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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, February 6, 2014

पटवारी जीक चपड़ासी शराबै भट्टी पर झौळ किलै लगांदन ?

 चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती        


(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
 
              जादातर कच्ची शराबै भट्टी पटवरी चौकी नजीक मिलदन अर बार बगत पर तुम तैं पटवारी जीक चपड़ासी जी कच्ची शराबै भट्टी पर झौळ लगांद मील जाल। 
असल मा इखमा पटवार्युं  गढ़वाल प्रेम ही मुख्य कारण च कि पटवारी जीक  चपड़ासी शराबै भट्टी पर झौळ लगांदन। 
                        उत्तरप्रदेश सरकारौं बगत बिटेन  गढ़वाली ग्रामीण क्षेत्र बिटेन मांग उठ कि गांवों विकासौ वास्ता कुटीर उद्योग ख्वाला , कुटीर उद्योग ख्वाला।  चूँकि गांऊं से लखनऊ दूर छौ त आवाज लखनऊ तलक नि पौंछदि छे।  हमर विधयाक बि जरा भुलमरा ही छ्या तो वो बी जनता की आवाज विधान सभा मा उठांद बिसर जांद छा सुबेर सबी विधायक सुचदा जरुर छ्या कि गढ़वाली गांवूं मा कुटीर उद्योग की बात उठाण पर विधान सभा क ऊंचा गौळ चढ़दा चढ़दा विधायक जीक सांस रुकी जांद छे त बिचारा बिसर जांद छा कि उ गढ़वाल का विधायक छन।  इन मा बि उत्तरप्रदेश का नेताओं अर विधायकों तैं पता ही नि चौल कि गढ़वाल का वासिन्दा कुटीर उद्योग की मांग करणा छन। 
         डिमांड अर सप्लाईकु  एक रूल हूंद।  जख डिमांड होली तख कखि बिटेन बि कै ना कै रूप मा सप्लाई पौंछि जांद। गढ़वाल माँ शराब की मांग बढ़णी छे , कुटीर उद्यम खुलणो मांग जोरों से उठणी छे तो हमारा गढ़वाल प्रेमी , कर्मठ लघु उद्यम प्रेमियुं से गढ़वाल कु  दुःख नि दिखे ग्याई।  वुं बिचारोंन बगैर सरकारै मौ मदद से कच्ची शराब की भट्टी जगा जगा खोली दिने।  कच्चा माल तो गढ़वाल मा उपलब्ध छैंइ छौ अर सुप्त मांग (लेटेंट डिमांड ) तो छैंइ छौ त दे दना दन डाँडो अर गदनुं मां  गैरसरकारी कच्ची शराब की भट्टी खुली गेन।  हमर पटवारी बि जाणदा छा कि आयातित देसी दारु से गढ़वाल कु पैसा मैदानु मा जाणु च त सबि पटवार्युंन कच्ची शराब जन लघु उद्यम तैं परिश्रय दे अर  हरेक पट्टी मा जनसंख्या का हिसाब से कच्ची शराब की भट्टी खुलीं छन।  अब आप तैं घर बैठ्यां शराब बि मिल जांद अर कच्ची शराब उद्यम से जुड्यां लोगुं तैं रोजगार बि मिलद।  भौत हद तक कच्ची शराब की भट्टियुं से पलायन बि रुकणु च। यदि नारायण दत्त तिवाड़ी जी तैं मैदानी विकास पुरुष बुले जांद तो पटवार्युं तैं कुटीर उद्योग प्रोत्साहन कर्ता बुले जांद।  मेरी तो उत्तराखंड सरकार  से मांग च कि हरेक पटवारी चौकी तैं एक बड़ो पशस्ति पत्र जावो जैमा घोषणा ह्वावो कि हमारा पटवार्युं का   अथक परिश्रम से ही गढ़वाल मा कच्ची शराब कुटीर उद्योग फल अर फूल।  एक प्रशस्ति पत्र भविष्य मा पटवार्युं द्वारा कच्ची शराब विकास योजनाओ तैं बढ़ावा दीणो बान बि मिलण चयेंद।  हम सब तैं अपण पटवार्युं पर शत प्रतिशत भरोसा च कि भविष्य मा बि हरेक पटवारी कच्ची शराब कुटीर उद्योग विकास मा भरपूर सहयोग ही ना अपितु ये अमृत तुल्य उद्योग का वास्ता नया नया युवा उद्योगपति अर कर्मिक लाणो बान परिश्रम कारल। 
             हमारा पटवारी कच्ची शराब बणाणो बान नया नया उद्योगपतियो तैं खुज्याणो पूरा प्रयत्न करणा रौंदन।  यही कारण च मजाल च कि कै बि क्षेत्र मा कच्ची शराब की कमी ह्वावो।  एक भट्टी बंद ह्वावो ना पटवारी जी का प्रत्साहन से दस भट्टी खुल जांदन।  भौत सि जगा तो पटवारी जीक चपड़ासी नया उद्यमियों अर कर्मिकों तैं कच्ची शराब बणानो प्रशिक्षण बि दीन्दन। यो अभिनव प्रयोग केवल गढ़वाल ही ना भारत का अन्य पिछड़ा इलाकों मा बि दिखे ग्याई कि पटवारी जीक चपड़ासी शराब बणानो गुरु जन प्रशिक्षण बि दीन्दन।  मेरी त राय च कि इन चपड़ास्युं तैं गुरु द्रोणाचार्य पुरुष्कार मिलण ही चयेंद।  
               पटवार्युं मानण च कि यदि ग्रामीण गढ़वाल मा शराब की भट्टी बंद ह्वे जाली तो बिजनौर अर देहरादून जिलौं बिटेन देसी दारु आण शुरू ह्वे जाली अर गढ़वाल कु  परिश्रम से कमायुं  या मनी ऑडर से अयूं पैसा मैदानी इलाकों मा चलि  जालु।  तो सरकार बि नि चांदी कि गढ़वाल का लघु उद्यम पर बुरु प्रभाव  पोड़.  यो ही कारण च कि कुछ गैरसामाजिक सरोकारी सामाजिक चिंतकों की बात सरकार कतै नि सुणदी।   
                कुछ पटवार्युं बुलण च बल अब समौ आइ गे कि गढ़वाल कच्ची शराब उद्यमियुं तैं रिसर्च अर डेवलपमेंट मा  निवेश करण चयेंद अर अपण कच्ची शराब की क्वालिटी व्हिस्की बरोबर करण चयेंद।  दिख्या तब क्या हूंद धौं हमर कच्ची शराब निर्माता पटवार्युं सलाह सुणद छन कि ना ? 


   Copyright@ Bhishma Kukreti  6 /2/2014 



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