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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, December 3, 2017

मस्तिष्क में स्पष्ट चित्रांकन और दिन में कितना पढ़ना चाहिए

Preparation for IAS Exam, UPSC exams 
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 मस्तिष्क में स्पष्ट  चित्रांकन और दिन में कितना पढ़ना चाहिए 

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गढवाल भ्रातृ मंडल (स्थापना -1928 ) , मुंबई  की मुहिम  –हर उत्तराखंडी  IAS बन सकता है )
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IAS/IRS/IFS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला  -28
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गढ़वाल भ्रातृ मण्डल हेतु प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती 
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                       चित्र /छवि /बिम्ब या इमेजेज 
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    पिछले पाठ में  मैं  यह लिख चुका  हूँ कि हर वस्तु या विचार हमारे मन  में चित्रांकित होती हैं और फिर आवश्यकता पड़ने पर वे रिकॉर्डेड  चीज सामने आती हैं।  वैज्ञानिक  कहते हैं कि हम जो भी पढ़ते , देखते हैं वह  चित्र रूप में मस्तिष्क में चित्रांकित होते है।  जैसे  कैमरे में फोटो रिकॉर्ड होती हैं।  इस चित्रांकन को बिम्ब , चित्र या इमेजेज कहते हैं।  जिस वस्तु, स्वाद, अनुभव,  स्पर्श या ध्वनि की हम मस्तिष्क में चित्र नहीं बना सकते हैं वह शीघ्र समझ में नहीं आती (पढ़ना ) और समझा (परीक्षा में उत्तर ) भी नहीं सकते हैं . यदि आप कैमरे से एक ही बार में तीन चार फोटो क्लिक करें तो कैमरे में फोटो गडमड हो जाती हैं और साफ़ चित्र नहीं मिलता है।  उसी तरह यदि आप ठीक से नहीं पढ़ते हैं तो मस्तिष्क में चित्र एक के उपर  गडमड हो जाते हैं और जब आपको आवश्यकता पड़ती है तो स्मरण के समय कनफ्यूजन की स्थिति हो जाती है।  अतः पढ़ते समय ध्यान होना चाहिए कि जो भी पढ़ा जाय उसकी छवि /बिम्ब /चित्र आपके मस्तिष्क में साफ़ साफ याने स्पष्ट बने।  
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          एक विषय का एक चैप्टर ही पढ़े 
   जब आप पढ़ाई पानी पढ़ाई शरू करते हैं तो आपको एक दिन में एक विषय का केवल एक टॉपिक या अध्याय ही पढ़ना चाहिए।  एक से अधिक टॉपिक या अध्याय पढ़ने से चित्र या बिम्ब मस्तिष्क में गडमड हो जाते हैं और भविष्य में स्मरण के समय कनफ्यूजन  पैदा कर सकते हैं।  एक ही विषय के दो अलग अलग अध्यायों को शुरुवाती दिनों ही नहीं अंत तक भी एक समय ना पढ़े।  जैसे आप एक ही विषय के तीन चार टीवी सीरियल एक दिन में देखें तो बाद में एक की कथा दुसरी के कथा आपके दिमाग में घुलमिल जाती हैं तो उसी तरह एक विषय के दो अध्यायों को एक साथ पढ़ने से विषय गडमड हो जाते हैं।  किन्तु यदि आप एक दिन में अलग अलग तरह के सीरियल CID , उल्टा चश्मा , देवी , पाताल भैरवी सीरियल देखेंगे तो मस्तिष्क में छवि गडमड नहीं होगी। 
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         अलग अलग विषयों के केवल एक ही अध्याय 

       दिन में एक ही विषय के दो टॉपिक ना पढ़िए अपितु अलग अलग विषय के एक एक टॉपिक पढ़िए।  इस तरह आप जो पढ़ा उसकी स्पष्ट इमेज मस्तिष्क में उतरने में कामयाब होते जायेंगे और कनफ्यूजन की कम स्थिति आएगी। 
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                 प्रातः कालीन पढ़ाई कामयाब पढ़ाई 

  सभी लोग बच्चों को कहते हैं कि सुबह सुबह अवश्य पढ़ो।  उसका कारण वैज्ञानिक है।  सुबह सुबह मस्तिष्क ही नहीं शरीर भी फ्रेस , अनथका  और चीजें ग्रहण करने में सहर्ष सक्षम होता है।   अमूनन सुबह बाह्य रुकावटें , शोरगुल , बातें आदि कम ही होती हैं तो प्रातः कालीन पढ़ाई सबसे अधिक प्रभावकारी होती है। 
   कहा जाता है कि प्रातःकालीन तीन घंटे का अध्ययन दिन या रात के पांच -छः घंटो के अध्ययन के बराबर होता है। 
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               बस  पढ़ने के लिए पढ़ाई नहीं 

  यदि आपका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा हो तो और आप भारी मन से जबरदस्ती पढ़ रहे हों या चाय पी पीकर पढ़ाई  करें तो  स्पष्ट चित्र नहीं बन पाएंगे।  हर समय पढ़ना हो तो आनंद के साथ पढ़िए , मजे के साथ पढ़िए।  पढ़ाई को ही आनंद बना लीजिये। दुविधा की स्थिति से भी पढ़ाई समझ में नहीं आती है। 
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                     दिन में कितना पढ़ा जा सकता है 

     आपका मस्तिष्क व शरीर मशीन ही हैं तो उन्हें भी थक  लगती है।  मस्तिष्क व शरीर का एक दूसरे से संबंध है।  जब शरीर स्वस्थ , अनथका होता है तो मस्तिष्क भी प्रभावी ढंग से काम करता है।  जब मस्तिष्क में ऊर्जा और  उत्साह हिलोरे मारता है तो शरीर भी ऊर्जावान हो उठता है।  यदि शरीर में कुछ भी कमजोरी आती है वह मस्तिष्क को प्रभावित करती है।  और मस्तिष्क में कुछ भी कमजोरी आती है वह शरीर को प्रभावित करता ह। 
              यदि शरीर ऊर्जावान है और मस्तिष्क ऊर्जावान नहीं तो भी पढ़ाई करने में दिक्क्त आती है और मस्तिष्क ऊर्जावान है पर शरीर थका है तो भी पढ़ाई में दिक्क्तें। 
         शरीर मस्तिष्क को प्रभावित करता है तो मस्तिष्क शरीर को। अतः दोनों के मध्य सामंजस्य आवश्यक है।  
        स्मरण योग्य पढ़ाई हेतु पांच से छः घंटे पढ़ाई सही होती है।  औसतन परीक्षार्थी को पांच या छ: घंटे पढ़ाई करनी चाहिए बाकी समय में मनोरंजन , ज्ञान वृद्धि हेतु समाचार पत्र या पत्रिकाएं पढ़ना ,  शारीरिक व्यायाम  (exercise ) करना चाहिए ।  
      मस्तष्क को फ्रेश रखिये और शरीर को अनथका तब ही पढ़ाई से लाभ मिलता है। 
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शेष IAS/IPS/IFS/IRS कैसे बन सकते हैं श्रृंखला  में..... 
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कृपया इस लेख व 
हर उत्तराखंडी IAS बन सकता है" 
आशय को   लोगों तक पँहुचाइये प्लीज ! 
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