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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, December 3, 2017

गढ़वाळ पर कविता कन लिखण -भाग 1

(Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes , गढ़वाली हास्य , व्यंग्य )
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 चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती    
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  हफ्ता मा एक ना एक कवि मेकुण फेसबुक पर मैसेज करदन बल भैजि  गढ़वाळ पर कविता कै तरह से लिखण।  तो आज मि सब तैं इक्छुटि बतै दयूंद बल गढ़वाळ पर कविता या लेख कन लिखण। 
        सबसे पैल त गढ़वाल तै कबि बि एक बड़ो भूभाग नि समझण , गढ़वाल तैं एक छै जिलौं (देहरादून मिलैक ) से बण्युं भूखंड ना अपितु एक द्वी  सौ से कम जनसंख्या वळ बाबा आदिम का जमाना का भूभाग समझण।  जी हाँ आपक कविता या लेख मा गढ़वाल एक छुट गां ही चित्रित हूण चयांद।  कबि बि तुमर लेखुं मा गढ़वाल का बावन गढुं बिगळीं भौगोलिक व अन्य सांस्कृतिक बिविधता का दर्शन नि हूण चयेंद अर जख तक हो तो रवांल्टी , जौनपुर अर जौनसार तैं गढ़वाल का अंग नि बताण।  
  हमेशा लिखण कि गाँव खाली ह्वे गे किन्तु जु शिल्पकार गाँव मा छन ऊं तैं कतै गढ़वाली (आपक ग्रामवासी ) नि मनण। 
    सबसे अधिक रूण गढ़वाली (आपक गांव की ) संस्कृति खतम हूण पर लिखण चयेंद कि हमर ग्रामवासी (गढ़वाली ) अब माटो -पाटी -बुळख्या से पढ़ाई नि करदन अर नया  क़िस्म का कागज , पेन व कम्प्यूटर तै जथगा गाळी देल्या आप उथगा बड़ा कवि माने जैल्या।  जी हाँ आपक कविता , लेखों मा रूण हूण चयेंद कि लोग अब नंगा खुटुंन भैर नि जांदन  अर चप्पल , जूतों पर जथगा जोर से जुत्त मारिल्या आप तै महान कवि की श्रेणी मिल जाली। 
      
       फिर कबि बि गढ़वाल याने आपक 100 -150 जनसंख्या वाळ गाँव मा आधुनिकता ऐ गे नि बथाण।  पाणी नळ, रस्ता , बिजली ,मोटर सड़क , गाँव गाँव मा स्कूलों वर्णन नि करण।  मुंबई का नजिक विरार , कल्याण म लोड शेडिंग तै एक सामन्य बात समझण किन्तु आपक गाँव याने छै जिलोँक गढ़वाळ मा बिजली लोड शेडिंग तै रावणी कृत्य साबित कर दीण चयेंद।  आपक गाँव याने गढ़वाल तैं दीनतम क्षेत्र बताणम कबि नि शरमाण चयेंद। 
  गैस स्टोव की  भयंकर ढंग से आलोचना हूण चयेंद अर धुंवादार चुल्ला की पूजा।  धुंवादार चुल्ल तैं बदीनाथ बताओ अर गैस स्टोव तै भयंकर रागस।  कवियों तैं अफु इंडक्शन कुकर खरीदण चयेंद किन्तु आपक कविता मा गांव याने गढ़वाळम ढुंगळ संस्कृति की ही वकालत हूण चयेंद।  आप जथगा जोर से आधुनिकता का विरोध मा साहित्य रचिल्या उथगा जोर से आप तै पुरुष्कार का अवसर मीलल।  कवितौं मा आधुनिकता विरोध एक बड़ो साहित्यकार या पत्रकार हूणो निसानी च।  अपण काका कुण आटु पिसणै बिजली चक्की लाण किन्तु साहित्य अर रिपोर्टिंग मा घट्ट बांज पड़्यां छन की बुलंद आवाज हूण चयेंद। 
     कवि सम्मेलनों मा पलयान कु रूण रुण चयेंद , पलायन रोको का आंदोलनकारी कविता पढ़न चयेंद किन्तु दुसर दिन अपण नौनी या नौनु तै अमेरिका भिजणो इंतजाम करण चयेंद। 
     अपण बेटी कुण स्वीमिंग पूल मा नयाणो कुण बिकनी खरीदण चयेंद किन्तु साहित्य या रिपोर्टिंग मा पंजाबी ड्रेस की अर सरकार की खूब भर्तसना हूण चयेंद कि गढ़वाळ मा अंगुड़ संस्कति खतम हूणी च। 
      गढ़वाली कवि तैं चाहे ऊ गाँव याने पूरा गढ़वाल मा रावो , बॉर्डर पर रावो या कनाडा मा रावो बाबा आदिम  जमाना का गाँव की खुद मा खुदेड़ कविता ही लिखण चयेंद।  अफु ट्रिपल फिल्टर सिगरेट पीण किन्तु ग्रामवास्युं कुण ताकीद हूण चयेंद कि तुम अग्यल -पतब्यड़ संस्कृति का संवाहक बौणो। 
      अफु अपण बेटी ब्यौ मा न्यूतेरो रात कॉकटेल पार्टी हूण चयेंद अर बेटा की बरात मा हरेक  कार मा बार सजी हूण चयेंद किन्तु साहित्य अर रिपोर्टिंग मा गढ़वाल मा शराब पियेणी च की खूब  खाल खिंचै हूण   चयेंद।  
           ध्यान रावो बल आपक  साहित्य या रिपोर्टिंग का चरित्र बारवीं सदी का ही हूण चएंदन। ह्वे साको तो पाषाण युगीन चरित्र ही दिखावो।  कबि बि अपण साहित्य या रिपोर्टिंग मा नया किस्मो छुट ट्रैक्टर की प्रशंसा नि हूण चयेंद।  अबि बि कटल खणण  वळ किसान तै महान किसान बताण, ये गरीब किसान की वंदना चारण  शैली (मौलारम या गुमानी पंत शैली ) मा कविता रचण चयेंद।   अर मिस मेजर जखमोला, आईपीएस कुकरेती या बड़ी  अधिकारी मिस बिष्ट का विषय मा कविता नि रचण।  यूं गढ़वाल का गर्व नव गढ़वाल्यूं की  हमेशा ही अवहेलना करण चयेंद।  
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 -बाकी अगला भाग मा 

14/11 / 2017, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India

*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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    ----- आप  छन  सम्पन गढ़वाली ----
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