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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, September 3, 2013

सचिन तेंदुलकर रिटायर ह्वालु कि ना ?

 चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती  
 
  मि मि मुंबई बिटेन ड्यार जाण वाळ छौ त स्वाच प्रवासी भै बन्धुं तैं बथै द्यूं कि ऊंक गाँ मा कुछ काम ह्वाउ त करै द्योलु। 
मीन अमेरिका मा डा विनोद  भैजि कुण फोन कार ," भैजि मि ड्यार जाणु छौं. गाँ मा तुमर पिता जी अस्सी सालौ ह्वे गेन अर अबि बि ग्राम प्रधान छन।  तुमर बि इच्छा छे कि अब बाडौ आराम करणा दिन छन।  तो क्या बाडा  तै पूछुं कि वो कब रिटायर होला ?"
डा विनोद  भैजिन जबाब दीणो जगा सवाल इ करि  दे ," सूण अचकाल मि समाचार सुणणु छौं बल सचिन 200 वां टेस्ट खेलिक रिटायर हूणु च ! जरा अपण सोर्सुं से पता त लगा सचिन सचमुच मा रिटायर हूणु च ?"
मि विनोद  दादाम  गांक बारा मा बोलुं त विनोद  भैजि विषय पल्टी कौरि सचिन पर विषय लै जावु।  बस मीन फोन काटी दे। 
 मीन ऑस्ट्रेलिया मा गजेन्द्र काका कुण फोन कार ," गजे काका ! मि ड्यार जाणु छौं अर गां मा  तुमर भतिजु सुरेंदर अल्कौहलिक ह्वै ग्यायि। त क्या वै तैं रिहैबिलेसनक बान देहरादून ली जौं ?"
गजेन्द्र काकन पूछ , " छोड़ रै सुरेन्द्र की छ्वीं।  सुरेन्द्र का बारा मा बौ तै पूछि लेन।  तु जरा  बथादि कि सचिन रिटायरमेंट का बाद खूब छक्कैक दारु प्यालु या अफु पर कंट्रोल कारल  करदो ?"
मीन बि  बात कौरिक फिर फोन काटि दे।  
प्रभात जब परार संजैत  नागराजा पुजैम गां ऐ छौ त गां मा एक आइ टी आइ का तर्ज पर  टेक्नीकल स्कूल खुलणो बान बड़ो उत्साहित छौ . मीन जापान प्रभात कुण फोन लगाइ," हे प्रभात !मि गां जाणु छौं।  अर मीन गां मा टेक्नीकल स्कूल खुलणौ प्रोजेक्ट रिपोर्ट बि बणै याल।  तीन मैना पैल त्वेकुण प्रोजेक्ट रिपोर्ट भेजि छे।  क्या ह्वाइ तीन अपण टिप्पणी नि दे ? क्या मि गां जैक सरकारौ दगड़ चिट्ठी पतरी चलौं ?"
प्रभात कु  जबाब छौ ," इथगा बि क्या जल्दी च।  खुलि त जाल टेक्नीकल स्कूल।  हाँ ! एक बात बथावदि कि क्या सचिन रिटायरमेंट का बाद ग्रेजुएसन पूर कारल कि ना ? या ऊनि ?"
प्रभातौ बान  गाँ मा टेक्नीकल स्कूल से जादा महत्वपूर्ण सचिन तेंदुलकरौ ग्रेजुएसन की डिग्री छे। 
मीन दिल्ली मा प्रोफेसर डा हेमंतs काका  कुण फोन लगाइ।  डा हेमंत हिंदी को बड़ो कवि च।  सात आठ साल पैल गां मा वैक कूड़ उजड़ी गे छौ।  परार र जब संजैत नागराजा पूजा मा हेमंत काका ऐ छौ त कसम खैक गे छौ कि जल्दी  कूड़ की मरम्मत कारल। 
मीन फोन मा ब्वा," हेमंत काका ! मि ड्यार जाणु छौं।  त उख गां मा त्यार कूड़ छंवाणौ ओडूँ   दगड़ बात कौरुं क्या ?"
हेमंत काकान बोलि," नै यार ये साल त कूड़ छाणो  बजेट नी  च।  ये साल हम सबि परिवार वाळ भारत का पुरात्व भवनों तै दिखणौ जाणा छां।  देख पुरात्व भवनों दिखणो जौंला अर वांक बान टिकेट ल्योला त हमारी संस्कृति का प्रतीकुं मरम्मत का वास्ता  खूब पैसा कट्ठा हूंद रालो ।  अच्छा सूण हम जब मुंबई औंला तो  सचिन तेंदुलकरौ बंगला दिखाणौ जिमा त्यार च हां ! पण तैबरी तक त सचिन तेंदुलकर रिटायर बि ह्वे जालु।  सची न्यूज च क्या ?"
हेमंत काका पुरात्व भवनों मरम्मत का बारा मा , सचिन तेंदुलकर का बंगलो बान चिंतित च पण अपण उजड्युं कूड़ो बान गैरफिकर च। 
मीन संगति जै कुण बि फोन कार त सबि सचिन तेंदुलकर का रिटायरमेंट का बारा मा चिंतित दिखेन क्वी बि गां का बारा मा चिंतित नि छौ।  
आखिरै मीन हुस्यर ददा कुण फोन लगाइ। जातिक ल्वार हुस्यर ददा अर   मि हमउमर छंवां। हुस्यर ददा खरी खोटि बात करणों बान फेडु नाम से प्रसिद्ध च।  अजकाल हुस्यर ददा लुधियाना रौंद।  हुस्यर ददा बुलण च शिल्पकारुं तै अगर बिठ  (सवर्ण ) बणण त उख बसण चयांद जख क्वी बि अपण गां वाळ नि ह्वावन।  अर हुस्यर ददाक बुलण च बल मैदान मा ऐक कै बि शिल्पकार तैं गढ़वाळी मा नि बचऴयाण चयेंद।  निथर सवर्ण गढ़वाली लोग शिल्पकारों  तै मैदान मा बि याद दिलान्दन कि वो शिल्पकार छन।   
मीन हुस्यर ददा तैं फोन कार ," हुस्यर ददा ! मि जै तै बि फोन करणु छौं वु मुख्य बात छोड़ि सचिन तेंदुलकर का रिटायरमेंट की छ्वीं पर ऐ   जांदु ?"
हुस्यर ददा न बोलि ," बेटा ! जब भी मनुष्य किसी ना सुलझने वाली समस्या से सामना करता  तो वह समस्या से दूर भागता है और पलायनवादी प्रश्नों या बेकार की समस्याओं के बारे में सोचता है। तूने  गाँव वालों को उन समस्याओं के बारे में पूछा जो वै  सुलझा नही सकते हैं तो फिर वे सचिन तेंदुलकर कब रिटायर होगा जैसे उलजलूल प्रश्नों को पूछकर मुख्य समस्याओं से दूर भागना चाहते हैं। "
हुस्यर ददा कि अभिलाषा छे कि गां मा एक संजैत कूड़ बणये जावो जख एक कमरा मा गांकी पुराणि  प्रतीक जन डिबल, कील -ज्यूड़,घण्यस , पथर अर काठौ पयळ , दौंळी - घांडी, माण - पाथो ,पल्ल आदि संग्रहीत करिक धरे जावन कि हमारी कला की समळौण बचीं रावो। 
मि हुस्यर ददा तैं संजैत संग्राहलय बाराम पुछणि वाळ छौ बल संग्राहलय को क्या ह्वाल कि वां से पैलि हुस्यर ददान पूछ , " अरे भीषम ! तू तो मुंबई में रहता है तो तुझे पता होगा कि सचिन तेंदुलकर के विभिन्न बल्ले , गेंदों, जूतों , पैड्स आदि का म्यूजियम बन रहा है।  वह  तेंदुलकर म्यूजियम तेरे घर से कितना दूर   बन रहा है ?" 



Copyright@ Bhishma Kukreti 4/9/2013 



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