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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, August 7, 2013

घटथापना मन्त्र - Part -2

सन्दर्भ :  डा. विष्णु दत्त कुकरेती की  पुस्तक नाथ पन्थ : गढवाल के परिपेक्ष  में

      इंटरनेट  प्रस्तुति : भीष्म कुकरेती


११- पुरुष : येकीस ताल अस्त्री री : लाष बर्स की मणस्वात की औष्या बोले जै रे स्वामी : सती जग मध्ये रे स्वामी : अठार हात षटग : छै हात कटार : येकीस गज कमाण : सती जग मध्ये ले रे स्वामी : एक बेरी बोणों :दस बेरी लौणो : चावन पळ चौंळ : बावन पळ गीउ : तीन गज चौंळ तीन मुंडेता गीउ : दस मण को मणस्वात को हार : सती जग मध्ये ले रे स्वामी सोना घट : सोना कै पाट सोना कै आसण : वासण : सींगासण : छत्र पत्र I 

१२ - डंडा डौरु :सेली सींगी : त्रीसुल मूँद रा : झोली मेषला : बडाण कछौटी फावड़ी : सोकंति : पोषंती : सुणती भणती : अकास घड़ा थापंती या तोरे बाबा सती जग की बारता : तीन औतार कन्च मंच का : तव दुवा पर मध्ये ले रे स्वामी : श्री चौरंगी आदी नाथ अचार जंगै अररदंगे :
मंगला देवी षीर वीर गजा कंट :दुवापर मध्ये ले रे स्वामी कीतने तला पुर्षा : कीतने ताल असतरी :कीतने  बरस की I 


१३- मणसंत औष्या बोली जै रे स्वामी : द्वापर मध्ये ले रे स्वामी : सोल ताल पुरषा : ते रे ताल असतरी :लाष बर्स की मणस्वात की औष्या बोली जै रे स्वामी : 
:दुवापर मध्ये ले रे स्वामी : नौऊ हात षटग : तीन हात कटार : साढ़े दस गज कमाण ::दुवापर मध्ये ले रे स्वामी : एक बेरी बोणों पांच बेरी लौणो : सताईस पल चौंल : छबीस पल गीऊ ; डेड गज चौंल : डेढ़ मुंडेता गीऊ : पांच मण मणस्वात को हार : बोली रे स्वामी :दुवापर मध्ये ले रे स्वामी रूपा के घट : रूपा के पाट : रूपा के वारमती : रूपा के आसण :वैसण छ I 

१४- त्र पत्र डंडा डौरू : सेली सींगी : त्रिसूल मुद्रा : झोली मेषला : उडाण क छोटी : फावड़ी : साकंती : पोकंती : सुणती भणती : आकाश : घटथापंती या तो रे बाबा दुवापर की वारता बोली जैरे स्वामी : तीन औतार कंच मंच का : त्रिथा जग मध्ये ले रे स्वामी श्री मछींद्र आदिनात :आचार जंगे अर्दंगे : फरसराम राम : महाराम करणी : भीमला  देवी : षीर बृष गजा कंठ : आसण त्रिथा युग मध्ये ले रे स्वामी : कीतने ताल पुरषा कीतने ताल अस्त्री : कितने वर्स I 


१५- की मणस्वात की औष्या बोली जैरे स्वामी : आठ ताल पुरषा : साढ़े छै ताल अस्त्री : हजार बर्स की मणस्वात की औष्या बोली जै रे स्वामी : त्रिधा जुग मध्ये लेरे स्वामी : एक बैरि बोणों : तीन बैरी लौणो :आठ पल चौंल पांच पळ गीऊ : मणस्वात को तीन मण को हार : त्रिथा जुग मध्ये लेरे स्वामी : तामा को घट : तामा को पाट : तामा I 

                      .........  बाकी आगे है
 
मूल पाण्डुलिपि : पंडित मणि राम गोदाल कोठी वाले

( पांडुलिपि 24 सेमी ० लम्बी और 23 . 5 सेमी ० चौड़ी है जो कि बाघ की खाल की जिल्द पर सुरक्षित है . कुल 88 पृष्ठ I कूर्माष्टक -  प्रथम 34 पृष्ठ I 35 से 70 पृष्ठों में घटथापना  मन्त्र हैं, एनी फुटकर मन्त्र व कलुवा की रखवाळी हैं I  75 वें पृष्ठ में लिखा है -
(यह पुस्तक लिखतंग पंडित टीकाराम गोदाल पाटली ग्रामे संवत १९९१ (१९३४ ई ) के बैशाख २३ गते शनिवारी -यह पुस्तक पंडित मणिराम गोदाल कोठीवाले की है . यह पुस्तक कुर्माष्ट्क , घटथापना सम्पूर्ण न्म शुम्भु )

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