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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, March 23, 2015

अवश्य पढ़ें ! बंद कमरा (उन्ना देसी भाषाक नाटक )

बंद कमरा 

                            (उन्ना देसी भाषाक नाटक )
                          
                        अनुवाद - भीष्म कुकरेती 

                       चरित्र 
 नौकर
गजेन्द्र उर्फ़ गज्जु 
कामिनी 
मेनका  
(एक कमरा मा यु नाटक मंचित हूंद। कमरा की सजावट फ्रेंच सेकंड ऐम्पायर की च )
गज्जु  (नौकर  का साथ कमरा मा प्रवेश करद अर कमराक जायजा लींद। ) अच्छा तो हम इख छंवां हैं ?
नौकर  - जी मिस्टर गज्जू । 
गज्जु  -हाँ तो यु कमरा इन लगद हैं ?
नौकर - जी। 
गज्जु  -सेकंड ऐम्पायर फर्नीचर ! भलो भलो , पर इन कमराक अभ्यस्त हूणम समय लगद ।  
नौकर  -कुछ ह्वे जांदन , कुछ नि हूंदन।  
गज्जु  -सब कमरा ए कमरा जन इ छन ?
नौकर  - इन कन ह्वे सकद ? हम सब्युं  कुण इंतजाम करदां। चीनी क्या अर क्या भारतीय ! चीनी अर भारतीयों कुण सेकंड ऐम्पायर फर्निचरौ क्या काम ?
गज्जु  -अर मेकुण बि के कामक च ? पता च ना मि कु छौं ? … ओह इथगा बड़ी बात नी च।  सच्च बतौं  त मि तैं ऊँ फर्निचरूँ बीच रौणै आदत पड़ गे जौं तैं मि पसंद नि करदु अर झूठी शान का बीच। अर धीरे पसंद बि ऐ गे छे। झूटी शान फिलिप्स लुइस कु डडाइनिंग रूम मा -पता च कैं शैलीक च ? हालांकि वै मा कुछ मतबल बि च। पर सही बोलूं तो बेकार मादे बेकार। 
नौकर -अब तुम पैल्या कु तरां  सेकंड एम्पाइयर वळ कमरा मा रौणो बि मतलब च
गज्जु  -अच्छा ?  … हाँ हाँ मि हिम्मत से बोल सकुद  … मीन आसा नि कौर छौ   कि -यि !पता च ना कि पृथ्वी लोक मा क्या क्या बुले जांद। 
नौकर - केक विषय मा ?
गज्जु  -ये घौ  … घौरक विषय मा।   
नौकर -असल मा , आप ऊँ कपोल कल्पित कथाओं पर विश्वास इ कनकैक करदा ? अरे जौन  कबि इख खुट नि धार वु इखक बारा मा विश्वास से बतांदन।  हाँ यदि उ इख आंद , तो बात -
गज्जु  -हाँ ये बात च , अच्छा , मि पुछणु छौं कि त्रास दीण वळ हथियार कख छन ?
नौकर - क्या कख ? क्या ?
गज्जु  -अरे  लाल चचकार ,गर्म लोहा की सीक सरिया, आग मा चढ़ाईं तेलाकि  कढ़ाई, मतलब यंत्रणा दीणो साजो सामान ?
जरा वीं जगाक बार मा सोच जु तुमन नरक का वास्ता चुन। क्या या जगा साधारण अर रूढ़िवादी लगदि ? जन सार्त्रे कु ड्रवाइंग रूम , या यु दांतेक त्रासदारी साहित्यिक सामान  से सुसज्जित च ? क्या इथगा सुंदर कमरा मा मन मानल कि यु नरक च ? क्या नारकीय भौतिक वातावरण मा मन तैं शान्ति मिल सकिद ?
नौकर -हो हो , यु छुट मुट मजाक  इ  ह्वाल।  
गज्जु  -छुट मुट मजाक ? नै नै मि मजाक मसखरी नि करणु छौ। मीन द्याख कि ईख क्वी शीशा नी च। खिड़की नदारद। आशा करे जै सक्यांद।  इक कुछ बि टुटण लैक नी च। भंगुल जाम जावो यूँ पर पर  या क्या बदतमीजी च कि म्यार दांतुन नी च !
नौकर - भला भला ! अबि तक आप अपण वै से भैर नि ऐंया - वु क्या बुल्दन वांकुण ? हाँ मानवीय अहम।  म्यार मुस्कराण तैं माफ़ कर्याँ। 
गज्जु  -जरा नम्रता से व्यवहार कर। मीन अपण पद समझि याल , पर मि बर्दास्त नि -
नौकर -क्षमा जी ! म्यार अपमान करणो विचार नी च। पर हरेक मेहमान यु इ सवाल पुछुद। क्षमा कर्याँ बेवकूफी वल सवाल। हरेकाक सवाल हूंद कि त्रास भवन कख च ? सबसे पैल सबि ये  इ सवाल करदन। क्वी बि बाथरूम का बार मा चिंता नि दिखांद। अर जब ऊँ तैं होश आंद तब टूथपेस्ट यांद अर क्या क्या याद नि आंद धौं ! भगवानौ वास्ता ! मिस्टर गार्सिन ! अपण दिमाग त लगाओ त सै?  दांतु ब्रश कु क्वी महत्व च ?
गज्जु  -हां ! सही बुलणु छे। अर किलै हम आईना मा अपण मुखड़ा दिखदां ?पर चिमनी क मथि  पीतल का काम ! या दूसरी बात च। म्यार हिसाब से समय इन बि आल कि जब मि कुछ दिखुल। कुछ टक लगैक  दिखुल .... सूण म्यार मतबल क्या च ? ठीक च , अब बात तै समजण जरुरी च। मि विश्वास दिलांदु कि मि अपण पद या प्रतिष्ठा का बार मा सचेत छौं। बतौँ कि मि तैं क्या लगद ? एक डुबद आदिम तब तक भक्कु , डुबणो अनुभव तब तक इ अनुभव कर सकुद जब तलक वैक आँख पाणि से भैर ह्वावन। अर वु इख क्या द्याखल  ? एक हिंसक पीतल की कलाकृति   … राक्षसी कृति , जंगली कृति क्या च कलाकार का नाम बारबेड़िनी।  दुःस्वप्न ! या च ऊंक सोच ! त्वे तैं मथि बटें आदेश होलु कि उत्तर नि दीण; अर जबाबौ बान दबाब बि नि डळुल।  पर इन नि भूल कि मी पर इथगा सुचणो -समजणो तागत छैं च कि म्यार दगड़ क्या वर्ताव ह्वाल  … नरक मा । त इन घमंड मा नि रौ कि तीन मेरी दुखती रग पकड़ आलि। मि यथास्थिति समजणु छौं , ना टूथब्रश , ना पलंग।  यांक युइ  मतलब च कि क्वी से बि नि सकद ?
नौकर - जी यै बात च। 
गज्जु  -जन कि आसा छै। आदिम तैं किलै सीण चयेंद हैं ? एक अळगस घर कर जांदि , कंदूडू पर कुतगळि हूंद , अर यी त अनुभव हूंद कि आँख बुज्याणा छन   - पर सीण किलै च ? आदिम सोफ़ा मा पड़द , - कुछि देर मा , नींद आदिम तैं दूर ली जांदी , भौत,  मीलों दूर।  फिर आँख मरोड़ो अर बिजि जावो , अर फिर वीं इकि बात दुहराओ।   
नौकर - आप रूमानी मनिख छंवां 
गज्जु  - जरा चुप रौ ,  … मीन पैलि बथै याल कि मि क्वी बखेड़ा नि करलु जांसे पछतावा हो , इन नि हो कि मेपर इल्जाम लग जावो। मीन त सै बात बोलि अर तू बुलणु छै बल मि रोमांटिक मनिख छौं। अब मि मुद्दा पर आंदु -यदि कै तैं निंद नी आणि त निंदक बान चिंता किलै ? यु विचारणीय च,  है न ? जरा एक मिनट हाँ , कुछ  अड़चन च ; अस्वीकार्य अड़चन। हाँ पर अब , क्यांक अस्वीकृति  ? .... औ , इख त बगैर आराम की जिंदगी होलि। क्या नरक की परिभाषा च - बगैर विराम या अवकास बगैर  अति की  बहुतायत ? हम विभिन्नता , अनुशासन , स्व अनुशासन , संतुलन , अवकास आदि बातों तैं  अति की गर्मी तैं दूर करणो साधन मणदां त क्या यी इख अति एक सभ्यता च ? 
नौकर - तुम केक बारा मा बात करणा छंवां ?
गज्जु  -त्यार आंखुं चेप याने पलकुं बारा मा बुलणु छौं। हम अपर चेप उब -उंद करदां। जन कि काळो शटर जु तौळ आंद त एक अड़चन पैदा करद एक पर्दा करद।  चेप बंद हूण से सब काळु ह्वे जाँद ; अर आंखुं मा नमी ऐ जांदी। तू नि जाणि सकदि कि चेप झपकाण कथगा  आराम  अर तरोताजा लांद ।  एक घंटा मा चार हजार दैं छुटु सि आराम। एक घंटा मा चार हजार दैं छुटु सि आराम -- जरा सोच !  …तो या च असली बात। अब मीन  आंखुं चेप बगैर रौण। लाटो जन स्वांग नि कौर , तेरी समज मा मेरि सब बात आणि च। पलक ना तो नींद बि ना; यै च यांक मतबल हैं ना ? अब मीन फिर से कबि नि सीण।  पर फिर - मि अपणु इ दगुड़ तैं  कनकै सहन करलु ? जरा समजणै कोशिस कौर। पता च , मि तै चिरड़ाणो आदत च, या मेरी दुसरि प्रवृति च -- अर मि अफु तैं बि चिरड़ाणो आदि छौं। तू बोलि सकिद कि अफु तै अफिक तंग करण; पर मि अच्छी  तरां से नि चिरडै सकुद।   पर मि  बगैर विराम कु हर समय वै काम थुका  कर सकुद।  तौळ रात हूंदी छे।  मि सींदु छौ। अच्छी रात हूंदी छे। मतबल म्यार खयाल से इनाम का रूप मा। अर खुसमिजाज सुपिन। उख हरियाली छे मतबल पुंगड़ । साधारण पुंगड़। मि उख घुमणो जांद छौ    … क्या अबि दिन च ?
नौकर -दिख्याणु नी च ?  लाइट ऑन च।
गज्जु  -औ ! हाँ समझ मा ऐ ग्याइ। यु तुमर दिनौ बगत च। अर भैर ?
नौकर - भैर ?
गज्जु -तू समजणि त छे कि म्यार बुलणो मतबल क्या च।  चारदीवारी से भैर ?
नौकर -उख रस्ता च। 
गज्जु  -अर रस्ता का अंत मा ? 
नौकर - फिर कमरा छन , रस्ता छन अर सीढ़ी। 
गज्जु  -अर वांसे भैर क्या च ?
नौकर -बस स्युइ च। 
गज्जु  -हाँ पर हफ्ता मा तेरी छुटि त हूंदी इ ह्वेलि। छुटिक दिन तू कख जांदि ?
नौकर - अपर काकाक इख।  उ तिसर मंजिल मा रौंद। 
गज्जु  -मि तैं अफिक सोची लीण चयेंद छौ।  अच्छा लाइट स्विच कख छन ?
नौकर -इन कुछ नी च। 
गज्जु  -क्या ? तो लाइट कनकै बुजाण ?
नौकर - जरूरत पड़ण पर प्रबंधक इ करंट बंद कर सकदन।  पर मि तैं याद नी च कि ये कमराकी लाइट बुजि हो।  हमम बिजलिक कमी नी च। 
गज्जु  -त मतबल इख हर समय आँख खोलिक इ जीण  पोड़ल ?
नौकर -तुमन ब्वाल जीण पोड़ल ? जीण ?
गज्जु  -शब्दुं जाळक पचड़ा मा नि पड़न चयेंद। हर समय आँख खोलिक।  हमेशा , हर समय। हर समय म्यार आँखूं मा उज्यळ- अर म्यार दिमाग मा बि। अच्छा यदि मि मेंटलपीसक पीतल उठैक लैम्प मा धोळि द्यूं तो  - लैम्प नि बुजल ?
नौकर - मेन्टलपीस नि उठै सकदा तुम। 
गज्जु  -हाँ तू सही छे।  मेन्टलपीस भौत भारी च। 
नौकर - ठीक च , अब आप तैं मेरी जरूरत नी च।  अब मि जांद छौ। 
गज्जु  -क्या ? तू जाणु छे ? रुक ! क्या वा घंटी च ?मतलब मि जब घंटी बजौल तो तू अवश्य ऐली ?
नौकर - हाँ ! बुलणो त घंटी इ च। पर तारुं मा कुछ गड़बड़ी च।  त हमेशा घंटी बजद नी च।  कबि , कबि ना। 
गज्जु  -नै या तो काम करणी च। 
नौकर -हाँ पर यदि मि तुमर जगा होलु त घंटी पर भरवस नि करलु। अच्छा जी अब मि तैं जाणी पोड़ल। 
गज्जु  -क्वी बात नी च।  अच्छा यी क्या च ?
नौकर - देख ल्यावो ? स्यु पेपरकटर च ।  
गज्जु  -इक किताब बि छन ? 
नौकर -ना। 
गज्जु  -त फिर यांक क्या फायदा ? अच्छा ठीक च , तू जा। 
( गज्जु  अकेला च वु पितळो सजौटी सामान का पास जांद।  वै पर जोर की थाप मारद।  उ बैठद च; फिर खड़ु हूंद ;घंटिक पास जांद बटन दबांद।  घंटी बटें आवाज नि आंदी।  द्वी तीन दफै पर्यटन करूद , कुछ नि हूंद। उ दरवाजा खुलणो कोशिस करद पर क्वी सफलता नि मिल्दि।  वु नौकर तैं भट्यान्दु कुछ फरक नि पड़द। वु दरवज खटखटांदु पर क्वी फरक नि पड़द।  आवाज दींदु , पैल झल्लैक फिर उ शांत ह्वेक  बैठ जांद। तबि द्र्वज खुल्द  अर इनेज कु प्रवेश हूंद अर वींक पैथर नौकर आंदु  । 
नौकर - जी आपन भट्याइ ?
गज्जु  (वु हाँ बुलण चाँद पर मेनका तैं देखिक )-ना , 
नौकर -मैडम ! यु तुमर कमरा च।  बकै सबि इकजनि प्रश्न पुछदन।  जन कि टूथब्रश , घंटी , लाइट, मेन्टलपीस  आदि तो श्रीमान जी आप तैं सब बतै द्याल । यांसे पैल हमर बात ह्वे गे छे। 
(नौकर भैर जांद )
मेनका -फ्लोरेंस कख च ? सुणणु नि छे ? हाँ हाँ मि त्वे तैं पुछणु छौं। फ्लोरेंस कख च ?
गज्जु  -मि तैं नी पता। 
मेनका -औ तो नरक ये प्रकार से काम करद हैं ? बिगलाण से , कै तै अलगाव  से त्रास दीण। म्यार तो क्या च में पर फरक नि पड़दो ,  कखि बि रौँ ।  फ्लोरेंस एक तंग करण वळि छे।  मि तै वींक कमि से फरक नि पड़न। 
गज्जु  -हैं ! तू मि तैं समजणि क्या छे ?
मेनका -त्रास दीण वाळ जल्लाद और क्या !
गज्जु  -यु बढ़िया मजाक च! हैं ! मि अर त्रास दीणेर जल्लाद ! त तू भितर ऐ , तीन मी पर नजर मारि अर ------स्वाच कि मि तरास दीण वळ जल्लाद छौं या स्टाफ छौं -- या वैकि मूर्खता च।  वै तैं परिचय करण चयेंद छौ। वास्तव मा यु इ उत्पीड़न च।  मि जोसेफ गार्सिन छौं ! एक पत्रकार। अर हम एकि रस्ता का बटोही छंवां।  आप मिसेज   …  ?  
मेनका -मिसेज ना ! मि अणबिवा छौं अबि। 
गज्जु  -चलो शुरुवात त ह्वे गे। क्या मि त्रास दीण वळु जल्लाद दिख्यांदु ? अर बतादि कि त्रास दीण वळौ  असली पछ्याणक क्या च ? साफ़ पता लगणु च त्रास दीन्देरो बारा मा त्वेम जानकारी च। 
इनेज -उ  डर्याँ  हूंदन। 
गज्जु  -डर्याँ  हूंदन ? बड़ो बेवकूफी वळ उत्तर ! त्रास दीण वळ बि कै से डर्याँ रौंदन ? शिकारी  अपर शिकार से डरदन ? 
मेनका -छवाड़ो न हंसी बात ! मि जाणदु छौं कि मि क्या बुलणु छौं। मि रोज आईना मा अपण मुखड़ि दिखुद छौ। 
गज्जु  -ऐना मा ? जानवर कहींके ! यून सब चीज हटै देन अर ऐना जन बि। मि विश्वास दिलांदु कि मि डर्युं नि छौं। इलै ना कि मि अपण पद तैं गंभीरता से नि लींदु ; मि बात की गंभीरता समजदु छौं। पर मि डर्युं नि  छौं।
मेनका -वु जाणि ! अच्छा इन बतादि हर समय इकि चिपक्युं रौंदी या कखि घुमण -उमणो बि जांदी ?
गज्जु  -द्वार बंद  छन। 
मेनका -भौत बुरी बात। 
गज्जु  -हाँ में तैं देखिक खीज या ऊब लगणी त ह्वेलि।  अर सै बोलुं त   … मि तै अकेलापन  पसंद च।  मि अपण जिंदगी तैं ढर्रा पर लाणो बान सुचण चाणु छौ अर यु तबि ह्वे सकद जब आत्मविवेचना हो। पर ठीक च निभै ल्योला। मि ज्यादा बातूनी नि छौं अर ज्यादा रौंत्या -गौन्त्या याने घुम्मकड़ बि ना। मि एक तरां से शांतिप्रिय छौं। मेरी एक सलाह च बल हम तैं एक दुसर का प्रति नम्र रौण चयेंद। यांसे स्थिति ठीक ठाक रालि।
मेनका -पर मि विनम्र नि छौं। 
गज्जु  -ओहो तो मि तैं दुयुंक तरफ़ से  विनम्र रौण पोड़ल। 
मेनका -त्यार मुख !
गज्जु  -क्या ?
मेनका-तू अपण मुख तैं स्थिर नि रख सकदि ? हर समय हिलाणु  रौंद।  बड़ा भद्दु लगद। 
गज्जु  -हैं ! मि तैं पता नि छौ। 
मेनका -मीन यी अभियोग त लगै छौ। तू विनम्रता की बात करदि , अर अपर मुखुं भाव तैं संयत बि नि कर सकदि। याद रख तू अकेला नि छे। अपण डौर तैं में पर निरोपित करणो तीम क्वी अधिकार नी च। 
गज्जु  -अपण हाल बोल ! क्या तू डरीं नि छे ?
मेनका -क्या फैदा ? डर त्रास से पैलि  ठीक लगद  याने जब आस हो। जब आस नि  .... 
गज्जु  -हाँ ठीक च भौत आस नी च।  पर अबि निरासा से पैलाकि स्थिति च।  अबि त्रास शुरू नि ह्वे। 
मेनका -हाँ या बात त छैं च। क्या हूण वाळ होलु ?
गज्जु  -मि तैं नी पता।  मि बि जग्वाळ मा छौं।  (इस्टेली कु नौकर का साथ प्रवेश। वा गार्सिन तैं दिखदि जैक हाथ से मुख छुप्युं  च। )
कामिनी- नहीं ! मथिन नि देख ! मि तैं पता च कि हतुं पैथर क्या लुकाणु छै।  मि तैं पता च त्यार मुक नी बच्युं च। क्या ! पर  मि त्वै तैं नि जाणदु  !

गज्जु  -मि जल्लाद नि छौं , मि पीड़ा दिंदेर नि छौं। 
कामिनी  - ना ना मि त्वै तैं वु नि समजणु छौ - - मीन समज क्वी म्यार दगड़ भयंकर मजाक करणु च। (नौकर से ) क्वी हौर बि आणु च ?
नौकर - ना  मेम ! हौर क्वी नी आणु च।
कामिनी - (हँसिक ) औ तो हम तिनि छंवां इख, यी सज्जन या भद्र महिला अर मि (हंसदि )। 
गज्जु  -इकम हंसण लैक बात कुछ नी च ?
कामिनी -अरे यी सोफ़ा नि छन।  बड़ा भद्दा छन। द्याखदि जरा कै हिसाब से धर्यां छन। बड़ा बोरिंग -उबाऊ। मि तैं नया साल की याद ऐ गे। जब मि अपण बोरिंग -उबाऊ बूढी फुफूक इक जांद छौ , फूफुक नाम मेरी छौ। वींक ड्यारम बि इनि भद्दा सोफ़ा छा।  म्यार हिसाब से हरेकाकुण इकै सोफ़ा च। वु म्यार च ? पर म से आसा नि कर्याँ कि मि उखमा बैठुल।   मि तैं धुंधलु नीलु रंग पसंद च अर यु त चमकीलो हौरु रंग क च। 
मेनका - तो म्यार सोफाक बारा मा क्या ख़याल च ?
कामिनी -त्यार मतलब वै  गैरु लाल रंगक सोफ़ा से मतलब च ? भौत भौत धन्यवाद , पर मि तैं नि लगद क्वी फायदा होलु। जु मिलणु च वैपर इ खुस हूण मा इ फैदा च। मि होरु सोफ़ा ही लेलु। अर हाँ तै सज्जन पुरुषक जरा चुभाण वाळ च।
मेनका - मिस्टर गज्जू  ! सूणो !
गज्जु  -औ - सोफ़ा ? तो मैडम ! म्यार ले लो। 
कामिनी - धन्यवाद , रण द्यावो।  अब हमन दगड़ी रौण।  तो परिचय ह्वे जावो। म्यार नाम चरिगौल्ट ,  इस्टेली रिगौल्ट।
मेनका - इनेज सिरेनो. मीलिक खुसी ह्वे। 
गज्जु  - जोसेफ गार्सिन 
नौकर - अब मेरी जरूरत च ?
कामिनी - ना ना तू जा।  जब जरूरत ह्वेलि  त मि घंटी बजै द्योलु। 
मेनका - तू भौत सुंदर छे।  काश हम्म स्वागतौ बान फूल हुँदा।  मेहमान का स्वागत फूलों से ! 
कामिनी - फूल ? मि तैं फूल पसंद छन। बस यि इख जल्दी मुर्झै जांदन। है ना ? औ ! महत्वपूर्ण बात या च कि हम प्रसन्न रौंवाँ , ठीक बुलणु छौं ना मि ? अवश्य सहमत ह्वेलि ? हाँ  तू त खुस --
मेनका - हाँ पिछ्ला हफ्ता -
कामिनी - मि त अबि - नयो नयो। ब्याळि।  दिखे जावो तो अबि श्मशानौ कर्मकांड पूर बि नि ह्वेन। मेरि बैणि दुप्पट्टा हवा से उड़णु च। वा रुणै भौत कोशिस करणी च।  ह्यां !  जरा जोर लगा , और कोसिस कौर ! हाँ अब ठीक च। द्वी आंसू , द्वी हीरा जन आंसु काळ दुप्पटा पैथर बगणा छन। हाँ आज सुबेर ओल्गान मेरी बैणि तैं सम्बाल।  ओल्गा मेरी बैणि हथ पकड़िक संबाळणि च। वा नी रुणि च , दोष वींक नी च ,आँसु मुखक मेकप बिगाड़ दींदन।  है ना ? ओल्गा मेरी दंतकटी सहेली च। 
मेनका - तीन भौत दुःख भ्वाग ?
कामिनी  - न भै ! मि त तकरीबन अर्धचेतन अवस्था मा इ रौं। 
मेनका - क्या ह्वे छौ ?
कामिनी -न्यूमोनिया ! अब त सब खतम।  सि देखि लेदि , सब श्मशान गृह से भैर आणा छन। भीड़ छै च हाँ ! म्यार पति त दुखक मारो घौर पर इ राइ।  बिचारो ! त्वे क्या ह्वे छौ ?
मेनका - गैस स्टोव से। जळिक।    
कामिनी - अर मिस्टर गज्जु  ?
गज्जु  -बारा गोळी सीधा छाती पर। मि तैं लगद मि मर्यां लोगुं बीच मा ठीक नी लगुद। 
कामिनी - नै नै तन नि बोल।  जपाट भाषा ठीक नी च। जिकुड़ी जळाण वाळ शब्द। खैर यांन  कुछ फरक बि पड़न वाळ नी च।  मि तैं लगद कि हम अब ज्यादा इ जीवंत छंवां।   मेरि समज मा हम तै अफु तैं मर्युं नि बुलं चयेंद अपितु -------'अनुपस्थित 'बुलण चयेंद। तू  --- कथगा समय बटें  अनुपस्थित छे ?
गज्जु  - एक मैना बिटेन।  
कामिनी - कखक छे ?
गज्जु  -रियो कु। 
कामिनी - मि पेरिस की छौं।  उख क्वी च बि कि ना  ?
गज्जु  - हाँ , मेरी पत्नी च। वा बिचारी बैरेकक द्वार पर प्रतीक्षा करणी च। वा उख रोज आदि। पर वु वीं तैं भितर नि आण दींदन। अब वा छड़ों बीच बिटेन भितर दिखणै कोसिस करदि।  वीं तैं पता नी च कि मि 'अनुपस्थित ' छौं।  पर  वीं तैं शक तो छैं च कि .... अब वा वापस जाणि च।  वींक काळु ड्रेस पैर्युं च।  ठीक च कपड़ा बदलणै जरूरत बि नि पोड़लि।. वा रुणि नी च।  उनि बि वा कबि नि रवै। यु एक घाम वळ दिन च।   इन लगणु च जन काळी छाया खाली गळी मा  घसीटेकी सरकणि हो धौं। शहीदी मुख पर -वींक बड़ी बड़ी करुणामयी आँखि। वींन म्यार नाक मा दम कर्यूं च। 
मेनका - कामिनी  !
कामिनी -मिस्टर गार्सिन ! कृपया !
गज्जु  - क्या ह्वै ?
कामिनी  - तू म्यार सोफ़ा मा बैठ्युं छे ?
गज्जु  -क्या ?
कामिनी - तू सुदूर दिखणु छौ ---- सॉरी मीन डिस्टर्ब कार। 
गज्जु  - मि अपण जिंदगी  सेट करणो कोशिस मा लग्युं छौ। तुमन हंसण  च पर तुम बि जिंदगी नियमित कर ल्यावो। 
मेनका  - जरूरत नी च। मेरि जिंदगी बिलकुल नियमित च। मीन ठीक से दुरस्त करी च। तो मि तैं चिंता करणै आवश्यकता नी च। 
गज्जु  - अच्छा ? मतबल तू इथगा सरल समजणी छे हैं। ओहो भौत गरम च इख।  आप बुरु त नि मानिल्या यदि मि अपण -
कामिनी - हैं ? तेरी इथगा हिम्मत कनकै ह्वे ? ना ना प्लीज ! मि तैं बगैर सुलारौ  मरद पसंद नि छन। घृणा हूंद। 
गज्जु  - क्या कौरु ! मि जब अखबारौ दफ्तरम रात काम करदु छौ , दफ्तर क्या एक बड़ो अन्ध्यरु काळो दुंळ छौ त कोट -पैंट टांगिक या पैट अळकरिक   काम करदा छ। भट्टी जन गरम।  अबि त रात ह्वेलि। 
कामिनी -हाँ।  ओल्गा नंगी हूणि च त मतबल अधा रात ह्वेइ गे ह्वेलि। पृथ्वी मा समय कन जल्दी जल्दी कटद हैं !
मेनका - हाँ अधा रातम तौन म्यार कमरा सील कर याल। चुकापट अंध्यरु अर खाली। 
गज्जु  - उख न्यूजपेपर औफिस मा मर्दुन अपण कोट टाँगी यालिन , कीमजक बौंळ बिटै यालीन।  भौत गर्म हूंद। उख सिगरेटों धुंवा अर उफ़। 
कामिनी - ये मामला मा मेरि रूचि अलग च। यु प्रमाणित ह्वे गे।  त्वे तैं बौंळ बिटयाँ मरद पसंद छन ?
मेनका - मि मरदुं बारा मा जादा सुचद बि नि छौं। 
कामिनी - मेरी समज मा नि आई कि यूंन हम तिन्युं तैं एक जगा किलै रख। क्वी तुक   नि बैठद। 
मेनका - क्या ब्वाल ?
कामिनी - हाँ हम तीन अर इख ! मि त अपण यार दोस्त अर सगा संबंदियुं आस मा छौ। 
मेनका - त्यार सुंदर दोस्त , जैक मुख पर छेड़ च। 
इस्टेली - हाँ वी बि।  माउथऑर्गन बढ़िया बजांद छौ  … पर यूंन किलै हम तिन्युं तैं दगड़ि राख?
गज्जु  - बस बाई चांस और कुछ ना। बस पहले आवो वल आधार पर। तू किलै हंसणी छे ?
मेनका - त्यार बाइ चांस वळ सोच पर।  बगैर बजह का नि होलु। 
कामिनी - आश्चर्य हूणु च।  यांसे बढ़िया हम तौळ पािल ज़िंदा मा मिल जांद तो।  
मेनका - हाँ मीन त त्वै तेँ नि भुलण छौ। 
कामिनी - ह्वै सकद च हमर क्वी समान दोस्त बि ह्वाल ? डुबिअस सेमोर्स तैं क्वी जाणद च ?
मेनका - ना 
कामिनी - पर बड़ आदिम छ पार्टी करद।  लोग उंक घर जांदन। 
मेनका - मि त नि जाणदु। मि त पोस्ट ऑफिस मा कलर्क छौ। 
कामिनी - औ , हाँ    … मिस्टर गार्सिन ?
गज्जु  - न  ना  .... मि त रिओ मा रौंद छौ। 
कामिनी -हाँ हमर पछ्याणक वाल सामूहिक दोस्त बि नि छौ। त यांक मतबल च कि हम संयोग से ही इक कट्ठा हुवाँ। 
मेनका - संयोग से ? त जन कमराकी सजौट हुईं च वु  बि संयोग से हुयुं च ? क्या या दुर्घटना बस ह्वे कि दैण हथक सोफ़ा चकाचक नील च , अर बैं वळ लाल च ? अकस्मात ? जरा सोफ़ा हटावो ना कि अंतर पता चल जाल।  अर मेन्टलपीस मा व मूर्ति , क्या इन बि अकस्मात इ च ? अर ये कमराकि गर्मी बि संयोग च क्या ?  ये विषय मा हम तैं लाण से पैल खूब विचार ह्वे होलु। हरेक बारीकी पर सुनियोजित विचार करे गए। कुछ बि अकस्मात नि ह्वे। 
कामिनी - हाँ , हरेक चीज भद्दी छन।  कोणाकार वस्तु असुविधाजनक छन। मि हमेशा से कोणीय या तीखा किनारा वल चीजुं तैं नापसंद करदु। 
मेनका - तो त्यार बुलण च कि मि सेकंड ऐम्पायर वळ कमरौं मा रौंद ?
कामिनी - मतलब हम तैं सोचि समजिक इक लये गे?
मेनका - बिलकुल हाँ ! तिन्युं तैं जाणि बुजिक इक रखे गे। 
कामिनी - तो त्यार म्यार समिण विरोधी दिशा मा बैठण बि अकस्मात नी च? पर यांक पैथर क्या विचार ह्वाल ?
मेनका -मि तैं हैंक सवाल पूछ। मि तैं लगणु च वू कुछ हूणै आसा मा छन ?
कामिनी- मि कबि बि कैक आसा अनुसार काम नि करद।  हमेशा उल्टां इ मि करूद। 
मेनका - त कौर।  बस जरा उंक आसा क उल्टां करिक दिखादि।  अर त्वै तैं पता बि नि वू क्या आसा करणा छन। 
कामिनी - यु अत्यधिक अन्यायपूर्ण च। मतबल तुमन म्यार दगड़ कुछ बिघन करण। कुछ निरपट लगण वाळ च। मि मुख देखिक बोलि सकुद कि कु क्या करण वाळ च। त्यार विश्वसनीय चेहरा नि च। 
गार्सिन -सूणो।  हम इख एकदगड़ी किलै छंवां ? तीन इथगा  अंदाज त दियाल , अब जरा तू लगादि अंदाज। 
मेनका -मि कुछ नि जणदु।  जन तुम अनभिज्ञ छंवां तन मी बि अनभिज्ञ। छौं 
गार्सिन - हम तैं लगाण चयेंद। 
मेनका -यदि हमम,  हरेकम सत्य बुलणौ  साहस हो तो -
गज्जु  - क्या बुलणो ?
मेनका - इस्टेली ?
कामिनी -हाँ ?
मेनका - तीन क्या कार ? ति तैं इख किलै भ्याज ?
कामिनी - बस इनि।  मि तैं कुछ बि नी पता, जरा बि अंदाज नी च । मि तैं लगणु  च कि कुछ गलती ह्वे गे।  रोज उख बिटेन हजारों की संख्या मा लोग अनुपस्थित हून्दन। फिर इखक नौकर लोग छंटनी करदा ह्वाला।  कथगा इ मूर्ख  नौकर हूंदन जौं तैं पता इ नी च कौंतैं छंट्यांण।   यूंसे भयंकर गल्ति हूण लाजमी च।  म्यार मतलब समजी गेवां ना ? मुस्कराण कौर।   … तू किलै नि बुलणि छे ? तू बि बोल कि जन म्यार मामला मा गलती ह्वे उनि त्यार मामला मा कुछ गलती ह्वे गे। अर त्वी बि।  हम इन किलै नि सुचदां कि इख गलती से लाये गेवां ? हैं ?
मेनका-बस यी बुलणाइ ?
 इस्टेली - अब क्या बथौं ? मीम लुकाणो कुण कुछ नी च। म्यार ब्वे -बाब बचपन मा इ मोर गे छा।   अर मीम म्यार भुलाक जुमेवारी बि छे। हमर हालत कंगाल छे।  फिर कैन एक बुड्या दगड़ शादी करणो राय दे। बुड्या म्यार बुबाकि उम्र से बि बडु छौ।  पर म्यार भाई बड़ो कोमल सुभौ  कु छौ अर बुड्या करोड़पति त छौइ। पर छै साल तक हमन सुखी वैवाहिक जीवन बताऐ।  फिर द्वी साल पैल एक युवा से मुलाक़ात ह्वे।  आँख मिल्दा इ हम तैं लग कि हमर जोड़ी मथि बटे बणी च।  वैन भागणो ब्वाल पर मीन ना बोलि दे। फिर न्यूमोनिया ह्वे अर मि इख छौं। ठीक च मीन  अफुसे तिगुण  उमरक बुड्या दगड़ शादी कार , मीन अपण जवानी स्वहा कार।  पर मैं नि लगद कै बि हिसाबन यु क्वी पाप च। क्या यु पाप च ?
गज्जु  - बिलकुल नही।  अच्छा एक बात बतावो क्या अपण सिद्धांत का साथ खड़ रौण क्वी गुनाह च ?
कामिनी - कदापि नही।  क्वी बि इन आदिम पर अभियोग नि लगे सकुद। 
गज्जु  - अच्छा सूण ! मि एक युद्धविरोधी समाचार पत्र निकाळदु छौ। फिर युद्ध छिड़ गे।  मि क्या करदु।  लोग दिखण चाणा छा कि 'अब स्यु क्या कारल ? क्या हिम्मत दिखालु ?' ।मीन हिम्मत दिखाइ।  म्यार हथ बंधे गेन अर मी पर गोळी मारे गे।  मीन क्या क्वी गलत  कार ? मतलब इखम पाप कख च ?
कामिनी - गलत ? नही उल्टां।  तुम तो -
मेनका - एक हीरो ! अर मिस्टर गार्सिन ! तेरी घरवळि क बारा मा ?
 गज्जु - भौत सरल।  मीन वीं तैं   … मीन वीं तैं गटर से निकाळ। 
कामिनी -देख ! देख ! सूण याल ! 
मेनका -हाँ देख याल ! सूणो ! अब नाटक करणो क्या मतबल ? किलै एक दूसरौ आंख्युं मा धूळ छुड़ना छंवां हम ? हम सब्युंक मुख काळु। च
कामिनी -तेरी या हिम्मत !
मेनका - हम सब अपराधी छंवां- हत्यारा - तिन्याक तिनि। प्यारो ! हम नरक मा छंवां। ऊ लोक गलती नि करदन अर मनुष्य  बेकार मा दुर्भाग्यशाली नि हूंद।
कामिनी -भगवान का वास्ता बकबास बंद कौर 
मेनका - नरक माँ ! अभागी आत्माएं -उ हम छंवां , हम तिनि !
कामिनी -मुख बंद कर ! बंद कर !
मेनका -अच्छा , अच्छा ! अब मेरि समज मा ऐ गे कि ऊंन हम तैं दगड़ी किलै राख। 
गज्जु  - देख हाँ ! बुलण से पैल द्वी दैं सोच समज ले हाँ कि तू क्या बुलणि छे। 
मेनका - रुको ! अब चितैल्या बल यु बड़ो सरल च समजण।  बच्चा बि समाज जालु। हाँ इख भौतिक रूप से क्वी त्रास दायक चीज वस्तु नि छन -मि सै बुलणु छौं  ना ? है ना ? फिर बि हम सब नरक मा छंवां। अर अब क्वी हौर आण वळ बि नी च। हमन येइ कमरा मा रौण , हम तिन्युंन दगड़ि रौण अर सद्यनि कुण   … मतलब इख , एक औपचारिक त्रासदायक चीज अनुपस्थित च। 
गज्जु  - हूँ मि तैं अंदाज च। 
इनेज  -म्यार दिखण से इख कर्मियों याने कामगतियूँ कमी च -यातना दायी जल्लादी  कर्मियों की कमी - आर्थिक डावांडोल - कुछ बि कारण ह्वे सकदन जन अचकाल होटलुं मा या ब्यौ काजुं मा  स्वयं सेवा -
कामिनी -क्या मतबल ?
मेनका-मतलब या च कि हम मादे एक तैं हौर दुयुंकुंण  यातनादायी बणन। 
गज्जु - , नहीं।  मीन त्वे तैं यातना नि दीण।  ना है तुम दुयुं मादे कै कुण बि यातना दिंदेर बणन। म्यार तुम से क्वी लीण दीण नी च त मीन तुमतैं क्वी नुक्सान नि पौंछाण । तो समस्या समाधान या च कि हम अपण अपण जगा मा बैठ जाँदां अर कै हैक से क्वी मतलब नि रखवां। तू तख , वा वख अर मि इख बस। जन सिपाइ अपण अपण चौकी मा। अर हम तैं आपस मा बात बि नि करण चयेंद।  सब चुपचाप। हमम अपणी दगड बात करणो भौत च।  मि दस हजार साल तक अफु मा लीन रै सकुद।
कामिनी -मि तैं बि चुप रौण पोड़ल ?
गज्जु  - हाँ। ये तरह से हम सद्गति पै सकदां। अपण अंदर दिखण बस अर मुंड नि उठाण कि कु क्या करणु च।  ठीक च ना ? स्वीकार ?
मेनका -स्वीकार। 
कामिनी -स्वीकार।
गज्जु  - नमस्ते !
(इनेज गाणा गान्दि , इस्टेली अपण मुख  पाउडर लगान्दि , लिपस्टिक लगान्दि , अर अपण बैग से कुछ खुज्यान्दि , फिर गार्सिन से )
कामिनी -एक्सक्यूज मी।  तीम ऐना होलु , छुटु सि हि सैइ।   (गार्सिन चुप रौंद ) अबचळयौ रौ पर आईना दे दे। 
मेनका -चिंता नि कौर।  मीम छैं च।  (बैग टटोळदि ) ओहो नी च।  गेट पर यूंन निकाळ दे होलु।    
कामिनी -कथगा तकलीफदेय च  !   ( इस्टेली आँख बंद करदि , वीं तैं रिंग लगदि  बुल्यां वा भीम पड़ण वाळी हो। इनेज दौड़िक जान्दि अर वीं तैं थमदि )
मेनका -क्या बात च ?
कामिनी -बड़ो अजीब लगणु च। त्यार दगड़ कबि इन ह्वे च ? मि अफ तै नि देखु त मैं लगद मि छैं इ नि छौं। अफु तै भरवस दीणो तरीका च अपर सूरत दिखण। पर -
मेनका - तू भाग्यशाली छे।  मि त अपण मन मा अपण प्रति - सचेत हूंद। दुखदायी चेतना !
कामिनी-औ तू अपण इ मन मा।  पर जू बि मा आंद वु सब धुंधलो धुँधलो हि हूंद।  मि तैं त निंद ऐ जान्दि।  मीन त अपण बैडरूम मा छै आइना लगायाँ छन। वु उखि छन। मि तौं तैं देख सकुद।  पर सि मि तैं नि देख सकदन। ऐना मा कार्पेट , टेबल , ड्रेसिंगौ सामान सब दिखे जांद- पर अब सब बेकार अब आईना मा मेरी छवि नी च। जब मि कैक दगड बात करदु छौ तो मि इन जगा मा बैठुद छौ कि मि अफु तैं देख सकुं। मि अफु तैं बचळयांद दिखुद छौ। ऐना मा देखिक मि अफु तैं खुद चेतावनी दीणु   रौंद छौ कि म्यार लिपस्टिक कन च , बाळ कना फैल्यां छन , क्वा लट कन लटकणि च।  ये ब्वे मेरी लिपस्टिक ! मि बगैर लिपिस्टक  नि रै सकुद ,  घड़ी भर  बि ना।
मेनका - जु मि त्यार ऐना बण जौं त ? आ म्यार पास ऐजा।  इखम बैठ , सोफ़ा मा जगा च। 
कामिनी -पर (गार्सिन की तरफ इशारा ) -
मेनका - वै तैं नि गौण। 
कामिनी -पर  दुसर तै पीड़ा द्योल्या तो --- तीन इ बोल छौ कि -
मेनका -  त्वै तैं मि कष्ट दिंदेर लगद ?
कामिनी -कुछ नि बुले सक्यांद।
मेनका -ज्यादा याइ उम्मीद च कि तू मि तै कष्ट द्येली।  पर क्या फरक पड़दु? यदि मै तैं  चोट बि पौंछल तो त्यार कुंगुळ , बिगरैल्या हतुं से चोट पौंचल। जरा नजिक आ।  नजिक।  अब म्यार आँख्यु मा देख।  कुछ दिखेणु च ? 
कामिनी -हाँ मि तक छौं ! पर मि इथगा छुटि छौं कि  ठीक से दिखणम नी आणु च।
मेनका -पर मि देख सकुद।  इकै इंच दिख्याणु च। अब  कर।  मि स्पष्ट जबाब द्योलु, जन आईना दींद । 
कामिनी -मिस्टर गार्सिन ! हमर बात सूणिक  बोर त नि हूणि छे ना ?
मेनका -वैक बारा मा चिंता नी कौर।  हमकुण वु गणत मा छैं इ नी च।   … सवाल कौर।
कामिनी -म्यार ऊँठ ठीक छन ?
मेनका -कुछ धब्बा -धब्बा अर दागदार सि छन।
कामिनी - जन मि चिताणु छौ। अच्चु ह्वे कैन नि द्याख। मि  फिर से करदु।
मेनका -हाँ अब पैल से ठीक छन। अब जरा ऊंठुं लाइन पर ध्यान दे।  रुक मि तेरि अंगुळि  त्यार ऊंठुं पर फिरांदु। हाँ इकम ,  ठीक।  बिलकुल ठीक ठाक।
कामिनी -ऊनि ना जन मि इक ऐ छौ। 
मेनका - भौत बढ़िया।  भोंडा।  इन मा त त्यार मुख कुछ क्रूर लगणु च। 
कामिनी -तू शालीन छे ! अर तू बुलणि छे कि त्वै तैं पसंद च! यु पागल बणणो बात च।  मि अफु तैं नि देख सकुद। मिस सेरानो ! त्वै तैं विश्वास च ना कि अब ठीक च ?
मेनका - इनेज नि बोलि सकदि ?
कामिनी -पक्को ना कि ठीक छन ?
मेनका - इस्टेली ! तू प्यारी छे। 
कामिनी -पर मि तेरी रूचि पर कनै विश्वास कर ल्यूं ? क्या तेरी अर मेरि रूचि इकजनि च ? भौत बुरु हाल छन मीन त पागल ह्वे जाण।
मेनका -हाँ मेरी रूचि तेरी जन च , किलैकि मि तीतै पसंद करदु। म्यार तरफ देख।  सीधा।  अब मुस्करा।  मी बि क्वी बदशक्ल नि छौं। क्या मि त्यार ऐना से बढ़िया नि छौं ?
कामिनी -पता नी। आईना बणिक तू  डरांदि छे। मेरी छायान  मि तैं कबि नि डराइ।  इन लगद जन मीन आईना तैं अपण बश मा कर याल छौ  … मि मुस्कराण वळ छौं अर या मुस्करात तेरी आंख्युं मा धंस जाली , अर पता नी फिर क्या होलु धौं।
मेनका -मि तैं बि बश मा कर ले। सूण मि तैं इनेज नाम से भट्या। हम तैं गहरा दोस्त बणन चयेंद।
कामिनी -मि सरलता से लड़क्यूं दग्द दोस्ती नि कर सकुद। इस्टेली -
मेनका -मतबल पोस्टल कलर्को दगड दोस्ती नि करण ? अरे इ क्या ? अरे ! त्यार गल्वड़ पर लाल ---हाँ लाल फुंसी?  मुहाँसा ?
कामिनी -मुंहांसा ? छिः ! कखम ?
मेनका -तख। तू कबि आईना दगड खेल बि त खिल्दी होली ना ? मि त्यार खेल आइना बि छौं। ना तक क्वी मुँहासा नी च। त यांक क्या अर्थ च ? माना कि ऐना झूट बुलण मिसे जाव तो ? या माना कि मि अपण आँख बंद कर द्यूं जन तैक कर्याँ छन   -- अर त्वै तैं देखवां इ ना त तेरी सुंदरता तो सुखो कुंवां मा डूबि जालि। ना डर ना। मि त्यार मुख से अपण आँख नि घुमौलु। मि तयार दगड़ ठीक रौलू , हमेशा।   हाँ त्वै तैं बि म्यार दगड़ ठीक रौण पोड़ल।
कामिनी -अच्छा तू म्यार तरफ आकर्षित छे ?
मेनका - हाँ बिलकुल। 
कामिनी -कास ! स्यु आकर्षित हूंद।
मेनका - आकर्षित च किलैकि वु मरद च।  ये वींक तरफ देख।  इन नि बोल हाँ कि तीन हमर बात नि सूण ह्वेलि। 
गज्जु  - बिलकुल ! एक बि शब्द ना।  मीन अपण कंदू डू मा अंगुळि  जि कुचिं च, पर तुमरि आवाज म्यार बर्मंड फुंडणि छे। बेकारका छुंयाळ !  मि तैं शान्ति से रौण द्या , तुम द्वी। मि तैं ते से क्वी चाहत नी च।  क्वी दिलचस्पी नी च। 
मेनका -मिमा  ना सै - पर इं बच्ची का बारा मा क्या ख़याल च ? क्या तेरी दिलचस्पी यीं मा नी च ? मीन त्यार खेल देख आल , समजी आल। वीं पर प्रभाव डाळणो बाण तू मर्दाना रूप से ठसठस लगणु छे। 
गज्जु  - मि तैं शान्ति मा रण द्याओ।  उख ऑफिसम म्यार बाराम कुछ लोग छ्वीं लगाणा छन। मि तैं सुणन द्याओ कि वु क्या बुलणा छन। अर तेरी खुसी का वास्ता मि बोलि द्यूं कि  मैकुण  तैं बच्चीक  क्वी उपयोग नी च।   
कामिनी -धन्यवाद। 
गज्जु  - मीन कठोरता पूर्वक नि ब्वाल हाँ !
कामिनी -नीच !
गज्जु  - अब देख ले।  मीन पैलि बोल छौ कि बात नि कारो। 
कामिनी -वींक गलती च; वींन इ शुरू कार । मीन त कुछ बि नि मांग छौ , स्याइ आइ म्यार ऐना बणनो।
इनेज - हूँ त तू इन बुलणि छे। पर हर बकत तू इन हरकत करणी छै कि वु आकर्षित ह्वे जाव।
कामिनी -ठीक ! पर मी तैं किलै नि करण चयेंद ?
गज्जु  - तुम पागल छंवां ! दुयाक द्वी।  दिखणा नि छंवां बल हम इन मा कख जाणा छंवां ? खुदा ! हाँ दया का वास्ता ! बैठ जावो , अब चुप राओ , फर्स की तरफ द्याखो अर हरेक भूल जावो कि क्वी हैंक बि इख च। 
इनेज -दुसर तैं भूल जौंवाँ ? क्या बेवकूफी च ! मि त्वै तैं अपण हरेक छिद्र मा अनुभव करणु छौं। तेरी हरेक चुप्पी म्यार कंदुड़ुम  भारी आवाज करदि।   तू अपण मुख सील सकदी , जीब काटि सकदि .... पर तू अपण अस्तित्व नि मिटै सकुद । क्या तू अपण विचार बंद कर सकदि ? मि त्यार विचारुं तैं इनि सुणद जन बुल्यां घड़ी की सुई टक टक करणी हो। मि तैं विश्वास च कि तू म्यार विचार बि चिताणी रौंदि। हाँ ठीक च कि तू अपण सोफ़ा मा धँस्युं छे पर वास्तव मा तू हर जगा छे। हरेक ध्वनि मीमा मटमैली  ह्वेक आंद, किलैकि तीन ध्वनि रोक जि च। 
किलै , इख तलक कि तीन मेरि  मुखड़ि बि चुरै आल; तू जाण दु छे पर मि नि जाणदु। अर इस्टेली का बारा मा क्या च ? तीन वींतैं मीमांगन चुरै आल।. यदि मि अर इस्टेली ही इख हूंदा तो क्या इस्टेली म्यार दगड़ इन ब्यौवार करदि ? न, मुख से अपण हाथ हठा , मीन त्वै तैं शांति से नि रण दीण - अर यु त्वै तैं भलु बि लगल। तू बैठिक योगी का रूप मा ध्यानमग्न ह्वे जैली तो फिर बि यदि वा मि तैं नी बि दिख्यालि तो बि मेरि  हड्डी वीं तैं अनुभव करणा छया    ---वींक फिराकक सरसर मि अनुभव कर सकुद ,अर हाँ त्यार लाभ का वास्ता मि बोलि दयूँकि वा त्वे पर मुस्कराट फेंकणी छे  , तीन नि द्याख  …खैर वै मामला मा  म्यार क्वी मतलब नी च, पर मि अपर नरक कु चुनाव करण  चांदु , मीन त्यार आँखूं से  आँख मिलाण अर हिसाब किताब करण। 
गज्जु  - जन करणयाइ स्यु कौर। मै लगद इन हूण इ छौ; वु जणदा छा कि वु क्या करणा छन , अर हम सरल प्यादा छंवां। यदि मि तैं मरदों बीच रखदा तो मरद चुप रै स्कदं।  पर असंभव की चाहत ही ठीक नी च। तो ठीक च. मि अब त्वे पर फ़िदा ह्वे ग्यों (वु इस्टेली तैं छेड़दु )।  इन लगद तू मि तैं दिखणि छे ?  
कामिनी -मि तैं टच नि कर  हाँ।
गज्जु  - किलै ना ? हमर व्यवहार प्राकृतिक हूण चयेंद  ....  पता च औरतुं मामला मा पागल छौ ? अर कुछ तो म्यार पैथर बि पागल छया। तो नाटक बंद कारो।  क्वी नुक्सान नि हूण। नम्रता , शालीनता मा समय बरबाद किलै करे जावु ? हमर अलावा इक क्वी नी च।  तो चलो नंग धड़ंग ह्वे जाँदां  --जन्मजाति बच्चा की गाणी मा।  
कामिनी -मि तै छोड़।
गज्जु  - नंग धड़ंग ! मीन पैलि बोलि याल छौ। मीन थोड़ा सा इ मांग छौ बस - शान्ति अर शांति।  मीन  कानुं पुटक अंगुळि  डाळी आल छौ।  गोमेज कमरा  का  बीच फवारा जन फुटणु छौ ,  प्रेसमैन सुणना छया अर सब्युंक  बौंळ  बिटयां छया।  मीन सुणनो  कोशिस कार पर तुमर चकच्याट मा  नि सुण्या। पृथ्वी मा समय जल्दी बदल्द।  तुम अपण जीबुं पर ताळु नि  लगै   सकद छा क्या ? अब सब बंद ह्वे गे।  वैन बुलण बंद कर याल। अर जु वैन म्यार बाराम सुचद वु  वैकि  दिमाग मा च। खैर अब त हम सब  … नंग धड़ंग जन जनम जात  बच्चा। जथगा जल्दी तथ्गा भलु।  अच्छा बताओ म्यार जोड़ीदार को च।
मेनका - तू जाणदि इ छे।  इखमा पुछणै बात नी च। 
गज्जु  - गलत।  अबि हमन अपण पत्ता नि खोलिन कि कैन क्या कार कि इख आण पोड़। चल यंग लेडी तू इ शुरू कौर। किलै ? बोल कि यी तीतै किलै लैन ? यदि तू सच बुलली हम तैं आपदा से बचै देलि।  चल शुरू कौर। किलै ?
कामिनी -बुलण क्या च।  मि तैं क्वी विचार इ नी सुजणु  च।  तौन बताण नी च। 
गज्जु  - त बात या च। ऊंन मि तै बि नि बताण।  पर म्यार समज मा एक विचार आणु च। तू बुलण मा शर्माणि छे ना ? त मि शुरू करदु  -मि सम्मानीय पुरुष नि छौं। 
मेनका -बताणै जरूरत बि नी च। हम तै पता च च धोखेबाज छे। 
गज्जु  -हूण दे।  यू बस थोड़ा सि  बस। मि इक इलै छौ कि मीन अपण घरवळि तै पीड़ा दे , उत्पीड़न। बस।  पांच साल तक। हाँ व अबि तक दुःख सहणि च। अरे स्या च वा : जनि मीन वींक बारा मा ब्वाल वा दिखेण मिसे  गे। गोमेज का बारा मा सुचणु छौं , ले स्याच वा। गोमेज पांच साल तक कख छौ ? वुख। ऊंन वीं तैं म्यार चीज बस्तर दे आलिन; वा सब चीज लेकि खिड़की पास बैठीं च।  वींक घुण्डुं मा म्यार चौदा छेड़ वळ कोट पड्यूं च। खून बैंगनी जंक , हरेक छेद पर खून की एक पपड़ी। यु कोट इतिहास का म्यूजियम लैक च जु इतिहासकारुं तै डराल। अर मि ये तैं पैरदु छौ -मजे से। स्या एक आँसु बि नि बगै सकदि ! शायद अन्तमा ,  एक आंसू त टपकैलि तू ? ना ? त्वे से नि ह्वे सकण ?  … देर रात मि नशा मा धुत्त , शराब की बदबू अर  जनानी लेक आंद छौ। वा म्यार बान खड़ी रौंदि छे। पर वा कबि ना त रोइ च अर ना इ वींन विरोध मा क्वी शब्द ब्वाल। खाली वींक आँख बुल्दा छा। बड़ी दुखी आँखि ! मि तैं क्वी पश्चाताप नी च। मि तैं कीमत चुकाण पोड़ल , पर मि तै शिकायत नी   … बर्फ पड़नि च। मेरी प्यारी घरवाली !क्या तू रोली ना ? अजीब व्यक्तित्व ! वा औरत जनजात इ शहीद पैदा ह्वे छे , पता च , कर्म से बि वा पीड़ित  छे। 
मेनका -तीन वीं तैं इन त्रास किलै दे  ?
गज्जु  -भौत सरल छौ।  एक शब्द इ से वा घबरै  जांदि  छे। बड़ी कोमल छे वा छुईमुई जन। पर कबि कुजबाब ना।  मि तैं तडफाण -तंग करणम मजा आंद। मीन द्याख अर प्रतीक्षा कार।  पर क्वी आंसू ना, क्वी विरोध ना । अब वा कोट झाड़नी च। वींक आँख बंद छन अर वींक अंगुळि  गोळी का दुंळ अनुभव करणा छन। तू क्या आशा करदि ? क्वी अफ़सोस ? ना। सच्चाई या च कि वा म्यार सम्मान करदि छे, अधिक ही प्यार करदि छे । क्वी मतलब ?
मेनका -ना।  में से क्वी प्यार नि करदु छौ , क्वी आदर नि दींदु छौ।
गज्जु  - त्यार दगड़ इनि हूण छौ।  अब जरा रामकथा अगनै सूण।  मि एक छुटि जातिक लड़की तैं रौणै अपड दगड़ लौं।  मेरी घरवळि मथिन रौंदि छे अर हम द्वी मुड़िन।  मेरि घरवळि तै  सुबेर जल्दी उठणै आदत छे अर हम द्वी देर तक सियां रौंद छा ।  मेरि घरवळि हम दुयुं तैं रोज सुबेरक काफी पिलांदि छे।  
मेनका -पशु कहींका ! क्रूर !
गज्जु   - हाँ हाँ क्रूर ही सै पर शालीन क्रूर।  (वैक नजर दूर दिखदन ) हैं ! स्यु गोमेज ! ना म्यार बाराम कुछ नी बुलणु च। हाँ    … तू क्या बुलणि छैइ    … क्रूर पशु ! अवश्य।  निथर मीन इख किलै आण छौ ? अब तेरी बारी। 
मेनका - मी पर लानत फिंकदा छ लोग अर कुत्ती बुल्दा छ।  खैर लानत तो अबि बि। त म्यार इक हूण मा खौंळेणे बात नी च। 
गज्जु  - यी बुलणै ?
मेनका - ना।  फ्लोरेंस का साथ संबंध छौ। एक मुर्दा आदिमैक कथा। तीन मुर्दों की,  वास्तव मा। वु म्यार कजिन छौ।  वैकी  से शुरुवात तो ह्वे गए। वा अर मि , तीन। सब ऐ गेन हैं। मि तै चिंता नी च।  बस ऊ रूम।  ल्या अब मि देख सक्णु छौं। अब खाली अर ताळ लगि गए  … ना ना ताळ खोली याल।  अब ' किराए के लिए उपलब्ध है ' कु साइन पट्टी  लग गे।  बडु अजीब बेकार   ।
गज्जु न - तीन बोल बल तीन मृत्युएँ ?
मेनका - तीन। 
गज्जु  - एक मरद अर द्वी औरत ?
मेनका - हाँ। 
गज्जु  - अच्छा , अच्छा। क्या वैन आत्महत्त्या कार ?
मेनका - ना , ना वैमा इथगा हिम्मत इ नि छै। फिर बि यांकुण कारण तो छैं इ छौ। हमर कारण उ कुत्ता की जिंदगी जीणु छौ। असल मा वु ट्राम का तौळ ऐका   मोर। एक सुदी सूद्यक  अंत। मि उंक दगड़ रौंद छौ।  वु म्यार  कजिन छौ।
गज्जु  - क्या फ्लोरेंस साफ़ आदिम छौ ?
मेनका - साफ़ ? तू जाणदि छे,  मि तैं क्वी अफ़सोस नी च। फिर बि मि तैं तीमा कथा लगाणै रूचि नी च। 
गज्जु  - ठीक च।  मतलब , तू वै से अति परेशान ह्वे गे छे ?
मेनका - हाँ धीरे धीरे। छुटि छुटि बातुं से मि बितके या  उछिंडे   गे छौ। उदाहरण ले लेदि , पींद दैं बड़ी आवाज गांडदु छौ - एक तरां से गड़गड़।  बर्दास्त से भैर। इनि छुटि छुटि बात।  असल माबड़ी शोचनीय दशा छे वैक। भौत इ कमजोर, मार्मिक । तू हंसणि किलै छे ?
गज्जु  -खैर , किलैकि मि कमजोर नि छौं। 
मेनका -इथगा विश्वास ठीक नी च  … मि वींक भितर बैठ गए छौ।  वा दुनिया म्यार आंखुं से दिख्दि  छे। वीन जब वै तैं छवाड़ त मीन वीं तैं सहारा दे। शहर का दुसर किनारा पर हम द्वी छुट सि कमरामा एकि बिस्तर मा सींद छा । 
गज्जु  - फिर ?
मेनका - फिर वु ट्राम तौळ ऐ गे। मि रोज वींतैं याद दिलांदु छौ :" हम दुयुंन वै तैं पिचकैक मार। ".। असलम मि जरा क्रूर छौं। 
गज्जु  - मी बि त क्रूर छौं। 
मेनका - न तू क्रूर न कुछ हौरि छे। 
गज्जु  -क्या ? क्या ?
मेनका - बाद मा बतौल।  मि जब बुल्दु कि मि क्रूर छौं तो मतलब च कि मि तैं तब  तक चैन नि पड़द जब तक मि कै तैं दुःख नि द्यों। एक जळदु क्वीला। कैक दिल पुटुक एक जळदु  क्वीला। जब मि अकेला हूंद तो मि जळणु रौंद। छै मैना तक मि वींक जिकुड़ी तैं लगातार फुकणु रौं   तब तब तक वींक पास रंगुड़ छोड़िक कुछ नि रै।  तो एक  रात वींन अफु पर आग लगै दे अर मि सियुं छौ। अर वा बेड पुटुक घुस गे।  तो अब जाणि गे। 
गज्जु - अच्छा , अच्छा। 
मेनका - हूँ।  त्यार  मन मा क्या च ? 
गज्जु  -कुछ ना।  पर या भली कथा नी च । 
 मेनका -अवश्य। पर क्या फरक पड़द ?
गज्जु  - हाँ जन तीन ब्वाल -क्या फरक पड़द। अब तेरी बारि  च।  बोल तीन क्या कार ?
कामिनी -मीन ब्वाल नी च कि मि तैं खयाल इ नि आणु कि मीन क्या कार कि मि  तैं इ इख लैन।  मीन दिमाग पर भौत जोर दे पर कुछ फायदा नि हूणु।
गज्जु  - ठीक।  हम तेरी सहायता करला।  उ घायल मुखक , कु छौ वु ?   
कामिनी - कु ? - कैक बारा मा ?
मेनका - और कु ! तू जाणदि त छे।  वी, इख आण पर  जै से तू डरीं छे। 
कामिनी -ओ ऊ।   वु म्यार ब्यॉय फ्रेंड ।
गज्जु  -तू वै से किलै डरीं छे ?
कामिनी -मिस्टर गार्सिन ! वु म्यार व्यक्तिगत मामला च।
मेनका - क्या वैन त्यार तरफ से इ  अफु पर गोळि मार ?
कामिनी -नै नै।  क्या बेवकूफी वळि बात करणि छे ।
गज्जु  - तू फिर किलै भयभीत छे ? वैन अपण मुंड पर गोळि चलाई , है ना ? यांसे वैक मुंड फटी गे।
कामिनी -नहीं।  कृपया अब नि सुणाओ। 
गज्जु  - त्यार वजै से।  त्यार इ कारण। 
मेनका -वैन अफु पर त्यार कारण से गोळी मार। 
इस्टेली -मि तैं इखुलि रण द्यावो ! या बि क्वी बात ह्वे  … मि  तैं तंग कारणा छंवां।  मि जाण चाणु छौं , मीन जाणै।
गज्जु  - जै स्कद त जा। मीन क्वी इन बात बि नि पूछ कि। दुर्भाग्यवश द्वार बंद छन।
कामिनी -तुम धुर्या छंवां  दुयाक द्वी। 
मेनका -धुरया वा घृणा लायक ? हाँ सही शब्द। अब मुद्दा पर आ।  जैन अफु तै गोळी  मार , तू वैकि रखैल छे ?
गज्जु  - हाँ भै हाँ ! स्या वैक रखैल छे। अर वु चाँद छौ स्या वै तैं अकेला छोड़ द्या। है ना ? याइ बात च ना ?
इनेज -वु जाज डांसर छौ जन प्रोफेसनल हुँदन। पर वु गरीब छौ जन भिकंगाक ड्यारौ मूस , है ना ?
गज्जु  - क्या वु गरीब छौ ? सीधा जबाब दे। 
कामिनी -हाँ वु गरीब छौ।
गज्जु  - अर तू गरीबी से घृणा करदि छे। एक दिन वु आई अर त्वे से भागणो प्रार्थना करण मिसे गे। अर तू वैक प्रार्थना पर हंसण बिसे गे।
मेनका - हाँ तू वैक मुख पर इ  हंसण लग गे।
कामिनी -क्या तू फ्लोरेंस का समिण इनि मुक मड़कांदी छे ?
मेनका -हाँ।
कामिनी - इन नि ह्वे।  तुम दुयुंक अनुमान गलत च। वु चाँद छौ कि हमर बच्चा हो। या च बात !
गज्जु  - अर त्वे तैं बच्चा नि चयाणु छौ ?
कामिनी -बिलकुल नही। दुर्भाग्यवश , बच्चा ह्वे। मि पांच मैना कुण स्विट्जरलैंड ग्यों। कै तैं कुछ पता नि चौल।  नौनि पैदा ह्वे । जब बच्ची पैदा ह्वे त रोजर  बि दगड़ मा छौ। वै तैं भोत बड़ी खुसी ह्वे।  मि तै कतै  नि ह्वे!  
गागज्जु  - फिर ?
कामिनी -उख बालकोनी बिटेन बिलकुल समिण एक झील दिख्यांदि छे। मि एक बडु पत्थर लौं। बेटी बाँध  … उ बालकोनी से दिखणु छौ। वैक समज मा ऐ गे कि मि क्या करणु छौं।  वु बालकोनी से लॉंफ्याणु छौ अर चिल्लाणु राइ , "इस्टेली ! नहीं , नहीं।  कर " ।   मी    घृणा से ही ना  अधिक गुस्सा मा छौ। वैन सब द्याख।  वैन बि द्याख कि पाणि मा कन गड्ढा ह्वे, भौंर पैदा ह्वे अर कन लहर बणिन -
गज्जु  -हूँ।  फिर ? 
कामिनी -बस ! मि स्विट्जरलैंड बिटेन वापस औं - अर वैन वी कार ज्वा वैक इच्छा छे। 
गज्जु  - मतलब वैन तब अपण मुंड पर गोळी मारि ? 
कामिनी -बेवकूफ छौ वु।  म्यार पति तै कुछ पता नि चौल। तुम लोग गंदा छंवां।
गज्जु  - कुछ बि कौर।  इख आँसु नि आंदन।
कामिनी -मि कायर छौं।  अर तुमसे घृणा करद।
मेनका - बेचारी बच्ची ! तो सुणवाइ खतम।  पर इख लटक्युं जज बणनै जरूरत नी च। 
गज्जु  - लटक्युं जज ? लटका हुआ न्याय ? मि अफु तैं आइना मा दिखण चांदु। ओहो ! कथगा गरम च (कोट उतारदु )। सौरी (फिर से कोट पैरदु )
कामिनी -फिकर नि कौर। तू कमीज मा ऐ सकदि अर बौंळ  बिटै सकद छे।
गज्जु  - ओके।  त्वै तैं मै पर गुस्सा नि हूण चयेंद।
कामिनी -मि त्वै पर नराज नि छौं। 
मेनका - अर मि ? क्या तू मे पर बि गुस्सा छे ?
कामिनी -हाँ।
मेनका - अच्छा, मिस्टर गज्जू , चलो अब हम  हम नंग धड़ंग हुयां छंवां । क्या तू यांसे अधिक कुछ हौर बि समज सकदी ?
गज्जु  -हाँ ! शायद छेड़खानी बढ़िया होलु। मेरी समज से हम तैं एक दुसरैक मदद शुरू करण चयेंद।
मेनका -मि तैं सहायता की जरूरत नी च।
गज्जु  - इनेजा ! ऊंन बड़ी हुस्यारी से हम तैं फँसायुं च -मकड़जाळ जन। यदि तू कुछ बि हरकत कौर , थ्वड़ा सि हथ बि उठैलि त इस्टेली अर मि द्वी  खिंचे जांदा। अकेला क्वी बि  अफु तैं नि बचै सकुद ; हम एक दूसर से जटिलतापूर्वक जुड़्यां छंवां। अब तुमारी अपण इच्छा च।  हे ! त्वे क्या ह्वाइ ?
मेनका - उख। ऊंन कमरा किराया पर उठै याल।  खिड़की पूरी खुलीं, एक आदिम म्यार पलंग मा बैठ्युं च ।  म्यार पलंग , म्यार कमरा मतलब बुलणो कुण म्यार। साला वै कमरा तैं धीरे धीरे अपण बणाणु च। अरे ! अरे ! उख एक स्त्री बि च। वा वैक पास जाणि च  , वीन वैक कंधा मा हाथ धौर आल। उश , अरे सि  ट्यूब लाइट किलै नि जळाणा छन   ? अंध्यर हूणु च। अब  वु भुकि पीण वाळ च , शायद चखुलुं तरां एक हैंकाक दाँत बुकाणा  होला ! पर उ म्यार कमरा च , म्यार पलंग। धुप्प अन्धेरा।  मि तै कुछ नि दिख्याणु च , पर पर हाँ दुयुंक सुस्कारि सुण्याणु च। क्या वु द्वी म्यार पलंग मा ? अहो ! वु क्या बुलणु च - दुफरा च , चिट्टु घाम च ? अरे अरे , मि अंधा हूणु छौं।  पूरा काळ अँध्यारु।  ना मि देख स्कणु छौं , ना हि सुणणु छौं। मै लगद यु पृथ्वी दगड म्यार आखरी सम्पर्क छौ। अब ऊख से क्वी संबंध अर कारण नि रै गे। सब खलास ! मि तैं सब खाली खाली लगणु च, अब अछेकि मेरि  मृत्यु ह्वे गे ।  बस मी अर मी बस अकेली।  गार्सिन ! तू क्या बुलणु छौ - कुछ मदद -सुदद , है ना ?
गज्जु  - हाँ।
मेनका - तू मेरी मदद किलै करण चाणि छे ?
गज्जु  - ऊंक खतरनाक  होसियारी खतम करणो वास्ता।
मेनका - अर बदला मा क्या चांदि , में से ?
गज्जु  - मि तैं मदद कर। मेरी  मदद कर। मि तैं बिंडी ना थ्वड़ा सि मदद चयेंद , कोशिस , इनेजा ! मि तैं मानवीय भावना याने तेरी भावनाओं कु प्रवाह, बहाव  !
मेनका -मानवीय भावना।  यी मेरी तागत से भैराक बात च। मि भावनाओं मामला मा सडिं -गळी चीज छौं।
गज्जु  -अर मी ? मि त निरा पत्थर छौं।
मेनका - कुछ फैदा नी च।  मि खाली छौं। मि ना  दे सकुद ना ले सकुद। मि मदद करुल ? मि त सुक्युं सुरै (कैक्टस पेड़ ) छौं जु जळणो तयार च। फ्लोरेंस सुंदर छौ , प्रकृति अर प्राकृतिक रूप से। 
गज्जु  - पता च त्वै कि यीं नौनिक भाग्य मा त्यार पीड़ादाता बणन लिख्युं च ?
मेनका - सैत , मीन कुछ कुछ अंदाज लगै त आल छौ। 
गज्जु  - ऊंन ईंक द्वारा त्वै तैं पीड़ा या उत्पीड़ा दीण। मि , हाँ , मि कुछ अलग छौं -अकेला।  मीन वीं पर ध्यान नि दे - यदि तू कोशिस कर सकदी तो -
मेनका-हाँ ?
