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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, January 30, 2014

राहुल जी जनसम्पर्क से कुछ नि ह्वाइ त विज्ञापन जि क्या मुखड़ि लाल कारल ?

भीष्म कुकरेती        



               अचकाल लोकसभा चुनावुं  कारण सब पर विज्ञापन कु  काल भैरव लग्युं च।  क्वी राजनीतिज्ञ अपण मुख पर रंगुड़ लपोड़ीक कैमरा समिण आणा छन , क्वी नेता चूना पोतिक फोटो खैंचाणा छन।  क्वी मुख्यमंत्री  उत्तरप्रदेश का लोगुं तैं बताणु च बल उत्तरप्रदेश मा ताजमहल च , क्वी विज्ञापन मा बुलणु च बल मि युवा छौं।  जैमा जथगा सरकारी पैसा छन वो उथगा जोरुं से बताणु च हम कै से कम नि छंवां।  बाकी चंदा का पैसा से विज्ञापनाहुति  दीणा छन।  
  चुनाव मौसम आण से पैल एक मौसम आंद 'प्री इलेक्सन सीजन ' याने विज्ञापन मौसम।  अजकाल विज्ञापन बंगाल का काळु जादू ह्वे गेन अर सब राजनीतिज्ञ भूली गेन , बिसरी गेन कि  इण्डिया शाइनिंग  कन भद पिटी छे अर बिचारा लाल कृष्ण अडवाणी अबी तलक ' मिनिस्टर इन वेटिंग ' का वेटिंग रूम  मा वेट करणा छन।
                   खौंळेणे बात या च ज्वा राजनीतिक  छवि जनसम्पर्क से हासिल हूंदी वीं छवि पाणो बान पोलिटिकल पार्टी विज्ञापन का सहारा लीणा छन।  जनसम्पर्क छोड़िक विज्ञापन करण इन च जन फुल्टा भौरिक भात से पुटुक  नि भर्यायी  त फुल्टा चाटिक क्या होलु ?
इख तलक कि व्यापार मा बि विज्ञापन छवि बणाणो अंतिम हथियार माने जांद। 
           अजकाल राहुल गांधी तैं युवा नेता घोषित करणो विज्ञापन टीवी चैनेलों मा अर आउट डोअर मीडिया मा जोर शोरुं से चलणा छन।  जु विज्ञापन का विद्वान या अनुभवी छन वू बतै सकदन कि यी विज्ञापन सबूत च क्वी ब्रैंड (कांग्रेस ) अंतिम लड़ाइ का हथियार लेक मैदान मा ऐ गे।  राजनीति मा इन विज्ञापन तबि आंदन जब मौत समणि ह्वावो।  क्वी बि कुमारी   मायावती से नि सिखणु च कि वा प्रेस से बि दूर रौंद पण फिर बि वा अपण वोटरोंकी  राणी च।  मायावती विज्ञापन का सहारा से ऐंच  नि आयी।  केजरीवाल विज्ञापन से इथगा कम समय मा इथगा प्रभावशाली नि बौण बल्कि जनसम्पर्कीय विधि से प्रभावशाली बौण ।  
  राजनीतिक पार्टी वाळु तैं समजण चयेंद कि जख विज्ञापन पेन किलर जन थोड़ा देरा कुण कामयाब ह्वे सकद पण विज्ञापन पेन अव्वाइडर या पेन हीलर नी च। उख  जनसम्पर्क पेन अव्वाइडर अर पेन हीलर च। 
 फिर विज्ञापनो मा विषय या हेडलाइन तैं जनसम्पर्कीय विषय बणये जांद। 
  अचकाल एक विज्ञापन च नरेंद्र मोदी कु जु सरदार पटेल की मूर्ति का वास्ता खेती का लोखरौ  औजार की मांग करणु च।  कॉंग्रेस का नेताओं तैं पता नि चौल कि यी विज्ञपान जनसम्पर्कीय विषय खड़ो करद।  यु सरदार पटेल की मूर्ति कु विज्ञापन एक बहस शुरू करद जब कि राहुल गांधी कु विज्ञापन बहस बंद करदु। जनसम्पर्कीय  विज्ञापन से ब्रैंड का विषय मा लोग बात करदन अर विज्ञापनी विषय का विज्ञापन से लोग ब्रैंड का विषय मा बात करण बंद करी दीन्दन।  
          जु विज्ञापन ब्रैंड का प्रति समाचार पैदा कारो तो वो विज्ञापन प्रभावशाली हूंद।  राहुल गांधी कु विज्ञपान वास्तव मा समाचार ही नी  च। इनी मुलायम कु शहजादा अखिलेश कु विज्ञापन च जु समाचार ही नि बणनु च तो इन विज्ञापन क्याक कामौक ?
विज्ञापन वास्तव मा विश्वास लैक नि होंदन या  विश्वास खतम करदन जब कि जनसम्पर्क या जनसम्पर्कीय आधारित विज्ञापन विश्वास या प्रतिष्ठा बढ़ान्द।
विज्ञापन कै बि ब्रैंड कु निर्वाह वाहन या रखरखाव (मेंटेन ) कु एक जरिया च. जनसम्पर्कीय विज्ञापन या जनसम्पर्क कु काम विश्वास अर प्रतिष्ठा बड़ांद तो राजनेतिक विज्ञापनो मा इन तत्व ह्वावन जो विश्वास का तरफ ढळक्यां ह्वावन।
 विज्ञापन हवा कु चलण च जब कि जनसम्पर्क सूर्य च। 
विज्ञापन शब्दुं खेल मने जांद जब कि जनसम्पर्क एक दृश्य पैदा करद। 
विज्ञापन रिखड़ा छन तो जनसम्पर्क एक खाका हूंद।
 विज्ञापन सब जगा पौंछद पण जनसम्पर्क काम का ही ग्राहकूं तक पौंछद अर जु बिंडी अटकदू वू खन्नु फटकदू।  विज्ञापन ध्यानविहीन हूंद  त ध्यानविहीन प्रभाव डाळदु जब कि जनसम्पर्क पट्ट उखि असर डाळदु  जख जरूरत च। 
विज्ञापन बरखा च अर जनसम्पर्क कूल च। 
विज्ञापन स्वमुखी या स्वचिंता मुखी हूंद जब कि जनसम्पर्क परमुखी या परचिंता मुखी हूंद।
विज्ञापन मर्युं याने उदासीन हूंद अर जनसम्पर्क जीवंत हूंद। 
विज्ञापन मैंगू हूंद अर जनसम्पर्क सस्तु हूंद। 
विज्ञापन नकल हूंद अर जनसम्पर्क मौलिक हूंद। 
विज्ञापन अविश्वास पैदा करद जब कि जनसम्पर्क विश्वास पैदा करद।  
विज्ञापन मजका हूंद अर जनसम्पर्क गम्भीर हूंद। 
विज्ञापन मरम्मत कु काम करद जब कि जनसम्पर्क छवि निर्माण करद । 
विज्ञापन तैं  चौड़ बिसर जांदन जब कि जनसम्पर्क यादगार हूंद। 
 
जनसंपर्क तैं विज्ञापन  जरूरत नि होंदी जब कि विज्ञापन तैं जनसम्पर्क की जरूरत हूंद।  
विज्ञपान उयाद नौनु च जब कि जनसम्पर्क कमाऊ नौनु च 
जनसम्पर्क समाचार पैदा करद विज्ञापन समाचार खतम करद 

Copyright@ Bhishma Kukreti  29 /1/2014 



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