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Monday, October 10, 2016

सत्यनारायण व्रत कथा (गढ़वाली कविता )

Modern Garhwali Verses  Songs,  Satire, Humor, Satyanarayan Vrat Kkatha , Realism    Poems 
-  सत्यनारायण व्रत  कथा (गढ़वाली कविता )

रचना --    कन्हैयालाल  
डंडरियाल  
Poetry  by - Kanhailal Dandriyal -
Critical and Chronological History of Modern Garhwali (Asian) Poetry – 60
-साहित्य इतिहास , इंटरनेट प्रस्तुति और व्याख्या : भीष्म कुकरेती 
-
श्री सत्यनारायण -व्रत कथा 
-

-
ल्हौ चटपट 
कुणजो , दुबलो , बतुली ,
अर तौं द्वी झणौ। 

अपवित्रम पवित्रो ...  
सुमुखश्यचैकदन्तो  ... 
आर्यावर्ते जम्बू द्वीपे ... 
हे जरा उबैं -उबैं सरका रे 
बैठणि द्या सबुतैं 
औ दीदी , काकी , बोडी  ...  
ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानू शशी   ... 
गौरी पद्मा शची मेधा 
वसुधारा देवताये नमः 
वरुणाय नमः 
द बै अब तुम जै सकदौ 
ऐ जयां आरतीs बगत फर। 

ब्यटा राजू !
जरा एक चिलम 
मिली च जबरि छिलम 
अर ह्या 
एक गिलास 
टपटपु सि गरम पाणि 
अब मि कथा शुरू करदु 
टक लै सुण्यां 
पंडिजि   एक सोड़ इनै 
कुड़कुड़ -कुड़कुड़ -कुड़क 
ले बै , ऐथर चलाव ये हुक्का 
हाँ जी ! भुज्जी जरा बरीक बरीक 
भूटण अंक्वै भून 
न हो क्वी पिड़ल  ... 
तबि जि... ।   

हाँ तो सज्जनो 
सत्यनारायण की कथा 
ध्यान से सुननी चाहिए 
और मध्य में उठकर नही जाना चाहिए 
हे बबा !
क्य बखर्वड़ि भ्वरीं च यखा 
निकळो भैर 
त चुचाओ सौ दावै सुणी च 
अजि  सुणला ?
पू भ्वां पूs भ्वां 
सज्जनो ,
छुंयाळ जरा कृपा करिन 
परम पवित्र सर्व सुखदाता कथा शुरू होंद 
एकदा नैमसारण्ये 
सर्वे पौराणिकम खलु 
हे दीदी ! मेरी जूपा रूणी त नि छई 
मत्तु रै ! बल्दुम घास ढोळयो 
हे ब्वे म्यारू सांस 
ओफोs 
मरि  ग्यों फग्वस्ये कि 
अठ्ठासी हजार ऋषि सूत जी से पूछते हैं 
हे बोडी बौ ऐ गे ?
बौळ  त आजै लगीं च 
वखि च अपणौ ह्यळि गडणी 
कख लगीं छै तु 
एकदा नारदो योगी  परानुग्रहकांक्षया 
उजि गैं अल्लू 
ये चुल्ल शरबत 
वखम  रवटि 
न बै न , पूरी 
हौर क्या 
फुकेण द्या 
बोल सत्यनारायण स्वामी की जै। 
पूs भ्वां , पूs भ्वां,   पूs भ्वां 
अच्युतम केशवम रामनारायणम 
इति श्री स्कंद पुराणे रेवाखण्डे 
सत्यनारायण व्रत कथायां प्रथमो अध्याय: 

