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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, August 8, 2013

घटथापना मन्त्र - भाग -३

 सन्दर्भ : डा. विष्णु दत्त कुकरेती की  पुस्तक नाथ पन्थ : गढवाल के परिपेक्ष  में

      इंटरनेट  प्रस्तुति : भीष्म कुकरेती

१६- के वारमती :तामा की आसण :वासण : सींगासण : छत्र पत्र डंडा डौंरु :सेली सींगी : त्रिसूल मुंद्रा : झोली मेषला :उड़ान कछोटी :फावड़ी :सूणती :भणंती :आकासं :घटथापन्ति : या तौ रे बाबा त्रिथा जुग  की बारता बोली जै रे स्वामी :  औतार कन्च मंच का : तब काली जुग  मध्ये के रे स्वामी :गुरु गोरषनाथ :आचार जंगे कालिका देवी "षीर ब्रिष गजा कटार :आसण I
१७- कली जग मध्ये रे स्वामी :कीतनेक ताल पुरषा :कीतनेक ताल अस्त्री : कीतने वरस मणस्वात की औष्या बोली रे स्वामी :कली जुग  मध्ये ले रे स्वामी : तीन हात पुरषा : तीन हात अस्त्री : सौ साट ब्रस की मणस्वात के औष्या बोली जै रे स्वामी : कलि जुग मध्ये ले रे स्वामी : दुई हात षटग :एक हात कटार ढाई गज कमाण : कली जुग मध्ये ले रे स्वामी :
१८- एक  बेरी बोणों : येक बेरी लौणो :चाणा प्रमाण चौंल राई प्रमाण झीऊ : मणस्वात को डेढ़ सेर को हार : बोली जै रे स्वामी :
कली जुग  मध्ये ले रे स्वामी : लुवा के  घट : लुवा के पाट : लुवा के बारमती : लुवा के आसण : वासण : सींगासण : छत्र पत्र डंडा डौंरु :सेली सींगी : त्रिसूल मुंद्रा : झोली मेषला :उड़ान कछोटी :फावड़ी: सोकंति :पोषंती :भणंती :आकासं :घटथापन्ति : या तौरे बाबा कली  जुग  की बारता I
१९- बोली जै रे स्वामी : तीन औतार कन्च मंच का : कली जुग मध्ये ले रे स्वामी : श्री नीर निरंजन नाथ जोगी माहा की माटी :काहा कारा जा : और मैपाल थापी ले थुपी ले : क्रे उपरी चढ़ाई ले अंत्र उपरी में घट गड़ीले नाहीं ले : धोई ले : छीपी ले छिपाई ले : दृष्टि भया पात्र : आनन्द वनन्द गुरु गोसाई :जावे मैदनी :कुलदरसने : अत्र मध्ये सीष्टि संसार : मयेवीस्तर : चापि ले :चुपील :बंदी ले :बंधाई ले : मटी : फुरी  ले घोटी ले I 
२०- उव्या भया : सन्बू निरंजन नाथ जोगी : काहा ते अमृत की तोमी उपरी उदीक : उदीक परी :ब्रीषपती उपरी उमपुरी नील मुरती :नील मुरती उपरी :उंकार :उंकार मध्ये नीरंकार :नीरंकार मध्ये तत :तत मध्ये सत : सत मध्ये ध्यान :ध्यान मध्ये नीरालभ : नीराल्भ मध्ये उपरी कुंड :कुंड मध्ये उदपना ना षंड : षंड मध्ये उदपना पौन : पौन मध्ये उदपना नाद :नाद मध्ये उद्पना वीद्या I
२१-- वीद्या मध्ये उदपना जोती  :जोती मध्ये उदपना अंड  : अंड फूटे भया नवषंड उत्र दक्षिण पुरब पश्चिम : सत्र पंच वेद रघुवेद : की माया मात्रा :गायत्री कमन वरन :नील वरन जयो षेद की माया मातरा :गायत्री वेळ वरन स्याप्र वेड की माया मातरा :गायत्री :कमन वरन भगवती :अथर्वेद की माया मातरा : 
गायत्री :कमन वरन : नील वरन सरसुती अनेक परे वीर कामनी :संध्या गायत्री :मच्छीन्द्र नाथ की पीड़ा समाई ले :नीरघट :षीरघट  रजघट : वीरजघट :  वाई घट :संषव्या I



                      .........  बाकी आगे है
 
 
मूल पाण्डुलिपि : पंडित मणि राम गोदाल कोठी वाले

( पांडुलिपि 24 सेमी ० लम्बी और 23 . 5 सेमी ० चौड़ी है जो कि बाघ की खाल की जिल्द पर सुरक्षित है . कुल 88 पृष्ठ I कूर्माष्टक -  प्रथम 34 पृष्ठ I 35 से 70 पृष्ठों में घटथापना  मन्त्र हैं, अन्य  फुटकर मन्त्र व कलुवा की रखवाळी हैं I  75 वें पृष्ठ में लिखा है -
(यह पुस्तक लिखतंग पंडित टीकाराम गोदाल पाटली ग्रामे संवत १९९१ (१९३४ ई ) के बैशाख २३ गते शनिवारी -यह पुस्तक पंडित मणिराम गोदाल कोठीवाले की है . यह पुस्तक कुर्माष्ट्क , घटथापना सम्पूर्ण न्म शुम्भु )

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