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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, June 18, 2015

यहां कोई ज़िंदा नहीं बचेगा [इख कैन ज़िंदा नि बचण ] - अंक 2 , दृश्य 1

----------------------------------------------अंक 2 , दृश्य   1  -   , Scene   1  ----------------------------------------- 
                       -----------------------------ड्रवाइंग रूम -------  

[कोमल , आलोक , डा मदन , नंदा , धूमल , बृजमोहन बैठ्याँ छन। सर्यूळ चाय की ट्रे लेक आंद।  सब झटका से खड़ ह्वे जांदन। ]
सर्यूळ -क्या पर्दा खींच द्यूं ?
सब - हाँ हाँ।
नंदा - कोमल चाय बणैलि क्या ?
कोमल -ना ना भै ना।  मेरि स्वेटर की बुणै खराब जि ह्वे जालि। कैन ऊँ तै बि द्याख ?
नंदा - न [वा चाय बणानो ट्रेक पास जांद ]
धूमल -चाय वाह ! डिनर  का बाद चाय ! वाह। इंतजाम  तो सही च।  हाँ ?
बृजमोहन - हाँ बिलकुल सही।
सर्यूळ -इखक टेबल क्लॉथ कख गे ?
आलोक - क्या टेबल क्लॉथ सुबेर बि छौ ?
सर्यूळ -जी हाँ।  बिलकुल छौ।
बृजमोहन -यख कुछ बि ह्वे सकद।  पर टेबल क्लॉथ से क्वी कै तै कतल नि कर सकद। भूल जा अर अपण काम कौर।
[सर्यूळ जांद ]
कोमल - मि त अपण कमरा मा जाणु छौं।
नंदा -मी बि।
[द्वी जांदन ]
----------------------------------------------अंक 2 , दृश्य   2   -   , Scene   2   ----------------------------------------- 
[ ,
आलोक , डा मदन , , धूमल , बृजमोहन बैठ्याँ छन। क्वी अखबार पढ़णु  च। क्वी सिगरेट पीणु ह।  क्वी बस इनि समय बिताणु च। सर्यूळ किचन मा व्यस्त ]
आलोक - मि कमरा मा जाणु छौं।  अर हाँ सब अपण कमरा पट्ट से बंद करिक हि रैन हाँ।
बृजमोहन - मेरी राय  च कि दरवज पर कुर्सी बि चिपकै देन।  क्वी बि दरवाजों पेंच खोली सकुद।
धूमल -तेरी परेशानी या च कि तू भौत अधिक जाणदु। 
आलोक - अच्छा मि त बैडरूम मा जाणु छौं।  सुबेर मिल्दां।
[सब जांदन ]
सर्यूळ [मिनिएचरुं तै देखिक ]- अब ट्रिक नि चौललि [मिनिएचरुं तै उठैक ली जांद ]

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अंक 2 , दृश्य    3 -   , Scene   3   ----------------------------------------- 
----------------------------------------[   सुबेर ]------------------------------------------------
[
आलोक , डा मदन , नंदा , धूमल , बृजमोहन चलणा छन।  धूमल बुलणु च ]
धूमल - सर्यूळ नि मिलणु च।  कखि बि नी मिलणु च।  वैक बिस्तर साफ़ साफ़ बताणु च कि वू से छैं च।  उस्तरा , साबण नम छन माने वू सुबेर तक तो ज़िंदा छौ। केतली बि नी च अर स्टोव बि नि जल्युं च । पर छ कख च ?
नंदा - मतबल क्या वु हमर वैक ----बान ---कखि लुकि गे ?
धूमल - प्यारी गुड़िया ! मि सब तरफ से सुचणु छौं। मेरी सलाह च कि जब तक कातिल कु पता नि चल्दु तब तक हम सब तै एक साथ इ रौण चयेंद।
आलोक - ह्वे सकद च वु द्वीप मा कखि चल गे हो।  अर कोमल बि नि दिखेणि च ?
[इतना मा कोमल आदि ]
बृजमोहन - कोमल यी क्या मूर्खता च ? इखुल्या इखुलि द्वीप मा घुमणि छे ? पता च ना हम कैं मुसीबत मा छंवां ?
कोमल -बृजमोहन जी मि चौकन्नी ह्वेक सबि तरफ नजर रखद हाँ !
बृजमोहन - कखि सर्यूळ तै बि द्याख ?
कोमल - ना मीन तो नि द्याख।  क्यों ?
आलोक - सर्यूळ गायब च पर नास्ता की टेबल तयार च।
बृजमोहन- ह्वे सकद रात तयार कर ले हो ?
नंदा - अर मिनिएचर सैनिक ! केवल छै छन अब -
धूमल - मतलब , मतलब अब एक की मौत -[स्टेज से भैर जांद अर सर्युल की लाश खेंचिक लांद , सर्यूळ कु सर का पिछवाड़ा पर कुलाड़ी कु घाव , खून ] लया  सर्यूळ पर मृत अवस्था मा। अर वैक बगल माँ खून भरी कुलाड़ी -

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अंक 2 , दृश्य    4  -   , Scene   4    ----------------------------------------- 
--------------------हत्या  कु दृश्य -----------------------------------------------
[बृजमोहन कुलाड़ी परखणु च। डा मदन शरीर चेक करणु च। आलोक अर धूमल खड़ छन। कोमल अर नंदा नि छन ]
डा मदन - यु बिलकुल साफ़ च कि हत्यारान पैथर बिटेन चोट कार। पैल एक मार मार अर फिर दुसर मार।
आलोक -क्या ज्यादा ताकत की जरूरत पड़ी होली ?
डा मदन - एक औरत बि ये काम कर सकिद छे।  लड़की बि सरलता से इन काम कर सकदन। कोमल उन त पतली लगदी पर इन लड़की पर भौत ताकत हूंदी। ज्वा स्त्री अकेला रौणै आड़ती हो तो वा इन कत्ल कर सकदी।
बृजमोहन - हाथों छाप पूंछे गेन।
[हंसी की आवाज , नंदा पागलपन जन हंसी हंसदी स्टेज मा आदि ]
नंदा [हंसणी च ]- ये द्वीप माँ भौत सा चिमुल्ठ  छन।  बतावो कि शहद कख मीलल ? हाहा हां -
[सब वींतै घूरिक दिखदन ]
नंदा -क्या छंवां मि तैं टक लगैक दिखणा ? हरेक का कमरा मा एक कविता कि

दस सैनिक घुमणो गेन
एकक सांस रुकि गे तब नौ रै गेन
 …
एकान अफु इ काट दे अर  तब छै   रै गेन
छै सैनिक शहद जमा करणो गेन
एक तै चिमल्ठुन तड़कै दे  अर  तब पांच  रै गेन
मतलब अब कै तै चिमल्ठुन तड़काण ?   क्या ये द्वीप मा चिमल्ठ  पाळे जांदन ? हाहाहा
[डा मदन नंदा पर झापड़ मारद ]
नंदा [हिचकी आंदन , रुंदी च , फिर सामन्य हूंदी ] सॉरी।  अब मि ठीक छौं।  मिस कोमल अर मि आपकुण नास्ता बणौदा।  कैम माचिसक तिल्ली च।  आग जगाण। [भैर जांदी ]
बृजमोहन - भौत बढ़िया कार।  बिचारी भी से -
मदन -इन मा मीम क्वी विकल्प नि छौ।  हिस्टीरिया ऐ गे। अर फिर थप्पड़ ही -
बृजमोहन - पर व हिस्टॉरिकल नी च।
डा मदन -न व हिस्टॉरिकल त नी च। व संवेदनशील , विचार करण वळि च। अचानक विपदा से इन ह्वे जांद। कैपर बि दौरा पद सकद।
धूमल - चलो नास्ता करे जावो।

[सब चल्दन ]

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