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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, April 20, 2015

अशोक द्वारा पाली भाषा द्वारा स्थानीय भाषाओं पर अतिक्रमण

 Haridwar , Bijnor , Saharanpur in Maurya Period a History Discussion

             

                   अशोक द्वारा पाली भाषा द्वारा स्थानीय भाषाओं  पर  अतिक्रमण

                                 मौर्य काल में हरिद्वार , बिजनौर और  सहारनपुर 

                   Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,  History Saharanpur  Part  -103 
      

                       
    

                     हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -103                       

                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती  


                          मौर्य काल में हरिद्वार , बिजनौर और  सहारनपुर  का प्रशासन 
         यद्यपि हरिद्वार , बिजनौर और  सहारनपुर पर मौर्य शासन था किन्तु वास्तव में स्थानीय प्रशासन स्थानीय सामंतों के हाथों में था।  ये सामंत शायद खस याने कुणिंद थे। 
                     अशोक द्वारा पाली भाषा द्वारा स्थानीय भाषा पर  अतिक्रमण 
   सदा से ही केंद्रीय शासन व्यवस्था ने स्थानीय भाषा पर अतिक्रमण किया और करती रहेगी।  जब अशोक ने पाली बहसः में शिलालेख लिखवाये तो अवश्य ही स्थानीय कलविदों को पाली सीखनी पड़ी होगी और अपनी भाषा के कतिपय शब्दों को छोड़ा होगा और पाली शब्दों को अपनाया होगा जो बाद में स्थनीय लोगों ने भी अपनाया होगा।  
 गढ़वाली  कुमाउनी भाषा में आये पाली शब्दावली सिद्ध करती है कि बुद्ध के स्थावर शिष्यों , चाणक्य के राजदूतों , अशोक के धर्म धर्म प्रसार से बिजनौर , हरिद्वार व सहारनपुर की स्थानीय बोलियों पर पाली का प्रभाव पड़ा होगा।  
 निम्न शब्द आज भी उत्तराखंड में बोले जाते हैं जो कि सिद्ध करता है कि मौर्य काल में मगधी /पाली ने स्थानीय भाषाओं को र्प्भावित किया -
वेद त ( विदत्थि ) 
तथमयी (तंतुका )
पाथो (पत्थ  )
नाळी (नलि )
दूण (द्रोण )
 न के स्थान पर ण ; स् के स्थान पर श् ; र् के स्थान पर ळ पर मगधी का प्रभाव है। 
(डा कटोच , गढ़वाली भाषा की प्रकृति , गढ़वाल की जीवित विभूतियाँ, पृष्ठ 281  )


 ** संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
Major References- डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज 
घोषाल , स्टडीज इन इंडियन हिस्ट्री ऐंड कल्चर 
आर के पुर्थि , द एपिक सिवलीजिसन 
अग्रवाल , पाणिनि कालीन भारत
अग्निहोत्री , पंतजलि कालीन भारत 
अष्टाध्यायी 
दत्त व बाजपेइ  , उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म का विकास 
महाभारत 
विभिन्न बौद्ध साहित्य 
जोशी , खस फेमिली लौ
भरत सिंह उपाध्याय , बुद्धकालीन भारतीय भूगोल 
रेज डेविड्स , बुद्धिष्ट इंडिया 

Copyright@
 Bhishma Kukreti  Mumbai, India /4/2015 
   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -

      Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;  AncientHistory of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    AncientHistory of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    AncientHistory of Bijnor;    Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;Ancient Saharanpur History,  Ancient Bijnor History;
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