उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Sunday, September 4, 2016

गौं कि भयात

  गौं कि भयात
Garhwali Story by: Mahesha Nand
झ्यंतु कौं कछा भरि गरीब। बसग्याळम् झौड़ पुड़्यां छा। झ्यूंतु कौं कु कूढ़ू उजंण्यां हुंयू छौ। गिड़कतळ्यूम् कूढ़ू खळ्क उजड़ि ग्या। पांडि त उजड़ी चउबरि बि गारा-माटन् तंणसट ह्वे ग्या। तौंकु मुक ढकांणौ टपट्याट पोड़ि ग्या। 
गौं कपदान जी छा भला मनिख। वु झ्यूंतु कौं ककूढ़ा दिखंणू ऐनि। झ्यूंतु अर वे कि घरौंळ बरखै कि झुंमणाटम् ढुंग्गा-माटु छंट्यांणा। नौना वूं कअपड़ा ब्वाडा उबरा चुल्ला फर बैठ्यां छा। पदान जी थैं कळकळि लगि ग्या। वून धाद मरा अर सौब गंवड़्या थौड़म् निड़्ये ग्येनि। पदान जीन् सब्यूम् मनिख्यात बिंगै कि बोलि-- "भा रैभयात निबा। झ्यूंतु ब्यट्टौ घोल चिंण्णौ क्वी उयार कैरा। वेकबाळा-गुफळा उजड़्यां घोला पंछी जन डबड्यांणा छन।"
"
मै मा बि एक उबरि पांडि च। जु वूं थैं उबरु दींदु त हम पकांदै बि कक्ख छां। वेकि बि नौनौं कि घिमसांण (बहुसंख्या) च अर म्यरि बि। भुलै ब्वारि दग्ड़ि जिठंणौ कखिचरोड़ जूदा छन।" झ्यूंता भैन् अपड़ि गड़दस लगा।
"
इन कैरा किजबSरि तकै झ्यूंतू कूढ़ु चिंणेंदु तबSरि तकै वु हमSरा उबरा रै ल्याला। मि अपड़ु रुसSड़ु पांडा ल्ही जांदु।" दरमानसिंगन् बोलि।
"
कूढ़ू क्यान चिंणाण वेनदाँत तोड़ीकी ब्यखुन्यू सागौ खुंणै आलंण तकै नी वेकड्यार।" मैपालन् झ्यूंत्वा चुल्लै सकळि लगा।
पदान जीन् अपड़ि पदनचरिम् बोलि दे -- "भयूं जबSरि तकै वे कु कूढ़ू चिंणेंदु तबSरि तकै कि रासन-पांणि मि पुकै द्यूलु। तुम ब्वालाकु क्य सहेल द्ये सक्द।"
कैन बोलि ध्वै-माटु मि द्यूलुकैन ढुंग्गा-माटौ सरान् ओगिकैन द्वार-पट्यला-कुर्रा दींणू बोलि त कैन फटSळा दींणू तांण मारि। मिस्त्र्यूंन् बि गौं कि भयातम् मोंण रुप्याS। वून चिंणैयी ओगंण छै। सर्रा गौं कि मनिख्यात अर भयात झ्यूंता कूढ़ा चिंण्ण फर मिस्ये ग्या। दस दिन बि नि ह्वे छा कि उबरि-पांडि टकटकि ह्वे ग्या। गौं कि भयातन् अपड़ु खैकि झ्यूंत्वी कूढ़ि ठड्ये द्या। झ्यूंतु अपड़ा ड्यार ऐ ग्या।
Copyright @ Mahesha Nand , 2016

Xx
Garhwali Fiction; Garhwali, Uttarakhandi short story; Garhwali, Himalayan short story; Garhwali, North Indian  short story; Garhwali, Indian short story; Garhwali, South Asian short story; Garhwali, Asian short story;
आधुनिक  गढ़वाली  कथाएं , गढ़वाल से गढ़वाली कथा , ऊताराखंड की आधुनिक  गढ़वाली  कथाएं; हिमालय की आधुनिक  गढ़वाली  कथाएं; उत्तर भारत की आधुनिक  गढ़वाली  कथाएं; दक्षिण एशिया की आधुनिक  गढ़वाली  कथाएं; एशिया की आधुनिक  गढ़वाली  कथाएं;
Let Us Celebrate Hundred and Third Year of Modern Garhwali   Stories

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments