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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Monday, July 15, 2013

बड़ि जीमण (महाभोज) की तैयारी

[गढ़वाली हास्य -व्यंग्य, सौज सौज मा मजाक मसखरी  दृष्टि से, हौंस,चबोड़,चखन्यौ, सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं;- जसपुर निवासी  के गढ़वाली हास्य व्यंग्य; ढांगू वाले के गढ़वाली हास्य व्यंग्य;गंगासलाण  वाले के गढ़वाली हास्य व्यंग्य; लैंसडाउन तहसील वाले के गढ़वाली हास्य व्यंग्य;पौड़ी गढ़वाल वाले के गढ़वाली हास्य व्यंग्य; उत्तराखंडी  के गढ़वाली हास्य व्यंग्य;मध्य हिमालयी लेखक के गढ़वाली हास्य व्यंग्य;उत्तरभारतीय लेखक के गढ़वाली हास्य व्यंग्य; मुंबई प्रवासी लेखक के गढ़वाली हास्य व्यंग्य; महाराष्ट्रीय प्रवासी लेखक के गढ़वाली हास्य व्यंग्य; भारतीय लेखक के गढ़वाली हास्य व्यंग्य; एशियाई लेखक की  गढ़वाली हास्य व्यंग्य श्रृंखला 



                          चबोड़्या -चखन्योर्या -भीष्म कुकरेती  

कवान गरुड़ तैं ह्यूं कांठा (हिमाला) तरफाँ जांद द्याख अर पूछ," क्या हे गरुड़ काका कना दौड़?"
गरुड़न बोलि," कनु कना? अरे उत्तराखंड मा इथगा उजड़-बिजड़ हुंयु च तो उना इ जाणु छौं। ह्यूं काँठाऊं छ्वाड़  बड़ि- जीमण होलि "
कवा - ये गरुड़ काका तेरी आंखि बिंडी दूरदिख्वा छन मि तैं   बि महाभोज मा  जा।
गरुड़ - चल जरा पैल वीं धार मा जौंला। उत्तराखंड को जायजा ल्योंला अर तबि उत्तराखंड पुटुक छिरकला ( प्रवेश करला) ।
सबि पशु -पक्षी - गरुड़ जी हम बि तुमर दगड़ बड़ि- जीमण खाणौ आणा छँवां।
गरुड़ -ल्या उच्चि धार ऐग्याइ। इखमन पैल उत्तराखंड को हाल द्याखो अर फिर उत्तराखंड पुटुक छिरको याने प्रवेश कारो।
बांदर - ये गरुड़ बाडा ! ये उ छिरक्वा  बांदर जन क्या जि छन  हरेक इमदाद से भर्यां ट्रकुं  तैं कूण्या जिना उल्टु बाटु दिखाणा छन ?
गरुड़ - ह्याँ ! उ छिरक्वा  बांदर नी छन। वो बदमाश, लंपट अवसरबादी तथाकथित सामजिक कार्यकर्ता छन। वो दुनिया भर से लोग  इमदाद हिमाला लिजाणा छन तो वो लम्पट लोग भौत सा लोगुं तैं बेवकूफ बणैक या धमकी देकि इमदाद सणि अपण ड्यार लिजाणा छन।
बांदर - हाँ तबि त मि सुचणु कि छिरक्वा बांदर इथगा बेशरम लम्पट नि ह्वे सकदन।
उळकाणु - वै गरुड़ नना! यी दिन दुफरा मा भूत-पिचास कनकै हिटणा छन।  भूत-पिचास त रत्यां हि भैर आंदन?अर  इ भुत पिचास खरे बोलि (दलालों की गुप्त भाषा) मा किलै बचऴयाणा छन?
गरुड़ - ये उल्लु का पट्ठा यि भूत-पिचास नि छन।
उळकाणु - तो?
गरुड़ - यी समौ गैरफैदा उठाण वाळ काळाबजारी ब्योपारी छन। आपदा से फैदा उठैक इ क्षुद्र, क्षुद्रबुद्धि , पीठ पैथर क्षुर(चकु/उस्तरा). खंग  लेक  खुलेआम खूब काळाबजारी करणा छन।
