उत्तराखंडी ई-पत्रिका की गतिविधियाँ ई-मेल पर

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

उत्तराखंडी ई-पत्रिका

Sunday, May 19, 2013

जातीय इतिहासौ बाबत पितरों दगड़ मुखाभेंट (इंटरव्यू )

सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं
गढ़वाली हास्य -व्यंग्य 

सौज सौज मा मजाक मसखरी 
हौंस,चबोड़,चखन्यौ   
सौज सौज मा गंभीर चर्चा ,छ्वीं 
                            जातीय  इतिहासौ बाबत  पितरों  दगड़  मुखाभेंट (इंटरव्यू )   

                             चबोड़्या - चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती (s = आधी अ ) 
                    जन कि सबि प्रवासी करदन मी बि ऊनि करदो अब हम प्रवास्युं भयात च तो अपण चरित्र पर डट्यु रौंण म्यार कर्तव्य च। दुसर प्रवासी तैं मि सीख दींदु कि तुम  तैं बर्सकुल (हर साल) गां जाण चयेंद पण अफ़ु गौं तरफां  दिख़ुद बि नि छौं। प्रवास्युं तैं गान द्वीइ कारणो से जाण पोड़द एक जब भुम्याळ /ग्राम दिवता भट्यान्दन या जमीन जायजाद बिचण ह्वावो।  मि तैं पचीस साल बाद गाँ जाणि पोड़। मि तैं  जब सोळा सालम सरकारी नौकरी चयेणि छे त मीन अपण आयु बढैक नौकरी पायी अर अब मि देर से याने सही बगत पर सेवानिवृत हूण चाणो छौं याने देर से रिटायर हूण चाणु छौं तो सही बर्थ सर्टिफिकेट का वास्ता झक मारिक गां जाण पोड़ . पैल ग्राम प्रधान ब्वाडा, काका, भाई , भतीजो ही होंद था। पण अब ब्वाडा, काका, भाई , भतीजो जब ग्राम प्रधान ह्वे जावन तो वो अपण नि रै जांदन। अस्तु भारतीय परम्परा का निर्वाह करण से ग्राम प्रधान तैं सर्टिफिकेट दीणम   प्रशाशनिक देरि करण जरूरी छे तों मि तैं गाँ मा प्रतीक्षा करण पोड़। पैल हमर गां इथगा बडो छौ कि एकि ग्राम सभा छे। अब हमर गा अर न्याड़ ध्वारो सात आठ गौंवु मिलैक एक ग्राम सभा च।
  गाँ खाली पड्यु च  त मि बजर पड्याँ पुंगड़ों दगड़ छवीं बथ करणों चलि ग्यों।
 बाटमा हमर पितर्वड़/पितरकूड़ि    पोड़द मि बांज पुंगड़ो जिना  जाणों छौ कि पितर्वड़ बटें धै आइ।
पितर्वड़ बटें आवाज- ये कना जाणु छे?
मि -  इनि गाँ मा बात करणों जादा  क्वी नीन त मीन स्वाच जरा बांज पुंगडों दर्शन करे जावो। तुम कु छंवाँ                              
पितर्वड़ बटें आवाज-हम तुमर पितर छंवाँ  
मि -  पितर ..?                          
पितर्वड़ बटें आवाज-क्यों पितरकूड़ि   पितरोँ से डौर लगणि च हैं?
मि - नै ..हाँ ...ना ना                            
पितर्वड़ बटें आवाज- अरे हम से क्या लुकैल, हम से क्या छुपैल !
मि - नै इन बात नी च पण रिवाज नी च कि पितरकूड़िम जैका ...                              
पितर्वड़ बटें आवाज-त रिवाज तो इन बि नि छौ कि तुम अपण बुबौं ढुंगि गंगा जी जगा नाशिक गोदावरी मा चढ़ावाँ।  
मि - अब मुंबई मा छंवाँ त नाशिक ही नजीक च तो ..!                            
पितर्वड़ बटें आवाज-हाँ तेरि बात बि सै च। हमन सूण बल तू अपण जाति इतियास खुज्याणु छे? 
मि -हाँ                             
पितर्वड़ बटें आवाज- अरे वाह ! बधाई हो भै ! मुंबई बिटेन अपण जाति इतिहास खुजणु छे? 
मि - जी!                           
पितर्वड़ बटें आवाज-इ भै जरा बथादि कि तीन अपण जाति कुकरेत्यूं इतिहास खुजणो बान क्या क्या कार?   
मि -मीन हरी कृष्ण रतूड़ी जीक किताब बांच, मीन डा शिव प्रसाद डबराल जीक किताब बांच, डा दिनेश बलूनी जीक इतिहासौ  किताब बांच                             
पितर्वड़ बटें आवाज-अच्छा बड़ी मनात कार भै तीन। अच्छा क्या क्या मील त्वै तैं यूँ  विद्वानों किताब माँ 
मि -जख तलक जातिक इतिहासौ सवाल च जो हरी कृष्ण रतूड़ीन ल्याख वो ही आजौ इतिहासकार डा बलूनी बी ल्याख।                              
पितर्वड़ बटें आवाज-अरे अरे ! त आजौ आधुनिक इतिहासकारोंन जन कि डा . दिनेश बलूनीन बि कुकरेत्यूं इतिहास नि बथायि?    
मि -  न ना।                          
पितर्वड़ बटें आवाज-फिर तीन क्या कार ?
मि -मीन डा शिव प्रसाद नैथाणी, डा कटोच, डा कांती  प्रसाद नौटियाल, डा अजय सिंह रावत , डा दिनेश सकलानी जन महान आधुनिक इतिहासकारों कुण चिट्ठी भ्याज।                            
पितर्वड़ बटें आवाज-  वाह ! वाह !  अपण जाती इतिहासौ बान तीन अंतर्राष्ट्रीय इतिहासकारों कुण चिठ्ठी भेजि हैं?  
मि - हाँ ! अपण जाती इतिहासौ बान मि कथगा इ इतिहासकारों से सम्पर्क मा छौं। इख तलक कि अभिलेखागार विद्वानों सम्पर्क माँ बि छौं।                            
पितर्वड़ बटें आवाज-तो मिल ग्याइ त्वै अपण जाति  इतिहास?
मि - ना                            
पितर्वड़ बटें आवाज-किलै?
मि -सबि बुलणा छन बल जब बि ऊं तैं कुकरेत्यूं इतिहास की जानकारी मीलल वो मी तैं बथै द्याल                                
पितर्वड़ बटें आवाज-तो तू अपण जाति इतिहासौ बान इतिहासकारों जबाबौ जग्वाळ मा छे। 
मि -  हाँ                           
पितर्वड़ बटें आवाज- चल इन बथादी हम कथगा भाई अर बैणि छया  
मि - तुम को बुलणा छंवाँ?                             
पितर्वड़ बटें आवाज-मि त्यार बूड ददा बुलणु छौं  
मि - नै मी तैं नि पता कि म्यार बूड ददा जी कथगा भाइ बैणि छया                             
पितर्वड़ बटें आवाज- चल म्यार नाम इ बथै दे 
पितर्वड़ से बिंडी आवाज - हाँ हाँ जरा अपण बूड ददा नाम त बथा    
मि - मि नि जाणदो कि म्यार बूड ददा जीक   नाम क्या छौ                             
पितर्वड़ बटें आवाज- वाह जब तू ही अपण बूड ददा नाम नि जाणदो तो त्वै तैं क्या अधिकार च कि तू अपण जाती इतिहास खुजे   
मि -पण बूड ददा जीक नामौ इतिहासौ दगड़ क्या रिश्ता?                             
पितर्वड़ बटें आवाज-अरे जब तू अपण बूड ददा नाम खुजेलि फिर बूड  ददा क बूड ददा को नाम खुजेलि त अफिक त्वै तै अपण जाती इतिहास मीलल कि ना? 
मि - हाँ पण कखन खुज्याण कि                             
पितर्वड़ बटें आवाज-जरा पटवरी अर  पधानो पुरण फर्दा (रिकॉर्ड ) टट्वाळो  तो त्वै तैं हम बूड -खूडूँ नाम कनि मीलल।   
मि - पण यु  तो कठण च।                            
पितर्वड़ बटें आवाज-औ त तू चांदी कि त्यार  काम क्वी हैंको कार हैं?
मि -  पण ...                          
पितर्वड़ बटें आवाज-अच्छा एक बात बथादि कि तुमर गांवक नागराजा या ग्विल्लो मन्दिर कथगा पुरण च? 
मि -कुछ पता नी                             
पितर्वड़ बटें आवाज- वाह अपण ग्राम मन्दिर को इतिहास पता नि अर गढ़वाल को स्थाप्य  विद्वान्  डा . कटोच से पुछणि छे कि हमर इतिहास क्या च   
मि -जी                             
पितर्वड़ बटें आवाज-अरे पैल अपण ग्राम दिवतौं मंदिरों खोज खबर लेदि त त्वै तैं अपण जाति इतिहास कखि ना कखि मीलि जालो 
 मि -  जी                              
पितर्वड़ बटें आवाज-  जरा इन बथादि बल ये गाँ मा सबसे पुराणो कूड़ क्वा च? 
मि - पता नी                            
पितर्वड़ बटें आवाज-वाह अपण गांवक पुरण कूड़ो पता नि अर चले इतिहासकारों  अपण जातिक  इत्यास खुज्याणो ?  
मि - जी                            
पितर्वड़ बटें आवाज- अच्छा इन बथादी  हमर जाति बाबत कुछ लोक कथा याद छन? 
मि -  ना                           
पितर्वड़ बटें आवाज-वाह अपण जाति बाबत लोक कथा नि पता अर इतिहासकारों से पुछ्याणु च की हमर जाति इतियास क्या च?
मि -  जी                           
पितर्वड़ बटें आवाज-जी क्या। अपण इतिहास ख़ुज्याण्या तो अपण गौंक कूड़, मन्दिर, खेत खल्याण, पुरण डाळो, पुरण पैर्युं (लैंड स्लाइड्स ), पुरण रस्तौ , पुरण पाणि अर लोक कथाओं खोज कर  अफिक त्वै तैं अपण जाति इतिहास मीलि जालो।
 मि -   जी मी कोशिस करुल                          
पितर्वड़ बटें आवाज- इतिहासकारों मुख्य काम तुमर जाती इतिहास बथाणो काम नि च बलकणम तुमर कर्तव्य च कि तुम अपण जाति इतिहास इतिहासकारों तै बथावो 
अर इथगा बाद पितरकूड़ि  बिटेन आवाज आण बंद ह्वे  गे           

Copyright @ Bhishma Kukreti  13/05/2013            
(लेख सर्वथा काल्पनिक  है )

No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Thanks for your comments