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Monday, January 5, 2015

हरिद्वार , बिजनौर व सहारनपुर इतिहास संदर्भ में आर्यजनो का प्रसार

Aryan Societies  Spread in context History of Haridwar, Bijnor and Saharanpur

                                                हरिद्वार , बिजनौर व सहारनपुर इतिहास संदर्भ में आर्यजनो का प्रसार 


                                            History of Haridwar Part  --37   
                                            हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास -भाग -37                                                                                      
                           
                                                   इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती
  यद्यपि आर्यों का मूलस्थान पर विवाद हैं किन्तु भारत में आर्य संस्कृति , समाज के प्रसार की गाथाएं वेदों में उपलब्ध हैं। 
 ऋग्वेद में आर्य जाति का इतिहास आर्यों के पंजाब बसाहत के 2 -3 शताब्दियों पश्चात शुरू हो सका। 
आर्य तत्कालीन भारतीय समाज को प्रभावित कर रहे थे और आर्यजन भी अनार्य जातियों की भाषाओं व संस्कृति से प्रभावित हो रहे थे। 
           पंजाब में बसते समय आर्य जाति निम्न जातियों में बंटीं थी -
           १- पुरू - रावी नदी के पूर्व में बसे थे 
           २- यदु -सतलज और रावी की निचली भूमि  बसे थे 
           ३- तुर्वस  -सतलज और रावी की निचली भूमि  बसे थे
           ४- द्रह्यु -रावी के पश्चिम में झेलम तक 
          ५- अनु -रावी के पश्चिम में झेलम तक
ऋग्वेद के समय तक आर्यजनों की संख्या वृद्धि हो चुकी थी और निम्न  शाखाएं  भी जुड़ चुके थे -
          ६- भरत 
          ७- तत्सु 
          ८- कुशिक आदि 
           ९- सृञ्जयजन -सतलज -व्यास के मध्य 
           १०- पक्थ -सिंधु  पश्चिम से झेलम के पश्चिम तक 
           ११- भलान -सिंधु  पश्चिम से झेलम के पश्चिम तक
           १२- अलीन -सिंधु  पश्चिम से झेलम के पश्चिम तक
           १३- विषाणी -सिंधु  पश्चिम से झेलम के पश्चिम तक
            १४- शिविजन -सिंधु  पश्चिम से झेलम के पश्चिम तक
आर्यजन आपस में लड़ते -झगड़ते रहते थे और एक दूसरे से सहायता लेते रहते  थे। 
ऋग्वेदिन आर्यजन सिंधु नदी से पंजाब में सतलज तट तक फैले थे। 
          


संदर्भ - डा शिव प्रसाद डबराल , उत्तराखंड  इतिहास - भाग -२
राहुल -ऋग्वेदिक आर्य 


Copyright@ Bhishma Kukreti  Mumbai, India 31 /12/2014 


Contact--- bckukreti@gmail.com 
History of Haridwar to be continued in  हरिद्वार का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास; बिजनौर इतिहास, सहारनपुर इतिहास  -भाग 38           

(The History of  Haridwar, Bijnor , Saharanpur write up is aimed for general readers) 
History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ; History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ; History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ; History of Telpura Haridwar, Uttarakhand ; History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ; History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ; History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand ; History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand ; History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ; History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ; History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ; History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ; History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar; History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;History of Bijnor; History of Nazibabad Bijnor ; History of Saharanpur 
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