उळकाणु - हाँ तबि त मि बुलुद बल यिन खटरागी, खराब, खरगोदी (इंद्रजाल युक्त ) , खलयुक्त, खबीसों  काम  खुलेआम भुत -पिचास त ना मनिख हि कौर सकुद।  खुनस आंदी यूँ खुरूकरों (ध्वंसकारी), खुभर्या  (जो उपद्रव हेतु घूमते हैं ), जटनाकारों (धोखा देकर अधिक मूल्य लेने वाला)   काळाबजारी ब्योपार्युं  पर।
जुगना बगुला  - ये दूरदिख्वा  गरुड़ मौसा! यी योगी लोग कबि मुंडासन (शीर्षासन) त  कबि खटाँगासन (साष्टांग) मा क्या योग करणा छन?  
गरुड़ - ये पक्षियों योग गुरु बगुला भगत ! यी जोगी नि   छन यी त चपड़सि से लेकि उच्च पदेन  अधिकारी तक सरकारी कर्मचारी छन।
जुगना बगुला - अच्छा त अब सरकारी कार्यालयों मा कर्मचारी फाइलों मा सीणो जगा योग करदन क्या?
गरुड़ - ना ! ना ! यी सरकारी कर्मचारी अपण अपण पवा भिड़ाणो बान  मथि वाळ तैं साष्टांग प्रणाम  करणा छन।
जुगना बगुला - वाह सरकारी कर्मचारी अब अनुशाशितह्वे गेन?
गरुड़- अबे बेवकूफ यी अधिकारी अनुशाषित नि ह्वेन बलकण मा अपण ट्रांसफर उत्तराखंड नव निर्माण जन मलाईदार विभाग मा करणों जुगाड़ भिड़ाणा छन। 
जुगना बगुला -हाँ तबि त बुल्दु मि कि सरकारी कर्मचारी कनकैक जलप्रलय , जनमरक (महामारी )  का बाद  यी जंघामथानी (व्यभिचारणी), जकड़बंद -प्रशासन  (रेड टेपिज्म ). अळगसि, जड़    चरित्र छोड़िक  अधिकारी आज जँगरैत (परिश्रमी), जीवंत, ज्योतित  किलै दिख्याणा छन। सबि खव्वा-पिव्वा विभाग मा जाण चाणा छन।
भालु   -गरुड़ ममा ! यी भग्वया रंग का  अजीब सा बीसियों  रिक -भालु  क्या करणा छन। लड़णा छन,  एक दुसरो बाळ झंझ्वणा छन,एक हैंक पर दांत पुड़ाणा छन, नगुंन एक हिंकाक मॉस -ल्वै गाडणा छन, मुंड  काटणा छन।   
 गरुड़- यी भग्वया रिक नी छन। यी धर्मगुरु छन।  क्वी शंकराचार्यों भेष भूषा मा च, क्वी पन्तजली बण्यु च, क्वी रावल का भेष माँ च, क्वी कै बैरागी अखाड़ा को धर्माधीस को सिंघासन माँ विराजमान च।  यी सबि प्रलयोपरान्त का महाभोज को भागिदारी बान  बकर-कसाबुं तरां (कसाई ) एक हैंकाक दगड़  वाक् जुध से लेकि जुत्यो -कतल्यो  करणा छन। 
गुराउ - ये गरुड़! यी कुछ लोग सामजस्य चौक मा आख्युं पर  पट्टी बांधिक अर कंदुड़ो पर कनटोपा लगैक  अंदादुंद तलवारबाजी अर बंदूकबाजी करणा छन।
गरुड़ - ये भविष्यद्रष्टा  गुरा! यी आज की बात नी च भोळ की बात च। यी एक तरफ घोर पर्यावरणवादी छन अर हैंक तरफ घोर विकासवादी छन। यी एक हैंकाकि बात सुणणो अर दिखणो कोशिस इ नि करदन बस अपणो ही राग मा एक हैंक पर आरोप -प्रत्यारोप की तलवार चलांदन , ग्वाळा चुलांदन।
स्याळ - हे गरुड़ भणजो! यी मि क्या दिखणु छौं। शेर, बाग़, चीताऊँ। लकड़बघावुं  ड्यार स्याळ  रत्याँ संदकुडों पर मांश लिजाणा छन। इन अनहोनी कनै होणि च? 
