उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Sunday, September 8, 2013

भगवान अर मैनेजर इकजनि हूंदन

चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती  

                             खुदा पर जौंक एकाधिकार च या भगवान पर जौंक पूरो अधिकार च वूंन कतै नि मनण बल भगवान एक होशियार , चतुर , व्यवहारकुशल , निपुण प्रबंधक च।  पण जरा विवेचना कारो त सै तुम बि बुलिल बल ईश्वर बेमिसाल मैनेजर, बेमिसाल व्यवस्थापक या अनुपम प्रबंधक च।  
             अनूठा प्रबन्धक वी हूंद जब बि संस्थान मा क्वी भलो काम होउ प्रशंसा पावो अर संस्थान मा गलत ह्वावो त दंड क्रमिक तैं मीलो।  जब बि संस्थान मा भलो काम हूंद त गुणगान कार्मिकों नि होंद बलकणम वाह -वाही या प्रशंसा प्रबन्धक की होंदी।  अर संस्थान मा चोरी , अग्यौ आदि कुछ गलत ह्वे जावो त कर्मिकों तैं हर्जाना भोरण पोड़द।   गलत काम,  घटना की जुमेवारी प्रबन्धक नि लीन्दो पण छुटि छुटि भली बातौ फैदा /क्रेडिट लीण मा प्रबन्धक अग्वाड़ी रौंद। 
            इनि भगवान बि प्रबन्धक च।  अब द्याखो ना ! उत्तराखंड मा बरखा से इथगा बड़ो खंड -मंड ह्वे त  खडं -मंड की सारि जुमेवारी मनिखों पर आयि कि पर्यावरण की अनदेखी , नियमों का  उल्लंघन से उत्तराखंड मा इथगा बड़ी आपदा आयि। उत्तराखंड मा आपदा -विपदा -संकट को भगार मनुष्यों का कुकर्मो पर लगाये गे।
             अर जब इथगा जोरौ भळक  आण पर, रगड़ -बगड़  हूण पर बि मुख्य केदार नाथ बचि गे त बुले गे "ईश्वर   सब  कुछ दिखुद अर ईश्वर की कृपा से मुख्य अर मूल मंदिर बचि गे !". मन्दिर बचि गे त प्रशंसा भगवान की ! अर उजड़ -बिजड़ ह्वाइ त दोष मनुष्यों पर ! कैन बि वै या वूं मनुष्यों बड़ाई नि कार जौन सैकड़ों साल पैल केदार नाथ मन्दिर की इन जगा मा स्थापना करि छे कि जो मन्दिर भयानक से भयनक बाढ़ मा बि बचि जांद ! यो इ  त चतुर प्रबन्धक की खूबी हूंद कि जब बि प्रशंसा बंट्याणो छ्वीं ह्वावो त मैनेजर सबसे अग्वाड़ि हूंद अर जब गाळि खाणो बगत आंदो त व्यवस्थापक मीलों -कोसों दूर अदिखौ  रौंद।  
  भलो काम ह्वै ग्यायि त बुले जांद खुदा  मेहरबान च अर काम बिगड़ि ग्यायि त बुले जांद -"क्या कन तैक करम हि फुट्याँ छन ! या तैन मनिखन जरुर पूरब जनम मा पाप करि होला "  
  कैं बि संस्था मा कर्मिक  काम करदो अर प्रमोसन नि मिलद त बुले जांद ,"व्यवस्थापक तेरी परीक्षा लीणु च !" अर आम जीवन मा बि सुण्याद इ च कि भगवान परीक्षा लीणु च।"
 जरा संस्थानों मा जावदि कर्मिकों तैं ऊंका उत्तरदायित्व क्या छन का बारा मा रोज भाषण दिये जांदन पण मुख्य प्रबंधक की क्या जुमेवारी होंद या छ पर कबि बि कुछ नि बुले जांद। 
इथगा धर्मों का सैकड़ों शास्त्र या धर्म -किताब छन।  कखिम बि कै बि धर्म किताब मा ' ईश्वर की क्या क्या जुम्मेदारी छन' पर कैन बि कुछ नि ल्याख ।  
संस्थाओं मा कर्मिक नियमों हिसाब से काम करणा रौंदन अर साल भर का बाद अपण अपण कर्म पत्री पर्सनल विभाग तैं दींदन फिर वेतन वृद्धि या पदोन्नति को गुप्त, रहस्यात्मक हथियार या फल तो मुख्य प्रबन्धक को ही हाथ मा हूंद कि ना ?
इनि बुले जांद बल "हे मनुष्य ! तू कर्म करदा जा।  फल की चिंता नि कौर। " . अर फल नामक गुप्त भेंट त केवल ईश्वर का ही पास हूंद कि ना ?
भगवान एक जगा मा बैठिक सब कुछ जाणदो अर चालाक व्यवस्थापक बि अपण जासूसों बल पर संस्था के हरेक कार्यविधि की जानकारी पाणु रौंद। 
म्यार त बुलण  च बल तुम तैं कामयाब मैनेजर बणन त भगवान का गुणों अनुसरण , अनुकरण , नकल , देखा-देखि कारो त तुम एक सफल मैनेजर बणि जैल्या !
अब द्याखो ना जु तुम तैं यु लेख पसंद आलो त तुमन बुलण "! ओ मा  गॉड ! भीष्म इज गॉड गिफ्टेड राइटर !"
अर लेख पसंद नि आयि त तुमन बुलण बल ये भीषम तैं लिखणै तमीज नी च ! 
   

Copyright@ Bhishma Kukreti 8 /9/2013 



[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;सांस्कृतिक मुल्य ह्रास पर व्यंग्य , गरीबी समस्या पर व्यंग्य, आम आदमी की परेशानी विषय के व्यंग्य, जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]   

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments