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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, June 23, 2015

गढ़वाल से कैंतुरा उखेल मंत्र व वार्ता - १२२

प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती 
(साभार , डा रणवीर सिंह चौहान , चौरास की धुंयाल। जिन्हे श्री सुरेशानंद भगत जी पावो पौड़ी  गढ़वाल ने यह मंत्र प्रेषित किया )

कुछ मंत्र विशेष समय जै से भूत  भगाते  समय उखेल मंत्र, नाचते हुए या रोट काटते समय जागर के रूप में प्रयोग किये जाते हैं।  उनमे से एक उखेल मंत्र इस प्रकार है -
पहले उपजे सुन सुन से उपजे सुनकर से उपजे ऊंकारसे उपजे फुंकार -से उपजे धों धों कार हरा निर्जल से उपजे चंदन की डाली - से उपजे चन्द्रदेव -से उपजे अमरदेव -से उपजे धर्मदेव - से उपजे सूजन देव से - उपजे प्रिथिम देवसे -उपजे धामदेव -धामदेव को छ भाई हुए -छनि कुंवर मानी -कुंवर -सालू -संग्राम -वसु कुंवर -हंसा कुंवर के दूणी और मूर्ति के संतो और संतोगो हुए 

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