गरुड़ -मामा ! वो जानवर नी छन वो शेर नी छन बलकण मा सरकारी दल का राजनैतिज्ञ छन , वो बाग़ नि छन बल्कि विरोधी नेता छन, सी चीता नि छन प्रशासनिक अधिकारी छन , अर जू त्वै तैं लकड़बघा दिख्याणा छन वो पावर ब्रोकर याने दलाल छन। जु त्वै तैं स्याळ दिख्याणा छन वो स्याळ नि छन वो ठेकेदार छन। खरबों रुपयों नवनिर्माण होलु त ठेका होला ही। तो ठेकेदार रुपया लेक सरकारी नेताऊँ  , विरोधी नेताऊं,  अधिकार्युं, दलालूं तै अग्रिम घूस देकि भविष्य का ठेका पक्को करणा छन। 
स्याळ -हाँ इन काम हम स्याळ नि करी सकदवाँ। यी त लालची मनिख ही इन लालच का  करी सकदन।
सौलु - हे गरुड़ दा! ये यी क्या! सि दसियों सौल एक हैंक पर सौलकंडा चुलाणा छन, आक्रमण करणा छन अर सौलकंडो से सौल त ना कीड़-मक्वड़ हताहत हूणा छन, आहत हूणा छन।  पण  हम सौल आक्रमण कबि नि करदां, केवल रक्षा हेतु सौलकंडा फेंकदां।
गरुड़ - भुला ! वो सौल नि छन। यी त सरकारी अर विरोधी दल का नेता आपदा प्रबंधन तैं लेकि एक हैंक पर आरोप -प्रत्यारोप का तीर छुड़णा छन। जू त्वै तैं कीड़-मक्वड़ दिख्याणा छन वो जनता च।   अर नेताओं का आरोप प्रत्यारोप से जनता लहुलुहान होणि च।
कुत्ता -बिरळ - हम तै एक अजीब सी घटना दिख्याणि च। भैर चौकम त कुत्ता-बिरळ एक हैंकाक दगड़ जी जान से लड़णा छन। पण फिर यी एक हैंकाक चिर-बैरि कुत्ता-बिरळ भितर जांदन अर एकी थाळिउंद बोटी, रान , कछ्बोळी, भितर्वांस चटकाणा छन? इन अजूबा , अचरजण्या घटना क्या होणु च।
गरुड़- याँ ये कुत्ता-बिरळ ! जु तुम दिखणा छंवाँ वु कुत्ता-बिरळ नि  छन। वो  तो भौं -भौं पार्टी का नेता छन। भैर दिखाणो यी नेता लड़णो स्वांग करणा छन। अर भितर यि घूसखोरी -भ्रष्टाचार से जमा हुयूँ पैसा दगड़ि हजम करणा छन।
कुत्ता-बिरळ - ओ त यि राजनेता खांद दै एक ह्वे जांदन। 
शेर -बाघ - अर यि मुलायम गद्दों मा सरौं कु खिलणा छन।
गरुड़ - अरे उ गद्दा नि छन। नरेन्दरी, सुषमाई अर मनीषी मायामोह से तुम तैं मुर्दा गद्दा दिख्याणा छन असल मा कॉंग्रेसी अर भाजापाई नेता जलप्रलय से मोर्याँ मुर्दों अळग तलवार युद्ध नृत्य   करणा छन।
शेर -बाघ - ये मेरि ब्वे। मुर्दों अळग युद्ध नृत्य! 
जैंगण - अर यि मकानौ भितर कूण्या की पाऴयूँ पर दिवळ छिल्लुं से म्वासन यि कुछ लिखणा छन, यि कु छन?
गरुड़ - अरे यि उत्तराखंड का वर्तमान साहित्यकार छन। उत्तराखंड राज्य आन्दोलन मा यूँन जो मशाल जगै छे, वो मशाल त कबका बुझि गेन अर बुझ्याँ मशालों से जनता से दूर कूण्या की  दिवालों पर क्रान्ति का गीत -नाटक लिखणा छन।
जैंगण - हैं ? उत्तराखंड का साहित्यकार , बुझ्याँ मशालों से क्रान्ति का गीत अर नाटक लिखणा छन?
गरुड़ -हाँ 
सबि पशु -पक्षी - नै नै! जख मनिख ही मैस्वाग याने नर ही नरभक्षी ह्वे जावो उख हम पशु -पक्ष्युं जाण ठीक नी च। . उत्तराखंड मा जलप्रलय का बाद बड़िजीमण मनिखों तैं हि खाण द्यावो।                                
                       




Copyright @ Bhishma Kukreti  13/7/2013  

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