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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, February 6, 2014

हौंस आंद जब पटवारी बुलद बल वैन घ्वीडौ शिकार नि चाख !

चुनगेर ,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती        


(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )

                परार  या वांसे पैलाक छ्वीं छन।  उत्तरकाशी मा पटवार्युं तीन दिनौ सम्मलेन छौ।  श्याम दैं  भ्रातृ मिलन नाम की पार्टी होंदी छे।  पार्टी प्रायोजित होंदि छे।  कैदिन सड़कों ठेकेदारूं यूनियन पार्टी प्रायोजित करदी छे , हैंक दिन मनरेगा  ठेकेदार पार्टी स्पोंसर करदा छा।  वीं रात जंगळु ठेकेदारूंन पटवारी भ्रातृ सम्मेलन स्पोंसर कार।  उन त तहसीलदार , कानूनगो बि भ्रातृ सम्मलेन मा शामिल छा पर ऑफिसियली नि छा।
             इम्पोर्टेड शराबौ  इंतजाम  कंट्री लिकर मैन्युफैक्चरर्स असोसिएसन (अनॉथराइज्ड ऐंड अनरजिस्टर्ड )  की तरफ से छौ।  वेजिटेरियन खाणा उत्तरकाशी पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन का तरफ से छौ त मटन -मच्छी का स्पौंसर छ्या वाइल्ड ऐंड रियर ऐनिमल प्रोटेक्सन संस्था। 
दारु पीन्द दैं चखणा   बाइटिंग मा चार पांच जानवरुं घ्वीड़ , काखड़ , खरगोश , बणकुखड़ , शौल की सूकी शिकार , कळेजी फंफस आदि छौ।  जब वाइल्ड ऐंड रियर वाइल्ड संस्था स्पोंसर ह्वावो तो उख घर्या   जानवरुं शिकार हूणो मतलब ही नि छौ।  
जमोला कु  पटवारीन एक मटन क्यूब चाख अर पूछी दे ," अरे या शिकार कुछ कुछ खट्टी च।  क्यांक शिकार च "
जमोला कु पटवारी की बात सुणन छौ कि उत्तरकाशी जिला का सबि पटवारी हंसण मिसे गेन।  इख तलक कि अनऑफिसियली अयाँ तहसीलदार अर कानूनगो बि हंसण बिसे गेन। 
एक अनऑफिसियल गेस्ट कानूनगोन पुछि ," जमोला का पटवारी जी ! तुम तैं समज मा नि आयि कि या मटन की टुकड़ी कै जानवर की च ?"
जमोला का पटवारिन जबाब दे , " सची ! मीन या शिकार पैल दै खाइ। "
फिर जमोला का पटवारी तैं सबि तरां की इख तलक कि सुंगरौ शिकार खलाये गे।  पण गौ बुरी चीज च जु जमोला का पटवारी तैं पता चौल हो कि क्यांक शिकार च। 
जमोला का  पटवारी तैं बताये गए कि क्वा शिकार घ्वीडै क च , क्वा काखड़ की  च , क्वा शौल की शिकार च अर क्वा खरगोश की च। 
जमोला का पटवारीन सबी जंगली जानवरो शिकार चाखिक ब्वाल ," सबि शिकार त सवादि छन पण यूं जानवरुं तैं मरण त कानूनन अपराध च कि ना ?"
इन सूणिक सबी खत खत कौरिक हंसण बिसे गेन। पुछ्द पुछ्द पता चौल कि जमोला का यु पटवारी क़ानून को पक्की तरह से पालन करदो। 
तहसीलदारन हंसद हंसद ब्वाल ," ये मेरि ब्वे ! तबि जमोला की रिपोर्ट च कि उख जंगली जानवरुं तादाद भौत बढ़ी गे।  इन पटवारी जख होलु तो जंगली जानवरुं तादाद बढणि च। "
            वीं रात पार्टी मा यीं बात की चर्चा हूणि राइ कि ये 2 G , कोलगेट का जमाना मा इन पटवारी बि छन जु अपण कार्य क्षेत्र मा जंगली जानवरुं शिकार नि हूण दीणा छन।  इन पटवारी पटवारी समाज मा अभिन्न प्रजाति का पटवारी माने जांदन अर इन पटवारी तैं म्यूजियम का पटवारी बुले जांद जो सिर्फ़ म्यूजियम लैक हूंद।  यदि गढ़वाल का सबि पटवारी जंगली जानवरुं रक्षा इनी करणा राला तो एक दिन गढ़वाल मा खाली जानवर ही राला अर सब लोग  मैदानु जोग ह्वे जाला।   
दुसर दिन जमोला का पटवारी तैं डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट का हाथों 'इमानदार पटवारी ' का प्रसस्ति पत्र दिए गे।  जमोला का पटवारी ये प्रसस्ति पत्र पैक जिंदगी मा पैल बार  खुस ह्वाइ अर वैन जब या खबर अपण परिवार तैं फोन पर सुणाइ तो सरा परिवार असीम दुःख से बेहोस ह्वे गे। 
             जी हां यदि कै कुत्ता , शेर , स्याळ का गौळुन्द गळपट्टा ह्वावो कि यु कुत्ता , शेर या स्याळ शाकाहारी च तो क्या ह्वाल ? उनी कै पटवारी तैं 'इमानदारी ' का प्रसस्ति पत्र मिल जावो तो पटवारिक परिवारन बेहोस ही हूण. पटवारी ईमानदार च की  खबर या छवि माने पटवारी तैं लोग  घूस दीण बंद कौरि दीन्दन अर फोकट मा अपण काम   करांदन।  इन इमानदार पटवारी का परिवार तो रोज महान दुख का सागर मा बा काटद  (गोता लगांद  ) होला  कि ना ? जु पटवारी या नेता घूस नि ल्यावो वै तै दंतविहीन शेर बुले जांद।