गज्जु  - यु एक फसाणो फंदा च। ऊ त्वै तैं दिखणा छन कि कं तू जाळ मा फंसदि। 
मेनका - जाणदु छौं। तू बि त दुसर फंदा छे। क्या तू समजदि कि ऊँ तैं पूर्वज्ञान नि हो कि तीन क्या क्या बुलण ? अर अवश्य ही भोत सी गुप्त चाल ह्वाल जौं तै हम नि भांपी सकदां। इख हरेक चीज फंदा च , जाळ च। पर मि तैं क्यांक फिकर ? मि बि स्वयं एक फंदा छौं।  अवश्य ही वींकुण। शायद मि वीं तै पकड़लु। 
गज्जु  - तीन कुछ नि पकड़न। हम एक दुसरक पैथर दौड़ना छंवां गोल गोल घ्यारा मा अर जन कोल्हू का बैल रिटद। या यूंक योजना कु भाग च, हाँ  अवश्य  …इनेज ! छोड़ ये तैं। अपर हथ खोल अर सब चीज करे जावो।  अर नथर तीन हम तिन्युं कुण  आपदा लाण। 
मेनका - क्या मि इन स्त्री लगद कि जु कुछ बि हूण दे ? मि जणदु छौं म्यार दगड़ क्या हूण वाळ च। मि जळण वाळ छौं, अर यु सदा का वास्ता। हाँ , मि सब कुछ जाणदु। पर तू समजदि कि मि हूण द्योलु? मि वीं तैं फँसौलु , अर वा त्वे तैं मेरी आँख्यूंन द्याखलि जन फ्लोरेंसन वै आदिम तैं मेरि आंखिन द्याख।  मेरी हमदर्दी जोड़नै कोशिस किलै ? मि विश्वास दिलांदु कि मि सब जाणदु , अर मि अपर बान बि दुःख अनुभव नि कर सकुद। एक फंदा ! क्या मि नि जाणदु  कि  मि गौळ तक जाळ मा फँस्युं छौं अर यांपर कुछ नि करे सक्यांद ? ठीक च यदि  तौंकि नियमावली से मेल खांदी तो ठीक च। 
गज्जु  - हूँ ! अच्छा , मि तैं ते से हमदर्दी च। म्यार तरफ देख ! हम द्वी नंगी छंवां , हर तरह से नंगी कि मि त्यार हृदय देख सकुद छौं ।  यु त्यार अर म्यार मध्य एक जोड़  च। क्या त्वे तैं लगद च कि मि त्वे तैं चोट , ठेस, पीड़ा  पौंचाण चांदु ? मि तैं क्वी अफ़सोस नी च। मि सुखा ही छौं।  पर त्यार बान मि दया अनुभव कर सकुद। 
मेनका -नहीं ! मि दया से चिड़दु छौं। अपर दया , करुणा अफुम ही रख। गार्सिन !  याद रख , त्यार बान बि ये कमरा मा जाळ बिछयां छन। मि त्वे कुण फंदा छौं। तू अपण विषय मा सोच।  यदि तू हम दुयुं तैं मि अर तैं बच्ची तैं शान्ति मा रण देलि त मि त्यार क्वी नुकसान नि करुल। 
गज्जु  -ठीक च। 
कामिनी -गार्सिन ! प्लीज ! 
गज्जु  -क्या चयेणु च ?
कामिनी -खैर , तू मेरी सहायता कर सकदी।
गज्जु  -यदि मदद चयाणी च त वींसे प्रार्थना कौर।
कामिनी -मी त्वे से प्रार्थना करणु छौ। गार्सिन - तीन वादा कौर  छौ, वादा दे छौ कि ना ? मेरी सहायता कौर , जल्दी। मि अकेला नि रौण चाँद। ओल्गा वै तैं कैबरे करणो ली गे। 
मेनका -कै तैं ?
कामिनी -पीटर  … ले , सि द्वी दगड़ी डांस बि करणा छन।
मेनका -पीटर क्वा च ?
कामिनी -इतना मूर्ख  लड़का। वु मेकुण अपण ग्लान्सिंग स्ट्रीम, छलछलाती नदी  बुल्दु छौ। वु भयानक तौर से में से प्यार करदु छौ। वींन वै तैं डांस करणो मनै आल। 
मेनका -क्या तू वै से प्यार करदी छे ?
कामिनी -अब वु बैठणा छन। वा व्हेल्क तरां सांस लीणी च। बेवकूफ लड़की ! फिर बि डांस करणो जोर दींदी। मि विश्वास से बोल सकुद कि वा डांस अपण   … कम करणो बान  … ना ना,  मि वै से प्यार नि करदु। वु अबि अठारा कु च, अर मि बच्चा चोर नि छौं। 
मेनका - तो ऊंपर इथगा चिरड़ेणै या जळणै  जरूरत क्या च ? क्या फरक पड़द ?
कामिनी -वु म्यार छौ ।
मेनका -अब पृथ्वी मा त्यार क्वी नी च।
कामिनी -मीन ब्वाल कि वु म्यार छौ । पूरी तरह से म्यार।
मेनका -हाँ वु त्यार छौ - कबि । पर अब - जरा वै तैं छूणै कोशिस करदी , जरा वै तै कुछ सुणादि। ओल्गा वै तैं छू सकदी , जब चा व वैक दगड़ बात कर सकदी। सचाई या च ना ? ओल्गा वै पर चिपक सकदी -
कामिनी -देख ! वा अपण बकळि  मोटि छाती वैक छाती पर कन चिपकाणि च, जोर जोर कैक साँस लीणी च अर अपण सांस वैक मुक पर फेंकणी च ।  पर म्यार  बिचारु चिनखु , क्या तू नि दिखणु छै कि स्या कन बेढंगी च ? तू तैं पर किलै नि हंसणी छे ? यदि मि तैं तौंक समिण जाणो मौक़ा मिल्द त वीन भीम पोड़ जाण छौ। क्या अब म्यार उक कुछ नी बच्युं च ?
मेनका -कुछ बि ना।  त्यार उख अंश मात्र बि नि बच्युं च - छैलु बि ना।  क्या तू तै किताब काटणो चक्कु पसंद करली ? या मेन्टलपीस का जर जवाहारात ? उ नीलु सोफ़ा त्यार च। अर प्यारी ! डार्लिंग ! मै तेरी हूँ सदा के लिए।
इस्टेली -तू मेरी ! ठीक च ! ठीक ! तुम मादे कु मेकुण छलछलाती नदी , झिलमिलाती नदी , पवित्र लड़की बोल सकुद ? तू म्यार बारा मा अधिक इ जाणदि , तू जाणदि छे कि मि सरासर सडीं छौं , सड़ी -गळी - पीटर प्यारा ! जरा म्यार बारा मा सोच , अपण ध्यान म्यार तरफ त घुमा , अर मि तैं बचा। हर समय तू सोचदी छौ ," छलछलाती नदी , झिलमिलाती नदी " , मि इख अधा इ छौं। मि इख केवल अधा बदमाश , बुरी छौं बकै अधा  साफ़ , पवित्र त तौळ त्यार दगड़ च साफ़ जल   …  अहो , जरा वींक मुकौ तरफ त देख , लाल चचकार टमाटर। यु सरासर हास्यास्पद च , तू अर मि वीं पर कथगा दै हौंस होला धौं ! भौत दैं   … अच्छा वु गीत क्या छौ ? हाँ , मेरि बौ सुरीला ! सतपुळि नि जाणा , मेरी बौ सुरीला " … ठीक च नाच ले , नाच ले।  ग्रासिन ! काश ! तू वीं तैं दिखदि त तीन बि हौंसन मर जाण छौ। केवल - वींन कबि नि जणन कि मि वीं तैं दिखणु छौं। हाँ ओल्गा ! मि त्वै तैं दिखणु छौं, अपण बाळुं कारण तु मूर्ख लगणी छे ।  ये ये ! अब तू वैक खुट दबाणी छे अपण खुटन। या चिल्लाहट च। जल्दी  , जल्दी , अरे उ वीं तैं रिंगाणु च , भद्दो लगणु च। पर तीन त बोल छौ बल दुनिया मा मि इ सबसे हळकि छौं , वु म्यार दगड डांस करण पसंद करदु छौ।  वु क्या च ? क्या च ? अच्छा तीन ब्वाल ," बिचारी ओल्गा !" ? इथगा बड़ो धोखेबाज नि बण। तीन एक आँसु बि नि बगाई    … अर वेंक हिम्मत त द्याखो वा वैक दगड़ छ्वीं लगाणी च। वींक हिम्मत तो द्याखो ! व पीटरक  दगड़ म्यार विषय मा बात करणी च? ना , ना , वैमा नि बोल , वैमा नि बोल - सब बात नि बथा - ये मेरी ब्वे तैन सब बथै आल - रॉजर , स्विट्जरलैंड , बच्ची सब्युंक बारा मा। वैन क्या ब्वाल ," इस्टेली इन इथगा त नि छे --". हाँ मि इथगा इन नि छौ।  पर हैं ? वु दुखी त ह्वे च , वैन मुंड त हिलै च , पर वै तै क्वी आश्चर्य कतै नि ह्वे, कै  से क्या आसा करे सक्यांद। ठीक च रख वै तैं -  मि त्यार दगड़ वैक नौनी जन प्यारि सुंदर ,  मुखड़ी, सुंदर आंख्युं का भौंउंक   सौदा बि नि कर सकुद। अब वु सब त्यार छन। 'छलछलाती नदी , झिलमिलाती नदी " सब बौगी गे , सब सुखी गेन।  सब चकनाचूर ! नाच , नाच , नाच।  पर स्टेप उठाणों समय कु ख़याल अवश्य रख , एक द्वी , तीन  …। मेरी इच्छा इख बिटेन उख वैक दगड़ नाचणै हूणि च।  संगीत की आवाज मंद हूणी च , लाइट मंद हूणी च    … प्लीज आवाज बढ़ाओ , लाइट कारो   … हैं ! मि दूर हूणु छौं और दूर , हौर दूर  … मि कुछ बि नि सुणणु छौं।  सब ख़तम , सदा का वास्ता ख़तम। पृथ्वीन मि तैं छोड़ि आल।  मे से दूर नि हो --प्लीज। मि तैं अपर हातुं मा ले। 
मेनका -  गज्जू  , उठा। 
गज्जु  -इनेज , वा तेरी च।
कामिनी - मुख नि मोड़। तू मरद छे , छे ना , अर अवश्य ही मि डरौंण्या नि छौं!  सब बुल्दा छ कि म्यार बाळ प्यारा छन , आखिर एकान म्यार बान अफु पर गोळी मार। त्वे तैं कुछ ना कुछ दिखण इ च अर इख सोफ़ा, मेन्टलपीस , मेन्टलपीस का उप्र जवाहरात अर मेज का अलावा कुछ नी च। मि यूँ भद्दा फर्निचरूँ से त सुंदर छौं इ।  सूण ! मि ऊंक दिल से इन भैर हों जन एक चखुलि बच्ची घोल से तौळ पड़ जांदी। तो मि तैं पकड़ , अपण दिल मा धौर - अर त्वे तैं लग जाल कि मि कथगा मयळि  छौं।
गज्जु  - सूण ! त्वै तैं वीं स्त्री से बात करण चयेंद।
कामिनी -वीं मा ? पर वा  त गणत मा इ नी च, वा स्त्री च । 
मेनका -हूँ ! मि गणत मा नि छौं ? तो तू या सुचदि ? पर मेरी नन्ही मुन्नी  मुनिया ! तू त युगों से म्यार  दिल मा रौंदि , हाँ यू तू नि जाणदि। डौर ना , मि सदा आँख खोलिक तेरी रक्षा करलु , हमेशा। अर तू हमेशा मेरी नजरूं समिण रैलि जन सूरज का समिण सूर्यकिरण। 
कामिनी -सूर्यकिरण ! बकबास नि कौर। तीन पैलि हुस्यारि दिखै आल, अर पता हूण चयेंद कि तेरी ट्रिक नि चौल ।
मेनका - मेरी लहराती नदी , मेरी झिलमिलाती नदी इस्टेली !
कामिनी -तेरी झिलमिलाती नदी ? नखरी चाल। तू क्या समजणि छे कि तू चिकनी -चुपड़ी बथुं से मूर्ख बणै देलि ? मि भितर से पूरो खाली छौं , जू बि च स्यु म्यार भैर च पर यु त्वैकुण नी च। 
मेनका -सूण !  कामिनी । तू जु चाणि सि रौ - छलछलाती नदी , झिलमिलाती नदी , कीच वळि नदी या कुछ बि। मेरी आंख्युं मा देख तू अर जु तू चाणि छे सि देख। 
कामिनी -ह्यां मि तैं चैन से रण दे। तीम आँखि इ नी छन। मि ते से दूर रै सकुद छौं ? मीम एक विचार च (वा गारसिंक मुख पर थूकदि ) ले।
मेनका  -त्वे तैं कीमत चुकाण पोड़ल।
गज्जु  -त असल मा तीतै आदिम चयांद ?
कामिनी -क्वी बि आदिम ना , तू।
गज्जु  - अब चकड़ैति ना।  त्वै तैं आदिम  खुश कर सकुद। चूँकि मि इख छौं तो।  है ना ? पर इन तरां कु आदिम नि छौं। मि जवान मूर्ख युवा नि छौं अर झमेला नाच बि नि नाच सकुद ।
कामिनी -तू जन छे तन इ ठीक च।  सैत च , मि त्वै तैं बदल बि द्यूं।
गज्जु  - मि तैं विश्वास नी च। मीन ध्यान नि दीण।  मीन कुछ चीजुं  बारा मा सुचण। 
कामिनी -क्या चीज ?
गज्जु  - त्यार कामक चीज नि छन।
कामिनी -मि त्यार सोफ़ा मा बैठलु अर प्रतीक्षा करुल। मि विश्वास दिलांद कि मि त्वे तै दिक नि करुल। 
मेनका - हाँ ठीक च। मूरख जन लगा मक्खन।  भीख अर शरम ! अर वैकि नजर मा  प्रशंसा बि नी  च । 
कामिनी -वींक नि सूण।  ना वीं आँख छन ना इ कान।  कुछ बि नी च --वा।
गज्जु  -जु चयेणु च मि दींदु। ज्यादा कुछ ना। मि ते से प्यार नि करुल। मि त्वै तैं बि खूब से जाणदु। 
कामिनी -खैर ! तू मि तैं चांदि छे कि ना ?
गज्जु  -हाँ। 
कामिनी -बस और कुछ नि पुंछण --
गज्जु -ये मामला मा -
मेनका -गार्सिन , इस्टेली ! तुम पागल ह्वे गेवां।  तुम द्वीइ नि छंवां।  मी बि छौं इख। 
गज्जु  - हाँ - पर क्या फरक पड़द ?
मेनका  - मेरि आंख्युं समिण ? तुम इन नि कर सकदां।  
कामिनी -किलै ना ? मि त अपण नौकरानी क समिण नंगी हूंद छौ अर वींक आँख -
मेनका - वीं तैं अकेला रौण दे।  अपण गंदा हाथ वींक पीठ पर नि फेरी हाँ।
गज्जु  - सावधान हाँ ! मि जंगली किस्मौ मनिख छौं। मि औरतुं पर कताई दया नी दिखांदु।
मेनका -पर तीन मै से वादा कौर छौ, वादा कौर छौ । मि खाली वादा निभाणो बुलणु छौं।
गज्जु  -किलै , पैल तीनि वादा त्वाड़? अफु तो तू ?
इनेज - ठीक च ,  जु करणाइ सि कारो।  मि दुयुंक बीच मा अकेला पड़ ग्यों तो मि कमजोर। पर मत भूलो कि मि बि इख छौं अर मि देख सकुद। गार्सिन मीन आँख नि हटाण। गार्सिन जब तू वींक भुकि पेलि त  पता चलल   कि वींक ऊँठ फीका छन। ठीक च जु करणाइ स्यु कारो। हम नरक मा छंवां तो मेरी बि चलल तो फिर तुमर सकिण -पकिण दिखुल। 
गज्जु  - अब। जरा अपण ऊँठ त नजीक लादि। त्यार ऊँठ, हौर नजदीक ! 
कामिनी -हैं ? मीन बोलि  नि छौ  कि वींक नि सूण ?
गज्जु  -तीन गलत समज।  उख गोमेज च। गोमेज प्रेस रूम मा फिर ऐ गे। वूंन खिड़की बंद करीं च। मतलब जड्डू मौसम ऐ  गे। उख छै मैना बीत गेन।  मीन चेतावनी दे  छौ ना कि मि भुल्ल्कड़ छौं।  है ना ? वु कमणा छन -कोट पैर्युं च अर मि ईख गरमाक मारा भरच्याणु छौं। वाह , वु म्यार बारा मा बात करणु च।  
कामिनी -येन देर तक चलण।  तू बता कि उख क्या हूणु च।
गज्जु  - कुछ ना।  उ कुत्ता च साला।  खदुळ कुत्ता।  कुत्ता का बच्चा। चलो अब वापस - यख ऐ जाँदां। क्या तू प्यार का वास्ता तयार छे?
कामिनी -अब ?
गज्जु  - विश्वास करलि कि ना ?
कामिनी -क्या बुड्यों जान बात करणु छे। तू हमेशा मेरी नजरूं समिण रैलि।  अर मि तैं इनेज से किलै डरण , जब तू म्यार दगड़ छे ?
गज्जु  - ओहो , मि कै हैंक विश्वास की बात करणु छौ। बोल , बोल। मि अपण बात नि करणु छौ। त्वे तैं विश्वास दीण पोड़ल।
इस्टेली -ओ ! क्या बकबास करणु छे तू ! मि अपण मुख , ऊँठ , हाथ पूरा शरीर सब कुछ त्वै तैं सौंपणु छौं अर  तू म्यार विश्वास मांगणु छे ! मीन कै तैं कुछ नि दीण , तू मि तैं शर्मिंदा करणी छे। अवश्य ही तेरी चेंतना मा म्यार विश्वास पर अविश्वास बैठ गे।
गज्जु  - ऊंन मै पर गोळी मार।
कामिनी -मि तै पता च।  किलैकि तीन प्रतिरोध  मा लड़ै नि लड़। तीन लड़ै किलै नि लौड़ ?
गज्जु  -मीन - मीन असल मा मना बि नि कौर। मि बोल सकुद बल उ अच्छी तरह से बात करदु छौ, वैन म्यार विरुद्ध काबिल केस बणै पर वैन कबि नि ब्वाल कि मि तैं क्या करण चयेंद छौ। क्या ? मि तैं सेनाध्यक्षक का पास जाण चयेणु छौ अर बुलण चयेंद छौ कि " जनरल , मीन नि लड़न। " ? उ वैबरी मि तैं जेल भेजी दींदा।  पर मि अपण रंग दिखाण चाणु छौ, मि अपण असलियत दिखाण चाणु छौ, मतलब समजी गे ना ? मि नि चांदु छौ कि वु म्यार मुख बंद कारन। इलै मीन -ट्रेन पकड़  … अर ऊंन रस्ता मा टबॉर्डर पर ट्रेन  मा पकड़।
कामिनी -तू कख जाणौ कोशिस करणु छौ ?
गज्जु  -मि मैक्सिको  जाण चाणु छौ।  उख  एक विश्व 'शांति' समर्थन मा एक अखबार निकाळणो विचार छौ। अच्छा तू कुछ ख़ास किलै नि बुलणि छे ?
कामिनी -क्या बुलण ? जब तू लड़न इ नि चाणु छौ त तीन ठीकि कार। परर तू क्या जबाब चांदी में से ?
इनेज -अंदाज नि लगै सकदी ? वू चांदु कि तू वैकुण शेर क्या बब्बर शेर बोल ! वैन शेर बणणो बाण लड़ै नि लड़।
गज्जु  -शेर बणणो बाण लड़ै नि लड़ ! हम तैं शब्दुं  बान लड़ै नी लड़न चयेंद।
इस्टेली -हाँ पर त्वे तैं भागण चयेंद छौ।  उख रैक तो ऊंन जेल इ डाळन छौ,  है ना ? 
गज्जु  - हाँ , क्या मि कायर छौं ?
इस्टेली -मि क्या बोल सकुद ? में से इतना आस ? मि तेरी जगा मा हूंद तो मि क्या करदु ? इथगा कल्पना मि नि कर सकुद। तू अपर बारा मा अफिक निर्णय ले।
गज्जु  -मेरी समजम कुछ नि आणु च।
कामिनी -हाँ पर त्वे तैं कारण पता हूण चयेंद कि तू किलै अर क्या करणु छे।
मेनका - मि तैं पता च।
कामिनी -अच्छा ?
गज्जु  - पर क्या वु कारण सही होला क्या ?
कामिनी-त्यार दिमाग एक जगा मि नि छौ। या च असली परेशानी। इन छुटि छुटि बातों से तू असल मुद्दा  से भटक गे।
गज्जु  - हाँ पर मि अपण सिद्धान्तु तै अग्वाड़ी लाण चाणु छौ अर वूं पर दृढ बि रौण चाणु छौ।
मेनका - हाँ याइ त बात च। यू इ त सवाल च।  कि त्यार क्या उदेश्य च ? तीन अवश्य ही खूब स्वाच विचार कौर होलु , तीन सबि बथुं पर विचार कर ह्वै होलु।  पर डौर  , घृणा गंदी प्रकृति बणान्दि अर असली सूच यूँ गंदा बथुं तौळ दब जांदन। घृणा अर डौर सही आत्मविश्लेषण नि करण दींदन। तो मिस्टर गार्सिन लगे रहो , बोलते रहो ।  पर हमर दगड़ ना सै अपण दगड़ तो ईमानदारी बरतो , चाहे एकाद बार इ सै -
गज्जु  - क्या यु बताण जरूरी च ? दिन अर रात मि कुठड़ि मा हिटणु राउंड छौ , कख से कख तक ? एक दीवाल बिटेन खिड़की तक अर खिड़की से दीवाल तक। मीन अपण दिल तैं खंगाळ, मीन अपण खोज इनि कार जन एक जासूस करद। अंत मा मीन अनुभव कार कि मीन अपण सरा जिंदगी आत्मविश्लेषण मा वितै दे। पर अंत मा आवाज आदि छे कि मीन वी कार जु करण चयेंद छौ, मीन वीं फ्रन्टियरौ वास्ता ट्रेन  पकड़ । पर किलै ? किलै ? आखिरमा मीन स्वाच : मृत्यु ही हिसाब किताब पूर कर सकद। यदि मि मृत्यु का सामना साहस , बीरता अर हिम्मत से करुल तो मि साबित कर देलु कि मि कायर नि छौ।
मेनका - फिर मृत्यु से कन सामना कार ?
गज्जु  - गंदा तरह से , बुरी तरां। या केवल भौतिक भूल छे अर कैक दगड़  बि ह्वे सकद। मि शर्मिंदा नि छौं। बस सब बात रहस्य का गर्त मा इ रखे गे। इना आ इस्टेली। म्यार तरफ देख। मि चांदु जब पृथ्वी मा म्यार बारा मा बात हूणि हो त क्वी मि तैं द्याखो  … मि तै हरी आँखि पसंद छन। 
मेनका - हरी आँखि ! इस्टेली वै पर ध्यान दे   त सै ! क्या तू कायरुं तैं पसंद करली ?
कामिनी -  त सूण मेपर क्यांक फरक पड़द ? मेकुण बीरता  या कायरता से फरक नि पड़द।  मेकुण द्वी इक्सनी छन जब तक वु भुक्कि पीण मा उस्ताद ह्वाऊ।
गज्जु  - हाँ हाँ।  सि पृथ्वी माँ छन। सि कुर्सी मा धँस्यां छन , सिगार पीणा छन। अदनिंद मा छन। वु सुचणा छन ," गार्सिन कायर छौ ". पर बस इनि , आलस माँ सुचणा छन दृढ़ता से नि सुचणा छन। कुछ सुचला इ " स्यु उ गार्सिन कायर छौ।" म्यार दगड्योंन निर्णय ली आल कि मि कायर छौ। अगला छै मैन तक तौंन बुलणु या सुचणु रौण  बल उ गार्सिन कमीना ना इ कायर बि छौ ।    ओ तुम द्वी भाग्यशाली छंवां कि पृथ्वी मा तुमर बारा मा लोग अपण विचार नि बदलणा छन।  पर - मेरी मृत्यु -मेरी मृत्यु भौत लम्बी चलणि च।
मेनका - तेरी घरवळि क्या हाल छन।
गज्जु  -ये ब्वे ! मीन नि बथाइ ? वा मोर गए।
मेनका -मर गे ?
गज्जु  - हाँ अबि मोर।  द्वी मैना पैल।
मेनका - महादुःख से ?
गज्जु  -और क्या बुले जै सक्यांद ? सब सर्वोत्तम का वास्ता ही ! लड़ाई खतम ह्वे गे, मेरी घरवळि गुजर गे , अर म्ररण इतिहास मा जगा खोदी। 
कामिनी -डार्लिंग ! विचारो !  मेर तरफ देख। देख। मि तैं स्पर्श कौर। स्पर्श कौर , हाथ लगा। उख ! लगा ! उख धौर हाथ। ना ना , हिल ना , इखमि रौ।  छोड़ ! किलै परेशान छे  कि वु त्यार विषय मा सुचणा छन? ऊंन   सबुंन बि मरण च।   ऊँ तैं भूल जा। खाली मि छौं।  वर्तमान मा।
गज्जु  -पर ऊंन मि तैं नि भुलण। उ ना ! हाँ उ मर जाल, पर हौर आल अर इतिहास तैं एक पीढ़ी से दुसर पीढ़ी तैं द्याल। मीन अपण भाग्य ऊंक हाथम दे द्याई।
कामिनी -तेरी परेसानी या च कि तू बहुत सुचदि।
गज्जु  - अब करणो कुण रयुं क्या च?  मि कबि  क्रियाशील , ऊर्जावान मनिख छौ   … कास ! मि एक दिनौ कुण इ सै यदि मि दुबर ऊंक दगड़ हूंद। मि ऊंक झूट ऊंक जीब पुटुक डाळदु। पर मि त इक बंद छौं , उ उख मेरी जिंदगी पर अपण फैसला दीणा छन मि तै सही मा जण्या बगैर, उ सही छन किलैकि मि मृत मनिख छौं। मृत अर भूतकाल की छाया।
कामिनी - गज्जु  !
गज्जु  - अरे अबि बि छे ? अब सूण ! जरा मैं पर एक कृपया कर दे। ना ना , ना नि बोल ! हाँ बात आश्चर्य की च कि क्वी त्वै से सहायता की भीख मांगो, तू वांक आदि नि छे। पर यदि तू कोशिस करलि त यु कठिन काम ह्वे जाल। मि बड़ी हिम्मत करिक बुल्णु  छौं कि हम प्यार कर सकदां। जरा यीं दिशा मा सोच। हजारों लोग यि बोल सकदन कि मि कायर छौं किन्तु यदि एक बि खड़ ह्वाऊ अर सकारात्मक ब्वाल , कि मि भाग नि छौं , मि भगौड़ा किस्मौ नि छौ , मि बीर अर सौम्य छौं , - अर फिर वै एक व्यक्ति का विश्वास , वैकि  आवाज मि तै बचै सकद। क्या तू मे पर विश्वास कर सकिद ?फिर मि ते से प्यार करुल अर सदा कुणि प्यार करदु रौल । इस्टेली ! क्या तू विश्वास करलि ?

कामिनी -ये म्यार भोंदु ! तू क्या सुचद कि मि एक क्यार से प्यार करुल ?
गज्जु  - पर तीन अबि त ब्वाल छौ-
कामिनी -मि तीतै चिरड़ानु छौ। मि वुं आदम्युं तैं पसंद या बोल कि प्यार करद जु असली आदिम ह्वाऊ , जैक कठोर शरीर हो अर तागतवर हाथ ह्वावन। तेरी कायर चौंठी नी च , कायर मुख बि नीं च, ना ही कायर की आवाज और ना ही कायर का बाळ। अर मि  …  मि त्यार बाळु , त्यार मुख , तेरी आवाज तैं प्यार करदु।
गज्जु  - क्या सच बुलणि छे च ? सच्ची ?
कामिनी -सौं घौटूँ  ?
गज्जु  - तो मि वूं तैं हाथ दिखांदु - जु उख छन अर जु इख बि छन। इस्टेली ! हम द्वी ऐ नरक से भैर ह्वे जौंला (इनेज हंसद )।  क्या च ?
मेनका -पर वा जु बुल्दी वांक मतबल वो नि हूँद , कथनी अर करनी मा अंतर। तू इथगा बुद्धू छे ?
कामिनी -इनेज तेरी इथगा हिम्मत ? वींक नि सूण। यदि तू चांदी कि मि त्वे पर विश्वास करूँ त त्वै तैं मीपर विश्वास शुरू करण पोड़ल।
मेनका - हाँ हाँ ! वै त बात च , वै त बात च। । विश्वास नि कर। वा इन आदिम चांदी कि -जु वीं पर विश्वास कारी -  जैक हाथ वींक कमर  पर ह्वावन , अदिमौ गंध , आदिमक कामवासना युक्त आँख।  वा सब या चांन्दि। यदि वा समजलि कि यांसे वींकी हवस पूरी हूंद तो वा त्वे तैं विश्वास दिलाली कि तू भगवान छे।
गज्जु  - इस्टेली ! क्या वा सच बुलणि च ?
कामिनी- अब मीन क्या जबाब दीण ? जौं बतुंक क्वी सर ना पैर वांक जबाब कखन लाण ? तू चीजुं तै जटिल बणै दींद  …  खैर यदि तू कायर बि हूंद तो भी मि ते से प्यार तबि बि प्यार करदु।  क्या इथगा बुलण काफी नी च ?
गज्जु  - तुम द्वी भौत इ बद्तममेज छंवां घृणित छंवां ।
कामिनी -क्या करण वाळ छे ?
गज्जु  -मि जाणु छौ।
मेनका - भैर कख जैलि ? दरवज त बंद छन।
गज्जु  - मि ऊँ से दरवज खुलवौल।
कामिनी -नि जा !  नि जा !
मेनका - मेरी दुलारी ! घंटीन  नि बजण , खराब च।
गज्जु  -मि बुलणु छौं ऊंन द्वार खुलण च। मे से अब नि सयांदु।  मि तुम दुयुं से परेशान ह्वे गेऊँ। अर इस्टेली ! तू तो वींसे बि फंड छे गंदी। मि त्यार आंख्युं मा नि फंसण वाळ छौं।  तू भौत इ कोमल अर सीधि छे। जन ऑक्टोपस हूंद। तू दलदल छे।
कामिनी -मि त्वे से प्रार्थना करदु कि मै छोड़िक नि जा। मि कसम खांदु कि अग्नै बिटेन इन नि बुलल, मि त्वै तैं  कै बि तरां दिक नि करुल - नि जा हाँ। मेरि हिम्मत नी च कि मि इनेज का साथ इखुली रै सकुं।  तैन पंजा दिखै ऐन।
गज्जु  -अपर हिफाजत अफिक कर।  मीन कौनसे त्वे तैं इख आणो बोल छौ।
कामिनी -औ , कथगा कमीना छे तू ! साबित ह्वे गे तू कायर छौ। 
मेनका - घोल से गिरीं चखुलिक बच्ची ! अब त संतुष्टि मिल गे ना। तीन वैक बान मी पर थूक बि च। अर वैक बान झगड़ा बि ह्वे। पर वु जाणु च , सुंदर विदाई होली। हम द्वी स्त्रियुं की या हमारी अपणी जगा होलि। 
कामिनी - कुछ बि बोल।  यदि दरवज खुलल त मीन बि जाण।
मेनका - कख ?
कामिनी -कखि बि। जब तक हो त्वे से दूर।
गज्जु  -द्वार खोलो , द्वार खोलो , खोलो दरवाजा। तुम कुछ बि करिल्या - मि सौणो तयार छौं - गरम लाल छड़ी ,  गरम उबळदो सीसा ,  गरम गरम   बळु मा नाच , गला घोटणो यंत्र , - जू बि यातनादायी यंत्र छन तौंक यंत्रणा मि चुपचाप सहन  कर लेल्यु। क्वी बि भौतिक यंत्रणा हो मि सहन कर ल्योलु। पर या मानसिक यंत्रणा नि स्यान्दि।  सहनशक्ति से भैराक च मानसिक यंत्रणा।  द्वार खोलो , खोलो। (द्वार खुलद )
मेनका - गार्सिन ! तू स्वतंत्र ह्वे गे।
गज्जु  - अब मि तैं आश्चर्य हूणु च कि द्वार किलै खुलिन ?
मेनका -जा।  अब किलै प्रतीक्षा करणि  छे ? जल्दी कर , जा।
गज्जु  - मीन नि जाणाइ। 
मेनका - अर तू इस्टेली ? अब क्या  ? कु जालु ? हम मादे कु जालु ? दिवार त तौळ च , हम क्यांकि प्रतीक्षा  करणा छंवां ? पर क्या स्थिति च , या चिल्लाहट च।  हम अभिन्न  छंवां, हम अवियोज्य छंवां !  
कामिनी -अभिन्न ? अवियोज्य ? मतबल अलग नि ह्वे सकदां। गार्सिन ! आ अर मि तैं हाथ दे। जल्दी। हम वीं तैं भैर धक्का दे दींदा अर वींक मथि दरवाज फेंकी द्योला। वीं तै सिखाणो युइ तरीका च।
मेनका (इस्टेली से संघर्ष ) -इस्टेली ! मि तै बि रण दे , प्लीज। मीन नि जाण , मीन नि जाण , मीन रस्ता मा नि जाण।
गज्जु  - वीं तै रण दे।
कामिनी -पागल छे ? वा ते से घृणा करदि।
गज्जु  -वींक कारण इ त मि इक रौणु छौं।
मेनका - म्यार कारण ? द्वार बंद कौर।  द्वार खुलण से इख दस गुणी गरमी बढ़ गे। हाँ तीन ब्वाल म्यार कारण तू इख छे ?
गज्जु  - हाँ।  खैर , तू जाणदि छे ना कि कायरक मतबल क्या हूंद ?
मेनका - हाँ। जाणदु छौं। 
गज्जु  - अर यी बि जाणदि छे कि चालाकी , डौर अर शरम क्या हून्दन। कबि दिन हूंदन जब तुम अपण ब्रह्म माँ झाँकदां -अर उख क्या दिखेंद - तब  सत्य देखिक तुम दहसत अर डर से बेहोस ह्वे जांदवां। अर तब , फिर दुसर  दिन तुमर समज मा नि आंद कि विश्लेषणक क्या करण , ब्याळै विश्लेषण कु विश्लेषण करण मा हम असमर्थ ह्वे जांदवां। हाँ तुम जाणदा छंवां कि बुराई की क्या कीमत चुकाण। अर जब तुम बुल्दां कि मि कायर छौं तो कि वु तुम अपण अनुभव का वजै से व्याख्या करदां। है ना ?
मेनका - हाँ। 
गज्जु  - मतलब , मि तै त्वै तैं विश्वास दिलाण पोड़ल।  तू मेरी कामक बोलो या ब्वालो बल मेरी जन छे। तू अछेकि सुचणी छे कि मि जाणु छौ ? ना मि त्वे तैं नि छोड़ सकदा कि तुम मेरी कायरता की हंसी उड़ाओ, जु त्यार दिमाग मा विचार चलणा छन । 
मेनका -क्या सचमुच माँ तू मि तै विश्वास दिलाण चाणू छे ?
गज्जु  - अब ,सी इ एक काम करण चाणु छौं। तू जाणदि इ छे कि अब मि उखक बात नि सूण सकुद। मतलब अब ऊँ तैं मे से क्वी मतलब नि रै गे। सब्युंकुण भलाक बान , भलु इ ह्वे। अब मेकुण पृथ्वी मा कुछ बि नी बच्युं च , कायर नाम बि ना। इनेज ! अब हम  अकेला छंवां। तुम द्वीइ मि तैं 'नाम ' दे सकदां। वींक क्वी गणत नी च। तेरो इ महत्व च। तू मे से घृणा करदि।  यदि तू मैं पर विश्वास करण लग जैल मतबल यदि मि त्वै पर विश्वास करुल तो मि बच जौल। 
मेनका - यु सरल नी च। म्यार तरफ देख। मी कठोर दिमागौ छौं जल्दी अपण विचार नि बदल्दु। 
गज्जु  - ठीक च जथग टाइम चयेणु च , ले। 
मेनका - हाँ हमम भौत समय च। 
गज्जु  - सूण ! हरेक आदिमक जिंदगी मा एक उद्देश्य हूंद। एक प्रेरणादायक स्रोत्र। है ना ? मीन ना त धन की फिकर कार अर ना ही प्यार की चिंता। मि एक असल मरद बणन चांदु छौ। एक टफ।  मजबूत आदिम। मीन अपण सब कुछ वै घोड़ा पर दांव लगै दे। क्या एक कायर आदिम कठिनाई, संकट  या विपत्ति बुलावो वु क्या कायर ह्वे सकुद ? अर क्या कैक एक कार्यकलाप, घटना  से कैक विश्लेषण करे जाण चयेंद या नाम दिए जाण चयेंद ?
मेनका - किलै ना ? तीन तीस साल तक हीरो बणनो सपना देखिन। तीन जिंदगी भर एकि उद्देश की आदिर खातिर कार। अर हौर बतुं सरासर अवहेलना कार- लोगुंन वी द्याख कि हीरो कबि गलती नि कर सकद। अर एक दिन इन आयि कि यु सपना इ त्यार विरुद्ध ह्वे गे। असली कठिनाई कु लाल बत्ती ! अर तू देश छोड़िक दुसर देस जाणो बाहगी गे ट्रेन से। 
गज्जु  - मीन सपना द्याख ! मीन क्वीे सपना नि द्याख।  मीन जब कठिन रस्ता चुन तो मीन जाण बुजिक ही रस्ता चुन। आदिम अपण चुनावका फलस्वरूप  च। 
मेनका - सिद्ध कौर। सिद्ध कर कि यु सुपिन नि छौ। जु वो करदो वो इ सत्य च बकै ना अर वो इस सिद्ध करद कि वु के से बण्यु  च ।  वु क्या च। 
गज्जु  -मि समय से जल्दी मोर ग्यों अर मि तैं -काम पूर करणो समय नि मील। 
मेनका - हरेक मनुष्य समय से भौत  पैल या भौत देर से इ मरद। फिर बि वैइ  क्षण ही हरेक की  जिंदगी पूरी ह्वे जांद -मतलब - तू  , -तेरी जिंदगी सब एकाकार ह्वे जांदन। अर बकै कुछ ना।
गज्जु  -तू कथगा बड़ी विषैली सर्पणी छे ! तीम हरेक बातक जबाब रौंद। 
मेनका - अब अपण हृदय नि बुझा। मि तैं विश्वास दिलाण कठिन नी च। अफु तैं तै  तयार कर कुछ विचारों तै कट्ठा कर। हूँ ! क्या मि सही नि छौ जब मीन ब्वाल कि तू कमजोर छे ? अब त्वै तैं कीमत चुकाण पोड़ल , क्या कीमत ? तू एक कायर छे , किलैकि मीन चाहि छौ , मीन चाइ छौ  - सुणणु छे ? यु मीन चै छौ। अर फिर बि , म्यार तरफ देख , देख कि मि कथगा कमजोर छौं , केवल एक सांस कु झोंका , एक नजर  त्वे तै दिखणि च , एक रूपहीन विचार त्यार बारा मा सुचणी च। अरे वाह सि त भैर ऐ गेन -सि बड़ा बड़ा हाथ , खुरदरा मरदका हाथ। पर तू क्या करणो आसा मा छे ? पर  हाथ से विचार नि रुके सक्यांदन। इलै तीम क्वी विकल्प नी च, त्वै तैं मि तैं समजाण पोड़ल अर तू मेरी दया पर निर्भर छे। 
कामिनी -  गज्जू !
गज्जु  -क्या ?
इस्टेली -तू बदला ले।
गज्जु  - कनकैक  ?
कामिनी -तू मेरी भुक्कि पे - अर तब वींक ऐड़ाट -भुभ्याट सूण !
गज्जु  - इनेज ! तू सही बुलणि छे बल मी तेरी दया पर छौं , पर तू बि मेरी दया पर निर्भर छे।
मेनका - कायर कहींका ! कमजोर कहींका , अपण शान्ति का वास्ता , अपण सांत्वना वास्ता जनान्युं पैथर दौड़नू छे !
इस्टेली -इनेज ! बिलकुल सही।  चिल्ला !
मेनका -क्या जोड़ी च हैं ! यदि तू वैक बड़ा बड़ा पंजा देख सकदी तो दिखदी कि कन  सि पंजा फैलणा छन ,भद्दा , तेरी त्वचा तैं काटणा छन अर रेशम पर ग्रीज लगणु च , सावधान स्यु पसीना पसीना हूणु च , अर तेरि ड्रेस पर नीला निसाण पड़न वाळ छन। 
कामिनी -इनेज , चिल्ला।  गार्सिन ! और जोर से पकड़ , जोर से , मि तैं जोर से भींच , जोर से -- वांसे स्या खतम ह्वे जाली अर अच्छु बि ह्वे जाल।
मेनका -हाँ गार्सिन ! स्या सै च। लग्युं रौं , दबा , भींच , दबा जब तक त्वे तै इन लग कि तुम दुयुंक शरीर एकाकार ह्वे गे,  तब तक जब तक तुम तैं निंद नि आण लग जाव। पर मीन तुम तैं सीण नि दीण। 
कामिनी - वींक नि सूण , दबा , भींच , जोर की भुक्कि पे , मेरी जीब की भुक्की पे। मि तेरी छौं , तेरी छौं , तेरी ही छौं।
मेनका - केकी प्रतीक्षा हूणि च ? जन बुल्याणु च तनि  कौर। क्या विहंगम , प्यारु दृश्य च हैं -एक  कायर मरद गार्सिन द्वारा  मर्दाना हतुं मा एक बच्ची की हत्यारण इस्टेली तैं  पकड़्यूं च !  अपण अपण शर्त लगावो , सट्टा ख्यालो कि क्या कायर गार्सिन हत्यारिन स्त्री की भुक्की प्याल कि ना ? पर शर्त क्यांकि ? मि सब कुछ दिखणु छौं , सबि सब कुछ दिखणा छन। मि अपणा आप मा एक भीड़ छौं। भीड़ ! सुणनि  छे ? भीड़ ! दिखणि छे ? गार्सिन ! भीड़ क्या बुदबुदाणि च , सुणनु छे ? भीड़ बुलणि च - कायर !  कायर !  … पलायन से क्वी फैदा नी च, मि त्वे तैं कखि नि भगण देलु।  वींक मूर्ख ऊंठुं से त्वे तै क्या मीलल ? बिसरन्त ? Forgetfulness? ? पर मीन नि भुलण दीण , मीन नि भुलण।  त्वै तै मि तैं विश्वास दिलाण पोड़ल , मै तैं ! मीम आ ! मेरे पास आ। देख कन आज्ञाकारी कुत्ता च स्यु जु अपण गोसिणक एक सीटी पर पूछ उठैक ऐ जांद। तू वै तै रोकी नि सकदी। अर कभी भी नही। 
गज्जु  -क्या रात कबि नि आली ?
मेनका - कभी नही। 
गज्जु  -तू मि तैं हमेशा दिखणि रैली ?
मेनका - हमेशा। 
गज्जु  - यु पीतल ! मि ये पीतल तै एक मेन्टलपीस मा दिखणु छौं। पर यु क्या आँख च ? अर मि सुचणु छौ कि मि नरक मा छौं। हे भगवान ! सब कुछ योजनानुसार हूणु च। वूं तैं पता छौ कि मि तैंक दगड़ घचपच -अर सब आँख म्यार तरफ राली। मीन स्वाच  कि हम तीन इ छंवां पर इख त तीन ना कथगा इ आँख दिखणा छन। सब उपभोग करणा छन। हम तैं विश्वास नि ह्वे कि यु नरक नी च। पता च हम तैं उख बोले गे छौ कि नरक मा त्रासदायी उपकरण हून्दन , गरम आग माँ धरीं तेल की कढ़ाई हूंद , पीप , खून आदि हूंद। पर असल मा नरक कुछ और इ हूंद , अलग तरां का व्यक्ति।
कामिनी -प्रिय ! प्लीज !
गज्जु  - ना , मि तै बुलण दे। वा हम दुयुंक बीच मा च। जब वा हो तो मि त्वे से प्यार कर  इ नि सकुद।
कामिनी -हाँ हाँ ! मि वीं तैं दिखण से रोकुद (वा पेपर चाकू से इनेज पर घपाघप भौत दैं घोपदी। )
मेनका - पगली कहींकी ! त्वे तैं पता नी च कि मि मृत छौं ।
कामिनी -मृत ?
मेनका - मृत ! मृत ! मृत ! चाक़ू , छुर्रा , विष सब बेकार। पता च नि कि यु सब पैलि ह्वे गए  ? अब हम इख सदा का वास्ता छंवां , सदा के लिए।
कामिनी  -हमेशा ! हे भगवान , अजीब कि हमेशा का बान ?
गज्जु  - सदा के लिए , हमेशा कुण , सद्यन्यौ कुण 
(लम्बी चुप्पी )
गज्जु  -सदा के लिए ! तो ये तैं सहन किये जाव  … ये तैं भोगे जावो  … 
                 पर्दा 
यु नाटक केवल प्रशिक्षण का वास्ता च।  मंचीकरण का वास्ता अधिकार @ मूललेखक का पास 

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