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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, October 2, 2013

मंत्री जी पर बलात्कार कु केस चलणु च पण मैनेजर स्वच्छ छवि कु इ चयांद !

 चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती 
[ कौन्फेरेंस हाल , अंडाकार मेज , मेज का चारों और नौकरी बान अयाँ प्रार्थी (अप्लिकेंट्स )। समिण पर द्वी कुर्सी मा एक नामी गिरामी नेता जी अर वूंक घरवळि)
नेता जी - प्रिय प्रार्थियो ! जन कि तुम जाणदा छां कि   मि नामी गिरामी संसद सदस्य छौं. या मेरी घरवळि मिसेज नेता जी छन।  मेरि घरवळि क अपण ब्यापार च। मि सिर्फ अपण घरवळि मदद का वास्त इख आयुं छौं। 
मिसेज नेता जी- ये साल हमर ब्यापार सौ करोड़ पर पौंछि गे पण साल द्वी सालम पांच हजार करोड़ कु ह्वे जालो।  मि तैं ये ब्यापार चलाणों बान कर्मठ अर इमानदार मैनेजर चयाणु च।  
नेता जी -आप सब  प्रिलिमिनरी सलेक्सनमाँ सलेक्ट हुयां छा।  अब ग्रुप डिसकसन मा जु बि पास होलु वु मनैजेर बणये जालु। 
नेता जी - हाँ जी ! कंडीडेट नम्बर वन ! तुमन अपण प्रार्थना पत्र मा ल्याख कि तुमन गुस्सा मा एक सरकारी क्लर्क तैं थप्पड़ मार , भई हम तैं इन मैनेजर नि चयांद जु सरकारी क्लर्क तैं थप्पड़ मारो। 
प्रार्थी नम्बर १  -पण साब तुमर  ख़ास समर्थक विधायकन त कथगा दैं सरकारी मुलाजिमों तैं पीट 
नेता जी -देखो ! राजनीति अलग बात च अर ब्यापार अलग बात च।  हम तैं इन मैनेजर नि चयाणु च जु अपण इमोसन्स काबु नि कौर साक। 
नेता जी - कंडीडेट नम्बर टू ! तुमम मैनेजरों सब गुण छन।  पण तुम पर अभियोग चलणु च बल तुमन एक क्रेडिट सोसाइटी बणाइ अर लोन अपण रिश्तेदारूं मा बाँटी दे ? 
प्रार्थी नम्बर २ -वु सर ! मि तबारी महराष्ट्र कु एक मंत्री चमचा छौ अर देखादेखी मीन बि लोन अपण रिश्तेदारूं मा बाँटी दे।  मंत्री जी महाराष्ट्र कोपरेटिव बैंक घोटाला मा फंस्यां छन। 
नेता जी -देखो ! मंत्री जी कुछ बि कारन वूंकुण  न्यायपालिका च पण हम दागी मनिख तैं अपण ब्यापारो मैनेजर नि बणै सकदवां।  
नेता जी  -कंडीडेट नम्बर थ्री ! तुम मैनैजर लायक छंवां पण ये मेरि ब्वे ! तुम पर त घूस लीणों आरोप च अर कोर्टम मुकदमा चलणु च। 
प्रार्थी नम्बर ३  -जी वो गलती से एक स्टिंग ओपरेसन मा पकड़े ग्यों।
नेता जी -नै नै हम तै अपण बिजिनेस का वास्ता घूस खवा मैनैजर कतै नी चयाणु च।
नेता जी -कंडीडेट नम्बर चार हैं तुम पर त डकैती केस चलणु च। तुमारी त शरम बि हरची गे की एक डकैत हमर ब्यापार कु मैनैजर बौणल ? 
प्रार्थी नम्बर ४ -पर सर ! आप पर त चार डकैती केस चलणा छन अर आप संसद सदस्य छन तो ?
नेता जी -चुप कर ! संसद को काम अलग हूंद अर प्राइवेट बिजिनेस अलग हूंद। 
नेता जी -ओह काबिल कंडीडेट मिल गे।  पण पण… ……
प्रार्थी नम्बर ५  -सर ! वैदिन ब्यौ मा  दारु जरा जादा ह्वे गे छे त एक नौनि की साड़ी उतार दे छे।
नेता जी -यू हरामी ! त्वै तै हिम्मत कनकै ह्वे अप्लिकेसन दीणै ? भंगुल पियुं च म्यार कि बलात्कार का केस मा फंस्यां आदिम तैं मि अपण बिजिनेस मैनैजर बणौल  ? 
प्रार्थी नम्बर५  -पण सर आप पर बि बलात्कार का चार केस चलणा छन फिर बि आप 'स्त्री  सुरक्षा 'संसदीय कमेटी का सदस्य छन कि ना ?
नेता जी -शट अप ! डोंट टीच मी व्हट इज पार्लियामेंट !
नेता जी -अरे वाह ! मिल ग्याइ ! मिल ग्याइ ! कंडीडेट नम्बर सिक्स ! त्यार सब गुण मैनेजर लायक छन अर त्वे पर क्वी बि अभियोग नी च। 
प्रार्थी नम्बर ६  -पण ! माइ डियर संसद सदस्य वी औल  रिजेक्ट यु कम्प्लीटली ! 
नेता जी -क्या मतलब ?
साबि कंडीडेट -हम तुम्हे रिजेक्ट करते हैं।  वाह ! संसद सदस्य जी तुम पर  जघन्य अपराधों के मुकदमा चल रहे हैं।  तुम दागी पुरुष तो संसद सदस्य बने रह सकते हो।  पर तुम्हे अपने ब्यापार के लिए केवल और केवल स्वच्छ छवि , बेदाग़ प्रबंधक चाहिए ? शेम औन यू !ऐसा तुम देस के लिए क्यों नही सोचते हो कि देस को भी बेदागी संसद सदस्य मिले ? शेम औन यू



(मैंने कोशिस  थी कि इस व्यंग्य लेख में केवल सत्य बात लिखूं।  यदि गलती से मिस्टेक में मैंने कल्पना प्रयोग किया हो तो मुझे माफ़ नही करना )
Copyright@ Bhishma Kukreti  3/10/2013 



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]  

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