            पटवारी समाज मा पटवारी की सबसे बड़ी बेइज्ज्ती तब हूंद जब वै तैं सरकार का तरफ बिटेन 'ईमानदार पटवारी ' कु प्रसस्ति पत्र दिए जावो।  यां से बड़ी बेज्ज्ती पटवारी समाज मा छैंइ नी  च।   कै पटवारी तैं मा बैणी गाळि द्यावो तो पटवारी तैं बुरु नि लगद पण जरा तुम ब्वालो कि पटवारी जी बहुत ही इमानदार छन तो पटवारी तुमर दांत तोड़ी द्यालो।  पटवारी की ईमानदार छवि माने पटवारी ही ना ब्लॉक  प्रमुख, कानूनगो ,  तहसीलदार का परिवार का वास्ता आर्थिक मंदी याने इकॉनोमिकल रिसेसन।  
                    पोर प्रताप नगर तहसील मा भरपूर का पटवारी अर तहसीलदार मा झगड़ा ह्वे गे। असल मा झगड़ा यु छौ कि तहसीलदार तैं वै मैना केवल एक लाख मिलेन (अवश्य ही  घूस )।. जब कि तहसीलदार का रिकॉर्ड का हिसाब से तीन लाख मिलण चयेंद छा। तहसीलदार कु बुलण छौ कि बेइमानी का काम मा इमानदारी बरते जाण चयेंद।  तहसीलदारन सही बात बोलि कि बेइमानी का काम मा बि बेइमानी हूण मिसे जावो तो बेइमानु धर्म भ्रष्ट नि ह्वे जालु ? खैर भरपूर कु पटवारी नि मान कि वू बेईमानी का काम मा बि बेईमानी करणु च।   तहसीलदारन भरपूर कु पटवारी तैं धमकी दे दे" त्वै तैं देखि ल्योल कि ईमानदारी क्या हूंद अर बेईमानी क्या हूंद !". भरपुर का पटवारीन बि धमकी स्वीकार कार किलैकि क्षेत्रीय विधायक तो पटवारी कु साडो भाय छौ ," जु त्वै से ह्वे सकुद स्यु कौरी ले।  तू म्यार चुसणा बि नि उखाड़ सकदी। "
                 तहसीलदार बि पुरण जमानो कु थोकदारूं खानदान कु छौ। वू पैल दस दैं टिहरी गयाइ अर फिर छै दैं देहरादून ग्याई अर तिकड़म से भरपूर कु पटवारी कु वास्ता  मुख्यमंत्री द्वारा 'महान इमानदार पटवारी ' प्रसस्ति पत्र कु इंतजाम कौरिक ऐ गे।  प्रसस्ति पत्र की घोषणा हूण मा छै दिन रयां छा कि भरपूर का पटवारी तैं पता चल ग्याई कि वै तैं मुख्यमंत्री द्वारा 'महान इमानदार पटवारी ' प्रसस्ति पत्र मिलण वाळ च तो वु प्रतापनगर का तहसीलदार मा ग्याई पटवारीन दस अधिकार्युं समिण तहसीलदार का खुट मा मुंड धार।  तब जैक तहसीलदारन  सालों पुराणी एक बंद पडीं रिपोर्ट का हवाला दे कि चूँकि भरपूर का पटवारी पर भ्रस्टाचार कु एक केस चलणु च त पटवारी तैं ईमानदारी का प्रसस्ति पत्र नि दिए जावु। 
                     पटवारी तैं खुलेआम भ्रस्ट ब्वालो तो वो खुस हूंद किलैकि भ्रस्ट छवि से जादा ऊपरी कमाई हूंद किन्तु यदि आप पटवारी तैं ईमानदार पटवारी बोलिल्या तो वो तुमर कुल्ली (मुंड कु एक भाग ) फोड़ी दयालो किलैकि ईमानदार छवि ऊपरी कमाई का स्रोत्र बंद करांदी।  




Copyright@ Bhishma Kukreti  7 /2/2014 


*कथा , स्थान व नाम काल्पनिक हैं।  
[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक  से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  द्वारा  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वालेद्वारा   पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले द्वारा   भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले द्वारा   धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले द्वारा  वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  द्वारा  पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक द्वारा  विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक द्वारा  पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक द्वारा  सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखकद्वारा  सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक द्वारा  राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, राजनीति में परिवार वाद -वंशवाद   पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ग्रामीण सिंचाई   विषयक  गढ़वाली हास्य व्यंग्य, विज्ञान की अवहेलना संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य  ; ढोंगी धर्म निरपरेक्ष राजनेताओं पर आक्षेप , व्यंग्य , अन्धविश्वास  पर चोट करते गढ़वाली हास्य व्यंग्य    श्रृंखला जारी  ]   

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