उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Friday, September 11, 2015

आग पर नियंत्रण , आग की रक्षा अर मानव -हास्य -व्यंग्य (प्रस्तर उपकरण युग )

Satire and its Characteristics, Fire and Satirical situation , व्यंग्य परिभाषा, व्यंग्य  गुण /चरित्र
   आग पर नियंत्रण , आग की रक्षा अर मानव -हास्य -व्यंग्य  (प्रस्तर उपकरण युग ) 
    (व्यंग्य - कला , विज्ञानौ , दर्शन का  मिऴवाक  : (   भाग     15   ) 

                         भीष्म कुकरेती 

  आग आज बि डरावनी च।   जंगळ की आग अर अचानक घरों , फैक्ट्रियुं मा लगीं आग नुकसानदेय अर डरौंण्या हूंदी , उत्तराखंड मा रुड्युं म बौणै आग पर भौत बहस आज बि हूंदी।  
 आग नियंत्रण वास्तव मा आदि तकनीक माने जांद जै तै मनुष्यन अपनाई। 
 आग बचैक रखण अर फिर आग की रक्षा  लाख द्वी साल तक मनुष्य को एक विशेष कार्य बि रै। 
आग नियंत्रण अर आग रक्षा का मध्य मानव सभ्यता मा करोड़ों हास्य व्यंग्य की घंटना घटी होली। 
माना बणाङ्क लगीं हो अर समाजौ एक समूह आग से डरिक भाग गे हो।  हैंको समूह आग से बचिक आस पास रै हो अर आग बुझणो बाद ये समूह तैं भरच्यां जानवर मिल गे होला तो जै समूह तैं भरच्यां जानवर या अन्य वनस्पति मीलि ह्वेलि वै समूहन डरख्वा समूह की खिल्ली उड़ै होलि , वै समूहन भजोड़ा समूह की बेज्जती बि करि होलि।  याने हास्य -व्यंग्य की असीम स्थिति ऐ होलि।  हाँ हास्य व्यंग्य का कथगा बीभत्स रूप रै होलु यु क्वी नि बतै सकद। कल्पना ही करे सक्यांद। 
फिर आग बचाण सिखणो बाद मानव न आग रक्षा करणो कथगा इ तकनीकों अन्वेषण कार।  हम ऊँ अन्वेषणों तैं आज कुछ बि महत्व नि दींदा किन्तु आदिम अवस्था मा आदिमन आग बचाव अर आग रक्षा का वास्ता सैकड़ों अन्वेषण कर होला।  जब बि क्वी अन्वेषण सफल हूंद तो 'हैव्स अर हैव्स नोट ' की स्थिति आदि अर इन मा हास्य -व्यंग्य की स्थिति बि अफिक पैदा ह्वे जांदी। 
 आज हमकुण मोबाईल , ऐपल का इन्स्ट्रुमेंट हास्य व्यंग्य करणो माध्यम छन पर एक दै आग रक्षा बि त इनि माध्यम रै होलु कि ना ?
 जरा कल्पना कारो कि एक समूह की बचयीं आग बुझि गे हो तो वै समूह तै दुसर विरोधी समूह से बचाईं आग लुठण आवश्यक ह्वे होली।  अब यु आग बंचित समूह आग का मालिक समूह पर आक्रमण करदो अर जीती जान्दो।  किन्तु आग का मालिक समूह का सदस्य आग तै पूरी तरह से बुझे द्याओ तो 'खा रांड अब माछ ! ' वळि स्थिति ही ऐ होलि अर फिर क्या ह्वे होलु ? हास्य व्यंग्य की स्थिति की कल्पना च या। 
  आग से एक हैंक काम ह्वे कि समूह समाज मा बदलदो गे।  रात आग का चौछवड़ी मानव खड़ो रौण लग गे छौ अर इन माँ मनोरंजन का साधन बि विकसित ह्वे होला।  जब समूह कट्ठा ह्वावो अर मनोरंजन की खोज मा हो तो हास्य ब्यंग्य , ठट्टा अफिक अन्वेषित ह्वे होलु कि ना ?
फिर लाखों  साल पैल माना एक मौ मा आग बचीं हो अर हैंकि मौ की आग बुझी गे हो तो दुसर मौ आग मंगणो गेई  होलि।  जब बि मनुष्य मंगणो गे होलु  तो हास्य-व्यंग्य , बेज्जती , कमजोर पर हंसणो कार्य ह्वै इ होलु।  




10/ 9/2015 Copyright @ Bhishma Kukreti 

Discussion on Satire Fire and Satirical situation ; definition of Satire Fire and Satirical situation ; Verbal Aggression Satire Fire and Satirical situation ;  Words, forms Irony, Types Satire Fire and Satirical situation ;  Games of Satire; Theories of Satire; Classical Satire  Fire and Satirical situation ; Censoring Satire; Aim of Satire; Satire and Culture , Rituals
Fire and Satirical situation  व्यंग्य परिभाषा , व्यंग्य के गुण /चरित्र ; व्यंग्य क्यों।; व्यंग्य  प्रकार ;  व्यंग्य में बिडंबना , व्यंग्य में क्रोध , व्यंग्य  में ऊर्जा ,  व्यंग्य के सिद्धांत , व्यंग्य  हास्य, व्यंग्य कला ; व्यंग्य विचार , व्यंग्य विधा या शैली , व्यंग्य क्या कला है ?   

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments