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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, July 29, 2015

डांडा औ हे ! साबाशी जवा (श्रृंगार लोक गीत )

(Garhwali , Kumaoni Love Folk Song )

 (  आभार डा नन्द किशोर हटवाल, उत्तराखंड हिमालय के चांचड़ी गीत व नृत्य   )

इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती


 मेरी साबाशी जवा !  डांडा औ हे !
तेरा बाना जवा ! डांडा सारी गोठ ,   डांडा औ हे !
तेरा बाना जवा ! घौर छोड्यो बार ,   डांडा औ हे !
उखि पिजौला भैंसी , उखि चरौला गोर ,   डांडा औ हे !
उखि छांछ छोळळा , उखि नौण पिंडोला ,  डांडा औ हे ! उखि गळौळा घिउ , उखि घास काटला ,    डांडा औ हे !
उखि पूळा बांधला , उखि लगौला हौळ ,   डांडा औ हे !
मेरी निगुरी जवा ! डाळा लांदू  फांस ,   डांडा औ हे !
मौरणो ह्वै जैन , त्वी कबी नि छोड़ू ,   डांडा औ हे !
हे निगुरी जवा ! उखि पाणी को धारो ,   डांडा औ हे !
उखि सतु को भारो , उखि लिजौला हौळ ,   डांडा औ हे !

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