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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Friday, April 29, 2016

बाटो ना बिरड़ी (सिखन्दरि गढ़वाली कविता )

Modern Garhwali Folk Songs, Poems 

     बाटो ना बिरड़ी   
(सिखन्दरि गढ़वाली कविता )

रचना --   सतेश्वर आजाद  ( जन्म  - गौचर , चमोली  गढ़वाल  ) 
Poetry  by - Sateshwar Azad 
( विभिन्न युग की गढ़वाली कविताएँ श्रृंखला )
-इंटरनेट प्रस्तुति और व्याख्या : भीष्म कुकरेती 
-
जिंदगी का चौड़ा चाकळा मा , अक्लि का रौंखा मौऴयाण मा 
नौन्याळि का कुछ सुपिना होला , मम्ताणा सि यौवन होला 
ज्वनि का रगर्याट मा बाटो ना   बिरड़ी   बट्वै कखि ?

बाटा मा  कांडा त होला ही , झाड़ पात गाड़ गड़हरा भी होला 
स्वाणा स्वाणा डांडा होला छळ छळ करदा छौड़ा होला 
रूप की मृग तृष्णा  मा बाटो ना   बिरड़ी   बट्वै कखि ?

ज्वनि का जबळयाट  मा अक्लि का कबलाट मा 
उबखण्या सी जीवन होलो ज्वन्नि छबळाणि देखिकी 
छण भरै तुच्छ माया , मा बाटो ना   बिरड़ी   बट्वै कखि ?  

बिरही भैर -भीतर मा सौणोs बादळ बरखणा होला 
अब अपड़ा मन की जग्वाळि  मा दिल हाथ आँखा फड़कणा होला 
 अब पैला मिलन का उलार मा बाटो ना   बिरड़ी   बट्वै कखि ?

जब सुपिना सब मिटि जाला कर्म को बाटो समिणी  होला 
दुनियादारी का चक्रचाळ मा दगड्यों की छिरमिंडाळी  होली 
तब खुसैक वूं टुकार्योंन    बाटो ना   बिरड़ी   बट्वै कखि। 
( साभार --शैलवाणी , अंग्वाळ )
Poetry Copyright@ Poet
Copyright @ Bhishma Kukreti  interpretation if any

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Great Jounalists/Editors of Garhwal of Past - 1

गढ़वाळ का भगवान्(स्वर्गीय) पत्रकार/संपादक- १
 
                             Great Jounalists/Editors of Garhwal of Past - 1
 
 
गढवाळ पत्रकारिता क मामला मा सुभागी च . जब बिटेन भारत अर गढ़वाल मा
अखबार छपेण बिसेन गढ़वाळ की धरती मा नामी गिरामी पत्रकार/संपादक पैदा ह्वेन .
 
१- नागेन्द्र उनियाल (असवाळस्यूं, पौ.ग,- स्वर्गवास-१९८१) : इन उना नौकरी क बाद 'धडकता
पहाड़ ' निकाळ . फिर कोटद्वार बिटेन 'जयंत' आठ्वाडा (साप्ताहिक) को प्रकाशन, संपादन शुरू कार .
तेज तर्रार लिखणो बान प्रसिद्ध.
 
२- श्याम चरण काला (सुमाडी, पौ.ग,१९१०-१९८४): काला जी टाइम्स ऑफ़ इंडिया , भारत का भौत का
रोजानौ अखब़ारूं अर भैर देसु अखब़ारूं रैबार्या/ खबरची/संवाददाता रैन. भारतीय श्रमजीवी पत्रकार सम्मलेन,
योधा मा सम्मानित. जब 'श्रमजीवी पत्रकारूं बान कोलोनी बौण त कोलोनी नाम
'श्यामाचरण काला नगर' धरे गे.
 
३- सदा नन्द कुकरेती (ग्वील, मल्ला ढानगु, पौ. १८८६-१९३७): पैल टीरी रियासत मा काम कार पण उख घूसखोरी
रास नि आये त पौड़ी आयें अर सन १९१३-१९१५ तक 'विशाल कीर्ति' का संपादन कार. लिखण मा चुटीली शैली
अर व्यंगात्मक ब्युंत का बान प्रसिद्ध. अख्बराऊ संपादकत्व मा अंग्रेजी हकुमत से झगड़ा बि ह्व़े.
 
४- टेक चंद गुप्ता (देहरादून) : स्वतंत्रता से पैल 'देहरा पत्रिका' क संपादक रैन .
५-संपादक शिरोमणि विश्वम्बर दत्त चंदोला (थापळी,पौ.ग. १८७९ -१९७०) : कुछ दिन फ़ौजी दफ्तर मा
काम कार अर फिर १९०५ से 'गढवाळी पत्रिका' पत्रिका क संपादन अर प्रकाशन शुरू कार. टिहरी रियासत क
रवाईं कांड खबर छाप ण पर जेल (१९३३-१९३४) .
६- त्र्यम्बक चंदोला : पैल 'गढ़वाळी' हिंदी साप्ताहिक का सह संपादक रैन फिर अंग्रेजी अखबार 'हिंदुस्तान टाइम्स '
का ताउम्र संवाददाता रैन
७ ब्रज भूषण ( देहरादून १९१३-१९७७) ; स्वतंत्रता सेनानी, कवि न साप्ताहिक 'दून घाटी' क संपादन कार .
८- व्याखान वाचस्पति विश्वम्बर दत्त देवरानी (जेठो गाँव पैनो); मालवीय जे क सेक्रेटरी संतान धर्म का प्रचारी बि छया .
अफ्रीका मा ऊंको बड़ो सम्मान थौ. देवरानी जी न डिल्ली मा 'कर्मयोगी' क सम्पादन कार. ये लेखक तैं
अफ्रिका मा बस्यां गुजरात्युं द्वारा गुजराती मा छप्युं पम्फलेट दिख णो सौभाग्य बि हुयुं च जख मा
'महामहोपदेसक ' ' विश्वम्बर दत्त देवरानी क अफ्रिका मा प्रोग्राम क ब्यौरा च.
९- स्व दया नन्द थपलियाल (खैड़, पौ.ग.मावाळस्यूं) अंग्रेजी का पत्रकार जौन 'कोम्म्र्स एंड इंडस्ट्री ' अर 'थौट' क
संपादन बिभाग मा काम कार
१०- दामोदर प्रसाद थपलियाल (पालकोट, खात्स्युं, टि.ग, १९२३-१९७७) : गढवाली क साहित्यकार दामोदर प्रसाद
थपलियाळ न गढवाळी भाषा की 'फ्यूं ळी ' पत्रिका क संपादन कार .या पत्रिका धनाभाव से बन्द ह्व़े
११-महेशा नन्द थपलियाळ (टोलू, मन्यार स्यूं, पौ.ग. १९०१-१९६९) मेरठ बिटेन 'ह्रदय' हफ्तावार अर 'आशा' मैनावार
पत्रिकाओं संपादन अर फिर पौड़ी बिटेन 'उत्तर भारत' एवम लैंसडाउन बिटेन 'नव भारत को संपादन
१२- देवकीनंदन ध्यानी (जखळ , सल्ट, अल्मोड़ा , १९०७-१९३६ ); कवि देवकीनंदन न मुरादाबाद बिटेन 'विजय',
हल्द्वानी अर पौड़ी बिटेन 'स्वर्ग भूमि' प्रकाशन अर संपादन
१३- दयाधर धौल़ाखंडी (डुमैला, खाटली, पौ ग. १९१९-१९४९): गढ़वाल साहित्य मंडल का कर्कर्ता अर
'गिरीश' पत्रिका डिल्ली क संपादक मंडल का सदस्य
१४-कोतवाल सिंग नेगी (कांडई , पौ. १९००-१९४८) कोतवाल सिंग जी न कानपूर बिटेन 'हिलमन' अर
पौड़ी बिटेन' क्षत्रिय वीर ' को संपादन कार
१५- गोविन्द सिंह नेगी ( दाल ढुंग, बडीयार गढ़ , टि.ग १९२८-१९७१) : कति समाचार पत्रों मा संवाददाता रैन
'जीवन-पानी' अर 'दून अंचल ' का संपादन कार
१६- जोध सिंह नेगी (सुला, अस्वाल्स्युं, पौ.ग.१८६३-१९२५) ' क्षत्रिय वीर ' क संस्थापक
१७- प्रताप सिंह नेगी (नेग्याणा, गग्वाड़स्यूं ,पौ., १८७२-१९३५): 'क्षत्रिय वीर ' का संपादक अर प्रकाशक
१८- श्याम चन्द्र नेगी (बेलग्राम, अठुर, टि.ग १९१२-१९८२): अंग्रेजी समाचार पत्रुं संवाददाता .
'नोर्दर्न टाइम्स ' का संदन बि कार
१९-महान संपादक गिरिजा दत्त नैथाणी (नैथाणा ,मन्यार्स्युं , पौ. १८७२ -१९२७) गढवाळ क्षेत्र का पैला
पत्रकार अर संपादक १९०२-१९०४ तक ' गढ़वाल समाचार' (पैल लैंसडाउन अर फिर कोटद्वार ) का सम्पादन अर प्रकाशन.
१९०५-१९१० तक देहरादून बिटेन 'गढवाली 'माववार क संपादन.
फिर दुगड्डा से ' गढ़वाल समाचार' (१९१२-१९१४० तक प्रकाशन अर संपादन.
फिर देहरादून क 'गढवाली' हफ्तावार पत्रिका क संपादन (१९१५-१९१६)
आखिरैं 'पुरुषार्थ' मासिक क प्रकाशन अर संपादन (दुगड्डा अर नैथाना ).
२०-मायादत्त नैथानी ( नैथान , मृत्यु १९७२) मुंबई का अंग्रेजी समाचार पत्रुं संवाददाता अर
