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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, August 28, 2013

काचि मुंगरी रुटि अर पटुड़ी

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                                    सर्यूळ   - भीष्म कुकरेती 
 इन माने जांद बल मुंगरी मूल रूप से अमेरिकी अनाज च अर कोलम्बस द्वारा अमेरिकी खोज बाद ही भारत मा मुंगर्युं  खेति ह्वे । ऐतिहासिक अन्वेषण बथान्दन बल भारत की बारवीं -तेरवीं सदी क मूर्त्युं मा मुंगर्युं थ्वाथा ( भुट्टा ) चित्रित  मिल्दन अर इन लगाद कि मुंगरि भारत मा बि छे । गढ़वाल -कुमाऊं मा कब मुंगरी खेती ह्वाइ पता नी च । पण आज बि मुंगरी गढ़वाल -कुमाउंनी भोजन को एक अंग च ।
मुंगरी /मक्का /मकई (Zea  mays
मुंगरी मा पोषक तत्व (100 grams ) इन छन -
कैलोरी -------365 
,वसा ------------4.7 gm
कोलेस्ट्रोल -----0 mg
सोडियम ------35mg
पोटेसियम  ---287mg
सबि कार्बोहाइड्रेट   ------------74 gm
प्रोटीन ------------9 gm
कैल्सियम --------------0%
विटामिन B6-----------30%
मेगनीसियम -------------31%
विटामिन A /C/B 12---------0% या कम मात्रा
लौह ------------15%
 
मुंगरी से पाचन शक्ति बढ़दि ,कोलेस्ट्रोल कम हूंद , त्वचा कुण फैदामन्द च , गर्भावस्था मा फैदाकारी च। 
          काचा मुंगर्युं दाणु भौत सा उपयोग छन जन कि रुटि /पटुड़ी, पऴयो या साग कुण आलण , सलाद या बुखण आदि ।

               रुटि या पटुड़ी बणाणो विधि 


सामग्री 
मुंगर्युं दाण (मात्रा कथगा बणाण पर निर्भर करदो ) 
तीन रुट्युं कुण एक  कटीं हरी मर्च 
कट्युं  धणिया 
पिस्यां मसाला - धनिया , जीरू , मर्च ,
ग्राम मसाला -स्वादों हिसाब से
लूण -स्वादानुसार   
तेल अर जीरू छौंकणो बान
 
मुंगर्युं तैं सिलवट मा दरदरो पीसो अर फिर एक पिस्युं माल तैं थाळी मा धारो । अब मसाला अपण स्वादों हिसाबन , लूण अपण स्वादों हिसाबन डाळो अर खूब फ्यांटो ।
 स्टोव मा तवा धारो , कम से कम मात्रा मा तेल गरम कारो   अर फेंटा हुआ माल तैं कटोरी से धीरे धीरे तवा मा फैलावो । तुम तैं कथगा मोटि अर चौड़ी पटुड़ी बणाण वै हिसाब से मुंगरीक  लुगदी तैं   फैलावो ।  एक द्वी मिनट तलक पकण द्यावो  अर फरकावो । भूरा रंग आण तक पकान्द -फरकांद   जावो  । जब पकि जा त भीम उतारो ।
 धनिया पत्ता पटुड़ी मा बुबरावो । घ्यू , नौणि मा खाणै त   खावो। दूध -चाय दगड़ या ऊनि बि गरमागरम खावो अर रिश्तेदारों तैं खलावो।           
   

Copyright@ Bhishma Kukreti 28/8/2013 

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