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Wednesday, March 18, 2015

हरिद्वार, बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में कुलिंद जनपद की नदियां

Rivers of Kulind Kingdom in context History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  
                                   हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर   इतिहास संदर्भ में कुलिंद जनपद की नदियां                                  

                                       History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  Part  -- 80

                                  

                     हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  80                                      


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती  
   साक्ष्य नही मिलता है कि महाभारतीय कुलिंद जनपद में बिजनौर व हरिद्वार क्षेत्र थे।  हाँ सहारनपुर क्षेत्र अवश्य ही कुरु राज्य में रहा होगा।  
यह भी सत्य है कि कुलिंद राज्य मध्य हिमालय अथवा गढ़वाल -कुमाऊं में था या सारे उत्तराखंड को कुलिंद कहा गया है।  चूँकि महाभारत व ने साहित्य में कुलिंद का वर्णन अधिक है तो यह अंदाज लगाया जा सकता है कि हरिद्वार , बिजनौर व सहारनपुर के परिपेक्ष में कुलिंद एक पसिद्ध व धनी राज्य रहा होगा।  हरिद्वार , बिजनौर व सहारनपुर पड़ोसी राज्य होंगे तो भी बहुत से बातें कुलिंद व इन स्थानो में एकी जैसी रही होंगी या कुलिंद के सापेक्ष से अंदाज लगाया जा सकता है कि हरिद्वार , बिजनौर व सहारनपुरकी क्या स्थिति रही होगी। 
                         कुलिंद राज्य की नदियां 
यमुना - इसे गंगा की सात धाराओं में से एक माना गया है। आज भी यमुना सहारनपुर की प्रमुख नदी है जिसमे हिण्डोन , सलोनी नदी मिलती हैं।  
गंगा - गंगा को  जान्हवी , भगीरथी , मंदाकिनी , अलकनंदा नाम से पुकारा गया है।  गंगा की सात धाराओं में गंगा , यमुना , सरस्वती , रथस्था (रामगंगा ) सरयू , गोमती , गण्डकी आती हैं।  हरिद्वार में गंगा आती है और इसे गंगाद्वार कहा गया है  कनखल का जिक्र महाभारत में आत है।  आज भी बिजनौर में रामगंगा बहती है 
        बिजनौर संदर्भ में मालिनी नदी का महाभारत में वर्णन है।  ज्ञातव्य हो कि मालिनी गढ़वाल के चंडाखाल से निकलकर गढ़वाल भाभर होते बिजनौर भाभर होते हुए शुक्रताल के पास गंगा से मिल जाती है।  कण्वाश्रम वर्णन से गढ़वाल भाभर ही नही हरिद्वार , बिजनौर सहारनपुर भाभर -तराई भाग का ऐतिहासिक अंदाज लगाया जा सकता है। 


 ** संदर्भ - ---
वैदिक इंडेक्स
डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य
मजूमदार , पुसलकर , वैदिक एज 
घोषाल , स्टडीज इन इंडियन हिस्ट्री ऐंड कल्चर 
आर के पुर्थि , द एपिक सिवलीजिसन 
Copyright@
 Bhishma Kukreti  Mumbai, India 16  /3/2015 
   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -

    
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