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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Wednesday, July 10, 2013

बिंडीबरखण (अतिवृष्टि) जोर-जोर से किलै हंसणि च ?

सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं

             बिंडीबरखण (अतिवृष्टि)  जोर-जोर से  किलै हंसणि च ?

                 भीष्म कुकरेती 
(s = आधी अ, आधी अ//s= क, का , की,, कु के ,को आदि)

निबरखण(अनावृष्टि) - क्या बात  ?  हे ! अतिबरखा दीदी! उन त जब बि गैरभारत देसम त्यार तड़क्वणि बरख्वणिs  बगाण से मनिख-जानवर  मोरदन अर नुकसान होंद त तो तू फकोरिक रूंदि अर अंसदरी बगांदि पण भारतम जब बि तड़क्वणि बगाण  से नुकसान होंद तो तु  से हंसण बिसे जाँदी? क        
बिंडीबरखण - भुली तू बि ना! कबि तू ह्वे या मि ह्वे हम तै प्राण्यूँ मारिक कबि सुख मिल्दु क्या?  
निबरखण - हाँ मि तैं मनिख कथगा बि गाळी द्यावन पण मि थुका चांदु कि दुन्या मा अकाळ पोड़ु। भेमाता (सृष्टि रचंदेरि) दुसर रूप छंवां हम तो अपणि बच्चौं नुकसान थुका चांदा हम! ह्याँ पण तू तो भारतौ तरफ देखि इथगा जोर से हंसणि  छे कि मै लग राजस्थानौ अर कच्छौ बळु  मैदानुं मा बरखण वाळ छे। 
बिंडीबरखण -हाँ हंसणै बात त च। जब बि भारतम मेरी वजै से इगड़-बिगड़ होंद त वांक बाद मि अपण हंसी रुकण से बि नि रोकि सकुद।     
निबरखण -वी तो मि पुछणु छौं बल सि अमेरिका , ऑस्ट्रेलिया , कनाडा मा तेरि वजै से इजड़-बिजड़ होंद पण तू उख त कतै नि हंसदी? बस भारतम ऐक पता नि तू किलै लौफिंग गैस सूंगि लींदी धौं?   
बिंडीबरखण  -ह्याँ हे भुलि !  मि  जोर जोर से इलै थ्वड़ा  हंसणु छौं कि भारतम बगाण से इथगा नुकसान ह्वे ग्यायि? 
निबरखण -तो?
बिंडीबरखण -मि त रगड़ -बगड़ का बाद भारतम जु नाटक हूंदन वां तै देखिक हँसणु छौं।
निबरखण -जनकि?
बिंडीबरखण -जनकि क्या? भारत को टीवी मीडिया को हाल देखि लेदि। आसाम मा म्यार बिंडीबरखण से  इथगा बड़ी बाढ़ आयि। पण मीडिया दिल्ली मा द्वी बूंद पाणि बरखण से मनिखौं करतूतों से शिवाजी नाळा  औरंगजेब नाळा  आपस मा क्या मिलेन कि उख पर सुबेर बिटेन अधा रात तलक इन किराणु च बल जन बुल्यां ड़िल्ली अछेकि डूबि गे धौं अर कै तैं बि आसाम की  नि पोड़ि च। 
निबरखण-हाँ भै कुनगस च हाँ भै यूं मीडिया वाळु  कुण बि! मध्य प्रदेश को बिगच्यूं राजनीतिज्ञ राघव जी पर डिग्गी बाबू , हौज बाबु,  ढंडि  जन नेताओं की बकबास सुबेर बिटेन दुसर दिन तलक मजा लेकि सुणाणु -दिखाणु राइ पण आसाम बाढ़ पर खालि टिकर न्यूज (तौळ की पंगत) दे , यूँ मीडिया वाळुन 
बिंडीबरखण- यी त मि बुलणु कि  ... 
