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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, August 17, 2017

सौ मुंडळी खाणो बाद बामण जीव हत्त्या विरोधी ह्वे गै !

(Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes , गढ़वाली हास्य , व्यंग्य )
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  चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती  
       चार पांच ना आठ दस सालों से सुचणु छौं कि चलो शाकाहारी ह्वे जौं।  जवानी मा ना सै दानी -सयाणी उमर मा इ ले परलोक सुधार ल्यूं।  जन अशोकन लाखों मनिख मारणो बाद बुद्ध  धर्म अपणाइ , चन्द्रगुप्त मौर्यन बिथा कत्लेआम करणो उपरान्त जैन धर्म अंगीकार कार अर जन अपण नितीश बाबू सेक्युलर्या  भोजन करणो परांत हार थकिक फिर से NDA मा शामिल ह्वे गेन। अब जब बुढ़ापा मा इ अकल दाढ़ आंदि त मि तैं बि पश्चाताप हूणु च बल अब मांशाहार ठीक नी च , शाकाहार ही ठीक  च बुढ़ापा मा अंतड़यूँ तै अर दांत्यूं तै कष्ट दीण ठीक नी च। 
      अब चूँकि ढांगू , उदेपुर अर डबरालस्यूं बामण बाहुल्य क्षेत्र च त इख लोक बाग़ , ढिराग , स्याळ जनि शिकर्या छया  किन्तु  बामण लोक अयेड़ी खिलण , बखर पालण अर  भाग दौड़ जन  शारीरिक कामौ मामला मा राहुल गांधी से बि जयां बित्यां छा तो मांश भक्षण स्वत्: ही कम छौ।  सालों मा शिकार खांद छा पर पीठ पर तगमा लग्युं रौंद बल उत्तराखंडे ब्राह्मणे मांश भक्षते , दक्षिणा  मातुल कन्या अप्यते। 
    चूँकि मि कुकरेती बामण छौ त मि जन्मजाति मांशाहारी छौ।  मि जन्मजाति मांशाहारी बामण छौ पर मीन मांश याने कछबोळी दस सालक उमर मा चाख वो बि जजमानुं गौं सौड़ वळुंन कृपा करिक भेजी छौ।  एक दैं याद च हमर ड्यार शिकार बौणि छे।  एक दैं घटम एक जिळकि माछक  टुकड़ा , फिर जब दर्जा सातम छौ तो नयार नदी माछक एक टुकड़ी चाखिक मीन प्रमाण दे कि उत्तराखंडे ब्राह्मणे मांश भक्षते। 
    देहरादून औं तो पिताजी जु बि मन्यौडर भिजदा छा उ कमि पड़द छौ किलैकि हर हफ्ता पिक्चर नि द्याखौ तो स्टैंडर्ड कम ना किन्तु राजकपूर , देवा नंद अर दिलीप कुमार नाराज ह्वे जांद छा। तो वन थर्ड बजट त राजकपूर , देवा नंद अर युशुफ खान (बाद मा राजेश खन्ना ) खै जांद छा तो नॉन वेजिटेरियन डिश का वास्ता बजट बचदि नि छौ।  मि तै देहरादून मा मटन -मच्छी खाणै क्वी विशेष याद नी च पर चूँकि मि पूरी तरां गढ़वळि बामण छौ तो अगरवाल , जैन अर मुस्लिम दगड्यों समिण मि अफु तै प्योर नॉन वेजिटेरियन बथांद थौ।  
     मि असली गढ़वळि बामण मुंबई ऐक बौण।  बाबा जी तकरीबन हफ्ता या पंदरा दिनम शिकार बणवांदा छा।  उन त मेरी मा अर मेरी घरवळि शाकाहारी छन पर शिकार बणानम ओ गढ़वळि बामण छन।  पिताजी गुजरणौ बाद घौरम शिकार बणन बंद ह्वे गे। म्यार द्वी नॉन , द्वी ब्वारी प्योर वेजिटेरियन छन।  
     घौरम शिकार बणन बंद हूणो बाद मि मुंडळी  प्रेमी गढ़वळि बामण बण्यु रौं।  टूरिंग सेल्स लाइन हूणो वजै से खूब शिकार खै।  बखर , कुखुड़ , सुंगर , तीतर , बटेर, गिगड़ ,  माछ जन जानवरों बनि बनिक शिकार तकरीबन हफ्ता मा खांद छौ।  यूरोप टूर मा प्रयोग का वास्ता बीफ सैंडविच बि खाई त भूलमार मा चार पांच दैं बीफ कबाब बि खायी। जब तक रेगुलर सेल्स मा रौं त मि वास्तवम नॉन वेजिटेरियन रौं।  कम्पनीका डी ए , टी ए छौ तो कुछ बि खाणम केकी परहेज।  दुसराक पीठ मा सत्तू छुळणम अपण बुबाक क्या जांद। 
       पर अब सुचणु छौं कि मि शाकाहारी ह्वे जौं।  अब क्या च नौकरी चाकरी तो छ नी च , गढ़वाळी लिख्वार  छौं तो लिखण पर पैसा मिलण त राइ दूर पत्र -पत्रिकाओं तै चंदा नि भ्याजो तो पत्रिका बंद हूणै डौर रौंदी। इनकम का क्वी दूर दूर तक साधन नी च तो अब होटलम जैक मांश भक्षण अपर बसै बात नी च।   म्यार परिवार सफाचट वेजिटेरियन च त सैत च मीन एक साल से मटन -मच्छी नि चाख। 
     अब जब नॉन वेजिटेरियन भोजन मिलणो सब चांस इ ऐंडे (एन्ड हूण , समाप्त हूण ) गैन तो सुचणु छौं घोषित कौरी द्यों बल भीष्म कुकरेती शुद्ध शाकाहारी ह्वे गे , भीष्म कुकरेती प्योर वेजिटेरियन ह्वे गे , भीष्म कुकरेती अब जीव हत्त्या विरोधी ह्वे गे।  तो आज से ही मि धर्मवाद दीणू छौं कि कृपया मुझे जीव प्रेमी माने और म्यार समिण मटन -मच्छी की बात न करिन कि मि मटन -मच्छी बान उनी तरसणु रोल जन बिचारा लाल कृष्ण आडवाणी प्रधान मंत्री या राष्ट्रपति पद का बान तरसणा रौंदन। 

   मजबूरी मा सै अब म्यार सिद्धांत  च जीव हत्या नी कारो  , जीव हत्त्या पाप च , देवी पुजै मा बखर नि मारो ! 
      धनाभाव  का वजै से सौ मुंडळी खाणो बाद गढ़वळि बामण शाकाहारी ह्वे गे।
      

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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India , 9 /8 / 2017

*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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