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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, June 18, 2015

लोमहर्षक , १० हत्या युक्त फिल्म नाटक - Count...

दृश्य 5 - , Scene 5 - -----------------------------------------
  -----------------सब डाइनिंग टेबल का चारों तरफ बैठ्याँ छन --------------

मैक मोहन - ये जरा यी द्याखदी ! [एक कांच की बड़ तौल मा दस आदिम छा ] सुंदर सैनिक सि लगणा छन।
नंदा -कथगा छन ? दस ?
मैकमोहन - हाँ ! दस।
नंदा - आश्चर्य ! पुरानी कविता का बोल बि दस सैनिक छया , हमर कमरा मा वो गीत टंग्युं च अर इखम बि दस सैनिकु मुति -
न्यायमूर्ति आलोक कुमार - मूर्खतापूर्ण , बचकाना भरम।
[समुद्र माँ हवा की  जोरै आवाज , कमरा का किनारा पर एक ग्रामफोन धर्युं च। ]
कोमल -समुद्रै आकर्षक आवाज !
नंदा - मि तै इन आवाज बिलकुल पसंद नी च।  तूफ़ान कु अंदेशा ? या जगा तूफ़ान जोग नी च।
कोमल - किसनदत्त जी तै परेशानी तो हुयी होली इक नौकरूं कु इंतजाम करण मा ?
नंदा -हाँ किसनदत्त जी तै परेशानी तो ह्वै इ होलि।
कोमल -किसनदत्त ? यी ब्वाल ना ?
नंदा - हाँ।
कोमल -मि अपण जिंदगी मा कै किसनदत्त तै नि मील।
नंदा - पर -
[अचानक एक आवाज सुण्यान्दि ]
आवाज - देवियो अर सज्जनो ! आप पर  अभियोग छन।  जरा ध्यान से सूणो !
डा मदन ! 12  अप्रैल मार्च 1929  याद करो जब आपका कारण अनिरुद्ध सिंह का प्राण गेन।
कोमल ! तुम ! 8 दिसंबर 1933 कुण मृदुला   की मृत्यु की जुमेवार छे।
शर्मा  ! तीन बंदा सिंग की हत्या 7 मार्च 1928  कुण  कार।
नंदा - याद कर जब तीन  जुलै 1934  कुण बखत्वार की हत्या कार।
धूमल ! तुमर कारण से जनवरी मा इक्कीस आदिवास्युं की हत्या ह्वे।
जनरल महेशा ! तुमन 7 अगस्तौ 1928 कुण बड़ी चालाकी से अपण जनानिक प्रेमी राजेन्द्र तै मृत्यु मुख मा भ्याज।
मैकमोहन -पोरुक साल तीन द्वी लोगुं हत्या कार।
आलोक कुमार ! तुम पर 12 जुलै 1930 कुण टोनी की हत्या कु अभियोग च।
सर्यूळ अर तेरी जनानिन 23 नवंबर 1930 कुण ऐलिस कु खून कार।
हाँ ! तो अभियुक्तो ! तुम तै सफै मा कुछ बुलणाइ ?
[सर्यूळक हतुं चायकी ट्रे भीम पड़दी  . मिसेज सर्युळ बेहोश हुंडि अर डा मदन वींक उपर झुकदन ]
डा मदन - कुछ नी च।  शौक च।  बस द्वी चार मिनटम होश मा ऐ जाली।  
धूमल - सर्यूळ !  ढक्क्न ब्रैंडी लया ! वीं तै जरूरी च।
सर्यूळ -हाँ ठीक च।  लांद छौं [भैर चल जांद ]
नंदा - कु छौ ? कैकि आवाज छे ? इन लगणु छौ जन बुल्यां टेप हो।
जनरल - क्या माजक च यु ?
धूमल - या आवाज तो कमरा से इ आई लगणी च। [इना उना दिखद ] अरे लया स्यु टेपरिकॉर्डर से आवाज आई।
आवाज - तुम सब पर हत्या कु अभियोग छन।
नंदा - बंद कारो  तै टेप तै। भयानक च आवाज !
डा मदन - वास्तव मा एक मजाक।
आलोक कुमार - क्या यु मजाक ही च ?
डा मदन - तो क्या च ?
