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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, August 21, 2013

गढ़वाली-कुमाउंनी और राजस्थानी लोकगीतों में देवी देवताओं का आम मानवीय आचरण

 राजस्थानी, गढ़वाली-कुमाउंनी  लोकगीतों का तुलनात्मक अध्ययन:भाग-5   


                                           भीष्म कुकरेती 

   भारत में सभी देवताओं को महा नायक  प्राप्त है । फिर भी लोक साहित्य में देवताओं को मानवीय व्यवहार करते दिखाया जाता है । राजस्थानी और गढवाली लोक गीतों में  देवताओं को मानव भूमिका निभाते  दिखाया जाता है । लोक गीतों में देवता अपनी अलौकिकता छोड़  में क्षेत्रीय भौगोलिक और सामाजिक हिसाब से में मिल गये हैं । लोक गीतों में शिवजी -पार्वती , ब्रह्मा , विष्णु सभी देवगण साधारण मानव  हो जाते है । लोक साहित्य विद्वान् श्री विद्या निवास मिश्र का कथन सटीक है कि "शिव , राम , कृष्ण , सीता , कौशल्या या देवकी जैसे चरित्र भी लोक साहित्य के चौरस  उतरते ही अपनी गौरव गरिमा भूल   कर लोक बाना धारण करके लोक में ही मिल जाते हैं । यहाँ तक कि लोक का सुख -दुःख भी वे अपने ऊपर ओढ़ने लगते  हैं । उसी से लोक साहित्य की देव सृष्ठि भी , अमानवीय और अपार्थिव नहीं लगती "

                                    राजस्थानी लोकगीत  में गणेश की मानवीय भूमिका 
 राजस्थान में  हैं जिसमें भगवान, देवी -देवता मनुष्य की तरह  दिखाए गए हैं । शिवजी -पार्वती प्रकरण हो या कृष्ण जीवनी संबंधित गीत हों अधिसंख्य  गीतों  में  देवी -देवताओं द्वारा मानवीय भूमिका निभाई जाती है ।
 निम्न राजस्थानी  लोक गीत मांगल्य गीत है और गीत लग्न लिखवाने के वक्त का समय वर्णन करता है। गीत में गणेश जी से अच्छा सा लगन लिखवाने से लेकर विवाह सामग्री खरीदने के लिए आग्रह किया गया है । ऐसा लगता है जैसे गणेश एक आम बराती या घराती हों -

हालो विनायक , आयां जोसी है हालां 
चोखा सा लगन लिखासां ,  म्हारो बिड़द विनायक 
चालो विनायक , आयां बजाज रै हालां 
चोखा सा सालूड़ा मोलावसां  बिड़द विनायक


'हल हांको महादेव हल हांको ईसर '… राजस्थानी लोक गीत ( रानी चूड़ावत द्वारा सम्पादित ) में पार्वती -शिव कृषि कार्यरत हैं।
डा 'जगमल सिंह द्वारा संकलित जीमो जीमो म्हारा कान्हा   …" लोक गीत में कृष्ण का मानवीय रूप निखर कर आया है।
विवाह के अवसर पर कई राजस्थानी लोक गीतों में कई देवी देवताओं को मानव रूप में आने का न्योता दिया जाता है और  अनुष्ठान युक्त कृत्य जाता है जो साधारण मनुष्य करता है ।
 
                              गढ़वाली -कुमाउंनी लोकगीत  में देवताओं  की मानवीय भूमिका 

 गढ़वाली -कुमाउंनी लोक गीतों में भी देवी -देवता साधारण मनुष्यों जैसे वर्ताव करते दीखते हैं ।
निम्न गीतों में देवताओं को मनुष्य जैसा ही माना गया है और उत्तराखंड में बसने का सुभाव दिया गया है ।

चला मेरा देवतों भै जै मै को ।
उत्तराखंड जौलां भै ।
बद्री केदार , हरी हरिद्वार ।
धौळी देवप्रयाग भै जै मै को ।
देश की धरती , मलीच ह्वे गये ।
दिल्ली का तख्त रुइलो पैदा ह्वेगे।
    अनुवाद 

चलो मेरे देवताओं भै जै मै को ।
उत्तराखंड जायेंगे
बद्री केदार , हरी हरिद्वार ।
धौळी देवप्रयाग 
देश की धरती अपवित्र हो गयी है ।
दिल्ली के तख्त पर रुहिले पैदा हो गये हैं ।

 गढ़वाली -कुमाउंनी लोक गीतों में अधिसंख्य लोक गीतों में भगवान और देवी -देवता मानवीय आचरण निभाते हैं जैसे - खेल गिंदवा … ' जागर लोक गीत में कृष्ण का चरवाहा वाला रूप या नंदा जात जागर लोक गीतों में नंदा और शिव आम मनुष्यों की तरह वर्ताव करते हैं ।
          इस  प्रकार के गढ़वाली -कुमाउंनी व राजस्थानी  लोक गीत दर्शाते हैं कि भक्ति का अर्थ है मिल जाना और इन लोक गीतों में भक्त व भगवान में अंतर मिट जाता है । भगवान व देवियों को भी लोक जीवन की  पर आना पड़ता है ।
विवाह के अवसर पर कई गढ़वाली -कुमाउंनी और राजस्थानी लोक गीतों में कई देवी देवताओं को मानव रूप में आने का न्योता दिया जाता है और  अनुष्ठान युक्त कृत्य जाता है जो साधारण मनुष्य करता है ।
 
Copyright@ Bhishma  Kukreti 21/8/2013 

सन्दर्भ 
 
डा जगमल सिंह , 1987 ,राजस्थानी लोक गीतों के विविध रूप , विनसर प्रकाशन , दिल्ली 
डा -नंद किशोर हटवाल , 2009 , विनसर पब्लिशिंग कं . देहरादून (गीत अनुवाद सहित -आभार )
राजस्थानी लोक गीत में इश्वर का  मानव रूप; राजस्थानी लोक गीत में देवी देवताओं का आम मानव रूप;राजस्थानी लोक गीत में शिव  का आम मानव रूप; राजस्थानी लोक गीत में पार्वती  का आम मानव रूप; राजस्थानी लोक गीत में राम  का आम मानव रूप;राजस्थानी लोक गीत में सीता का  आम मानव रूप;राजस्थानी लोक गीत में कृष्ण का मानव रूप; राजस्थानी लोक गीत में कृष्ण का आम मानव रूप;राजस्थानी लोक गीत में गणेश का आम मानव रूप; कुमाउंनी , गढ़वाली लोक गीत में  इश्वर का आम मानव रूप; गढ़वाली लोक गीत में  शिव का आम मानव रूप; गढ़वाली लोक गीत में  पार्वती का आम मानव रूप; गढ़वाली लोक गीत में  कृष्ण का आम मानव रूप; गढ़वाली लोक गीत में राम का  आम मानव रूप; गढ़वाली लोक गीत में देवी देवताओं का आम मानव रूप; गढ़वाली लोक गीत में सीता का आम मानव रूप; कुमाउंनी  लोक गीत में देवी देवताओं का आम मानव रूप; कुमाउंनी  लोक गीत में देवी का आम मानव रूप; कुमाउंनी  लोक गीत में शिव का आम मानव रूप; कुमाउंनी  लोक गीत में नंदा देवी का आम मानव रूप; कुमाउंनी  लोक गीत में राम का आम मानव रूप; कुमाउंनी  लोक गीत में सीता का आम मानव रूप; कुमाउंनी  लोक गीत में कृष्ण का  आम मानव रूप श्रृंखला ……

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