निबरखण- हे दीदी! अब त मीडिया टीआरपी को गुलाम च। भारत को चौथु खम्बा तैं आसाम या उत्तर पूर्व की चिंता  उथगा नी च जथगा टीआरपी चिंता रौंदी।  
बिंडीबरखण- मीडिया को यो ही सुविधा भोगी चाल चलन को नाटक देखिक मी तें हौंस आँदि। 
निबरखण- अर ये दीदी! उत्तर प्रदेश माँ त्यार बरखण से जब भंयकर बाढ़ आयि तो तू खत खत,  अट्टाहासी हंसी किलै हौंसी? 
बिंडीबरखण-मीन ब्वाल नी च की मि यूँ भारतीय राजनीतिज्ञों नाटक देखिक इथगा जोर से हंसणु छौ। 
निबरखण-नाटक?
बिंडीबरखण- हाँ नाटक ना तो क्या? सन सैंतालीस बिटेन उत्तर प्रदेश मा भयंकर बाढ़ आंदी अर हर साल उत्तर प्रदेसौ मुख्य मंत्री एकी बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों हवाई दौंरा करणा रौंदन, दौंरा बाद अपण आंख्युं पर प्याज लगैक आंसू लांदन , राहत का नाम पर लोगुं तैं भीख बाँटी दींदन अर फिर हैंक बसगाळ तलक से जांदन बौंहौड़ा से जांदन। अरे हर साल हवाई यात्रा को नाटक देखिक मि तैं हौंस आंदी। अब देख हाँ इनि अब बिहार मा बि हूण उखाक मुख्यमंत्रीन अब बाढ़ का बाद हवाई यात्रा करण पण फिर कबि बि बाढ़ रुकणो इन्तजामौ बारा मा नि सुचण। 
निबरखण-हाँ या बात त सुचणो की ही च कि हर साल यूँ प्रदेशों मंत्री -संतरी  हर साल बाढ़ देखिक बि बाढ़ रुकणो  काम नि करदन। 
बिंडीबरखण-इन मा त मि तैं हंसी नि आलि कि ना?
निबरखण-हाँ अब त मि तैं बि हौंस आण बिसे ग्यायि।
बिंडीबरखण-कनो क्यांक याद आयि कि त्यार बि ज्यू हंसणो बुल्याणु च ?
निबरखण- वु  क्या च, बहुजन समाज  पार्टी का नेता समाजवादी पार्टी पर अभियोग लगाणा छन कि समाजवादी पार्टी बाढ़ रुकणो बान कुछ नि करणी च। 
बिंडीबरखण-हाँ नाटक करणा छन। अरे सि एक साल बि नि ह्वाइ यूँ तैं राज छुड्या अर हैंकि पार्टी तैं पुछणा कि तुम क्या करणा छंवां अर बिसरि गेन कि अफु यूँन पांच साल तक राज कार अर बाढ़ रोकथाम का बाराम कुछ नि कार। .
निबरखण-अर जब समाजवादी पार्टी विरोधी पार्टी हूंदी त इनि नाटक करदी जन बहुजन समाज पार्टी समाज वादी पार्टी पर भगार लगाणि च 
बिंडीबरखण-ओ द्याख नी तीन उत्तराखंड मा भारतीय जनता पार्टी को बि राज रायि अर अब मनिखों गलती से इथगा जान माल को नुकसान ह्वे तो कथगा बेशरमी से कौंग्रेस पर भगार लगाणि च? 
निबरखण- स्वांग करण मा त कौंग्रेस बि कम नी च।
बिंडीबरखण-ह्याँ कौंग्रेस त नाटकबाजूं ब्वे च। जख सबि पार्ट्यु तैं एक ह्वेक आपदा संभाळण चयेंद छौ उख यी लोग गिगडुं तरां एक हैंकाक टांग खैंचणा रौंदन। इन माँ पैल त मि तैं यूँ राजनैतिक नाटकबाजुं पर घीण -घृणा आन्दि अर पैथरां गुस्सा मा हौंस आंदि।   

Copyright @ Bhishma Kukreti  11/7/2013

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