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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, February 26, 2015

क्या सदानंद कुकरेती जीक काम निरर्थक , अनुत्पादक या नॉन प्रोडक्टिव च ?

Best  Harmless Garhwali Humor  , Garhwali Comedy Skits , Satire, Wit, Sarcasm , Garhwali Skits , Garhwali Vyangya , Garhwali Hasya 


              
                     क्या  सदानंद कुकरेती जीक काम निरर्थक , अनुत्पादक या नॉन प्रोडक्टिव च ?

                                        चबोड़्या , चखन्यौर्या , हंसोड्या ::: भीष्म कुकरेती 


ब्याळि ग्यारा बजि रात भुंदरा बोडिक पांच दैं मिस काल ऐ गे छयो  । जब छयों दैं मिस कौल ऐ तो मीन वापस फोन कार । 
भुंदरा बोडि- ए भीषम कन कुनगस ह्वे ! मीन पांच दैं मिस कॉल कार अर तीन फोन नि कार ?
मि -ना मि बर्नाड शा कु नाटक पिग्मालिअन शो कु गढ़वळि अनुवाद मा व्यस्त छौ त फोन दुसर कमरा मा धर्युं छौ। 
भुंदरा बोडि-तू बचपन इ से अनुत्पादी याने नॉन प्रोडक्टिव काम इ करणी रौंदि। तेरी ब्वे हमेशा त्वे से परेशान रौंदि छे कि तू अनुत्पादक याने नॉन प्रोडक्टिव काम पर जादा समय बर्बाद करिद। 
मि -क्या मतबल ?
भुंदरा बोडि- अब जब गढ़वळि मा नाटक करणो बात त दूर गढ़वळि गढ़वळि मा नि बचळेण चांदन तो तू अंग्रेजी नाटकुं गढ़वळि मा अनुवाद करणी छे।  हिंदी मा अनुवाद करदो त पढ़न वाळ बि मीलल। 
मि -बोडि ! ग्वीलक सदा नन्द कुकरेती जी क बारा मा त तू जाणदि छे।  पता च वु बि इनि सुचदा तो ?
भुंदरा बोडि- बिचारो सदा नन्द नाती जी ।  हम छुट छा तो लोग  ऊंकुण भग्यान संपादक जी बुल्दा छा।  उमर मा तो म्यार ससुर जीक उमराक छा पर नातु मा नाती लगदा छा।  त्यार नात मा बिचारो बेटा लगद छा ! पर ऊँन   त सिलोगी  स्कूल बणाइ अर स्कूल बणान क्वी अनुत्पादक बात नि हुंदी। 
मि -मि स्कूल लगाणो बात नि करणु छौ।
भुंदरा बोडि-हैं त ऊँ सदानंद नातिन बि अनुत्पादक काम कर छौ ?
मि -मि बुलणु छौ कि यदि सदानंद जी बि इनि सुचदा कि हिंदी मा लिखुल त म्यार नाम अधिक ह्वालु तो वु पैलि गढ़वळि कथा लिख्यांदि इ ना। 
भुंदरा बोडि-हैं कन भंगुल जाम ! संपादक नातिजीन गढ़वळि मा क्वी कथा बि ल्याख ? इ राम दा तब म्यार त ब्यौ बि नि ह्वे छौ बस ऊंकी कथा सुणदा छा कि सिलोगी स्कूल बणाण मा कथगा लग्यां रौंदा छा।  
मि -हाँ त ऊंइ सदानंद जीन पैलि गढ़वळि कथा लेखि छे 'गढ़वळि ठाट '. 'गढ़वळि ठाट 'गढ़वळि की प्रथम आधुनिक गढ़वाली कथा च।
भुंदरा बोडि-औ त सदानंद नातीजी बि अनुत्पादक काम करदा छा।  भलो ह्वे वै बगत लंगुर्या पसबोला जी , बदलपुर्या हरिराम जखमोला जी , डबरालस्यूं  बिष्ट जी ,  मल्ला ढांगू कड़ती -कांडे वाळु तैं पता नि छौ कि सदानंद जी इन अनुत्पादक काम करदन निथर क्वी बि सदानंद नातीजीक काम मा साथ नि दींदा। 
मि -बोडि क्या बुलणि छे तू ? गढ़वळि कथा लिखण अनुत्पादक काम छौ। 
भुंदरा बोडि-बिलकुल समय बर्बाद करणो काम छौ। 
मि -इन कनै बुलणि छे तू बोडि  ?
भुंदरा बोडि-तू विशालमणि तैं त जाणदी इ छे ?
मि -हाँ संपादक जीक एकलौता नौनु बिचारु मानसिक रूप से परेशान रौंद छया। 
भुंदरा बोडि-मि शकला की बात करणु छौं। 
मि -अच्छा सदानंद जीक नाती शक्ला नन्द कुकरेती।  उम्र मा मेसे बड़ छन पर नात  मा छुट ! अब ऊ नाती जी देहरादून रौंदन।  जब उ दसम छा तो मि सातम या आठम रै होलु।  हम द्वी सिलोगी स्कूलों हॉस्टल मा रौंदा छा।
भुंदरा बोडि-त मीन बिशालक  अर शक्लाक ब्वारि दगड़ घास कट्यूं च अर मि त्यार बाडाक सौं घटिक बोलि सकुद कि सदानंद नातीजीक नौनौ ब्वारी अर नातिक ब्वारी तैं बि नि पता कि संपादक जीन गढ़वळि कथा लेखि छै। 
मि -ह्याँ पर वांसे क्या हूंद कि परिवार वाळु तैं नी पता कि कै साहित्यकारों क्या योगदान च। 
भुंदरा बोडि-परिवार तो छोड़ चलो।  सिलोगी स्कूलौ प्रिंसिपल शिवाला को गिरी तैं बि नि पता होलु कि सिलोगी स्कूलो संस्थापकन पैलि आधुनिक गढ़वळि कथा लेखि छे। 
मि -बोडि अब सिलोगी स्कूल सरकारी स्कूल ह्वै गे तो सरकारी प्रिंसिपल तैं नी बि पता हो कि सदानंद जीन पैलि आधुनिक गढ़वळि कथा लेखि छे।
भुंदरा बोडि-पर शिवाला का गिरी तो ग्वील -जसपुर की सारिक शिवाला कु इ च कि ना ? 
मि -हाँ पर हूंद च। 
भुंदरा बोडि-म्यार बुलणो मतबल च कि जब तुम गढ़वळि लिख्वार अपण साहित्य तैं अपण इ गां मा प्रचारित अर प्रसारित नि कौर सकदां तो फिर तुम लिख्वार जु बि काम करदवां स्यु अनुत्पादक , निरर्थक अर नॉन प्रोडक्टिव ही ह्वालु। 
मि -पर बोडि मि निरर्थक नि मानि सकुद।
भुंदरा बोडि-तीन कथगा अंग्रेजी नाटकुं अनुवाद गढ़वळि मां कार ?
मि -ग्यारा  नाटकुं अनुवाद कर्युं च। 
भुंदरा बोडि-कैन पौढ़ बि च?
मि -छपाणो मुश्किलात जि च।
भुंदरा बोडि-छपि बि गे तो लुखुंदर अर धिवड़ इ त गढ़वळि किताबुं पाठक हूंदन। 
मि -बोडि तीन ई सलाह दीणो कुण मिस कॉल  कार कि हम गढ़वळि लिखवारुं तैं गढ़वळि मा ना हिंदी मा साहित्य रचण चयेंद ?
भुंदरा बोडि-नै मिस काल यांकुण त नि कार छौ कि गढ़वळि साहित्यकारुं तैं गढ़वळि मा नि लिखण चयेंद पर सदानंद नातीजी अर त्यार काम से तो इ लगणु च बल गढ़वळि मा लिखण समय की बर्बादी अर कागजौ खौत च बस ! 
मि -पर बोडि तीन मिस कॉल किलै कौर ?
भुंदरा बोडि-अरे हाँ मि त बिसरी ग्यों कि मीन फोन किलै कार ?
मि -ठीक च त भोळ मिस कॉल करी दे। 
भुंदरा बोडि-अरे ना ना ! मीन फोन इलै कार कि घिंडुड़ी कुण अंग्रेजी मा क्या बुल्दन ?
मि -अंग्रेजी की जरूरत किलै पोड़ ?
भुंदरा बोडि-वु तू त जाणदि छे वै जमानो दर्जा पांच मीनि कौर छौ तो स्कुल्या बच्चा में से सवाल पुछणा इ रौंदन तो अब अंग्रेजीक बोल बाला ह्वे तो बच्चा अंग्रेजी मा अर्थ पुछदन अर एक त्वी छे जु गढ़वळि से  अंग्रेजी अनुवाद करीक मीतैं बथै सकदु। 
मि -घिंडुड़ि कुण अंग्रेजी मा स्पैरो याने Sparrow बुल्दन। 
भुंदरा बोडि-अच्छा यु गढ़वळि -अंग्रेजी शब्दकोश बि कबि आलु ?
मि -हाँ गुदड़ -गटकोट का डा अचला नन्द जखमोला की गढ़वळि -हिंदी -अंग्रेजी डिक्सनरी छपी गे
भुंदरा बोडि - ये हाँ यु तो अचला भणजोन बढ़िया काम कार हाँ ! 
मि - यू त नी च निरर्थक कार्य ?
भुंदरा बोडि - यदि ढांगू -डबरालस्यूं याने अचला नन्द भणजौ पट्टी मा यीं किताबो प्रचार -प्रसार नि हो तो अवश्य ही गढ़वळि -हिंदी -अंग्रेजी डिक्सनरी एक अनुत्पादक , निरर्थक अर नॉन प्रोडक्टिव कार्य माने जालु।  गढ़वळि लेखक जब अपण काम तैं अपण गाँवमा इ प्रसिद्ध नि करला तो फिर सब कार्य नॉन प्रोडक्टिव ही माने जालु।

26/2/15 , Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India 
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ चरित्र , स्थान केवल व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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