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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, November 25, 2013

सतपाल महाराज जी ! नै कज्याणि बिगरौ मा पुराणि कज्याण नि बिसरि जैन !

 चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती 

     
(s =आधी अ  = अ , क , का , की ,  आदि )
                 अचकाल क्या बरसों से रिवाज च बल नै नै कज्याणि बिगरौ मा मरद पैलाक कज्याण बिसरि जांद।  पौड़ी क्षेत्रौ सांसद सतपाल महाराज जी का बि इनि हाल दिखेणा छन।  पुराणा जमाना मा हरम संस्कृति मा पुराणि राणि तैं नबाज साबौ दर्शन कर्याँ दसियों साल ह्वे जांद छा अर नबाब साब हर साल नै नै खवानीस दुल्हन तैं हरम जोग करदु छौ।  तथाकथित रेल पुरुष की फोटो दिखुद अर मि तैं यि नबाबजादा याद ऐ जांदन जु पुराणि घरवळिक हिफाजत त करदा नि छा अर नै नै कज्याण्युं कुण नै महल , नै बौड़ी बणान्दा छा । पुराणि कज्याण कुठड़ि पुटुक सड़णि ह्वावो , दम तोड़णि ह्वावो अर बुड्या   नै कज्याण लाणो विचार सरा गां वाळ तैं बताणु कि मीन नै बिगरैलि बांद लाणाइ।  सतपाल महाराज की याद करदु अर मि तैं इतिहास का उ दिन याद ऐ जांदन जब पैल रणिवास मा दस दस कज्याण सालों से राजा प्रतीक्षा करणा रौंदि छे कि राजा आवो त राजकुमार -राजकुमारी पैदा ह्वावन पण राजा च कि अपण नपुंसकता  छुपाणो बान , अपणि इम्पोटेंसी लुकाणो वास्ता हर साल दस नई दुल्हन लांदो छौ। सौ राण्युं नपुंसक पति महाराज  दुनिया मा बुलणु रौंद छौ मि  परजा तैं राजकुमार दीणो बान दूर देस से नई राणि लाणु छौं।  सतपाल महाराज की फोटो देखिक मि तै वै कजे याद ऐ जांद जु छौंद भूख -तीस से बेहाल बच्चों देख भाळ करणम असमर्थ ह्वावो पण चौथु ब्यौ त्यारी मा व्यस्त रावो।
  सतपाल जी यदि महाराज नि हूंद छा त सचमुच मा म्यार मुखान कुजाण क्या क्या गाळी -लाब -काब ऐ जाण छौ धौं। 
सतपाल महाराज जी तताकथित रेल पुरुष नि हूंद छा त मीन सतपाल जीक बांठै धरण छे कि असभ्य से असभ्य गाळी बि शरमा मारन मूक लुकै दींदि !
सतपाल महाराज जीन गढवाळम आश्रम नि खोल्यां हूंदा त मीन सतपाल महाराज जी  तैं इन इन गंदी से गंदी उपमा दीण छे कि केजरीवाल की आप पार्टी मि तैं उत्तराखंड ना सै पण गढ़वाल का पार्टी अध्यक्ष अवश्य बणै  दींदी। 
सतपाल माहाराज जी एक दैं हम लोगुं तैं भरमाणो वास्ता ही सै लोकसभा मा स्थानीय भाषाओं तैं संविधान की आठवीं सूची मा रखणो प्रस्ताव नि लांदा छा त मीन सतपाल जी तैं  खूनी  खजर , खूनी मंजर  , खूनी खंद्वार जन बेहयाई पदवी  देक भाजपा सम्राट से गुजरात रत्न की पदवी त  लेइ  लीण छे।   

