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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Sunday, January 5, 2014

राजकीय शिक्षक पारितोषिक कु पेंच

  चुगनेर,चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती 


(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
चीफ एज्युकेशन सेक्रेटरी -रावत  सर ब्याळि पिरांडा का उपप्रधान मंत्री दगड़ प्रोग्रैम सफल छौ ना ?
शिक्षा मंत्री घ्याळ दा - हां हमर तरफ से नाटक क्या नौटंकी सफल ही छे। 
रावत - सर ! नौटंकी ?
घ्याळ दा - हाँ जब एक राज्य कु शिक्षा मंत्री दून स्कूल तैं राज्य शिक्षा की प्रतिनिधि स्कूल बतालो तो वो नौटंकी नी च त क्या च ?
रावत - बट सर दून स्कूल आखिर उत्तराखंड की शान च। 
घ्याळ दा - रावत जी तुम  त इन बुलणा छां जन बुल्यां   राज्य   सरकार की वजै से दून स्कूल इथगा प्रतिष्ठित स्कूल होलु ?
रावत -हां पण  …। 
घ्याळ दा - अच्छा जाणि द्यावो शिक्षा स्टैंडर्ड पर फिर से चिंतन होलु।  वो जौं  ऑफिसरुं ट्रांसफर पहाडुं मा हुयूं च पर वो उख नि जाणा छन।  पैल आज उख पर फैसला करण जरुरी च। 
रावत -सर मिस्टर माणावालन नि बथाइ कि यु विषय चिमुल्ठु पेथण च  .... 
घ्याळ दा - हां यु विषय पेट्रोल की टांकी च अर ये तैं झौळ नि दिखाण।  पण कुछ तो मीन करणी ही च। 
रावत -सर ! आइ एम विद यू।  बट अबि आप तैं एक मुख्य काम निपटाण जरुरी च। 
घ्याळ दा - क्या ?
रावत -अगला मैना राजभवन मा ग्रामीण राजकीय  शिक्षक पारितोषिक समारोह च त पचास  शिक्षकुं चुनाव करण।
घ्याळ दा - ग्रामीण राजकीय  शिक्षक पारितोषिक ?
रावत -जी हां। 
घ्याळ दा - यु पारितोषिक या इनाम क्यांक च भै चीफ एज्युकेशन सेक्रेटरी जी ?
रावत -जी वु जौं जौं  मास्टरुन ग्रामीण शिक्षा क्षेत्र मा विशेष काम कार ऊं तैं राज्य कु तरफ से सम्मानित करे जांद।
घ्याळ दा (अट्टहास ) - वाह ग्रामीण शिक्षा मड़गट याने श्मशान जोग हुईं च अर हम मड़ोयुं (मुर्दा ले जाने वाले) तैं सम्मानित करणा छंवां ! 
रावत -सर।   शिक्षा मंत्री का गिच्च पर  यु रिमार्क सूट नि करद।  आप अपण विभाग की तौहीन स्व्यम्  ही नि कौर सकदां। 
घ्याळ दा -  मतबल छींटा कशी केवल विरोध पार्टी ही कौर सकद ।
रावत -येस सर !
घ्याळ दा - हां त याद च ? जब हमारी पार्टी विरोध पक्ष मा छे त हमर पार्टीक बड़ा नेतान विधान सभामा यु ही बयान नि दे छौ कि ग्रामीण राज्य शिक्षक पारितोषिक याने मड़ोयुं तैं सम्मान्नित करण ? 
रावत -हां पण तब क्या ह्वे छौ कि भूतपूर्व विधायक का क्षेत्र से इन शिक्षकों तैं सम्मान्नित करे गे  छौ जु  विधायक जीका घोर विरोधी छा।
घ्याळ दा - ये मेरि ब्वे मीन समझ छौ कि हमर पार्टी नेता तैं गिरदी शिक्षा कु दुख छौ। 
रावत -सर वाकुणि  इ त राजनीति बुले जांद।
घ्याळ दा - एक बात बतावो मीन इखम बैठिक कनकै पता लगाण कि कु शिक्षक कै लैक च ?
रावत -सर आप तैं ऊनि बि कुछ नि करण। 
घ्याळ दा - क्या मतबल ?
रावत -मतबल या च।  हमर ऐडमिनिस्ट्रेटिव विभागन तीन सौ काबिल अध्यापकुं लिस्ट भौत दिन  बिटेन तैयार करीं च। 
घ्याळ दा - अच्छा तो मीन तीन सौ काबिल अध्यापकुं मादे यि  खुज्याण कि वु ढाई सौ नाकाबिल शिक्षक कु छन अर पचास काबिल शिक्षक कु छन?
रावत -नै नै सर।  आप तैं इन कुछ  नि करण।  आप तैं ये प्रेस नोट मा दस्तखत करण कि शीघ्र ही  पारितोषिक हेतु शिक्षकों की सूची बणी जालि। 
घ्याळ दा - फिर ?
रावत -फिर अपने आप आपम आपकी पार्टी का विधयकों , बड़ा नेताओं , छुट मुट नेताओं, इख तलक कि विरोधी नेताओं का  फोन आलो कि कै शिक्षक तैं पारितोषिक मिलण चयेंद।  जादातर फोन इन आला कि कै शिक्षक तैं पारितोषिक नि मिलण चयेंद।
घ्याळ दा - हैं ! मतबल यी शिक्षक पारितोषिक लैक नि छन ?
रावत -सर जु तीन सौ की लिस्ट च उखमा सबि अध्यापक पारितोषिक लैक  शत प्रतिशत काबिल शिक्षक छन। 
घ्याळ दा - पण फिर मेरी पार्टि का लोगुं फोन आलु कु अर्थ क्या च ?
रावत -सर या पद्धति ही तो प्रजातांत्रिक पद्धति च। टीचर'स   अवार्ड्स बाइ इन्वॉल्विंग पीपल।
घ्याळ दा - एक बात त मानण पोड़ल रावत जी कि तुम प्रशासनिक सेवा वाळ गोबर के लड्डू पर चांदी का वर्क लगाने में भी उस्ताद हो। 
रावत -येस सर ! नो सर !
 ** कल पढ़ें कि शिक्षक पारितोषिक के लिए शिक्षा मंत्री के पास कैसे कैसे फोन आये या कैसी कैसी अप्रोचें आयीँ .
Copyright@ Bhishma Kukreti  /1/2014 



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