सम्पादकीय मंडल सदस्य
२१-सत्यपाल पांधी (अमृतसर १९२३-१९८१): मस्सुरी मा रौंदा छा. कत्ति अंग्रेजी समाचार पत्रुं मा
संवाददाता . मसूरी बिटेन अंग्रेजी साप्ताहिक 'मसूरी टाइम्स' को संपादन कार .
फिर मसूरी बिटेन १९४९ मा, अंग्रेजी साप्ताहिक 'हिमाचल टाइम्स' का प्रकाशन अर संपादन शुरू कार.
१९५३ मा हिंदी संस्करण शुरू. १९६९ मा ये पत्र क नाम 'हिमालय टाइम्स कार. १९६९ बिटेन दैनिक
अखबार 'हिमालय टाइम्स' शुरू कार . १९७० बिटेन शिमला संस्करण शुरू.
उच्चस्तरीय तिमासी ' पेट्रोलियम एशिया' क प्रकाशन अर संपादन.
२२- जंगीलाल शाह 'श्रीबंधू' (चमोली, १९१४-१९८५ ): पत्रकार अर साप्ताहिक 'देवभूमि ' प्रकाशन मा अहम् भूमिका.
२३-अमीर चंद बम्बवाल (पेशावर , १८८६-१९७२) स्वतन्त्रता सेनानी . उर्दू अर अंग्रेजी का ज्ञानता. १९०५ मा पेशावर
बिटेन 'फ्रंटियर एडवोकेट' शुरू कार . १९०९--१९१० तक इलाहाबाद मा स्वराज' का संपादक.१९२८ मा फिर फ्रंतिया एडवोकेट
शुरू. १९३२ मा पश्तो भाषा मा पत्रिका प्रकाशन . पेशवर बिटेन 'अफगान' 'खुदाई खिदमतगार' अर द्विबशी फ्रंटियर
मेल' का प्रकाशन अर संपादन.
भारत बिगल़ेणो परांत देहरादून मा निवास अर फिर अंग्रेजी, हिंदी मा 'फ्रंटियर मेल' को प्रकाशन संपादन
२४- सतेन्द्र सिंह भंडारी (चौड़ीख , पौ.ग.स्वर्गवास - १९८३): डिल्ली मा फ्री लांसर जौर्नालिस्ट रैन.
१९६९ बिटेन पौड़ी बिटेन 'पौड़ी टाइम्स ' का संपादन अर प्रकाशन
२५-हुलास वर्मा (बिज्नौर, १८८७ -१९६०) देहरादून बिटेन पाक्षिक 'स्वराज्य सन्देश' क प्रकाशन
२६- स्वामी विचारानंद (प्रयाग,१९४०मा इहलोक वास ) 'साप्ताहिक 'अभय' क संपादन, प्रकाशन.
२७-ठाकुर चन्दन सिंह (1886 -१९६८ ( देहरादून मा 'नोर्दन टाइम्स' अर नोर्दन स्टार ' का
संपादन . फिर 'गोरखा संसार' अर स्वतंत्र नेपाली' क संपादन
२८- शहीद श्री देव सुमन (१९१५-१९४४) श्रीदेव सुमन न डिल्ली क साप्ताहिक 'हिंदु अर अंग्रेजी साप्ताहिक
'धर्म राज्य' क सम्पादकीय बिभाग मा काम करी
२९- कृपाराम मिश्र 'मनहर' (सरूड़ा, १९०२-१९७५ ): गढ़ देश (१९२९-१९३०) को प्रकाशन संपादन.
१९३४ मा फिर से प्रकाशन शुरू . १९४० मा साप्ताहिक 'सन्देश' को प्रकाशन शुरू पण जेल जाण से बंद.
३०- हरिराम मिश्र (१९१८-१९८०) 'सन्देश' का सहकारी संपादक. १९५८ मा 'हिमालय की ललकार'.
हरिराम मिश्र 'चंचल' एक ओजस्वी पत्रकार छया.
३१- प्रताप सिंह नेगी (ढौरि, डबराल स्यूं, पौ.१८९७ -१९८०)स्वतंत्रता सेनानी , राजनीतिग्य, प्रताप सिंह नेगी अर
ज्योतिप्रसाद महेश्वरी न एक साप्ताहिक पत्र 'सन्देश' (१९३७) स्वतन्त्रता आन्दोलन तैं सब्बळ दीणो बान
शुरू कार.
३२- नरेंद्र सिंह भंडारी (जौरासी, चमोली, १९२०-१९८६) राजनैतिग्य लखनऊ मा 'कोंग्रेसी अखबार 'नया भारत' का संपादन कार
३३- प्रसिद्ध पत्रकार गोविन्द प्रसाद नौटियाल (नन्द प्रायद, चमोली,१९०१-१९८६(: अंग्रेजी अखब़ारूं जन की टाइम्स इंडिया,
स्टेट्स मैन , लीडर , हेराल्ड, हिंदुस्तान टाइम्स आदि का संवाददाता.
३४- शहीद उमेश डोभाल (सिरोली, इडवाळस्यूं, पौ.ग.१९५२-१९८८) बिजनौर टाइम्स, नव भारत टाइम्स, अमर उजाल़ा
आदि मा संवाददाता .
खोजी पत्रकारिता क वजे से शराब माफिया द्वारा १९८८ मा ह्त्या
३५-संपादकाचार्य भैरव दत्त धुलिया (मदनपुर पौ.ग. , १९०१-१९८८): स्वतंत्रता सेनानी, विधयक,
जब 'कर्मभूमि' साप्ताहिक को जनम ह्व़े (लैंसडाउन १९३९) धुलिया जी अर भक्त दर्शन दुई संपादक छया .
फिर 'कर्म भूमि ' कोटद्वार आई अर १९८६ तलक भैरव दत्त धुलिया क संपादकत्व मा निरंतर छपणी रै
३६ पत्रकारिता का युग पुरुष ललिता प्रसाद नैथाणी (नैथाना , १९१३- १९८८) : पैल 'कर्मभूमि' क
संपादकमंडल मा काम कार. फिर 'सत्यपथ (१९५६) को प्रकाशन शुरू कार. सत्यपथ गढ़वाल को
नामी गिरामी, राष्ट्रवादी पत्र छौ
३७- समाजसेवी, राज्नैतिग्य राम प्रसाद बहुगुणा (चमोली, १९२०-१९९०) १९५३ बिटेन साप्ताहिक 'देव भिमी' को प्रकाशन अर संपादन.
यू साप्ताहिक उत्तरी गढ़वाळ को बड़ो मशहूर पत्र थौ.
३८- आचार्य गोपेश्वर कोठियाल (कूणजी . टि.ग.१९०९ -१९९९) युगवाणी का संपादक, प्रकाशक आचार्य गोपेश्वर जी '
युगवाणी' तैं शुरू करण वळ अर ये साप्ताहिक
तैं निरंतर चलाण वाळ छया. १९४७ बिटेन युगवाणी निरंतर छपेणी राई. अब युगवाणी मासिक पत्र च
३९ धर्मानंद सेमवाल (रुद्रप्रयाग, १९५३-२००० ) धर्मानंद सेमवाल न पैल 'पर्वत मित्र' पाक्षिक अर फिर
'परिवहन मित्र' को प्रकाशन कार .
४०- संघर्षशील पत्रकार मदन जोशी (सिंधार, पौ.ग १९५५-२००): पत्रकारिता मदन जोशी क हवस छे
पैल 'दून दर्पण' मा छई साल काम कार.
१९८७ मा दयानंद अनंत क 'पर्वतीय टाइम्स' मा ऐन. ओज्वासी लेख से युंकी प्रसिधी बढ़
१९९१-१९९२ तक आकशवाणी का उप संपादक रैन
१९९५-१९९६ से 'हिमालय दर्पण' देहरा दून मा उप संपादक रैन .
१९९६ मा दैनिक जागरण मा उपसंपादक रैन
४१- जुझारू मनिख स्वरुप ढौंडियाल (ढोड, पौ.ग १९३५-२००२हिंदी का प्रसिद्ध कथाकार, गढ़वा ळी नाटकूं
लिख्वार स्वर्रोप ढौंडियाल न १९७३ बिटेन २००२ तक 'अलकनंदा' मासिक प्रकाशन अर सम्पादन कार .
४२- मुंबई क हिलांस अर्जुन सिंह गुसाईं ( ड़ान्गु , पौ.ग१९३४-२२००३) अर्जुन सिंग गुसाईं का नाम उत्तराखंडी
पत्रकारिता मा 'हिलांस ' (१९७८-१९९०, १९९२-१९९७) मासिक क कारण भौत प्रसिद्ध च . अपण टैम की या पत्रिका
साहित्यकारूं मा सम्माननीय पत्रिका रै.
४३- डा शिवा नन्द नौटियाल (कोठल़ा , पौ.ग.१९३६-२००४) प्रसिद्ध लोक साहित्य मर्मी , उत्तरप्रदेश का
भू.पू.उच्च शिक्षा मंत्री डा सिवा नन्द नौटिया न डिल्ली बिटेन १९६६ से कुछ साल 'शैलोदय' पत्रिका का
संपादन /प्रकाशन बि कार
४४-धर्मानंद उनियाल (कफना, कड़ाकोट , टि.ग १९३६-२००९) धर्मानंद उनियाल की रिपोर्ट
स्थानीय अर राष्ट्रीय पत्रों मा छपदा छया
४५- पीताम्बर दत्त देवरानी (डुडेख , लंगूर, १९२५ -२००९) प्रसिद्ध मास्टर जी पीताम्बर दत्त जी न १९८६-१९८८ तक
साप्ताहिक 'कर्मभूमि क संपादन कार अर फिर १९८८-१९९४ तक 'सत्यपथ' क संपादन कार
४६ डा भक्त दर्शन ( भौरा ड, साबली, १९१७-१९९१)प्रसिद्ध राजनीतिग्य भक्त दर्शन जी 'कर्मभूमि' का पैला संपादक छ्या.
४७- परुसराम नौटियाल : मुंबई बिटेन परुशराम नौटियाल न १९५२ मा 'नव भारत' का नाम से एक पत्रिका
प्रकाशित करी.
४८- शकुन्त जोशी : शकुन्त जोशी क गढ़वाळी मासिक 'रैबार' देहरादून बिटेन छपद छौ (कुछ समु तक इ)
४९-सतेश्वर आजाद न पौड़ी बिटेन गढवाली पत्रिका क कुछ समौ तक प्रकाशन अर संपादन कार
५०- विनोद उनियाल (अमोल्डा, डबराल स्यूं) न डिल्ली बिटेन कुछ समौ तक 'मंडाण' अखबार
को प्रकाशन अर संपादन कार.
५१- योगेश्वर धुलिया (मदनपुर) स्व. योगेश्वर धुलिया ण पैल कर्मभूमि मा काम कार
अर फिर १९७५ बिटेन 'तरुण हिंद' साप्ताहिक को प्रकाशन कुछ सालुं तक कार
 
