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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Tuesday, August 13, 2013

गरीब -गुरबों-दलितुं रामायण मा बाल-कांड की जगा भेदभाव काण्ड

चबोड़्या -चखन्यौर्या -भीष्म कुकरेती 

 
 मी सुचणु छौ बल रामायण या महाभारत मा जु बि मुख्य कथा छन वो राजा , राजकुमार या राजकुमार्युं मुतालिक ही छन अर बडो मिजाज , बड़ो हिसाब ही यूँ महाकाव्यों मा च  I 
यदि वाल्मीकि कई गरीब पर या हरिजन आधारित कथा पर रामायण लिखदा त क्या हूंद ?
  
              वाल्मीकि या तुलसीदास कृत रामायण मा दशरथ राजा छौ त वैक इख वशिष्ठ , श्रृंगी , विशवामित्र जन बड़ा बड़ा ऋषि आंदा छा पण दलितों रामायण मा गरीब या दलित दाशरथौ इख बड़ा बामण त छवाड़ा मड़घटौ  भैड़ा बामण बि नि आंद किलैकि बामणु बि जजमानी बारा मा अपण स्टैण्डर्ड हूंद . जू बि  दक्षिणा   दीण लैक ह्वावो वो ही बामणु लैक जजमान हूंदो I तो दलित या श्रीहीन दशरथ का तिनि ब्यौ टकों ब्यौ (जख मा बर बरातम नि जांद ) ही हूंदा I 
                 दलित दशरथ या तो बड़ा लोगुं गू फेड़दु या कैका पुंगड़ु मा मजदूरी करदो I इनि  कौंसिला (कौशल्या ), कैकेयी अर सुमित्रा बि मजदूरिन हि हूंदा I रामायण मा जब  राम पैदा हूणो  बगत आयि तो कौशल्या बान तरा तरांका  सुख साधन जुटाये गेन I गरीब -दलित चरित्रों आधारित रामायण मा कौशल्या बान बि दशरथ सुख अर साधन जुटांदो I जख कैकियी अर सुमित्रा माय दशरथ का चार बेऴयूँ मादे एकि दै खाणक़ खांदा उख कौंसिला (कौशल्या ) तैं द्वी बगत रूखा सूखा दिये जांदो . अर कौशल्या भगवान से प्रार्थना करदी बल क्या वा हर समय अशाबंद (गर्भवती ) रै सकदी क्या ? गर्भवती रौण मा दिन मा एक बार खाणक़ मिलण तो बड़ी बात ह्वे की ना ? उना कैकेयी अर सुमित्रा निरंकार से प्रार्थना करदी बल वूं तै बि गर्भवती बणाये जावो ! कैकेयी -सुमित्रा बच्चों बान गर्भवती नि बणन चांदा पण चार टैम मा द्वी टैम खाणकौ लोभ मा गर्भवती बणन चांदा I 
                 जब वाल्मीकि का रामचंद्र पैदा ह्वेन तो दाई -आयायूं की भीड़ का बीच पैदा ह्वेन I दलितों को रामायण को रामचंद्र बि भीड़ का बीच ही पैदा होंदु पण वीं भीड़ अर वाल्मीकि रामयण की भीड़ मा जमीन असमानों अंतर हूँद I जख वाल्मीकि को रामचंद्र राजमहल मा पैदा होंद त दलितों रामायण को रामचन्द्र तब पैदा हूंद जब कौशल्या कै राजमहल की चिणै बगत मजदूरी करणि होलि I कौशल्या का मुंड मा पथर हूंद अर इनि मा रामचंद्र पैदा हूंद I जख वाल्मीकि रामायण मा रामचंद्र को पैदा हूण मा अयोध्या की जनता जोर जोर से 'बधाई हो ! बधाई हो ! राज्किमार पैदा हुए हैं ' को नारा लगांदी अर सरा अजोध्या मा हल्ला हूंदो त दलित रामयण मा कूड़ो ठेकेदार अर हौर बड़ा कारिंदा हल्ला करदा कि "तैं कौंसिला मजदूरिन को बहार कारा ". ठेकेदार मजदूरों तै डांटदो " क्या बै ! एक कुत्ते का पिल्ला जैसा ही तो पैदा हुआ है फिर तुमने काम बंद क्यों किया ? चलो काम करो I "
दलित रामायण माँ मजदूर रामचन्द्र जन्म पर खुसी नि मनै सकदा बल्कि बेबसी , कुंठा का शिकार ही होंदा कि हम मजदूरों क्या बेबसी च कि मजदूरी करद बच्चा पैदा हूंदन अर चैन से खुसी का इजहार बि नि करी सकदा ! 
कौंसिला नंगी बच्चा लेकि अपण अधछंयीं झुपडि मा इखुली आंदी I
               दशरथ का परिवार मा बच्चा का आण पर ख़ुशी जरूर होंदी पण दुःख बि उथगा ही जादा होंदु बल कि यु बच्चा रात पैदा होंद त कौन्सिला तै आज की मजदूरी त मिल्दि I सब्युं तैं एकि मलाल हूंद कि आज कौंसिला की मजदूरी मारे गे I दशरथ कौन्सिला तै गाळि बि दींदो " तै नौनु तैं जरा चार पांच घड़ी पैथर जनम नि दे सकदी छे ? साली तैं इथगा बि ज्ञान नी च कि गरीबों तैं दिन मा पैदा नि करण चएंद I "
 दसरथ का घौर बुड्याँद दें नौनु ह्वाइ तो जशन मनाण बि जरूरी छौ अर खुसी -खुसी दशरथन अपण एकमेव गैबण बखरी बेचि दे अर वांसे चषक (शराब ) अर चखना खरीद अर दगड्या  मजदूरों तैं रात जीमण दे I 

