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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Friday, August 5, 2016

मुळ्यरु नौना (आलसी बेटे)

Story by Mahesha Nand , Pauri

बुद्दिन् खौरि खा त स्यु इंजिनेर बंणि ग्या। तैकबुबन् स्यु अढ़ा-- "ब्यट्टाजु खौरि खांदपस्यौ बौगांद तै थैं परमेसुर मुक लगांद। स्यु संगता गंणखे जांद।" बुद्दिन् अपड़ा बुबै अढ़यीं अंठम्म धैरि। त अमंणि तै थैं सौब गंणखंणा छन। दाना-सयंणा स्यवा लगांणा छन। 
बुद्या कपाळ फर कुबुद्दि बैठि। वेन गुंण्या--- " एक कुल्लिन् वे थैं इंजिनेर बंणा। अर जु वु अपड़ा नौनौं थैं अंक्वै लैकबंद नि बंणै साक त वे खुंणै थुपंण्या।" बुद्दिन् अपड़ा नौना इन्नि अढ़ैनि। पराबेट इसकूलुम अढ़ाणू फट्येनि। जक्ख वेन ठम्म-ठम्म रुप्या द्येनि। बुद्दि यूं थैं अढांदु छौ--- "हे लोळा निरभग्यूं मि चार अना फीसा बान बि पगाळ मंगणू गौंम् जांदु छौतुम भग्यान छंवा जु कैम पगाळ त नि मंगणा छंवा। अंक्वै चेती रावा। बुरु बगत झंणि कै दिन ऐ जौकु द्येखि ग्या।" 
पंण जन्नि सि अढ़येंणातन्नि सि फुंड-फुंड जांणा। तौबि बुद्दि कंगस्या कनू-- "छ्वारा अजि अदकचा छन। लवड़ा(भयंकर ठोकर) लगला त चेति जाला। 
वेन नौना बजारम् किराया घौर फर सैंतनि। वूं खुंण क्वी टूट नि कैरि। वूंकि ज्यांकी सरदा कनी सी पकंणू। अलल-दलल कै खयेणू। बुद्दिन् सौब भला काम कैनि पंण एक खुट्टा कुलSड़ि लगांण वळु काम कै द्या। 
कै बि नौना थैं पांण्यू गिलास तकै नि उठांण द्या। यां कपैथर ध्यौ त वे कभलै छा कि कै नौनौ बगत घौरै धांण सरांणमी नि जौ। वूं कु पंण्णौख्यन्नौ बगत नि छिछौ। इलै वेन वूंम क्वी धांण नि सरा। भुज्जीसिलेन्डर,रासनदूध अर बजारै साब धांण अफु ल्हा। अपड़ि सैंण थै बि डटकारि द्या-- "भा रै! यूं नौनौम् क्वी धांण नि सरै। तौंकु बगत निखर्त ( बेकार) नि जौतौं थै पंण्ण द्ये चा तु मोरि जै।" 
निरभगि नौनौं कि उल्टि फरक्या। वून झंणि क्य चिता। ब्वेन जु बिसरां वूं कु बोलि ह्वलु-- "बच्चाअपड़ा खयांकि बिट्ठि (जुट्ठि) थकुलि वास बेसन मा धैरि दि त तैन फट्ट ना बोलि। जु ब्वल्ये ह्वलु--- चुल्ला फरा नळखम् पैप लगै कि वे थैं टंक्किम् घालि दि त तामा बि स्यु फिंगरे च। ब्वे-बाब बींगि ग्येनि--- द रैफुटगुद्यौं! यि छ्वारा त चबट्ट कै अळगसि ह्वे ग्येनि। 
तब ऐ ब्वे- बुबा फर अक्कल। तब खकळांद ( हार जाने के बाद की स्थिति) सि गंगजैनि-- "जु यूं थैं गौम सैंतदामोळा फंच्चौं कि घत्तSसरि करांदाद्वी बेळि लंघड़ ले कि सिवळदाहौळ लगवांदागोर चरवांदाघत औंण फर कुल्लि काम करवांदा त यून कर्मगति रांण छौ। पंण यूं थैं डिसांणम् चाS , खांणू अर बार-बनी चरचरि-बरबरि धांण घुंळ्ळू मिन्नी रैनि अर यूं फर अळगस पसरेंणि रा त सि मुळ्यरु ह्वे ग्येनि।" 
पाछ अतSसति (लाख पर्यत्न कर हार जाने के बाद अन्तिम समय में) फर ऐकि द्विया झंणौन् बोलि--- " निकम्मा नौनौ चुलै औता रै जंया,पंण कुनागर( बुरे दुरगुणों वाला) नौना नि हुंया।"
Copyright@ Mahesha Nand
Let Us Celebrate Hundredth Year of Modern Garhwali   Stories!

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