श्री सत्यनारायण -व्रत कथा -भाग 2
-

गाड गाड फुके ग्याय 
सोर त 
द रणि दे तन्नि 
मिलै दे चिन्नि। 
 लकड़हारा 
धनियों के मुहल्ले में गया 
ह्यरां !कन रै ह्वलु भग्यान 
जबरि हुणमांग हूंद त इनि 
एक हमरs सि 
इन न कि उल्टु लाभ सुल्टु 
आं दीदी ! मेरि दां बि 
लुखुक स्ये 
गड़ागड़ मैना -मैना मन्याडर  ...    
द फूक छोरी कख लगीं छै तु  
फिर तो वह प्रत्येक  माह 
कथा करने लगा और   ... 
सूजी भुने गे ?
सरबत ल्हौ 
द ढोळ 
दबळी 
रड़बड़  रड़बड़  रड़बड़   
ठक ठक ठ ठ ठ ठक 
द धैर भितर यीं बारी। 
द बै 
हे वै चा धैर 
ठम हाथभरी गिलास 
ऊँठ रै बिलकणा 
बस बस बस जुगराज रै तु 
सड़क सड़क 
आं बै य ह्वै चा 
तीन तोलs  कि  
बोल सत्यनारायण स्वामी की जै 
नीलाम्बुजम श्यामलकोमलांगम 
पूs भ्वां पूs  भ्वां पूs भ्वां
 टन टन न न न टन 
इति  श्री स्कंद पुराणे।  
सत्यनारायण व्रत कथायां द्वितीय  अध्याय: ।  

श्री सत्यनारायण -व्रत कथा -भाग  3 
-
कविता " कन्हैयालाल डंडरियाल 
इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती 
-
हे दयाराम !
कै दे एक काम 
बस इतगसि एक कुळा 
त्यारै सौं ल्ग्युं च मितैं जुकाम। 
सज्जनो साधू नाम बनिया बोला 
अगर मेरी सन्तान 
आक छीं 
कैकी नगघ्वड़ि धरीं रे गुन्डका 
फ्यूँडु  बैठ्याँ छिन  फ्यूँडु .. 
जी नँवाय कै ल्हिऔन्दा 
भुलि तै दयाराम बटे 
वेकि ट्वटगि हूँदि घार तब धौं 
सुकता कयूं च मी खुणै 
हे छोर्याओ !
बन्द कै द्यूं कथा बंचणि 
क्य ब्वन तब 
गिचि छिन कि 
चलs चलs पंडिजि 
कख लग्यां छौ 
हाँ तो सज्जनो 
कखम ब्वनू छौ मी 
लीलावती कहती है कि...  
बुबाजी एक पुरी 
फुंड मोर , उनै फ़ुक्यो
निरभै  गरण 
ल्हे , ठैर 
अपणि ब्वै कु बि 
अटग 
लमंडि न , अंक्वै ... 
कलावती को सखियों के बीच देखकर 
साधुनाम बनिया बोला 
दीदी हमरि बि च गौळ लगीं 
द छोरी तेरि त अबि 
पधनूs देखदि 
द दीदी ऊंकी ल्हे 
मैतेs छिन बुढीणी 
चोर सारा माल 
उन दोनों के सामने छोड़कर भाग गए 
हे ह्वे गे   
बस पूरी  बि 
छंट्यो छंट्यो सरासर 
मि लखुड़ घ्वचांदु अर तु बामण तैं 
पंडिजी जरा चटपट 
सीणु बि च , स्य अदा रात 
दण्डी स्वामी ने पूछा 
तुम्हारी नौका में क्या क्या भरा है ?
सज्जनो , वह  बनिया बोला  
लता पत्रादिकम 
बूथु रै ह्वलु बूथु
गलादार 
हे एक बल्द लमडि गै बिचारौs 
को ?
उ लाल ढांगु 
राम राम राम 
पंडिजि सरासर 
कतगै वे जमन चलि गैं 
अपने स्वामी को न देखकर 
न जाने किस देवता का 
नरसिँगौ दोष रै होलु 
द छोरी 
ओद बि नि गाड वेकि तs 
भरतु करौं कि सर्या मौ नरसिंहा लै ...  
 फुतुगि फर बि त निकळी घात 
कैकी ?
वींकी सासु रांडौ
द कन म्वार वीं  रांडौ    
भगवान सत्यदेव दयालु हो गए 
और उसी समय आकाशवाणी हुयी 
ओ ह्वा ओ ह्वा ओ ह्वा 
हे बुबा  जीs   
बाघ ल्ही गै 
ब्वखट्या तैं 
तुमरि सड्याण छैं अयीं 
पंडिजि जरा मि ...  
हांजी द ब्वाला 
द्वी ढाई सौ रूप्ये चपत। 

पूs भ्वां , पूs भ्वां,   पूs भ्वां 
अच्युतम केशवम रामनारायणम 
श्रीकृष्ण बलदेव की जै 
सत्यनारायण व्रत कथायां तृतीयो  अध्याय: 

श्री सत्यनारायण -व्रत कथा --भाग  4
-
कविता " कन्हैयालाल डंडरियाल 
इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती 
-
-
हे बामण !
बिंडि नि लाछ 
फरकौंद जा 
कथा बंचदु छौ लोकमणि 
इबरि त फ़्वां 
भिन्डि कतोळी हूंद क्यs 
मन चंगा त   ... 
उस्स 
कैकि लद्वड़िम धरीं घचका 
भगवाना बि करम  भिरष्ट 
ग्वाल बालों के हाथ से राजा ने 
न तो प्रसाद लिया और न 
हे ब्वई निरभै छोरि धौणिम 
हे जिमथी ! फुंडै ठसग रे 
आ !
खुटु मिने गै 
ए काका आँख बित 
को च रे यो    बियाणु 
क्वचा -क्वच ,  क्वचा -क्वच 
फुंडै  फुंडै  सरका , कै कि कथा 
बामणौ बणैयाल कथ्यलु
हे कृष्ण दामोदर माधवेति 
पूs  भ्वां ,  पूs  भ्वां , पूs  भ्वां 
इति श्री सत्यनारायण व्रत कथायां चतुर्थ   अध्याय: ।  
 -
सज्जनो !
फिर सूत जी इस प्रकार कहने लगे 
हे छ्वारों !
मुखुब क्य छा द्यखणा 
आरती बणाव 
त  यूं च्वैल 
धुपणौ तजबिज 
जरा उनै बि रयाँ द्यखणा 
कखि घुत्तु करौं भोटु 
पूंछ नि रा हल्काणु भंडारम 
सज्जनो !
वह लकड़हारा  
अगले जनम में गुहराज निषाद बना 
जिसको भगवान श्रीराम ने कहा 
अब लग य त्यारु लगा 
छ को इन कथा सुणाक 
छगटि च छगटि  
इनै ऐ जरा 
तै तैं आज अंक्वै 
निरभै डाग 
किलै काट य हमरु घास तिला ?
कबरि या ?
सुदि सुदि हैं 
जैल काट्वलु वेकि   ... 
कुजाण कुजाण जरा होशम 
ह्या भगवानै समिणि भिंडि 
स्च्चू भगवान होलु त 
तेरी ह्वेलि तेरी 
कैकि छिन रै ये इन मेसि कि 
चलो भैर , वख लाड़ो 
दुष्ट कखै 
गौं च क्वी यो ठट्टा च ठट्टा 
सज्जनो !
जरा इनै ध्यान से कथा सुणिन 
इस पवित्र कथा को करने वाले 
पुण्यों को भोगकर अगले जन्म में 
नरक राला जो मी छोड़ी खाला 
एक   सोळि इनै दे बै 
चल बै  चल 
कथा सूण ध्यान से 
बोल सत्यनारायण स्वामी की जै। 
पूs भ्वां , पूs भ्वां,   पूs भ्वां 
अच्युतम केशवम रामनारायणम 
इति श्री स्कंद पुराणे रेवाखण्डे 
सत्यनारायण व्रत कथायां पंचमो  अध्याय: ।

श्री सत्यनारायण -व्रत कथा -अंतिम भाग -6
-
कविता " कन्हैयालाल डंडरियाल 
इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती 
--
 अब च रै 
छयों अध्याय 
पुटग्यूं कु बेळम   
उठाला तौं छ्वारों तैं 
हे बौ ! क्य छे उंघणी ?
अरे स्य बोडी बि चलगे वै जमन 
अर इनै द्याखदि 
डओला सि माछा 
आला किलै 
इन मेसीs कथा सुणाक 
उठो रै अपणी मायs  क  
बामण जी शंख इनै 
घान्डी मीम 
हे ददा ले आरती पकड़ 
ॐ जय जगदीश हरे 
पूs भ्वां , पूs भ्वां,   पूs भ्वां 
जो ध्यावे फल पावे 
लया फूल पखड़ा 
हे भगवान मी जनै 
ये छोरी कखिम 
तुम पूरण परमात्मा तुम   ... 
हैट   ... हैट ... हैट 
आदेस 
गुरु गोरखनाथ को आदेस 
हे ब्वै मि कुरचे ग्यों 
 ब्वारी 
धुपण  धुपण  धुपण  
आला -काचा नर छौं परमेश्वर माराज 
गायs का बंधण 
खाब की कौड्याळ 
खोली जाण माराज 
खुश मन कै नाचि जै 
भगवान नीभि जांदु 
यूँ छवरों ऐथर त   .. 
ब्वारि कु सारू सि फल 
दीन बन्धु दुःख हरता तुम रक्षक मेरे 
टन   टन टन नन नन 
पूs भ्वां , पूs भ्वां,   पूs भ्वां 
बौड़ि घारम त मी बि 
कथा उरयांदु भगवान   ... 
 बोल सत्यनारायण स्वामी की जै। 
पूs भ्वां , पूs भ्वां,   पूs भ्वां 
त्वमेव माता च पिता त्वमेव 
कर्पूर गौरम करुणावतारम 
हे पूरणा 
आरती घुमाओ 
बुबा जी पैसा 
ल्या  ये फरे 
हत लगै द्यावदि सबि 
द ह्वे त गे 
पंडिजी पिठै 
मुंडुम ट्वपला 
सपुग धैरि  बेटी 
भद्रमस्तु 
अकाल मृत्यु हरणम 
अंक्वै पे 
 पंजरी 
ले अंक्वै पखड़ 
ह्वे गे 
द बैठा 
बच्चा कच्चा सब ये बबा मितैं 
ले अपण ख्वाळ द्वारs आरs 
छि बै 
कै कै घार 
ज हो  ..  ज हो  ..  ज हो  ..  
चलिगै 
हो  .. हो 
हे करचुलि 
भांडा कूंडा समाळ  
बोल सत्यनारायण स्वामी की जै। 

ओs s  s  s हो s  s  s
अब मील उखाक 
बस ब्यटा 
चटपटाक निकाळ 
असली चरणामृत 
खोली दे बोतळ  
बोल सत्यनारायण स्वामी की जै। 


(Ref-Angwal,2013)
Poetry Copyright@ Poet
Copyright @ Bhishma Kukreti  interpretation if any 
-
 
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 पौड़ी गढ़वालउत्तराखंड  से गढ़वाली हास्य , व्यंग्य , सत्यनारायण  व्रत कथा कविता हास्य , व्यंग्य , सत्यनारायण  व्रत कथाचमोली  गढ़वालउत्तराखंड  से गढ़वाली पद्य हास्य , व्यंग्य , सत्यनारायण  व्रत कथा हास्य , व्यंग्य , सत्यनारायण  व्रत कथा कविता रुद्रप्रयाग गढ़वालउत्तराखंड  से गढ़वाली पद्य हास्य , व्यंग्य , सत्यनारायण  व्रत कथा कविता हास्य , व्यंग्य , सत्यनारायण  व्रत कथा;टिहरी गढ़वालउत्तराखंड  से गढ़वाली पद्य हास्य , व्यंग्य , सत्यनारायण  व्रत कथा कविता हास्य , व्यंग्य , सत्यनारायण  व्रत कथा;उत्तरकाशी गढ़वालउत्तराखंड  से गढ़वाली पद्य हास्य , व्यंग्य , सत्यनारायण  व्रत कथा कविता देहरादून गढ़वालउत्तराखंड  से गढ़वाली पद्य हास्य , व्यंग्य , सत्यनारायण  व्रत कथा कविता हास्य , व्यंग्य , सत्यनारायण  व्रत कथा;  

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