  नै नै ! जरा ठहरो ! सतपाल महाराज जी अपण श्रीमती अमृता रावत जी छोड़ि दुसर पत्नी नि लाणा छन।  बात कुछ हौर च। 
 अबि कुछ दिन पैल सतपाल महाराज उप राष्ट्रपति दगड़ लैटिन अमेरिका मा पेरू देस गेन अर सतपाल जीक दिल किनुआ पर ऐ गे।  अर दगड़म उत्तराखंड की उद्यान -बगवान मंत्र्यांणी श्रीमती अमृता रावत को दिल बि पेरू   का किनुआ पर ऐ गे । 
मनुष्य पर दुसरौ कज्याण बिगरैलि  अर दुसरौ कजे कामगति लगणो रोग पुराणो च।  सतपाल महाराज जी अर श्रीमती अमृता रावत तै किनुआ मा उत्तराखंड विकास का वास्ता एक रामबाण   दिखे गे।
किनुआ एक गुलेटिनहीन , उच्च प्रोटीनयुक्त अनाज (स्यूडोसीरल )  च जो कम नमी बलुआ धरती मा बि खूब पैदा ह्वे सकद। 
अब जब सतपाल महाराज जी अर श्रीमती अमृता रावत का दिल किनुआ पर ऐ गे तो इन बुल्याणु च बल पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय का वैज्ञानिक पेरू जाला अर निकट भविष्य मा किनुआ की खेती उत्तराखंड मा बि होलि। सतपाल जीक दलील च बल कम कीमत पर उत्तराखंड्युं तैं एक सम्पूर्ण अनाज मिल  जालो।  सतपाल महाराज पेरू का कई रंगीन मुंगर्युं से भि प्रभावित छन अर सतपाल महाराज यूँ मुंगर्युं तैं उत्तराखंड मा लाण चाणा छन।
सतपाल महारज जी ! क्या उत्तराखंड की समस्या नयो  अनाज नि उपजाणौ  च ? 
क्या उत्तराखंड कृषि की समस्या या च कि उत्तराखंड मा रंगीन मुंगरी नि हूँदन ?
क्वादो -झंगोरा की ही खेती पहाड़ मा दुबर शुरू करवावो तो उत्तराखंड तैं किनुआ की जरूरत ही नी  च।  चलो माना नई कज्याण किनुआ पुराणि कज्याण झंगोरा -क्वादो से जादा उपजाऊ च पण  सासत्व सवाल को जबाब कु द्यालो कि पहाड़ों मा खेती करण वाळ कखन आला ? सतपाल महारज जी ! किनुआ की खेती का वास्ता बि त उत्तराखंड -पहाड़ों मा किसाणु जरोरत होलि कि ना ?
सतपाल साब ! किनुआ की कृषि वास्ता बि त गूणी -बांदर -सुंगर से रक्षा बंदोबस्त की जरूरत होलि कि ना ? 
सतपाल साहब ! पहाड़ों की समस्या क्या क्या फसलो खेती करे जावो कतई नी  च बल्कणम असली समस्या त खाली गाँव छन।   आपका संसदीय क्षेत्र का तो नया रिकॉर्ड च कि पौड़ी जिला मा जनसंख्या मा भारी कमी आणि च। 
सतपाल जी ! पैल इन बतावो कि किनुआ उगाण  असली समस्या को निदान च   क्या ?
पहाड़ों मा अनाज उगाण कदापि बि समस्या निदान नी  च बलकणम समस्या निदान तो बागवानी ही च। 
उत्तराखंड की समस्या किनाउहीन खेती नी च  बलकणम प्रवास्युं द्वारा कृषि मा भागीदारी नि निभाण च।  जब तलक पुंगडूं  असली मालिक प्रवासी कृषि मा भागीदारी नि निभाला तब तलक किनुआ की बात करण फोकटिया सुपिन दिखण च अर शायद प्रवासी बागवानी मा ही भागीदारी निभै सकदन। 
तो सतपाल महाराज जी पैल प्रावास्युं भागीदारी बारा मा समाधान की स्वाचो फिर किनुवा का बारा मा स्वाचो। 
अनाज की खेती मा प्रवास्युं (  खेतों असली मालिक छन ) भागीदारी ह्वैइ नि सकदी तो फिर किनुआ कु उपजालु ? 
अर किनुआ /किनुवा कि खेती इन बि नी  च कि तिल जन ब्वावो अर फिर काटणो ही जावो।  आज यदि इनि जि  फसल उगाण सरल हूंद त पहाड़ी गांवों मा तिल की खेती तैं किले आप बढ़ावा नि दीणा छंवां ?
म्यार सांसद जी ! ऊत्तराखण्ड का पहाड़ों समस्या या नी च कि उख दुनिया का सबसे स्वास्थ्य वर्धक अनाज की खेती नि होंदि ।  पहाड़ों समस्या केवल एकी च कि प्रवासी खेती मा भागीदारी नि निभाणा छन अर प्रवास्यूं भागीदारी बगैर तुम अमृत बी लावो तो खेतिs दशा नि सुधर सकदी ! मेरी दरख्वास्त च बल किनुआ तैं प्रवास्युं भागीदारी से ज्वाड़ो तबि किनुआ का बारा मा ब्वालो 

Copyright@ Bhishma Kukreti  22/11/2013 


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