५२- हीरा लाल बडोला (ठनठोली, मल्ला ढान्गु १९३०-२००८) हीरा बडोला न १९५५ से
कुछ समौ तक 'उत्तराखंड' साप्ताहिक छाप अर संपादन कार
 
५३- प्रसिद्ध कलाविद स्व. बैरिस्टर मुकंदी लाल न ' सन १९२२ मा कोटद्वार से ' तरुण कुमाओं' क प्रकाशन कार
Great Jounalists/Editors of Garhwal to be continued ....

Copyright@ Bhishm Kukreti

कनिष्क - हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में

Kanishka The Kushan King in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur  

          हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ  में कनिष्क (78 -101 A . D . ) 

                     Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  - 170                      
                                                हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 170                 

                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती  

   कनिष्क के राज्यारोहण के बारे में इतिहासकारों में मतैक्य है
        
   कनिष्क और विम की मुद्राओं में राजा की मुद्राओं में बहुत समीता है।  जिससे सिद्ध होता है कि कनिष्क व विम एक ही वंश  से संबंधित थे। हाँ उनके परिवार भिन्न थे।  कनिष्क कुषाण वंशी राजाओं में सबसे महान राजा माना जाता है और उसकी तुलना चक्रवर्ती राजा अशोक से की जाती है।  
                                     कनिष्क का राज्य विस्तार 

     कनिष्क का साम्राज्य उत्तर भारत के मध्य देश , उत्तरापथ ,  अपरांत तीनो क्षेत्रों पर शासन था।  उसका साम्राज्य पाटलिपुत्र से , कोंकण , अफगानिस्तान , चीन तक फैला था। कठियावाड़ , सिंध , राजपुाताना व कश्मीर भी कनिष्क के शासित राज्य  थे। 
कनिष्क के अभिलेखों की तिथियों से ज्ञात कि उसने पूर्व से पश्चिम की ओर राज्य विस्तार किया होगा (पुरी , इण्डिया अंडर कुशाणाज )  -
राज्य वर्ष ------------------------    अभिलेख स्थान 
२ ------------------------------    कोसम , जिला अलाहाबाद 
३ ----------------------------------   सारनाथ , बनारस जिला 
४ व आगे --------------------------- मथुरा 
११-------------------------------------सुई विहार , जेद उंड जिला
१८ ----------------------------------- माणिकयाल रावलपिंडी जिला 
इस तालिका से विदित होता है कि आरम्भ में कनिष्क मथुरा का क्षत्रप था या उसे मथुरा क्षत्रप की सहायता प्राप्त थी। 
माट (मथुरा ) में कुषाण राजाओं का देवकुल स्थापित था और उनकी प्रतिमाएं स्थापित की जाती थीं।  जब कि राजधानी पुष्पपुर (पेशावर ) थी।  मथुरा में देवकुल तभी स्थापित हुआ होगा जब कुषाण वंशी राजाओं का विशेष संबंध मथुरा से रहा होगा। 


Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India  29/ 4/2016 
   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -



      Kanishka and Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Kanishka and  Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;    Kanishka and Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;   Kanishka and  Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Kanishka and  Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Kanishka and  Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;    Kanishka and Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;   Kanishka and  Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;   Kanishka and  Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;    Kanishka and   Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;  Kanishka and    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;    Kanishka and Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Kanishka and  Ancient History of Bijnor;    Kanishka and  Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;     Kanishka and Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;   Kanishka and    Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History; 
कनखल , हरिद्वार का इतिहास ; तेलपुरा , हरिद्वार का इतिहास ; सकरौदा ,  हरिद्वार का इतिहास ; भगवानपुर , हरिद्वार का इतिहास ;रुड़की ,हरिद्वार का इतिहास ; झाब्रेरा हरिद्वार का इतिहास ; मंगलौर हरिद्वार का इतिहास ;लक्सर हरिद्वार का इतिहास ;सुल्तानपुर ,हरिद्वार का इतिहास ;पाथरी , हरिद्वार का इतिहास ; बहदराबाद , हरिद्वार का इतिहास ; लंढौर , हरिद्वार का इतिहास ;बिजनौर इतिहास; नगीना ,  बिजनौर इतिहास; नजीबाबाद , नूरपुर , बिजनौर इतिहास;सहारनपुर इतिहास;  Haridwar Itihas, Bijnor Itihas, Saharanpur Itihas

Nepalese defeating and arresting the British irregular Commander Hearsay

Gurkha/Nepalese defeating Hearsay -12     
                 History British Campaign for Capturing Kumaon -44
                                                                                                                                 
Nepal Rule over Kumaun, Garhwal and Himachal (1790-1815) -257
            History of Uttarakhand (Garhwal, Kumaon and Haridwar) -785          
                                                           
                          By: Bhishma Kukreti (A History Student)

    The irregular army of Hearsay was scattered here and there in March 1815.  Hearsay could have only less than 300 soldiers for protecting strategic Ghats /ports of Kali River adjoining to Nepal/Doti.  
            On 31st March 1815, his spies from Champawat informed Hearsay that 500 Gurkha soldiers crossed Kali River and entered into Kumaon that is 14 miles north of Kali River. Local spy informed that Gurkha were building fence in that place and the place was Garhi of Fartyal group. In fact Fartyal group was opponent group of Harshdev Joshi. That means that Gurkha spread rumors for deceiving hearsay. Hearsay sent that spy to Katolgarh.  Hearsay also marched in that night with 270 soldiers to the place sited by the spy. He had opinion that his soldiers would defeat Nepalese soldiers easily. Hearsay demanded 400 soldiers from Katolgarh.
           In evening the information became true. Hastidal entered into Kumaon by crossing Kali River   below that place sited by spy with his 1500 soldiers. Hearsay instructed his soldiers to stop marching of Hastidal. On 2nd April 1815, there was fierce fight between army of Hastidal and hearsay irregular soldiers at Khilpati five miles away from Champawat.
   The gun powder of Hearsay soldiers finished within short period. Hastidal army killed most of soldiers of Hearsay. Two brothers in laws –Nabajade of Cambai were there in battle.  Gurkha army killed one brother in law of Hearsay. Second brother in law of Hearsay slipped into valley and died there. Gulam haider Khan a campainion of Nababjade ran away from battle. Gurkha soldiers injured Hearsay badly. Gurkha soldiers started cutting head of injured and dead British irregular soldiers. Gurkha soldiers met Hearsay and brought them before hastidal. Once, in past hearsay saved life of Hastidal from a bear. Hastidal did not kill Hearsay but arrested him and brought Hearsay to Almora.


(From writings of B D Pande, Atkinson, Preamble, Sanwal, Saxsena,  Fraser etc) 
Copyright@ Bhishma Kukreti Mumbai, India, bckukreti@gmail.com 29/4/2016
History of Garhwal – Kumaon-Haridwar (Uttarakhand, India) to be continued… Part -786
*** History of Gorkha/Gurkha /Nepal Rule over Kumaun, Garhwal and Himachal (1790-1815) to be continued in next chapter
(The History of Garhwal, Kumaon, Haridwar write up is aimed for general readers)
XX                    Reference           
                 
