उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Friday, March 7, 2014

जु मि धनी हूंद त ?

 चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती        

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
              एक बात च जु मैकुण चिंता का विषय च अर जैक बाराम तैं सोचि सोचिक मि तैं रात भर निंद नि आंद अर वा च धन ! धन नि होणै चिंता ना , हालांकि मीम धन नि हूण बि चिंता कु विषय च। पण  मेरी असली  चिंता च कि कखि मीम अचाणचक भौत सारा धन ऐ गे त मि क्या करुल ? जन कि अजकाल नेताओं , ठेकेदारूं , अधिकार्युं , उद्यमपत्यूं  मा अचानणचक अन्दादुंद धन   आणु च त कखि मीम बि इनी भौत पैसा ऐ गे तो ?
         अब जन कि मीम भौत धन ऐ गे तो क्या म्यार बच्चों मा म्यार मरणो बाद झगड़ा नि पोड़ जाल ? जब मुकेश अम्बानी अर अनिल अम्बानी मा अथा धन हूणो उपरान्त बि पैसौं बान अनबन ह्वे सकद तो अवश्य ही म्यार बच्चों मध्य बि त अनबन ह्वे सकद कि ना ? मि जब अनबन का बारा मा सुचुद त मेरी रूह काम्पण बिसे जांद अर मि तैं रात भर निंद नि आदि !
            अब जन कि मीम अरबों रुपया ऐ जाल तो अवश्य ही इनकम टैक्स वाळ म्यार पैथर पोड़ल जन कि इनकम टैक्स वाळ जगन रेडी , मुलायम सिंग आदि का पैथर पड्यां  छन इन मा इनकम टैक्स वाळु  से बचणो बान मि तैं कॉंग्रेस तैं सेक्युलरिज्म का नाम पर भैर बटे सपोर्ट दीण पोड़ल। मतलब मि तैं पोलटिक्स मा आण पोड़ल।  अर मि तैं पॉलिटिक्स मा आण सोचिक ही गस आण शुरू ह्वे जांदन कि मि तै हर समय झूठ बुलण अर मक्कारी करण पोड़ल। 
             फिर मी सुचुद कि मीम अथा धन ऐ जाल त दरजनेक गाड़ी , द्वी चार चौपर हवाई जाज ले ल्यूल। पण जब मीम चौपर हवाई जाज होला तो चुनाव टैम पर कैं पोलिटिकल पार्टी तैं अपण चौपर देलु का विषय मा सोचिक ही मेरि निंद उड़ जांद।  जौं तैं चौपर दे यदि वू चुनाव हारी गयाइ अर जै तैं नि द्याई वू चुनाव जीति गयाइ तो बड़ो नुक्सान ह्वे जालु।  वै नुक्सान का बारा मा सोचिक मेरि द्वी कुल्ली खाण मिसे जांदन अर में पर अधकपळि ह्वे जांद अर इन मा मेरि नींद हर्ची जांद !
  फिर मि ध्यान करुद कि जब मीम इथगा धन ऐ जाल त अवश्य ही मि तैं राजनीतिग्यों तैं अपण खीसाउंद धरणी पोड़ल अर मि तैं कै पवार ब्रोकर का मार्फ़त पोलिटिकल पारट्यूं का बडु नेता तैं आदेस दीण पोड़ल कि कै तैं मंत्री बणाण अर कै तैं राज्यपाल बणान।  सबि राजनैतिक पार्टी वाळु तैं मेरी बात मानण ही पोड़ल किलैकि चाणक्य , राणा प्रताप , मुग़ल या ब्रिटिश राज मा असली राज तो बणियों याने धनिकों कु ही राइ  तो प्रजातंत्र मा बि राज तो धनियूं कु ही रालो।  जब सब मंत्री म्यार हिसाब से ही  बुल्युं मानल  जन कि अपण पऴयूं  कुत्ता। किन्तु यदि राडिया टेप जन क्वी केस ह्वे गयाई अर आम आदमी पार्टी का धुर्या कजीरवाल मै पर कजीर फेंक द्याल तो मी क्या करुल ? राडिया टेप कु अंदेसा से मी परेशान रौंद कि क्या करे जाव कि धनियूं अर बिचौलियों बीच बातचीत टेप नि ह्वे साकन। 
  फिर जब मीम इथगा धन ऐ जाल तो मि तैं अफु तैं धनी दिखाणो बान भौत सा क्लबुं सदस्य बणन पोड़ल अर क्रिकेट मैच पर सट्टा लगाण ही पोडल अर कखी ये दौरान म्यार जवाइं बि मयप्पन का तरां सट्टा मा पकड़े गे तो मेरि बेज्जती नि होली ? मी श्रीनिवासन जन बेशरम त ह्वे नि सकुद कि बेज्जती तैं बि धन्युं क  शान सौकत समझुं ! बस जवाइं को सट्टा खिलण अर फिर पकड़ मा आण से बेज्जती हूणै चिंता से मि सरा रात सोई  नि सकुद। 
            फिर जब मीम बिंडी पैसा आल तो हौर कमाणो बान मि चिट फंड का नाम पर लोगुं तैं चीट करुल अर फिर सर्वोच्च न्यायालय का दबाब से मी तैं जेल होलि। क्वी ईमानदार म्यार मुख काळ करणो बान काळी स्याही फेंक द्यालो जन कि महान धनी सुबर्तो राय कु मुख सरेआम काळु हवाइ अर वै तैं चीटिंग कु केस मा पुलिस हिरासत मा तिहाड़ जेल जाण पोड़। चिट फंड मा चीटिंगकु कारण   जेल जाण अर मुख काळु हूणों भय से मि भयभीत ह्वे जांद अर मि तैं नींद नि आदि। 
           पर फिर एक बात से खूब नींद आंद कि कुछ बि ह्वावो हमर इख सर्वोच्च न्यायालयन ही प्रजातंत्र की साख बचाइं च निथर तो ..... 

  Copyright@ Bhishma Kukreti  6/3/2014 

*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं। 
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments