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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, June 18, 2015

लोमहर्षक , १० हत्या युक्त फिल्म नाटक - Count..

----------------------------------------------दृश्य    17  -   , Scene 17    ----------------------------------------- 
[कोमल अर धूमल  , समुद्रौ किनारा पर बैठीं छन।  ]
नंदा - आप  तै विश्वास च ?
धूमल - मतलब बुड्या आलोक की बातुं पर ? कि हत्यारा हम मादे इ क्वी च। तर्क का हिसाब से तो सही पता लगद कि हत्यारा  ह्मादे क्वी च। पर -
नंदा -फिर बि विश्वास नि हूंद हाँ।
धूमल -अविश्वसनीय ! पर जनरल की हत्या से तो साफ़ च कि पैलाक मृत्यु क्वी आत्महत्या नि छया अपितु हत्या -
नंदा [डरिक ]- दुःस्वप्न च। मि तै अबि बि लगद कि इन नि ह्वे सकद।
धूमल -पता च।  लगद कि क्वी सुबेर दरवज खटखटाल अर चाय आली अर -
नंदा -अर फिर पता नि क्या होल  धौं ?
धूमल - दुःस्वप्न।  अब हम तै अपण रक्षा का वास्ता भौत कुछ करण पोड़ल।
नंदा - यदि हत्यारा ऊँ मादे क्वी च त कु ह्वे सकद ?
धूमल - मि त हत्यारा नि छौं अर ना ही तुम।  मि तै तुम प्यारी लगदां अर आप हत्यारी ह्वेइ नि सकदां। प्यारी लड़की !
नंदा [मुस्कराट ]- धन्यवाद।
धूमल - मि कुछ हौर आसा करणु छौ।  खैर -
नंदा - तुम तर्क का उस्ताद छंवां।
धूमल -मै लगद कि आलोक ही -
नंदा -आलोक किलै ?
धूमल - पता नि किलै धौं ! पर मै लगद कि आलोक ही।  आलोक तै न्याय प्रणाली कु पूरो ज्ञान च , उ अफु तै भगवान समझ सकद कि पापी तै दंड मिलण इ चयेंद। ह्वे सकद च कि न्याय प्रणाली की कमजोरी तै समजिक अफु दंड दीण चाणु हो-
नंदा -हाँ ह्वे सकद च पर -
धूमल -त्यार शक कै पर च ?
नंदा - डा मदन पर -
धूमल - डा मदन ? म्यार हिसाब से तो डा मदन ह्वेइ नि सकद।  किलै मदन पर शक आणु च ?
नंदा - द्वी हत्या विष से ह्वेन अर कखि ना कखि डा मदन द्वी जगा फंस्यां छया। मिसेज सर्यूळ तै तो निंदक गोळी डा मदन ना ही दे छे।
धूमल - हाँ।  पर वु जनरल महेश का खून नि कौर सकुद छौ। अर वैमा टाइम कब छौ ?
नंदा - वु जब जनरल तै बुलाणो गे छौ।
धूमल - हाँ पर वो इन खतरा मोल नि ले सकुद छौ।
नंदा - एक वी च जै तै शरीर का पूरो ज्ञान च अर कथुक देर मा क्या करण से आदिम मोरि सकुद वु भली भाँती जाणदू। अर वु बोल सकुद कि मृत्यु भौत पैल ह्वे।  क्वी बि डाक्टर तै प्रश्न बि नि कर सकुद।
धूमल -ये  नजरिया मा बि दम च।

----------------------------------------------दृश्य   18  -   , Scene   18  ----------------------------------------- 

[बृजमोहन अर सर्यूळ धीरे धीरे बात करणा छन ]
सर्यूळ -कु ह्वे सकुद ?
बृजमोहन - व्ही तो सवाल च !
सर्यूळ - जज साबन ब्वाल बल हम मादे क्वी त च। हम मादे क्वा च ?
बृजमोहन - यी त पता लगाण।
सर्यूळ - पर तुमम क्वी ना क्वी तो विचार च है ना ?
बृजमोहन -मीम आइडिया तो छौं च पर जरा समय चयेंद कि -म्यार विचार कथगा सही च।
सर्यूळ -सब कुछ दुःस्वप्न च।  है ना ?
बृजमोहन -त्यार विचार से क्वा च ?
सर्यूळ -यी त कांड लग गेन कि म्यार दिमाग मा आणु इ नी कि कु ह्वे सकुद ?
----------------------------------------------दृश्य    19 -   , Scene 19    ----------------------------------------- 
[डा मदन अर जज आलोक खड़ा छन अर साधारण ढंग से बात करणा छन ]
डा मदन - हम तै इख बिटेन भैर निकळण चयेंद।  भैर ! कै बि कीमत पर।
आलोक - मि मौसमविज्ञानी त नि छौं पर मै लगद कि फेरी 24 घंटा से पैल नि ऐ सकदी।
डा मदन -अर तब तक तो हत्यारा हम सबकी हत्या कौरिक चल जालु।
अलोक -शायद हम बच जौंला।  मि हर तरह की ऐतियात लीणु छौं।
डा मदन -पता च।  इथगा मा तीन हत्या ह्वेइ गेन।
अलोक -अवश्य।  पर तब हम अजाण छया अर अब सब तयार छन कि -
डा मदन -हम कौरी क्या सकदां।  आज ना सुबेर सब -
अलोक -भौत कुछ च जु हम कर सकदां।
डा मदन -पर  हम तै पता इ नी च कि उ कु ह्वे सकद।
अलोक -मि इन नि बोल सकुद किलैकि -
डा मदन -मतलब तुम जाणदा छंवां कि कु - ?
अलोक -हाँ पूरा तो ना पर अन्दाज तो पक्को च कि -
डा मदन -मतलब तुम तै पता च ?
अलोक -एविडेंस तो नि छन पर लगणु च कि क्वा च -
डा मदन -मि बिलकुल नि समजणु छौं की तुम -

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