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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, June 25, 2015

हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में कुणिंद राजाओं के नाम

Names of Kunind/Kulind  Kings in context Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,  History Saharanpur  

                                  हरिद्वार ,  बिजनौर   , सहारनपुर   इतिहास  संदर्भ में कुणिंद राजाओं के नाम 

                               Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,  History Saharanpur  Part  -  127                      
                                                हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -    127                   

                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती  
 उपरोक्त अभिलेखों व मुद्राओं से कुणिंद /कुलिंद -स्रुघ्न -अल्मोड़ा के निम्न नरेशों की पहिचान होती है - 
---------------------------शिललेखहों प्राप्त नाम ----------------------मुद्राओं के नाम ---------------पूर्ववर्ती नरेश से संंबंध 
क्रम संख्या --राजा ------------रानी ------------------------------------------------------------------------------------------------
१-----------------?-------------गार्गी ---------------------------------------------------------------------------------------------------
२- विसदेव (विश्वदेव)-------गोती (कौत्सी , गोप्ती ------------------------------------------------------पुत्र
३-आगरजु (अग्रराज )  वाछी (वात्सी )------------------------------अगरज ------------------------------पुत्र 
४-धनभूति (I ) वाछी , नागरखिता (नगरक्षिता )----------------------------------------------------------पुत्र 
वाधपाल (वृद्धपाल ) -------------------------------------------------------------------------------------------पुत्र 
धनभूति II -----------------------------------------------------------------------------------------------------पुत्र 
७ ------------------------------------------------------------------------वलभूति -------------------------------?
८- ------------------------------------------------------------------- अमोधभूति ------------------------------?
९------------------------------------------------------------------म-ग-भ-त - ---------------------------------?
१०---------------------------------------------------------------शिवदत्त ----- -------------------------------?
११-------------------------------------------------------------- हारी - त      -------------------------------?
१२- ---------------------------------------------------------------शिवपालि (शिवपालित  )-------------------?
        
                 कुणिंद नरेशों का वंशानुगत संबंध 

         स्रुघ्न के इस राजवंश का जिसका संस्थापक का पता शिलालेखों से मालूम नही होता है। 
कोई वंशनुगत चिन्ह भी पापत नही हुए हैं। 
शायद इनका संबंध काद से रहा होगा। 
अग्रराज , वलभूति और अमोधभूति की मुद्राएं स्रुघ्न से प्राप्त हुयी हैं। कनिंघम वलभूति और अमोधभूति को धनभूति द्वितीय का वंशज मानता है। 
वलभूति अमोधभूति से पहले का शासक था।  अमोधभूति की मुद्राओं में उसे कुणिंदराज महाराज बताया गया है। 
 अमोधभूति के बाद की मुद्राएं भद्दी हैं जो इस बात की द्योत्तक हैं कि राजवंश पर विप्पत्ति के बदल मंडराने लग गए थे।
                        स्रुघ्न से संबंध 
भारहूत अभिलेखों में घनभूति I पहले 'सुगनं रजे ' लिखा है जिसका अर्थ कनिंघम ने 'स्रुघ्न राज्ये ' लगाया और राजेंद्रलाल मित्र ने भी समर्थन किया।  भारहूत के दूसरे अभिलेख में 'सगान रज ' शब्द उल्लेखित है जिसका अर्थ 'शुङ्गाना राज्य ' भी हो सकता है। 
    चूँकि इन अभिलेखों में अंकित राज्यों अग्रराज , वलभूति और अमोघभूति के सिक्के स्रुघ्न में मिले हैं तो यह निश्चित हो जाता है कि कुणिंद राज्य /जनपद का मुख्यालय स्रुघ्न में था।  स्रुघ्न विक्रमी संवत के सातवीं सदी तक भी प्रसिद्ध था।  इसलिए इन राजाओं को स्रुघ्न राजा माना गया है। 

Copyright@
 Bhishma Kukreti  Mumbai, India25 /6/2015 
   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -



संदर्भ - ---

डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२
राहुल -
 मध्यएशिया का इतिहास
कनिंघम , एन्सिएंट जिओग्राफी 
वाटर्स , ऑन युवान चांग्स ट्रैवल इन इण्डिया 
बील  , सी यु की बुद्धिस्ट रिकॉर्ड्स ऑफ दि वेस्टर्न वर्ल्ड
राजवळी पाण्डेय हिस्टोरिकल ऐंड लिटररी इन्सक्रिप्सन 
बरुवा और सिंह , भारहुत इंस्क्रिप्सन 

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