उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Wednesday, April 1, 2015

पाखडं प्लावन व चर्चा

Churning Discussion on Religious Hypocrisy/ Chaos  in Context Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,  History Saharanpur
                                         


                           हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास संदर्भ में पाखडं प्लावन व चर्चा
                               Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,  History Saharanpur  Part  --
91

                                  

                                      हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  -91                      


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती  
                               पाखंडो के तीन प्रकार 
        महाभारत के बाद भौतिकवाद ने जोर पकड़ा और तर्क व चार्वक सिद्धांत ने भी जोर पकड़ा। पांचवीं सदी पूर्व भारत में मत मतांतरों की बाढ़ आ गयी थी। उन दिनों मत मतांतरों को पाषंड या पाखंड नाम दिया गया था। 
तीन प्रकार के मत , मतांतर अथवा पाखंड समाज में थे -
१-आस्तिक याने परलोक पर विश्वास करने वाले 
२-नास्तिक याने परलोक पर विश्वास ना करने वाले 
३- केवल भाग्य पर विश्वास करने वाले। 
              उपरोक्त लक्ष्य प्राप्ति हेतु दो मुख्य मार्ग थे 
अ-लौकिक कर्मो द्वारा मोक्ष प्राप्ति 
ब -लौकिक कर्मों का त्याग कर मोक्ष प्राप्ति 
                         यज्ञ क्रिया 
भारत में बुद्ध और जैन धर्म प्रचार में वैदिक कर्मकांड या सनातनी कर्मकांड के विरोध के बाद भी वैदिक यज्ञों की प्रचुरता रही थी।  कुणिंद /कुलिंद , कुरु,पांचाल, पंचनद , गांधार में यज्ञों की मान्यताओं में विशेष फरक नही पड़ा। अष्टाध्यायी में कई प्रकार के यज्ञों का वर्णन है और वैदिक देवताओं की संतुष्टि हेतु कर्मकांड का वर्णन है।

                    भक्तिपूजा परम्परा 
वैदिक देवी  देवताओं के अतिरिक्त वृक्ष , यक्षों , नागों , जलाशयों , छवि Images , मातृदेवियों को भी पूजा जाता था। 
               ग्रह व गण पूजा 
ग्रह व गणो की पूजा देवताओं के साथ की जाती थी। 
              पितर व अन्य देवता 
पितरों व अन्य स्थानीय आवश्यकतानुसार स्थानीय देवताओं (ग्राम देवता आदि ) की भी पूजा मान्य थी। 
                        शैव्य पूजा 
शिवजी को ईश्वर उपाधि प्राप्त  हो गयी थी 
       विष्णु पूजा 
महाभारत के बाद विष्णु व  अवतारों की पूजा शुरू हो गयी थी।
            तपस्वी 
उत्तराखंड तो तपस्वियों के लिए प्रसिद्ध था।  कण्वाश्रम आज का गढ़वाल भाभर व बिजनौर का एक मुख्य आश्रम था। जैन साहित्य जैसे आवश्यकचूर्णि में हरिद्वार में कनखल (कनकखल ) में पांच सौ जैन तपस्वियों के रहने का उल्लेख है।  बौद्ध धर्म के कई साहित्य में बिजनौर व हरिद्वार क्षेत्र का  ( विश्लेषण से अनुमानित ) वर्णन है।  
 बौद्ध व जैन मत का प्रभाव समाज पर पड़ने लगा था।  किन्तु सभी मतों के एक साथ आने से समाज में गहमागहमी भी थी। 


 ** संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज 
घोषाल , स्टडीज इन इंडियन हिस्ट्री ऐंड कल्चर 
आर के पुर्थि , द एपिक सिवलीजिसन 
अग्रवाल , पाणिनि कालीन भारत
अग्निहोत्री , पंतजलि कालीन भारत 
अष्टाध्यायी 
दत्त व बाजपेइ  , उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म का विकास 
महाभारत 
विभिन्न बौद्ध साहित्य 
जोशी , खस फेमिली लौ
भरत सिंह उपाध्याय , बुद्धकालीन भारतीय भूगोल 
रेज डेविड्स , बुद्धिष्ट इंडिया 
विभिन जैन साहित्य (डा डबराल की पुस्तक अनुसार ) 

Copyright@
 Bhishma Kukreti  Mumbai, India 1/4/2015 
   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -

      Ancient History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;   AncientHistory of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;  Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;    History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bijnor;  Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    AncientHistory of Saharanpur;  Ancient  History of Nakur , Saharanpur;  Ancient   History of Deoband, Saharanpur; Ancient  Ancient History of Badhsharbaugh , Saharanpur;Ancient Saharanpur History, Ancient Bijnor History;
कनखल , हरिद्वार का इतिहास ; तेलपुरा , हरिद्वार का इतिहास ; सकरौदा ,  हरिद्वार का इतिहास ; भगवानपुर , हरिद्वार का इतिहास ;रुड़की ,हरिद्वार का इतिहास ; झाब्रेरा हरिद्वार का इतिहास ; मंगलौर हरिद्वार का इतिहास ;लक्सर हरिद्वार का इतिहास ;सुल्तानपुर ,हरिद्वार का इतिहास ;पाथरी , हरिद्वार का इतिहास ; बहदराबाद , हरिद्वार का इतिहास ; लंढौर , हरिद्वार का इतिहास ;बिजनौर इतिहास; नगीना ,  बिजनौर इतिहास; नजीबाबाद , नूरपुर , बिजनौर इतिहास;सहारनपुर इतिहास 

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments