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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, June 10, 2014

हैलो ! मेरी आशा हर्ची गे !

घपरोळया , हंसोड्या , चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती      

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
मि - हैलो पुलिस स्टेसन ?
दुसर तरफान आवाज - हाँ पुलिस स्टेसन। 
मि - सर ! कम्पलेंट लिखाण छे ?
दुसर तरफान आवाज -क्यांक ?
मि -खोया -पाया
दुसर तरफान आवाज - क्या हर्च ?
मि - मेरी आशा ही हर्ची गे। 
दुसर तरफान आवाज - आशा आपकी नौनी च , वाइफ च या ब्वे च,  बैणि च ? 
मि -जी यांमादे क्वी बि नी च।
दुसर तरफान आवाज - हैं तो आशा तुमर दगड़ लिविंग ऐज कम्पेनियन का रूप मा रौंदि छे ?
मि -ना भै।
दुसर तरफान आवाज - देखो पुलिस वाळs दगड़ चिरड़ेक बात नि करण हां।  तख ऐक डंडा घुमौल त चिरड्याण बिसर जैल हाँ !  
मि -नै साब जी मि तुम पर नि चिरड्याणु छौं।  मि त रुणफति ह्वेक प्रार्थना करणु छौं कि मेरि आशा हर्ची गे।  मै लगणु च कि मेरि आशा शायद मोरि बि गे   धौं !
दुसर तरफान आवाज - अरे पर वा आशा तेरी क्या लगदी ?
मि -जी मीन आशा तैं कबि नि पूछ कि वा मेरी क्या लगदी।
दुसर तरफान आवाज - तो वींकी उमर क्या च ?
मि -उमर ?
दुसर तरफान आवाज - हाँ आयु , एज ?
मि -ह्वेली में से तीनेक साल छुटि।  जब बिटेन मीन होश संबाळ मीन वीं तैं अपण इ दगड़ द्याख।
दुसर तरफान आवाज - तो या आशा तेरी आया च याने मेड सर्वेंट च ?
मि - नै जी वा मेरी मेड सर्वेंट कनकै ह्वे सकद ?
दुसर तरफान आवाज - अरे त क्वा च वा आशा अर कख रौंदी छे ?
मि -जी वा मेरी होप छे अर म्यरा मन मा याने चित्त मा रौंदि छे।
दुसर तरफान आवाज - साले पुलिस वाले के साथ मजाक करता है। 
मि -सच्ची साब ! मेरी मन की आशा हर्ची गे।
दुसर तरफान आवाज - तो सरकारी अस्पताल मा फोन कौर।  मन  की आशा खुज्याणो काम पुलिस नि करदी। अस्पतालों मनोचिकित्सक कु ये नंबर पर फोन कर। फोन बंद कौर। 
मि -हैलो मनोचिकत्सक ?
दुसर तरफान आवाज - नो।  
मि -पर पुलिस इन्क्वारीन तो यो ही नंबर दे छौ
दुसर तरफान आवाज - फोन नंबर सही च किन्तु मि तैं मनोचिकत्सक नि बोलो। आई डिस्लाइक दिस वर्ड। 
मि -तो ?
दुसर तरफान आवाज - कौल मी साइकिट्रिक 
मि -अच्छा ! साइकिट्रिकसाब मेरी आशा गुम ह्वे गे
साइकिट्रिक -यू मीन युवर होप ?
मि -जी यस आइ लॉस्ट माइ   होप 
साइकिट्रिक -तुमन अपण आशा तैं आखिरी दैं कब देख छौ ?
मि -ब्याळि (9 /6 /2014 ) राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जीक संसद मा भाषण तक मेरी आशा मेरि दगड़ छे। 
साइकिट्रिक -तुम इथगा स्युवरिटी से कनकै बोल सकदा कि राष्ट्रपतिक भाषण तक आशा तुमर दगड़ छे। 
मि -भाषण मा राष्ट्रपतिन आशा दिखाई कि सचमुच मा अच्छा दिन आण वाळ छन तो उत्साह मा मि जोर जोर से नाचण बिसे ग्यों कि इंडिया की जगा भारत का भला दिन आण वाळ छन। 
साइकिट्रिक -तुम तैं कब लग कि आशा तुमर दगड़ नी च ?
मि - राष्ट्रपति भाषण तक तो उत्साह का मारा मि इना ऊना कुद्दी मारणु छौ किन्तु जनि मीन कॉंग्रेसी नेता कमलनाथ की  टिप्पणी टीवी मा द्याख त मि तैं लग कि म्यार मन मा आशा रै इ नि गे। 
साइकिट्रिक -कमलनाथक क्या बुलण छौ। 
मि -बल राष्ट्रपतिक भाषण शब्दजाल मात्र च।  अर सीताराम यचुरीन जब बोलि कि राष्ट्रपति का भाषण मात्र स्याणी -गाणी -इच्छा -इरादा च अर असलियत नी च तो म्यरो उत्साह निरुत्साह मा बदल्याण मा लग गे। 
साइकिट्रिक - तुम तैं कब लग कि तुमर आस पास -न्याड़ -ध्वार आशा छैं इ नी च ?
मि -जब श्याम दैं टीवी मा कॉंग्रेसी नेताक टिप्पणी देख कि राष्ट्रपतिक भाषणु बात कबि बि पूरी नि ह्वे सकद अर इनि भौत सा टीवी कमेंटेटरोंन बि बोल कि यि भाषण केवल सब्जबाग च तो तैबरी बिटेन मेरी आशा पता नि कख हर्चि गे धौं ?
साइकिट्रिक -असल मा तुमर आशा कखि नि हर्ची अपितु तुममी च बस तुमतैं दिखेणी नी च। 
मि -हैं ?
साइकिट्रिक -हाँ। 
मि -तो मि तैं आशा कब दिख्याण शुरू ह्वेल ? 
साइकिट्रिक -बस तुम टीवी दिखण बंद करी द्यावो। 
मि -किलै ?
साइकिट्रिक -देखो ! सरकारी दल का नेताओं काम च अपण प्रशंसा करण , विरोधी दलों काम च कैं बि तरां से आलोचना करण अर आजका पत्रकारों काम ह्वेगे सेन्सेसन पैदा करण अर इनमा विचारा दर्शक कन्फ्यूज ह्वे जांद कि असलियत क्या च। सरकारी दल , विरोधी दल अर   सेंसेसनल जॉर्नलिज्म द्वारा पैदा हुईं कन्फ्यूजन की स्थिति मा दर्शक  समझद  कि   वैकि आशा हर्ची गे।  बस अपण दिमाग लगैल त आशा कबि बि नि हरचलि ।  




Copyright@  Bhishma Kukreti  10/6/2014   
    

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।   

Garhwali Humor in Garhwali Language, Himalayan Satire in Garhwali Language , Uttarakhandi Wit in Garhwali Language , North Indian Spoof in Garhwali Language , Regional Language Lampoon in Garhwali Language , Ridicule in Garhwali Language  , Mockery in Garhwali Language, Send-up in Garhwali Language, Disdain in Garhwali Language,Hilarity in Garhwali Language, Cheerfulness in Garhwali Language
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनेताओं द्वारा अभद्र गाली पर हास्य -व्यंग्य    श्रृंखला जारी  

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