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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Friday, March 7, 2014

कुछ चीज /बात जु मितै पसंद नि छन

चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती        

(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
आज म्यार मूड ठीक नी च अर मूड खराब हूण मि तैं बिलकुल पसंद नी च। 
मि तैं सिगरेट पीण पसंद नी च पर सिगरेट पियां बगैर रै बि नि सकुद। 
मि तैं गढ़वाल मा गढ़वाऴयूं शराब पीण पसंद नी च , म्यार हिसाब से वांकुण गढ़वाऴयूं तैं प्रवासी हूण जरुरी च। 
मि तैं यी पसंद नी च कि लोग अपण बच्चों तैं भारत मा पब्लिक या कॉन्वेंट स्कूल मा पढ़ावन , इलै मि अपण नात्युं तैं पढ़ाणो विदेस भिजणु छौं। 
मि तैं वू लोग पसंद नि छन जु बुल्दन कि भारत मा क्या च ? अरे हमर इख इन बुलणै स्वतंत्रता त छैं च कि ना कि भारत मा रख्युं क्या च ?
मि तैं चुनावुं मा जातिक हिसाब से वोट दीण पसंद नी च पर तब जब मेरी जातिक नेता तैं जिंताण बि त म्यार धर्म च कि ना ?
मि तैं रात मा दूसरों बच्चों रूण पसंद नी च अर रात मा कुकरुं  भुकुण त बिलकुल पसंद नी च। 
मि तैं चुनाव विश्लेषकों भविष्यवाणी बिलकुल पसंद नी च किलैकि यि सब अचकाल दुराग्रही छन। 
मि तैं बड़बोला लोग पसंद नि छन। 
मि तैं वु लोग पसंद नि छन जु मेरि बात टक लगैक नि सुणदन पर दगड़ मा मि तैं हिदायत दीन्दन कि लोगुं बात ध्यान से सुणन चयेंद। 
मि तैं फेस बुक मा वु फ्रेंड पसंद नि छन जु बगैर पौड़िक मि तैं Like करदन अर मि तैं दूसरों लिख्युं पढ़णो टैम ही नी च इलै मि कै तैं Like करदु ही नि छौं। 
मि तैं ड्यारम बैठ्युं रौण पसंद ही नी च अर यात्रा करण (रेल से अर बस से ) बिलकुल भी पसंद नी च। 
मि तैं वु लोग पसंद नी छन जु बुल्दन वु  म्यार बारा मा सब कुछ जाणदन कि मि कै प्रकारों मनिख छौं। 
मि तैं वु साहित्यिक दगड्या पसंद नि छन जु अफिक त मकूण  फोन नि करदन पर जब मि फोन करुद त बुल्दन बल "क्या बात भौत दिनों बाद मेरि याद आयी ?"
मि तैं वु लोग पसंद नि छन जु मि तैं सिगरेट अर दारु नि पीणो बान अड़ान्द (हिदायत दीण )  छन। 
मि तैं गरीबी पसंद नी च अर काम करण बि पसंद नी च। 
मि तैं यी पसंद नई च कि म्यार नाम वोटर लिस्ट मा नि ह्वावो पर वोट दीण मि पसंद नि करदो 
मि तैं सैकड़ों चीज पसंद नि छन पर फिर बि मि वुं बातों तै ही करदु जु मि तैं पसंद नी छन।  
  



Copyright@ Bhishma Kukreti  7/3/2014 


*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।  
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]

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