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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, September 17, 2013

इन Like से भलो त 'Shit ! समझ में नहीं आया' ही ठीक च

 Like से Confuse -भीष्म कुकरेती  
  

  जब बिटेन मि फेसबुक कु चौंतरा मा छ्वीं लगाणो तब बिटेन मि ए 'Like' से बड़ो परेशान छौं।  बिंगण इ मा नि आंद कि Like पर भरवस कौरुं कि नि कौरुं। जु मि Like पर भरवस करदो त म्यार पोस्टिंगुं तैं इथगा Like मिलण पर त मि तैं अब तलक गढवाली भाषा विकासौ बान  उत्तराखंड श्री अर पद्म श्री मील जाण चयाणों छौ।  अर Like पर भरवस नि करदो त फिर सवाल उठदो कि ड्यार बिटेन मेरि गंवाक बौ क  फोन किलै आण  कि हे भीषम ! फेसबुक मा त्यार चाण वाळ अडतालीस हजार एक सौ नौ ह्वे गेन। अर फिर बौन पूछ , "सूण तू त मेरि सौं घटणु छौ कि "हे बौ त्यार अलावा मि तैं क्वी Like नि करदो ". इथगा झूट बुल्दी हैं तू ?" अर जलन- इर्ष्या मा अब बौ म्यार फोन इ नि उठांदि। 

Like की सत्यता परखणो बान मीन खोज खबर ल्याई त कुछ नया नया अनुबह्व ह्वेन।  
जख तलक Like करण वाळु  प्रकार कु सवाल च अबि तलक मि तैं इथगा तरां 'लाइकेर' (Like करण वाळ ) मिलेन -
 
 निदिवा लाइकेर  - यूं  फेसबुक सदस्योंन  जिन्दगी मा अपण बुबा अर नौनु तैं तक आज तक Like नि कार।  यी कंजूस किस्मौ होंदन जु अपण दांतों लू (मैल ) बि कै तै नि द्वावन त Like क्या द्यावन ! 

ठसठस लाइकेर- इन लाइकेर फेसबुक मा Like तैं अमृत माणदन अर बड़ी मुश्किल से कै तैं Like करदन। 
मूडी लाइकेर - इन सदस्य जब मूड आंद त जु बि पोस्टिंग दिखदन दे दनादन Like बटन दबै दींदन।  वै दिन Like का भूखा सदस्य घमंड मा ऑफलाइन मा तूफ़ान मचै दींदन।  

गुटबाजी का  ग्रुप लाइकेर - फेस बुक मा बि औफ़लाइनौ तरां गुटबाजी चलदी अर अपण गुटों सदस्यों बेकार से बेकार ,फंडधुळि छुयुं तैं बि Like करणा रौंदन। अर दुसर गुट की भली ले पोस्टिंग पौढिक  बि Like नि करदन। 

राजनैतिक लाइकेर - अचकाल ट्वीटर , फेस बुक मा राजनैतिक पार्युं लाइकेरूं पिपड़कारो लग्युं रौंद।  अचकाल इन नि दिखे जांद कि ये राजनैतिक नेता तैं कथगा वोट मिलेन अर यु चुनाव जीत च कि ना।  पण अचकाल प्रसिद्धि को माप तोल, मेजरमेंट   सोसल मीडिया मा Like की संख्या से हूंद।  एक जिला परिषद सदस्य फेसबुक का अपण Like संख्या से इथगा प्रेरित ह्वे कि वो विधान सभा चुनाव मा खड़ो ह्वे ग्यायि अर जब चुनाव रिजल्ट आई तो बिचारा की जमानत ही ज्फ्त ह्वे ग्यायी।  बाद मा पता चौल कि वैको विधान सभा क्षेत्र का असली वोटरों मादे  कैमा बि इंटरनेट सुविधा नि छे।  सि द्याखदी नरेंद्र मोदी चुनाव जीतो या नि जीतो फेसबुक -ट्वीटर मा Like संख्या हिसाबन अबि से भारत का प्रधान मंत्री बणी गे। 

पेड लाइकेर - इ राजनैतिक अर उद्योग पतियों चालाकी या मार्केटिंग रणनीति च।  कुछ इन्टरनेट मार्केटिंग कंपन्युं ब्यापार इ या च कि फेस बुक -ट्वीटर अर ब्लौग का वास्ता Like संख्या बढ़ाण।  इन ब्यापारी साइटों तैं प्रति Like का हिसाब से फीस मिलदी।   
अळगसि याने कबि -कब्यारो लाइकेर - यि Like की अहमियत का बारा मा संवेदनशील नि छन बस कबि कब्यार कै पोस्ट तै Like कर  दींदन . वस्तुत: यी आदतन अळगसि होंदन अर Like करण मा बि सोचदन कि कु माउस पर हाथ लगाओं !
संटर्वा -बंटर्वा का लाइकेर - या कौम जादातर लेखक अर अभिव्यक्ति का अति भूखा किस्मौ लोगुंक च।  यी बार्टर सिधांत का मुताबिक़ वूंकी पोस्ट Like करदन जो यूंकि पोस्ट Like करदन।  यूंक सिधांत च एक हाथ दे दूसरे  हाथ से ले। आप यूँ तैं द्वी दैं Like कारो त यि आप तैं द्वी दैं Like कारल।  हिसाब किताब का मामला मा यी डेबिट -क्रेडिट का बारा मा अति होशियार होंदन ।  
अहसानमंद लाइकेर -  फेसबुक या सोसल मीडिया मा यूँ तैं यदि आपन कबि Like कौरि द्यायि त यि जिन्दगी भर तुम तै Like करणा रौंदन। 

मुखमुल्यजा  लाइकेर - अब फेस बुक मा जाण -पछ्याणक वाळ बि हूँदन त वूंकि पोस्ट तैं Like करण ही पोड़द।  
विश्लेषक लाइकेर -यी पोस्ट तैं पैल पढ़दा छन अर तबि Like करदन।  पण या कौम बहुत कम संख्या मा च। 
अपण सिद्धांत पर अडिग लाइकेर - यी कै सिद्धांत जन पर्यावरण वादी , साम्यवादी हूंदन अर केवल अपण सिद्धांतौ पोस्ट तैं Like करदन। 

उत्तराखंड समस्या प्रेमी लाइकेर - यी जादातर प्रवासी हूंदन अर यकीनन यूंन ड्यार नि बौड़ण पण हर समय चांदन कि उत्तराखंड की समस्याओं पर ही बात ह्वावो।  बस जनि उत्तराखंड के समस्या को शीर्षक पोस्ट ह्वावो ना कि यी Like का बटन दबै दींदन। 
उत्तराखंड विकासवादी लाइकेर - यी चांदन कि फेसबुक मा केवल उत्तराखंड को विकास की बात ह्वावो।  बस उत्तराखंड विकास की पोस्ट तै ही  Like करदन। 

सुदि  -मुदि का लाइकेर - यी बस आदतन लाइकेर छन।   जरा आप पोस्ट कारो कि 'मुंबई के श्री गीताराम भट्ट की देहरादून में मृत्यु ' त यी फटाक से Like कर दींदन।  आज ही बालकृष्ण भट्ट जीन समाचार दे बल -"मंत्री हड़क सिंह की पार्टी में गोली चली " त दसियों Like की प्रतिक्रिया ऐ।  

           मि तैं अनुभव च कि मि इना गढ़वळि मा लेख पोस्ट करदो कि आधा सेकंड मा Like ह्वे जांद जबकि लेख की हेडिंग पढ़ण मा द्वी सेकंड लगदन।  सुदि -मुदि का लाइकेर सबसे जादा खतरनाक हूंदन किलै कि लेखक तै पता ही नि चलदो कि पाठक क्या विषय पसंद करणा छन। 

पण एक बात बथाओ नि मामा होण से बढ़िया त काणु मामा ही भलो लगुद।  ऊनि हम गढ़वळि लिख्वारुं तै क्वी पुछण वाळ त छ ना तो सुदि -मुदि की Like बि मिल जावो त हमकुण यो ही काफी च।  


Copyright@ Bhishma Kukreti  18 /9/2013 



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

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