा था।  भूतकाल में गंगा जल निर्यात मेडकिल टूरिज्म का एक अभिन्न अंग रहा है। 
     जब गंगा को भगीरथ प्रयास से धार्मिक अनुष्ठानों से जोड़ा गया होगा तो गंगा धार्मिक पर्यटन का माध्यम भी बन गयी।  इसे मेडिकल टूरिज्म में  एक वास्तु का दूसरे वस्तु से इंटर कनेक्शन कहा जाता है।  याने पर्यटन में केवल एक वस्तु /प्रोडक्ट /उत्पाद से अभीष्ट परिणाम नहीं मिलते अपितु टूरिज्म विकास में कई उत्पादों की आवश्यकता पड़ती है।  भारत में सात आठ अन्य नदियों को पुण्य नदी कहा जाता है किन्तु गंगा को सर्वोपरि पुण्य नदी माना गया तो उसके पीछे गंगा का स्वास्थ्य वर्धक या रोग निरोधक गुण  का होना है।  याने गंगा नदी याने अलकनंदा व भगीरथी ने मेडिकल टूरिज्म को विकसित किया जो बाद में धार्मिक पर्यटन का सबंल बन गया।  

   गंगा को पावन नदी की छवि (ब्रैंड परसेप्सन ) प्रदान करने में कितने हजार लोगों ने सैकड़ों साल जाने अनजाने काम किया होगा यह अपने आप में मिशाल है और मेडिकल टूरिज्म के विपणनकर्ताओं के लिए एक अभिनव उदाहरण  भी है।   

Copyright @ Bhishma Kukreti   7/2 //2018   

Tourism and Hospitality Marketing Management for Garhwal, Kumaon and Hardwar series to be continued ...

उत्तराखंड में पर्यटन  आतिथ्य विपणन प्रबंधन श्रृंखला जारी 

                                   
 References

1 -
भीष्म कुकरेती, 2006  -2007  , उत्तरांचल में  पर्यटन विपणन परिकल्पना शैलवाणी (150  अंकों में ) कोटद्वार गढ़वाल
2 - भीष्म कुकरेती , 2013 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन , इंटरनेट श्रृंखला जारी
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========स्वच्छ भारत , स्वस्थ  भारत , बुद्धिमान उत्तराखंड ======== 

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