           ज्य्ख वाल्मीकि -तुलसी रामयणम रामचंद्र  को बचपन राजमहलम बीतद उख दलित आधारित रामायणम रामचन्द्र को बचपन कौन्सिला जख बि मजदूरी करणों जावो तखी रामचंद्र तै बि लिजांदी छे I जख बाल्मीकि -तुलसी रामायण मा रामचन्द्रन पांच  साल तक राजमहल का गद्दों सुख भ्वाग उख दलित रामायण का रामचंद्र का बचपन पुंगडुम, खल्याणम, बौणम , खंद्वारुंम ,  चिण्यान्द कूडो मा माटु -पथरों -कीच , धूल -गंदगी मा बितद I 
 जब बाल्मीकी का रामचन्द्र पांच साल को ह्वाइ तो संसार का लोग रामचंद्र तै पकड़णो बान  प्रतियोगिता मा खड़ा रौंदा छा पण दलित रामायण मा बिट्ठ ( स्वर्ण लोग ) ही ना बड़ी जाती का हरिजन बि रामचन्द्र की छाया से दूर रौणै कोशिस करदा I रामचन्द्र तैं दलित हूणों अहसास बचपन से ही ह्वे जांदो अर कबि कबि त बालक रामचंद्र अपण छाया से दूर भाजि जावो कि कखि या छाया सवर्णो नि ह्वावों I पांच साल की अवस्था आंद आंद दलित रामायण मा रामचंद्र पचास दै सवर्णों अर बड़ी जातिक हरिजनों गाळी -मार - उलाहना खैक डमडमो -ढीठ ह्वे जांदो I 
               दलित रामायण मा पांच साल को रामचन्द्र तैं खाणको स्वाद तो पता नि चौलल पण दलित हूणो अनुभव पूरो ह्वे जालो I जख बाल्मीकि रामायण मा रामचंद्र तै अक्षर ज्ञान सिखाणो बान महर्षि ,ब्रह्मर्षि ग्यानी ऐन उख दलित आधारित रामायण का रामचन्द्र "अछूत कहींका, दलित की औलाद , तू हरिजन है दूर हट; हम पर नही लग, हम स्वर्ण हैं तू शूद्र है ; हम कुलीन हैं तू नीच है ; हम शिर से पैदा हुए हैं तुम लोग पैर के अंगूठे से पैदा हुए हो " जन ज्ञान पांच सालुं मा बगैर उपाध्याय का ही सीखि लींदु . बल्मीकि का रामचंद्र गुरु वशिष्ठ  से ब्रह्म ज्ञान सिखद त दलित रामयण का रामचन्द्र जाती -व्यवस्था को पूर्ण व्यवहारिक ज्ञान बगैर गुरु का ही सीखी लीन्दो I     
   दलित की रामयण मा बालकांड ना भेद -भाव का काण्ड-खुब्या हूंदा  I 

दलित रामयण में रामचंद्र का बल कांड भाग -2 में जारी …. 

Copyright@ Bhishma Kukreti 14/8/2013 

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के  जाती असहिष्णुता सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के  पृथक वादी  मानसिकता सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के  भ्रष्टाचार, अनाचार, अत्याचार पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के  धर्म सम्बन्धी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के वर्ग संघर्ष सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के पर्यावरण संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के विकास संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के पलायन सम्बंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के सांस्कृतिक विषयों पर गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक का सरकारी प्रशासन संबंधी गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के राजनीति विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य;जातीय  भेदभाव विषयक गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक द्वारा सामाजिक  बिडम्बनाओं, पर्यावरण विषयों   पर  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला जारी ...]  

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