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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, July 30, 2017

Customary Laws

British Administration in Garhwal   -143
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History of British Rule/Administration over Kumaun and Garhwal (1815-1947) -163
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            History of Uttarakhand (Garhwal, Kumaon and Haridwar) -997
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                              By: Bhishma Kukreti (History Student)
  Trail and his couple of successors remained Commissioners of Kumaon for long.  Those officers got fair knowledge of customary laws of Garhwal and Kumaon. Initially, they applied all customary laws for taking judiciary decisions as disputes for properties among heirs. Later on the doors for Board of Rand High courts were opened. Then, Lawyers started exploiting the situations by suggesting people for going to higher court against local judiciary decisions.  
   Mostly, in Garhwal,  Khaspeople used Khas  system of offering rights to heirs was applied even in initial British rules. However, after 1835, the government sent officials from plains to Garhwal, Kumaon. They applied laws of Indian plains as ‘Mitakshary. They believed that till solid proofs were not there court should not take decisions. Officials from plains assumed Khas as part of Hindus.
     There was unrest among people for applying rules of plains in hills.
    Tehri Riyasat published Narendra Hindu law written by Prime Minister Hari Krishna Raturi in 1917.
   United Province Government appointed Panna Lal for studying customary laws of Kumaon. Panna lal wrote a book ‘ Kumaon local customs’  and government published that book  in 1920. UP government published works of Dr L.D. Joshi as ‘Khas family law’ in 1929.  Kumaon courts took references of those books for settling Khas disputes for heirs.
    Even, crooks started taking disadvantages of book by Panna Lal.

   xxx   
References  
1-Shiv Prasad Dabral ‘Charan’, Uttarakhand ka Itihas, Part -7 Garhwal par British -Shasan, part -1, page- 313 -333
 2- Pannalal , Customary laws in Kumaon , page 6

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Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India,bjkukreti@gmail.com /28/7/2017
History of Garhwal – Kumaon-Haridwar (Uttarakhand, India) to be continued… Part -998
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*** History of British Rule/Administration over British Garhwal (Pauri, Rudraprayag, and Chamoli1815-1947) to be continued in next chapter
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(The History of Garhwal, Kumaon, Haridwar write up is aimed for general readers)

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उत्तररखण्ड मा राजनैतिक धर्मपिता अर धर्मपुत्र संस्कृति खतरा मा

(Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes , गढ़वाली हास्य , व्यंग्य )   
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  चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती    

