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Monday, March 23, 2015

हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में अतिमानव

Extraordinary Humans of Mahabharata Kulind Kingdom (history Haridwar, Bijnor, Saharanpur) 

                               हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर   इतिहास संदर्भ में अतिमानव 
       
                      History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  Part  -- 82

                                  

                     हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  82                                      


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती  

           महाभारत में कुलिंद राज्य के कई अतिमानव जातियों का भी उल्ल्ख है।  गंगाघाटी (हरिद्वार सहित ) में निम्न जातियां थीं 
१- गन्धर्व 
२-किन्नर 
३-यक्ष 
४-क्रोधवश राक्षस 
५-घटोत्कच की सेना 
६-रौद्र व मैत्र राक्षस 
७- सुपर्ण , नाग , यक्ष , किन्नर 
इनकी संख्या दस लाख से अधिक उल्लेखित है। 
गंगाद्वार (बिजनौर हरिद्वार आदि ) में नाग वंशी अतिमानव रहते थे।  वे जल तैराकी में अतिकुशल थे।  अर्जुन ने नागकन्या उलिपि से शादी भी की थी। 
इन अतिमानवो में कई प्रकार के गन थे।  कई अतिमानव मानवभक्षी थे। इन्हे विकराल मानव भी कहा गया है। 

                बस्तियां 

कुलिंद जनपद को गढ़वाल , कुमाऊं , हरिद्वार , हिमाचल और कुछ भाग सहारनपुर  जाता है। 
महाभारतीय कुलिंद राज्य में निम्न बस्तियां थे -
१- गाँव - महाभारत में गाँवों के नाम तो नही उल्लेख हैं किन्तु वर्णन है
२- नगर - हरिद्वार , सहारनपुर के नजदीक 'एकचक्रा' शहर का वर्णन है जिसे आज का देहरादून का शहर चकरौता माना जाता है।  अतः कहा जा सकता है कि 'हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर में भी नगर 'एकचक्रा के अनुसार ही रहे होंगे।
३- तीर्थ - गंगा  (सभी गढ़वाल कुमाऊं , हिमाचल की नदियां ) किनारे कई तीर्थ थे।  हरिद्वार तो महाभारत में तीर्थ माना जाता  था।
४- आश्रम -गंगाद्वार , भाभर के कण्वाश्रम , भृगुश्रृंगी (उदयपुर पट्टी , पौड़ी गढ़वाल , हरिद्वार के निकट ) तो इस भाग के आश्रम थे। 
 आवास  की दृष्टि से दो मुख्य निवासी थे
१-  स्थिर वासी
२- अस्थिरवासी या पशुचालक
इसके अतिरिक्त तीसरि  निवासी थे -
जख्म रात तखम बसेरा - जहां रात वहीं बसेरा याने घुमन्तु
भाभर , हरिद्वार , बिजनौर व सहारनपुर में जहां जल सुलभ था वहीं वस्तियाँ थी। गंगाद्वार (हरिद्वार ) में नागजाति के निवासी थे।
गाँव व नगरों में मकान लकड़ी व मिटटी पत्थर के बनते थे।
 ** संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज 
घोषाल , स्टडीज इन इंडियन हिस्ट्री ऐंड कल्चर 
आर के पुर्थि , द एपिक सिवलीजिसन 
Copyright@
 Bhishma Kukreti  Mumbai, India  19/3/2015 
   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -

     

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