आलोक कुमार -मै नि लगद मजाक च।
मैकमोहन - एक बात सब भुलणा छंवां कि टेप कैन ऑन कार ?
आलोक कुमार - हाँ पता लगाण जरूरी च।
[सर्यूळ ब्रैंडी लेक आंद।  कोमल मिसेज सर्यूळ पर झुकीं च ]
सर्यूळ- मैडम मि ब्रैंडी पिलांदु। रानी ! रानी !  छे ना ?
डा मदन = चिंता नि कर रानी।  बस अचानक एक झटका च।
रानी सर्यूळ - मि बेहोस हूँ क्या ?
डा मदन - हाँ ! तुम इन गिरी जन पत्थर पोड हो।
रानी सर्यूळ - ये मेरी ब्वे ! डरोण्या न्याय ?
डा मदन [ब्रैंडी लींद ] रानी ले ब्रैंडी पे।
रानी [ब्रैंडी पींद ]- अब ठीक च।  अच्छु  महसूस करणु छौं। ये ब्वे स्या आवाज -
सर्यूळ - मे से बि ट्रे छुटि गे। बकबास ! झूठ !
आलोक - यु टेप कैन चलाइ ? सर्यूळ तीन चलै ?
सर्यूळ [किरैक ] हाँ।  पर मि तै पता नि छौ कि इखमा क्या छौ।  निथर मि कबि बि निर्भागी टेप नि चलांदु।
आलोक -ठीक से बता।
सर्यूळ [पसीना पुंछुद ]- मेकुण आदेश छौ। बस आदेश।
आलोक -कैक आदेश ?
सर्यूळ -किसनदत्त जीक।  आदेश छौ कि ड्रावर मा टेप होलु अर जब सब डाइनिंग टेबल  मा ह्वावन तबि चलाण छौ।  अर मीन बि ना रानीनं चलाण छौ।
आलोक - वाह सुंदर बुणी कथा !
सर्यूळ -कथा नी च। भगवान कसम सत्य च। मीन समज कि क्वी ख़ास गाणा होलु जु तुम सब तै पसंद आंदु होलु।
जनरल महेशा - बेतुका तर्क ! झूठा अभियोग ! कुछ करण पोड़ल ! यु किसनदत्त क्वी बि हो -
कोमल - हाँ ! पर छ को च यु ?
आलोक -हम तै यु खुजण पोड़ल। सर्यूळ ! तू अपण घरवळि तै बिस्तर मा पड़ाळिक जल्दी आ -
सर्यूळ - जी
डा मदन - सर्यूळ ! मी बि आंद।
[
सर्यूळ, रानी अर डा मदन जांदन ]
मैकमोहन - भै तुमर तो मि नि जाणदु पर मि पियां बगैर नि रै सकुद। [भैर जांद।  शराब , सोडा अर गिलास लेक आंद ]
[मदन अर सर्यूळ  वापस आंदन ]
आलोक - हाँ अब बता सर्यूळ? यु किसनदत्त क्वा च ? तू क्या जाणदु एक बारा मा ?
सर्यूळ - ये रिजॉर्ट का मालिक च किसनदत्त।  मीन कबि नि देख।
महेशा - तीन कबि नि द्याख ? क्या मतबल ?
सर्यूळ - हम बस एक हफ्ता कुण छंवां।  एक एजेंसी एबीसी एजेंसी का द्वारा हम तै चिट्ठी मील अर एडवांस मा पैसा बि मिलेन।
बृजमोहन - पुरानी एजेंसी।
आलोक - चिठ्ठी कख च ?
सर्यूळ - मि इख नि लौं।  जब पैसा एडवांस -
आलोक - ठीक च।  अच्छा अगनै बोल -
सर्यूळ -हम तै परसि आणो आदेश मिल्युं छौ अर हम परसि पौंचि गवां। इख राशन पाणी सब कुछ धर्युं छौ।  एक एक बात कु ख्याल रख्युं  छौ।
आलोक -फिर ?
सर्यूळ - ब्याळि , चिट्ठी मील कि किसनदत्त जी अर ऊंक घरवळि कै ख़ास जगा फंस गेन। तो नि आणा छन अर कुछ हौर आदेश का साथ टेप चलाणो आदेश बि छौ।
आलोक - वा चिट्ठी त ह्वेली  ?
सर्यूळ - हाँ [किसौंदन चिट्ठी निकाळदु ] ल्या -
आलोक - होटल बीमा जी सीमा जीक लेटरहेड मा चिट्ठी अर टाइपराइटर से टाइप करीं च।  
   बृजमोहन [चिट्ठी हाथ मा लींद ] आम बढ़िया कागज , टाइपिंग से लगद टाइप राइटर बि नया रै होलु।  कुछ पता नि चल सकद।  हतुं निसान ? पर  फायदा नी च।
मैकमोहन - हूँ ! किसनदत्त कुछ अजीब नाम तो नी च पर फिर बि किसनदत्त !
आलोक - मिस्टर मैकमोहन ! थैंक यू।  तुमन ध्यान दिले दे।  अब जरा सुचण पोड़ल। पैल तो यु जणन जरूरी च कि यु किसनदत्त छ क्वा च ? हमम किसनदत्त का बारामा जु बि जानकारी च शेयर करण पोड़ल कि आखिर यु किसनदत्त को च अर वैक उदेस्य क्या च ?
कोमल -हाँ अवश्य ही कुछ रहस्य च।  जब मि तै पत्र मील तो मी बि हस्ताक्षर नि पछ्याण सौकु। किसनदत्त छौ कि कृष्णहरी पता नी च। अर मि त ये नामक कै आदिम तै कबि नि मील।
आलोक -चिट्ठी च ?
कोमल -हाँ ल्यावो।
आलोक [पढ़द ] हूँ मिस नंदा ?
नंदा - एजेंसी से टेम्परेरी सेक्रेटरी पद का वास्ता अर एजेंसी से चिट्ठी।
आलोक - मैकमोहन ?
मैकमोहन - म्यार पुरण दगड्या महाबीरन बुलै बल इख ऐ जा।
आलोक - डा मदन ?
डा मदन - मि तैं व्यापारिक तौर पर बुलाये गे। व्यापारिक आमंत्रण।
धूमल - मै लगद कि कुछ -
आलोक - जरा चुाप रावो बाद मा।
धूमल - किन्तु -
आलोक - जरा सैज सैज कैक।  है ना ? जनरल महेश ?
महेश - एक किसनदत्त से पत्र ऐ छौ कि -वु म्यार दोस्त च अर -पर चिट्ठी लांद बिसर ग्यों।
आलोक - अर धूमल जी ?
धूमल - बिलकुल उनि जन जनरल तैं ।
आलोक - द्याखो हाँ ! आवजन सब्युंक नाम सुणै पर ब्रजमोहन का नाम नि सुणाइ , बृजमोहन जी ? ब्वालो ?
ब्रजमोहन - मि शर्माक नाम से जाणे जांद।
आलोक -कुछ तो गलत च।  हैं न ?
बृजमोहन -जी मि शर्मा नि छौं।
धूमल - तो साला तू कु छे ?
बृजमोहन - मि पैल पुलिस मा जासूस छौ।  अर अब एक डिटेक्टिव एजेंसी चलांद।  मि तै पैसाक साथ साथ आदेश छ अर किसनदत्त का गहणो की हिफाजत का वास्ता मीन तुम पर निगरानी रखण छे।  पर अब लगद  किसनदत्त छैं इ नी च।
आलोक -मतलब बात साफ च कि कै अनजान मनुष्यन हम सब तै इख बुलाइ।
नंदा - पागलपन की हद ह्वे गे।
आलोक -वै पागल आदिमन हम सब तै इख भट्याइ।  अर उ किसनदत्त या कुछ हौर हम अर हमर जिंदगी का बारा मा सब कुछ अच्छी तरां से जाणदु च। अर वैन हम सब पर अभियोग बि लगाइ। अब हम तै अग्वाड़ी का बारा मा जानकारी हासिल करण चयेंद।
मेहश - बिलकुल झूठो च वु।
नंदा - बकबास।
मैकमोहन -पता नी वैक मतलब क्या च ?
आलोक - तो सूणो ! हमर अनजान मेजबानन में पर टोनी की हत्यौ अभियोग लगाई।  मी टोनी तै जाणदु छौ।  टोनी पर एक बुडड़ी हत्याक केस मेरी अदालत मा चलि  छौ। वैन बड़ी चालाकी से वकालत करे बि छे पर मीन वै तै फांसीक सजा सुणवै छे।  मि तै क्वी दुःख नी च।
डा मदन - न्यायमूर्ति आलोक जी ! क्या केस हुयां बगैर सजा बि सूण ?
आलोक - ना कबि ना।
डा मदन - वु झूठ बुलणु च।
नंदा - मि स्कूलम छौ।  एक दिन बच्चों तै तैरणो बान बच्चों तै स्विमिंग पूल मा लौं।  वु बखत्वार बि छौ।  म्यार ध्यान कखि हौर जगा छौ अर वु डुबिक मर गे।  वैक माता पितान बि मै पर अभियोग नि लगै।  यु अभियोग लगाण वळ कु हूंद ? [रुंदी ]
महेश -नंदा का कंधा थपथपैक ] बिलकुल बकबास च यु किसनदत्त।  मीन अपण असिस्टेंट राजेन्द्र तै अवश्य भेजी छौ पर वु अपण गलती से मोर।  गलत क्रिया से /
धूमल - अरे हम जंगल मा छया अर  रिबिड़ गेवां तो हम राशन पाणी ली गेवां अर इन माँ वो जंगली आदिवासी भूक तीसन मर गेन तो मेरी क्या गलती ? पैल अफु तैं बचाण जरूरी हूंद।
नंदा - तो तुमन वूं आदिवास्युं तै उनि छोड़ दे ?
धूमल - पर क्या करदु ?
मैकमोहन -अरे हत्या कख कार ? वु द्वी बच्चा गाडी तौळ ऐ गेन तो ? मि क्या कौर सकुद छौ ? ऊँ द्वी बच्चों का भाग्य इ इन छौ कि। यु सरासर एक एक्सीडेंट छौ बस।
सर्यूळ - मि बि बोलुं  साब ?
आलोक - हाँ हाँ बोल! 
सर्यूळ - मि अर मेरी घरवळि तब चायबगान की मालकिन बुडड़ी एलिस का इख काम करदा छ।  तैदिन तूफानी रात छे।  बुडड़ी अचानक बीमार पद।  टेलीफोन बि।   डाक्टर बुलांद बि त कनकैक बुलांद ? मि कनि करिक मि कस्बा ग्यों पर डाक्टर तै आंद देर ह्वे अर तथ्गा मा बुडड़ी गुड़गे। हम बुडड़ि लगैक सेवा करदा छ। हम पर कैन बि भगार नि लगै।
बृजमोहन - अर एलिस से कुछ तो मील छौ ना ?
सर्यूळ - सेवभक्ति का रूप मा मालकिनन बसियत मा लिख्युं  छौ। 
धूमल - बृजमोहन जी आपक नाम बि त च।
बृजमोहन - बंदा सिंग  इंडियन कमर्शियल बैंक लुटणो ऐ छौ अर मीन गवाही दे छौ।
आलोक - हाँ याद ऐ गे।  यद्यपि केस मीम नि ऐ छौ पर बंदा सिंग एक पुलिस वळक गवाही से ही अभियुक्त साबित ह्वे  छौ अर सजा मील छे वै तै।
बृजमोहन - हाँ पर वु थोड़ा दिनूं मा मरि गे।  मीन अपणी ड्यूटी निभाई बस। यांसे म्यार प्रमोसन बि ह्वे।
डा मदन - अनिरुद्ध सिंह या क्वी बि मि तै त नाम बि याद नी च। रोगी जब मरणो ह्वे जांद तब अस्पताल आंदन।  अर इन मा ओपरेसन असफल बि हूंदन।  इन मा डाक़्टरूं पर अभियोग लगाण सरासर गलत च।
[सबि कोमल का और दिखदन ]
कोमल -म्यार तरफ किलै दिखणा छंवां ? मीन कुछ नि बुलणै।
आलोक -कुछ ना ?
कोमल -कुछ ना।
आलोक - मतलब ?
कोमल - मि अपण अंतरात्मा का हिसाब से कार्य  सम्पन करदु ।
[चुप्पी ]
[अंत मा आलोक अपण गौळ साफ़ करद ]
आलोक - अच्छा सर्यूळ ! द्वीप मा तुम द्वी झण छोड़िक हौर क्वा च ?
सर्यूळ- क्वी बि ना।  क्वी ना।
आलोक - सत्य ?
सर्यूळ- क्वी बि नी च।
आलोक - अज्ञात मेजबानौ उदेस्य कु क्वी पता नी चलणु च। यु मेजबान पागल ना बल्कि भोत इ होसियार च।  पर जु बि च वु खतरनाक च।  वेक नेक इरादा नि लगणा छन। यु द्वीप खतरनाक साबित ह्वे सकुद।  हम तै अब्याक अबि द्वीप छुड़न चयेंद।
सर्यूळ- द्वीप छुडन ?
आलोक -हाँ अब्याक अबि।
सर्यूळ-पर द्वीप मा एक बि नाव नी च।
अलोक - नाव नी ?
सर्यूळ- नाव तो छोडो आस पास एक बि पटल्या नी च कि तुम वैमा तैरिक जै सकवां।
आलोक - तो तुम देस से संपर्क करदां ?
सर्यूळ- आनंद द्वारा।
आलोक - आनंद ?
सर्यूळ- हाँ उ सुबेर नाव से आंद।  अंडा , दूध अर इंग्लिश ब्रेड लेक आंद।  अर यदि चिट्ठी हो तो चिट्ठी बि लांद।
आलोक - तो सुबेर जब आनंद आलु त हम सब वीं नाव से चल जौला। 
[सब हाँ करदन।  पर मैकमोहन की स्वीकृति नि हूंदी ]
मैकमोहन - अरे यी बि क्वी बात ह्वे कि क्वी हम तै जिबळ पुटुक बंद करण चाणु च अर हम वैक बारामा बि नि जणन चाणो छंवां ? तथ्य यद्यपि रोमांचक अर भयप्रद च पर इनि चल जौला क्या ? जरा रोमांच का लुफ्त ही उठाये जावो।
आलोक - मेरी उमर अब रोमांच अनुभव की नी च।
मैकमोहन -[मुसकरैक ] -उमर का तकाजा ! मि त शराब अर रोमांच का लोभी छौं।   ऊँ ऊँ [वु गिलास पर मुख लगांद पींदु । अर गौळ पकड़दु अर धड़ाम से भीम गिरदु ] [डाक्टर मदन आंद वैक नबज टटोळदु ]
मदन -हे भगवान ! यु त मरि गे ।  
महेशा - क्या ? गौळ फंस अर मरि गे।
मदन [गिलास सुंगद - सोफोकेटिंग से मृत्यु ह्वे।
महेशा - हैं मीन इन मृत्यु कबि नि देख।
डा मदन - इन पोटेशियम साइनाइड से ही ह्वे सकद।  पर क्वी बि त वैक गिलास  नजदीक नि छौ। 
धूमल - मतलब वैन अफिक अपण गिलासुंद जहर अफिक डाळ ? आत्महत्या ?
डा मदन - अबि त इनि लगणु च पर -
नंदा - पर मैकमोहन एक जिंदादिल इनसान छौ।  वु आत्महत्या नि कर सकुद।
डा मदन - हाँ पर फिर कैन साइनामाइड डाळ ? क्वी बि आस पास नि छौ। फिर आत्महत्या कु क्वी कारण बि नी। च
बृजमोहन - अर वु आत्महत्या वळ मनिख बि नि छौ।
डा मदन - हाँ
बृजमोहन - चलो अपण कमरा मा जांदवां।
अलोक - हाँ सेण बि जरूरी च।
 
सर्यूळ- मि कमरा साफ़ करदु
धूमल -सुबेर कर ले।
डा मदन - तेरी घरवळि कन च ?
सर्यूळ- मि देखिक आंदु [जांद च अर आंद च ] हाँ वा मजे से सीणी च।
डा मदन - ठीक च।  वीं तै डिस्टर्ब नि करी।
सर्यूळ-- जरा मि डाइनिंग रूम साफ़ कर लींदु। [-जांद ]
[कुछ देर बाद सब चल जांदन ]

अनुवाद - भीष्म कुकरेती
---------------------------यहां कोई ज़िंदा नहीं बचेगा [इख कैन ज़िंदा  नि बचण ]नाटक कु शेष भाग दृश्य 6 माँ पौड़ो ------------------
------------------------------ यहां कोई ज़िंदा नहीं बचेगा [इख कैन ज़िंदा  नि बचण ]Next part in 

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