 उन त भारत एक कृष प्रधान देस च पर इख आंदोलन से जनम्याँ छुट छुट राज्य उत्तराखंड , झारखंड अर छत्तीसगढ़ राज्य बि छन 
  उन त स्कूलूं किताबुं मा अबि बि लिख्युं रौंद बल उत्तराखंड एक कृषि प्रधान प्रदेश च पर असलियत मा गूणी -बांदर अर सुंगरुं राजयौ  भितर आण से अर उत्तरखंड्यूं भैर भगण से अब पारम्परिक कृषि त नि हूंदी पर गूणी , बांदर अर सुंगरुं रक्छा हेतु राजनीति की फसल खूब हूंदी। 
  उन त  भारत देस जन इ उत्तराखंडन एक कृषि प्रधान प्रदेश च पर  इख देशभक्त सिपाई , देशभक्त अधिकारी अर राष्ट्रीय राजनेतौं  का चहले कदम पर चलण वळ राजनेता हूंदन। 
 चूँकि उत्तराखंड राष्ट्र प्रेमी प्रदेश च त इखक स्थानीय अति क्रन्तिकारी नेता दिवाकर भट्ट , काशी सिंह ऐरी अथवा क्या पणि एक क्षेत्रीय दल का सर्वेसर्वा  जु दिल्ली मा बैठिक नेतागिरी करदन जन कि सुरेश नौटियाल सबि राष्ट्रीय राजनीति मा समाहित हूण चांदन जन बुल्यां मिंडक अंडा दीणो पाणी मा छलांग लगाणो हो। उत्तराखंडी नेता राष्ट्र नेता , राष्ट्र नेत्री अर राष्ट्र जंवाई की पुछलग्गू ना बल्कि  पूँछा बाळ बणनम राष्ट्रभक्ति का परिचय दींदन अर इखम मोदी भक्तों , राहुल सेवकों या दिवाकर भट्टों मा क्वी अंतर नी च। 
     कुछ दशक तक जब तलक भारत मा शरम ल्याज नामक खतरनाक बीमारी बचीं छे तो भारत मा उत्तराखंड समेत राजनीति मा राजनैतिक धर्म पिता अर धर्मपिता संस्कृति बचीं छे। 
      तब उत्तराखंड मा स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा , नारायण दत्त तिवारी आदि जगा जगा पुत्र ना धर्मपुत्र पैदा करदा छा अर फिर जैका राजनैतिक धर्मपिता की पदवी पांदा छा।  तब्याक धर्मपिता धर्मपुत्रों तै राजनैतिक पाठ ऊनि पढ़ांदा छा जन आश्रम मा गुरु च्यालों  पाठ कंठस्थ करांदा छा। 
      तब च्याला की अपणी हैसियत हूंदी छे , राजनैतिक  च्याला की अपणी राजनैतिक हैसियत हूंदी छे , राजनैतिक आधार हूँन्द छौ , अपणी खुदै तैयार करीं जमीन हूंदी थै , तब बड़ा नेता धर्मपुत्र की खोज म रौंदा था। डा शिवा नंद नौटियाल अर भारत सिंह रावत, नंद किशोर नौटियाल  हेमवती नंदन बहुगुणा का धर्मपुत्र छा अर बाद मा त्रेपन सिंह जी बि बहगुणा का धर्मपुत्र बणिन। श्रीमती इंदिरा हृदयेश नारायण दत्त तिवारी की धर्मपुत्री छे अर बाद मा तिवारी जीन नंद किशोर नौटियाल तै अपण धर्मपुत्र बणाइ।  स्व चंद्रमोहन बड़थ्वाल (भूतपूर्व विधायक श्रीमती विजया का पति ) बलदेव सिंह आर्य का धर्मपुत्र छा। 
      अब जब बिटेन भारत से शरम ल्याज की फोकटै बिमारी अंत ह्वे , राजनीति मा अपार , अकूत काळो धन की छळा -बळी ह्वे तो काळो धन को वार -पार करणम धर्मपिताओं की धर्मपुत्रों पर विश्वास उठी गे अर उत्तराखंड मा धर्म पुत्रों की जगा अब स्वयं का असली पुत्रों व असली पुत्रियोंन ले लियाल।  
     अब देखि ल्यावो ना विजय बहुगुणा न धर्मपुत्र की जगा स्वयं कु पुत्र सौरभ तै दे , मे. ज. खंडूरीन धर्मपुत्री तै राजनैतिक गुर सिखाणो जगा  अपण बेटी श्रीमती ऋचा खंडूरी तै विधायक बणै दे तो  अखाड़ा बाज सतपाल महाराजन अपणी पत्नी अमृता तै धर्मपुत्री की जगा गद्दीनसीन करिक भारत की राजनीतिक राष्ट्रीय चरित्र सिद्ध कार।  
     अब राजनैतिज्ञों तै धर्मपुत्रों , धर्मपुत्रियों या नारायण पुत्र शेखर की अर धर्मपुत्रों तै कार्यकर्ताओं की आवश्यकता इ नि रै गे किलैकि चुनाव जितणो कुण रेडी मेड पेड मशीनरी जि हरेक पट्टी मा दारु पेकी जमीं च। 
    चूँकि उत्तराखंड शत प्रतिशत राष्ट्रीय चरित्र कु प्रदेश च तो उत्तरखंडा नेतौंन  नेहरू गाँधी परिवारवादी , यादव परिवारवादी  या चौटाला -बादल कुनबेबाजी  चरित्र अंगीकार कार तो वैमा खौंळयाणो जरूरत इ नी च। 
कुछ समय बाद हरेक जिलापरिषद , नगर पालिका , विधान सभा सीट से नेता पुत्र , नेता पुत्री या नेता स्याळ इ चुनाव लड़दा दिख्याल।  
लॉन्ग लिव विजय बहुगुणा , लॉन्ग लिव सौरभ बहुगुणा , लॉन्ग लिव डाइनेस्टी रूल ! 
        
    
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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,31   /7  / 2017 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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भुंदरा बौ उवाच (जोक्स, हंसुड़ी , हँसिकाएँ ) -भाग -22

Garhwali Jokes 

         भुंदरा बौ उवाच (जोक्स, हंसुड़ी , हँसिकाएँ )  -भाग    -22   

                   अनुवाद अर संकलन  - भीष्म कुकरेती   -

 गोविन्द  लाल आर्य नवर गडण वळ , ठाकुर कमल सिंग जागरी अर पंडित खिमा  नंद तिनि कुंळै डाळौ तौळ जुआ खिलणा छा। 
इथगा मा पटवारी मुस्सदी लाल अपण चपड़ासी दगड़ ऐका लाल पीला हूण लग गेन। 
मुस्सदी - पंडित जी क्या बात च ?
पंडित -  हे काली ! हे चमुंडा ! हे प्रभो ! टेरी लाख लाख मेहरबानी।  तीन आज मि तै जुआ जन जघन्य पाप करण से बचै दे। 
मुस्सदी - ठाकुर साब ? 
ठाकुर  (अगास की तरफ )- हे नागरजा , हे भैरव ! हे न्याय का देवता ग्विल्ल त्वी पटवारी जी तै बता बल मि क्या करणु छौ ?
पटवारी - नवर्या जी ? ब्वालो तुम जुआ खिलणा छा ?
नवर्या (कन्धा झटकैक ) जी ! कैक दगड़ ?




  30 /7  /2017   Copyright ? डाका डाळिक लयूं  माल च तो म्यार अफि
क  अधिकार ह्वे जांद कि ना ?

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हम पर इल्जाम सरासर पप्पू जन छुकरोळया इल्जाम छन !

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  चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती    
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हमर उत्तराखंड सरकार  पर इल्जाम च कि पिछ्ला 100 दिनों मा कुछ नि कार। 
इल्जाम सरासर बचकाना च , छुकरोळया इल्जाम च , पप्पू जन इल्जाम च। 
सबसे पैल हमारी सरकारन   पिछली सरकार , उंकी नीति अर उंका नेताओं तैं सौ दफैं गाळी दे। भगवान की असीम कृपा से यु काज भली भाँती से निरंतर  चलणु च। गाळयूं कमी हूणी च त हमन कुछ पत्रकारुं मदद ले। 
फिर हमन अफु अफु कुण सरकारी बंगलौं जंक जोड़ कार। 
 चूँकि हमन परिवर्तन रैली मा मोदी जीक दगड़ कसम खै छै बल हम परिवर्तन करला तो  हमन सरकारी बंगलों फर्नीचर , रंग रोगन अर कुल दिबतौं फोटो बद्लिन ।  
 परिवर्तन वायदा निभाणो बान हमन भौत सा IAS , PCS से लेकि अधिकार्युं बदली कार।  नागपुरै सौं धौं परिवर्तन कु यु काम 2022 तक निरंतर चलदो रालो।  
 नई परिवर्तन योजना तहत हमन सरकारी कार्यालयों मा फाईलुं रंग बदलीन अबि भौत काम बाकी च। 
उत्तराखंड मा पलायन समस्या दूर करणो हमन अपण राजनैतिक जीवन मा कबि नि सोची छौ तो हम तै पता इ नी कि पलायन कनकैक रुकण त हमन एक बड़ो स्वांग रच अर लोगुं से राय मांग।  स्वांग करण हम राजनीतिज्ञों काम च तो नाटक अगला सौ साल तलक चलदो इ रालो , सरकार कैकि बि हो स्वांग नि रुक सकदो। 
 फिर मोदी जी की प्रेरणा से हमन परिवर्तन का दूसर पग उठाई अर सरकारी संस्थाओं का जु बि कॉंग्रेसी , बीएसपी या बाड्रा भक्त अध्यक्ष , उपाध्यक्ष च ऊँ तै बदल अर कॉंग्रेसी चमचों जगा अपण काखक बाळुँ तै अध्यक्ष , उपाध्यक्ष पद पर बिठाई। काम बाकी च। अब हरेक नेताका चमचा भौत ह्वे गेन अर पद कम छन तो एक अनार सौ भिखारी वळि स्थिति मा गयेळि तो होली कि ना ? पर हम परिवर्तन कौरिक ही दम ल्योला। 
 शराब उपलब्धि एक  बड़ी समस्या छे तो वांक निराकरणौ वास्ता हमन एक क्रांतिकारी परिवर्तनशील कदम उठाई अर वाइन इन  मोबाइल वैन की व्यवस्था कार। 
बाकी जैदिन हमर सरकार का 200 दिन पूरा होला वाई बगत बड़ा बड़ा जलसा होला तो जनता तै वांकी जग्वाळ करण चयेंद। 

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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,  30 /7  / 2017 
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हौंस इ हौंस मा जैंगण से सीख

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  अनुवाद   :::   भीष्म कुकरेती    

  तुमर कांति चमकण चयेंद चाहे जथगा बि छुटि ह्वावो 
अफुम कुछ गुप्त रखण चयेंद अर हौरुँ तैं खौंळेण द्यावो 
 अंध्यरम , नया संसारम अगनै बढ़णम नि घबराण 
उज्यळ करणम, पुळयाणो कुण  दिवाळी -बगवाळी जग्वाळ नि करण 

  चमत्कार पर विश्वास कारो तो जिंदगी रसीली ह्वे जांद  
    इख तक कि कुरूप बि बिगरैल हूंद 
      जिंदगी छ्वटि च , त जथगा बि ह्वे साको चमकद जावो 
      अंध्यरम नाचणो थोड़ा इ समौ ल्यावो 
       छुटि  से छुटि बथों मा आनंद ल्यावो 
       कीड़ों तै बि प्यार चयेंद 
       छुटि से छुटि बात बि मजा दे सकदी 
  जिंदगी मा रौंसेणो कुण चीजुं तै बिंगण जरूरी नी 
 जु तुम नि चांदा कि तुम पकड़ म आवो तो तेजी से उड़ा 
पूछो कि किलै - पर सरल उत्तर की आशा मा नि रौण 
 यदि लोक तुम तै नी समज सकणा छन त यांक क्वी मतलब नि हूंद    
  प्यारी चीजों तै थमण सीखो अर फिर छुड़ण बि सीखो 
  जिंदगी तै त्यौवार जन मनाओ 
यदि उज्यळ खतम ह्वे जावो तो कुछ देर जग्वाळ कारो 
सबसे बढ़िया चीज अबि बि मुफ्त मा इ मिल्दन 
   


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Copyright@ शीला मॉस 
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डकैती , अपहरण और फिरौती के अनुभवी सेक्युरिटी गार्डों की तुरंत आवश्यकता

इंडियन पॉलिटिकल दंगल व सब्जी मंडी हेतु तुरंत सेक्युरिटी गार्डों की आवश्यकता है। 

                        प्रार्थी के अवगुण 
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 खूंखार शक्ल , शातिर , व कातिलों को कत्ल करने की क्षमता वाले अनुभवी राक्षस 
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                            प्रजातंत्र का बुगचा बनाने  के  कार्य 
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दूसरों के विधायकों का अपहरण , अपने विधायकों की सुरक्षा व सब्जीमंडी में अभी टमाटर गोदामों की सुरक्षा बाद  प्याज सुरक्षा 
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                          वेतन  व सुविधाएं 
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   कमाऊ राजनीति में तुरंत घुसा देंगे 

 तुरंत गुजरात में किसी भी राजनीतिज्ञ से सम्पर्क करें 
 
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        Disclaimination  ---  यह व्यंग्य नहीं है।  यदि किसी को बुरा लगे तो तुरंत मेरे खिलाफ शिकायत करें   

Friday, July 28, 2017

Vidya Datt Sharma (Uniyal): A Garhwali poet of Symbolic poems

गढ़वाल,उत्तराखंड,हिमालय से गढ़वाली कविता  क्रमगत इतिहास  भाग - 170 ) 

 (Critical and Chronological History of Garhwali Poetry, part -170)
                      By: Bhishma Kukreti
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              Vidya Datt Sharma (Uniyal) is silent but devoted contributor for Garhwali poetry development.
            Vidya Datt Sharma (Uniyal) was born in 1936 in village Sanguda, Aswalsyun of Pauri Garhwal.
      After retiring from agriculture department of UP government, Vidya Datt Sharma (Uniyal) settled in rural Garhwal near Pauri and horticulture profession in the village.
    Vidya Datt Sharma (Uniyal) published 6 poetry collections and as per information from famous Garhwali satirist Tribhuwan Uniyal in each collection, the half poems are in Garhwali and half in Hindi.
   Garhwali poems by Vidya Datt Sharma (Uniyal) deals with the subjects of struggles by rural people for their livelihood, love, attachment  and conflicts among villagers, rural  social behaviors, Garhwal nature, agriculture and politics etc.
 Vidya Datt Sharma (Uniyal) narrates his poems in simple phrases and with common phrases of Garhwal. Vidya Datt Sharma (Uniyal) uses figures of speeches those accelerate the poetry rhythm and offer energy to the readers.
    Garhwali literature creative Madan Duklan, Girish Sundriyl and poetry critic Dr. manju Dhoundiyal state that most of poems by Vidya Datt Sharma (Uniyal) are symbolic and definitely there are surprises for readers in between lines and stanzas and it is specialty of Vidya Datt Sharma (Uniyal).
  
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क्वी  बात नी (वाह वाह लायक गढ़वाली कविता )

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नि बासु मैर जु  रतखुलणिम  
क्वी   बात नी 
घाम मेरि देळिम बि
     गे 

आंख्यूं मा जू निंद  नि   
क्वी   बात नी 
रात अपणि वक्त  पर 
खुलि  गे 

कौरि नी जु जग्वाळ तिल 
 क्वी   बात नी 
बाटु मेरि खैरि को 
कटि  गे 

सुपिनौं  तक नि  जू तू 
क्वी   बात नी 
उम्र मेरि जन कनि 
कटि  गे 

   
ऐहसान तिल क्वी कायु नी 
क्वी   बात नी 
वक्त की रफ्तार चलदी 
चलद गे 


Copyright@ Bhishma Kukreti, 2017
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