Atkinson E.T., 1884, 1886, Gazetteer of Himalayan Districts …
Hamilton F.B. 1819, An Account of Kingdom of Nepal and the territories
Colnol Kirkpatrik 1811, An Account of Kingdom of Nepal
Dr S.P Dabral, Uttarakhand ka Itihas part 5, Veer Gatha Press, Dogadda
Bandana Rai, 2009 Gorkhas,: The Warrior Race
Krishna Rai Aryal, 1975, Monarchy in Making Nepal, Shanti Sadan, Giridhara, Nepal
I.R.Aryan and T.P. Dhungyal, 1975, A New History of Nepal , Voice of Nepal
L.K Pradhan, Thapa Politics:
Gorkhavansavali, Kashi, Bikram Samvat 2021 
Derek J. Waller, The Pundits: British Exploration of Tibet and Central Asia page 172-173
B. D. Pande, Kumaon ka Itihas
Balchandra Sharma, Nepal ko Aitihasik Rup Rekha
Chaudhari , Anglo  –Nepalese Relations
Pande, Vasudha , Compares Histriographical Traditions of Gorkha Rule in Nepal and Kumaon
Pradhan , Kumar, 1991, The Gorkha Conquests , Oxford University  Press
Minyan Govrdhan Singh , History of Himachal Pradesh
A.P Coleman, 1999, A Special Corps
Captain Thomas Smith, 1852,Narrative of a Five Years Residence at Nepal Vol.1
Maula Ram/Mola Ram  , Ranbahadurchandrika and Garhrajvanshkavya
J B Fraser , Asiatic Research
Shyam Ganguli, Doon Rediscovered
Minyan Prem Singh, Guldast Tabarikh Koh Tihri Garhwal
Patiram Garhwal , Ancient and Modern
Tara Datt Gairola, Parvtiy Sanskriti
John Premble, Invasion of Nepal
Chitranjan Nepali, Bhimsen Thapa aur Tatkalin Nepal
Sanwal, Nepal and East India Company
Nagendra kr Singh, Refugee to Ruler
Saxena, Historical papers related to Kumaon
Paper Respecting Nepal War by East India Company (papers in Stock)
Basu, Rise of Christian Power in India)
Moti Lal Ghosh, an article in Amrit Bazar Patrika
XXX
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सोनिया गांधीक भाजपा का विरुद्ध रणनीति बैठक की एक झलक

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 सोनिया गांधीक भाजपा का विरुद्ध रणनीति बैठक की एक झलक 

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 चबोड्या ,चखन्यौर्या, स्किट भावानुवाद     :::   भीष्म कुकरेती   
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सूत्रधार - यु 10 जनपथ , नई दिल्ली च याने कॉंग्रेस्यूं महरानी की ड्यार , ऑगस्टा वेस्टलैंड का वजह से सोनिया डरीं च अर वीं ते भरवस च कि आज संसद मा मराठवाड़ा मा भयंकर सूखा , आसाम मा बाढ़ , छत्तीसगढ़ माँ नक्सली समस्या की जगा ऑगस्टा वेस्टलैंड से घूस का अरबों खरबों रुपया कैन खैन पर ही बहस हूण।  राज्य सभा मा गांधी परिवार का चिरविरोधी सुब्रमणियम स्वामी का आण से दिग्विजय बि डर्युं च।  तो सोनिया जीन संसद जाण से पैल एक मीटिंग बुलाइ कि कनकै भाजपा की रणनीति  का विरुद्ध रणनीति बणये जावो।  ल्या बैठक का पुरो ब्रितांत द्याखो। 
सोनिया गांधी (कागज देखिक  पढ़दि  )- महिला और गैर-महिला कॉंग्रेसी  ... 
दिग्विजय (सोनिया जीक कन्दुड़म ) -सिनोरिया ! गैरमहिला ना पुरुष ब्वालो। 
सोनिया (दिन्गिका कन्दुड़म  ) पर कॉंग्रेस मा पुरुष बि हूंदन ?
  दिग्गी बाबू (कन्दुड़म ) कॉंग्रेस मा पुरुष हूंद नि छन पर बुलण पड़द। 
 सोनिया - ओके ! महिलाओं और पुरुष !
राहुल गांधी (गुस्सा मा सोनिया गांधीक हथों से कागज लेकि फाडदो ) नॉनसेंस ! ये कागज तैं मि फाडनु छौं , बकबास   .... 
अजय माखन (मन ही मन मा ) यु निर्भागी अबि बि इन समझणु च बल सरकार एकि ब्वेकि च। 
सोनिया (राहुलक  कन्दुड़म ) -बेटा यी पत्रकार सम्मेलन नी च अर मि किदलु समान अजय माखन नि छौं।  दिस इज  स्ट्रेटेजिक मीटिंग ,  जखमा संसद मा भाजपा विरुद्ध रणनीति तयार करे जाली। अर अर्णब गोस्वामी का विरुद्ध बि रणनीति बणाण। 
राहुल - हाँ भाजपा से पैली वे अर्णब गोस्वामी छुटि हूण चयेंद।  टाइम्स नाउ मा कब तक कॉंग्रेस का वास्ता कुर्सी खाली राखल धौं ?
सोनिया - मनमोहन जी जरा द्याखो कि बैठक मा सब ऐ गेन कि ना ?
मनमोहन - चिदंबरम ! हां हाजिर च।  गुलाम गुलाम नबी आजाद 
गुलाम नवी आजाद - गुलाम शब्द एकि बार ब्वालो जी। 
मनमोहन - सॉरी गुलामी की आदत जि पड़ीं च। हाँ तो दिग्विजय तो छैं इ च।  कपिल सिब्बल बि च , बरखा दत्त ?
सोनिया - बरखा दत्त  मेरी पारिवारिक दगड्याणि  ,  दोस्त च, Lei e Amico di famiglia ।  मीनि  बुलाइ।  
मनमोहन - सफेद कपड़ों मा एक मनिख अर पीलो दुशल मा एक बुड्या  ... मि नि छौं पछ्येणनु ?
AP - सी ए राजा च अर बुड्या जी करुणानिधि जी छन। 
बरखा दत्त - करुणानिधि जी  तै पिछ्ला पच्चीस साल का अनुभव च कि खुलेआम लूट खसोट , भ्रष्टाचार , करप्सन करिक बि कनकैक बेशरमी से अफु तै बचाण। तो यी स्पेसियल गेस्ट छन। 
मनमोहन - है यु क्वा च ? कुछ कुछ  ...  हाँ हाँ यु टीवी कैमरों से  मुक लुकाणु रौंद छौ सैत  यु मेरी मिनिस्ट्री मा खेल मंत्री छौ ?
बरखा दत्त - मन जी यु  बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल ऑफ इण्डिया को प्रेजिडेंट श्रीनिवासन च। 
खड़गे - पर श्रीनिवासन को इख क्या काम ?
श्रीनिवासन - मीन सूण कि रक्षा मंत्रालय मा सबसे बड़ी धोखाधड़ी , लूट खसूट का ठगों की मीटिंग च त मी बि मीटिंग मा शरीक ह्वे ग्यों  . 
सोनिया - खड़गे जी ! रण द्यावो। हम तै इन ठगुं की सलाह की भारी जरूरत च।  मीन तो विजय मालिया , ललित मोदी बि सलाह का वास्ता बुलायां  छन. अच्छा इन बताओ कि कोर्ट जजमेंट का क्या करें जावो ?
चिदंबरम - आप कोर्ट अर जज का नाम बताओ मि एफिडेविट बदल द्योलु तो अफिक जजमेंट बि बदल जालो।  इशरत जहां को केस तो याद च मीन कन चालाकी से  .... 
AP -चिदंबरम जी यु इण्डियन  कोर्ट केस नी च कि आप बार बार ऐफिडेविट बदल द्यावो ।  यु इटली मा ऑगस्टा हेलीकॉप्टर केस को जजमेंट च जखमा मैडम, मनमोहन जी पर अभियोग लगाए गेन ।  मनमोहन जी क नाम गुदनड़  चली बि जावो तो क्वी बात नी च पर मैडम को नाम पर धब्बा नि लगण चयेंद। 
दिग्विजय सिंह - फिकर नि करो मि राज्यसभा मा भाजपा पर अभियोग लगे द्योलु कि इटली का जज अर सरकारी वकील सब RSS का सदस्य छन अर यूंन भगवा फैसला दे।  इटली की अदलातों मा भगवाकरण हूणो विरुद्ध  मि  टीवी चैनल तै इंटरव्यू द्योलु। इख  तक कि जी न्यूज अर इण्डिया टीवी बि म्यार इंटरव्यू प्रसारित कारल। 
लालू यादव - हम बिहार मा भाजपा का विरुद्ध मोर्चा निकलवा लेते है।  और क्या ! क्या समझा है बिहार को ?
बरखा दत्त - हाँ यु त संसद की रणनीति च पर टाइम्स नाऊ अर न्यूज एक्श को विरुद्ध रणनीति क्या होली ?
विनोद शर्मा (सम्पादक ) - अरे जन ऑगस्टा हेलीकॉप्टर वाळुन 22 पत्रकारों तै करोड़ो रुपया देन तनि   अब विरोधी पत्रकारों तै पैसा भिजवावो। 
राहुल (जु टेबल मा से गे छौ )- अरे बंद करो ये घ्याळ  ..  बंद करो शोर शराबा ।  मि तै बढ़िया निंद आणि च। 
AP -चलो सब दुसर कमरा मा चलो।  वी शुड नौट डिस्टर्ब हिज स्लीप।  



29 /4 /20 16 ,Copyright ???  
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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