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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, June 18, 2015

ढोल दमाऊ वादकों द्वारा मंगलाचार

इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती 

 ढोली (ढोलवादक ) सबसे पहले धुंयाळ बजाता है।  धुंयाळ में अपने ठाकुर की प्रशसा कर इजाजत लेता है की वह बंशागत बजाना चाहता है -
मंगलाचार -मंगलाचार ठाकुर का दरबार 
बड़ा सरकार - बड़ो दरबार बड़दो रौ कारोबार 
बेटी बेटान को राज बढ़े थात बड़े 
नाती पोतान को राज बढ़े साख बढ़े 
डाटा को भंडार बढ़े -गुणी की पोथी बड़े 
कुल का दिबता भूमि का दिबता कृपा करे 
गया का पंडितोंन कछेड़ी भुरीं भूरीं रये 
छतरी का हस्त रक्षा को शस्त्र रये 
देसूं देसूं मा ठाकुर को नाम बड़े नाम बड़े 
मंदिरों मा दिबतौं की नौगजी ध्वजा चढ़े 
चौखट्यूं मा घाँडयूँ को घमणाट बजे 
ढोली का ढोल मा ठाकुर की जै जै कार 
बजदी रै चौरास सजदु रै दरबार 
ग्यानी मा ग्यानी बूथों मा का अगवान 
दान्यूं मा का दानी धनियों मा का धनवान 
पंछी का पिंयान समुद्र नि  घटदो 
जै जै सरकार बड़दो रै कारोबार 
गरीब गुरबों पर कृपा बणी रै 
तुमारी  प्रजा छंवां सदनी दया बणी रये 
( रणवीर सिंह चौहान , चौरस की धुंयाल से साभार )

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