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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, October 5, 2017

पलायन आयोग , पौड़ी मा 5 P कु परपंच !

(Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes , गढ़वाली हास्य , व्यंग्य )
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 चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती    
मि - द्वार से भैर  बैठ्यां भुला ! पलायन आयोग पौड़ी  ऑफिस च न यु ?
वु - बोर्ड क्यांक च ? पलायन आयोग का या प्रवासी शरणार्थी आश्रम ? 
मि - नै नै भितर क्वी नी दिखेणु ना।  त आशंका ह्वे गे कि   .... 
वु - मि छौं ना ?
मि - आप त घाम तापणा छन। 
वु - अरे सरकारी औफिसुं अर स्कूलूं मा घाम तपै छोड़ि हूंद क्या च ? क्या हूंद ? क्या ?
मि -जी घाम तपै। 
वु - लगणा त होशियार छां।  कखि भैर  रौंदा क्या ? 
मि -जी मुंबई 
वु -त फिर इख पलायन आयोगम क्या काम ? 
मि - जी बीस साल की कमाई पलायन आयोग तै दीण छे। 
वु - कमाई अर पलायन आयोग तै दीण छे ? क्या ? 
मि -जी यु हजार पेज की मेरी खोजपूर्ण रिपोर्ट च  - 'ग्रामीण उत्तराखंड से पलायन कैसे रोका जाय '. 
वु -ये तुम प्रवास्यूं मा कुछ हौर काम नी च ? जनि तुम बिजनौर , सारनपुर पार करदां अर उनी सलाह दीण मिसे जांदा बल पलायन कनै रुके जावो ! पलायन रुकने के नायब तरीके ! अफु त तुम मुंबई मा फ़्लैट खरीददां अर हम गढ़वळयूं तै सलाह दींदा  बल पहाड़ी शैली के मकान मे रोवो। 
मि -नै नै  ... 
वु -अच्छा इन बताओ बल या  रिपोर्ट कै तैं दीणो इरादा च ?
मि -चैयरमैन साब तैं। 
वु - वु क्या ऊंको लाब लश्कर त देहरादून कैम्प मा बैठदन। 

मि - क्या चियरमैन साबक लाब लश्कर त देहरादून कैम्प मा बैठदन ? इ क्या ?
वु - कबि पौड़ी मा गढ़वाल कमिश्नरीक ऑफिस गे छा ?
मि - हाँ एक दैं।  पर कमिश्नर त छवाड़ो ऊंको प्यून, परसनल स्टाफ बि सरा साल भर देहरादून कैम्प जोग हि हुयुं रौंद छौ 
वु -तो प्रवासी महोदय सूणो ! गढ़वाली युवा अर उत्तराखंडौ सरकारी ऑफिसर एक दैं पहाड़ छुड़दन उ वापस बौड़ी नि आंदन। 
मि - जी।  त चियरमैन साब से छुट ऑफिसर ? 
वु - जु सबसे छुट ऑफिसर छन ना ऊंक अबि नौकरी लग याने ओ प्रोबेशन पर छन। पर उ एक दिन ऐ छा अर फिर कबि ऊंक मुखदिखै नि ह्वे। 
मि - किलै ?
वु - प्रोबेशन ऑफिसर साब अपण ट्रांसफर देहरादून करणो बान देहरादून मा पड़्यां छन। 
मि - तो ऊं से बड़ ऑफिसर ? 
वु -हाहाहा ! ऊंक परमोसन ह्वे छौ तो वे पांच मिनटों कुण इक ऐ छा अर फिर उंकी निफल्टि बि देहरादून ह्वे गे। 
मि - उंसे  बड़ो अधिकारी ? 
वु - वु त आज तक इना आयी नि छन।  परमैनेंट जी हुयां छन तो ऊंन केस कर्युं च कै हिसाब से परमेनन्ट ऑफिसरौ ट्रांसफर किलै देहरादून से पौड़ी करे गे। इख परमानेंट ऑफिसरौ मतलब हूंद परमानेंट देहरादून मा। 
मि - त यूं से बड़ो ऑफिसर ?
वु - अरे बिचारो ! बिचर नैनीताल हाइ कोर्टक चक्कर काटणा छन। पनिशमेंट पर पौड़ी भिजे गेन। 
मि - बिचारो ? 
वु - हाँ।  अपण मातहत क्लर्क पर बलात्कार का केस मा फंस्या छन। 
मि - अरे बलात्कारी अर बिचारो ? 
वु - यां बलात्कार पूरो थुका ह्वे छौ कि पकड़े गेन।  बिचारो ! 
मि - एक बात बथाओ फिर तुम इक किलै छा ? 
वु - अरे मीम पव्वा हूंद त कैकि हिम्मत छे जु मि तै देहरादून से पौड़ी ट्रांसफर करदो। 
मि - पव्वा ?
वु - हाँ मथि धर्मपिता बि नि छन अर पांच लाख घूस दीणो पव्वा बि नी च कि ट्रांसफर रुकै सकदु। 
मि - यांक मतलब उत्तर प्रदेश सरकार अर उत्तराखंड सरकार मा कुछ बि फरक नी च ? 
वु - इन कनै बुलणा छा ?
मि - उत्तर प्रदेश सरकार मा बि प्रोबेशन , परमोसन , परमानेंट , पव्वा अर पनिशमेंट कु प्रपंच छौ त  उत्तराखंड मा बि प्रोबेशन , परमोसन , परमानेंट , पव्वा अर पनिशमेंट कु प्रपंच हावी च। 
वु - सरकार कख्याकि बि हो प्रोबेशन , परमोसन , परमानेंट , पव्वा अर पनिशमेंट याने 5 P कु प्रपंच सदा विद्यमान राला।  
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5/10  / 2017, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India

*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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