उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Sunday, September 8, 2013

चीनौ अतिक्रमण से आश्चर्य किलै ?

चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती  

                अचकाल मीडिया अर संसद मा भारत मा चीनी सेना को अतिक्रमण की छ्वीं लगणी छन अर उत्तराखंड इन्टरनेट सोसल मीडिया मा बि श्री राम चमोली जन संवेदनशील लोगुंन बि यीं बात पर चर्चा कार बल चीन  हमर धरती या लाइन ऑफ ऐक्सेप्टेड कंट्रोलक  उल्लंघन करणु च। 

 मि तैं ये समौ पर भारतौ वाड सरकाण पर आश्चर्य नि ह्वे।   जी हां मि नि खौंऴयोँ बल भारत की सीमाओं पर चीन   अतिक्रमण करणु च।  या पकिस्तान लाइन ऑफ कंट्रोल को उल्लंघन करणु च। 
ये ही समौ पर मियामार या बर्मा बि आँख घुराणु च। 
येइ बगत नेपाल बि चीनौ दगड़ सांठ गाँठ करणों बान अलग पक्वड़ पकाणु च !
श्री लंका अर मालदीवो बि ज्यू खयाणु च बल भारत तैं नीचा दिखाये ही जावो !
जु भितरै बात समणि आलि त हम तै पता  जालो कि कखि ना कखि अमेरिका , ब्रिटेन , फ्रांस , जापान बि हम तैं आँख दिखाणा होला अर भौत सि  तिराणा बि होला।   

अर सब खौंऴयाणा छन कि इन किलै ?  जब कि खौंळेणै बाति नी च। 
जरा भारत का इतिहास द्याखो त सै।  जरा भारत पर अतिक्रमण या आक्रमण के तिथियों तैं याद कारो त सै त हम पौंला कि भारतम येबरि   इन वातावरण बण्यु च कि जु चाहो हम तैं दनकै सकुद च , हमर सीमा पर आक्रमण सकुद च।  
जरा सिकंदर को आक्रमण याद त कारो कि वै समौ कु वातावरण अर आज कु वातावरण अर सिकंदरौ आक्रमणौ समौ मा कुछ बि अंतर नि च।  सिकंदर का समौ पर  क्षत्रप आपस मा कुत्ता -बिरळु  तरां लड़णा छया अर जब क्षत्रप या क्षेत्रीय शक्तियाँ आपस मा एक नि छया।  जब भारत की क्षेत्रीय शक्तियाँ आपस मा गुत्थम -गुत्था ह्वाला त चीन -पाकिस्तान क्या मालदीव बि अतिक्रमण की स्वाचाल कि ना ? आज भारत मा हरेक प्रादेशिक अर ब्लॉक स्तर कि क्षेत्रीय शक्तियां केवल अपण राजनैतिक स्वार्थ का खातिर क्षेत्रीय अस्मिता की बात करणी छन अर देश को हित की अनदेखी करणा छन तो चीन हमारी सीमा पर अतिक्रमण करणु च त इखमा आश्चर्य किलै ? चीन बि जाणदु च बल जब बि कै देश की क्षेत्रीय शक्ति स्वार्थी ह्वे जावन अर जनहित की जगा राजनैतिक हित महत्वपूर्ण ह्वे जावन तो वो देश रक्षा मामला मा अति हीण ह्वे जांदो।  

जरा अशोक का बाद या गुप्त काल का बाद को भारतौ  इतिहास याद त कारो तो वै इतिहास मा द्वी ख़ास बात ह्वेन ! एक क्षेत्रीय शक्ति अर विभिन्न धार्मिक शक्तियाँ अति महत्वाकांक्षी अर निम्न स्तरीय स्वार्थी ह्वे गे छ्या अर विदेशी अतिक्रमण का  वास्ता समतल जमीन तैयार करणा छ्या। अशोक का बाद केन्द्रीय शक्ति नाम की कैं बि  शक्ति को नामोनिशान नि छयो।  फिर एक विशेष बात हौरि छे कि मौर्य काल या गुप्त काल मा भारत मा जो निर्माणशाला बणी छे वो बंद हूंद गेन अर भारतीय आर्थिक परिवेश माँ केवल ट्रेडर्स , बणिया , बिचौलिया ही रै गे छया अर ट्रेडिंग , बिचौलियापन निर्माण तै पैथर धकेलदु।  अशोक आर फिर गुप्त  काल का बाद बणियागिरी या ट्रेडिंग अगनै आयि अर निर्माणशाला  या अणसाळ खतम हूंद गेन  अर यां से बाह्य ताकतों तैं भारत पर आक्रमण को मौक़ा मील।  
हूण -शक को आक्रमण अर भारत की धरती पर राज करणों एकि कारण छौ क्षेत्रीय अर धार्मिक शक्ति स्वार्थी ह्वे गे छ्या अर निर्माणशालाओं  को खात्मा हूणु छौ , निर्माण शालाओं की जगा ट्रेडिंग प्रवृति भारत मा फैली गे छे.

फिर मोहमद गौरी , मुहमद गजनी या बाबर को आक्रमण का समौ पर बि भारत मा क्षेत्रीय शक्तियों को हद से जादा स्वार्थी हूण अर केन्द्रीय शक्ति मा जबरदस्त ह्रास हूण , निर्माण की अहमियत खतम हूण -निर्माण की जगा ट्रेडिंग को महत्व हूण की परिस्थिति  छे।  
अंग्रेजुं क भारत मा राज आणो  पैथर बि क्षेत्रीय शक्तियों को अति स्वार्थी हूण अर केन्द्रीय शक्ति की अवहेलना त छैं इ छे दगड़म ट्रेडिंग समाज को बि अंग्रेजों तै शत प्रतिशत सहयोग छौ।  

  आज बि भारत मा अति स्वार्थी क्षेत्रीय राजनैतिक शक्तियाँ ,  धार्मिक शक्तियों मा अति स्वार्थ अर निर्माण की जगा ट्रेडिंग तैं महत्व की परिस्थिति छन तो चीन यदि अतिक्रमण क्या आक्रमण बि कारल त इखमा आश्चर्य करणै क्वी बात नी  च . 
यदि चीन को अतिक्रमण रुकण त पैल भारत मा विषैली , स्वार्थी क्षेत्रीय शक्तियों पर लगाम लगण चयेंद अर ट्रेडिंग की प्रवृति छोड़िक निर्माण की प्रवृति तैं प्रश्रय मिलण चयेंद ,   

Copyright@ Bhishma Kukreti 9 /9/2013

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments