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उत्तराखंडी ई-पत्रिका

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Thursday, March 14, 2013

अपराध्युं संसद मा भाषा चिंतन


गढ़वाली हास्य-व्यंग्य
सौज सौजम मजाक-मसखरी
हौंस इ हौंस मा, चबोड़ इ चबोड़ मा
                           अपराध्युं संसद मा भाषा चिंतन
                                           चबोड़्या-चखन्यौर्या: भीष्म कुकरेती
(s =आधी अ )
टिक्कु उस्तरा-वो हम सब्युं सभापति ! साले अपण ददि मैस ! जरा देख तो सै बल यि कथगा इ अपराधी भाइ लोग अपणि दुधबोलि छोड़िक सभ्य भाषा मा हमारी उच्च संसद मा बात करणा छन।

पपु चकु - हां ! वो हरामी सभापति ! कुछ दिनों से हम लबाड़ो संसद मा मि दिखणु छौं बल हमारी प्यारी गंदी भाषा की जगा कुछ लोग भद्र भाषाम बड़बड़ान्दन। एक त हम क्रिमिनल कम्युनिटी का लोक यीं भद्र भाषा तै बिंगदा बि नि छा अर बिंगण-समजण मा आयि बि तो यूं भद्र बोल सुणिक पांच दिन तलक मेरो ल्वैखतरी याने खून खराबा करणों ज्यु इ नि बुल्यांदो। देख बै सभापति ए. के. फोर्टी सेवन अर अपण बैणि मैसु जनरल सेक्रेटरी लौन्चर ! जू तुमन अपराध्युं संसदम गंदी गाऴयुं जगा पंडितो, पादर्युं अर मौलव्युं जन इज्जतदार भाषा तै इज्जत दीण तो मि अर म्यार दगड्या गढ़वाली - कुमाउन्यूं तरां रोज नै नै संस्था बणै द्योला या महत्वाकांक्षी नेतौं तरां नयो गुंडा संसद खड़ा कौर दयोला हां।

शम्मो द कैट - हाँ उस्ताद। हमारि गुंडों , डाकुं , माफियों संसदम इज्जतदार भाषा प्रयोग से भैर हमारि इमेज खराब होणि च। पत्रकार लिखणा छन बल माफिया गैंग का सदस्य , गुंडा, लबाड, टेरिरिस्ट लुटेरा अर डाकु सभ्य हूणा छंवां। हमारि छवि हूण चयेणि छे निर्दयी, असभ्य, क्रूर अर अपराध्युं संसद या संसद से भैर कुछ सफेद पोश अपराध्युं द्वारा सभ्य भाषा इस्तेमाल को कारण हमारी खुन्कार इमेजम भयंकर कमी आणि च।

दुर्जन दि छोटा घोड़ा-वो सभापति स्या शम्मो बदकार सही बुलणि च बल हमारी इज्जतदार जवान बुलण से लोग हम तैं नेतौं या पुलिस ऑफिसरों नौकर समजण मिसे गेन , जो हमारि कौम का वास्ता ठीक नी च। अफार परसि मि एक बिल्डरम हफ्ता वसूलि कुण जयुं छौ त मेखुण बुलणु बल क्यों बे कुत्ते ! बड़ी हड्डी माग रहा है। ये तो बता किस नेता या पुलिस ऑफिसर का पालतू कुत्ता है? हमारी भाषा का वजै से लोग हम तैं राजनीतिग्युं या पुलिस का आदिम समजणा छन। एक नियम बणाये जावो बल जो भि हमारि संसद या भैर इज्जतदार जुबान को इस्तेमाल कारल या कारलि वै तै लबाड़ों जमात से बेदखल करे जावो। बुजुर्ग लुटेरा सिंग तू बोल जुबान की क्या अहमियत होन्दि?
लुटेरा सिंग बुड्या -अरे अपराध्युं संसदम अब त मेरि हालत बि लाल कृष्ण अडवानी जन ह्वे गे। उख अडवानी की बात वैकि पार्टी वळा इ नि सुणदन अर इख तुम अधबुडेड़ अर जवान अपराधी मेरि बात टक्क लगैक नि सुणदा।
सभापति ए. के. फोर्टी सेवन - वै सबी गुंडा -लबाड लोग ! तुम तै बिंगण -समजण चयेंद बल हमारि संसद क्वी इन्डियन पार्लियामेंट नी च जख प्रजातन्त्री धर्म चलदो। तो सालो ! म्यरो ऑर्डर सूणों! जो बि बुजर्ग लुटेरा सिंह की बात टक्क लगैक नि सूणल वै तै ए. के. फोर्टी सेवन से भूने जालो। बोल बै बुड्या लुटेरा सिंग।
लुटेरा सिंग- अब लगणु च बल हमर संसद अनुशासित अपराध्युं संसद च ना कि राजनैतिक लोगुं बैठक। हाँ तो हरामियो की औलादों सूणों ! लुक्खो ! अपराध्युं तै भाषा- प्रयोग पर ध्यान दीण जरूरी च। हमारो बुलण बैठण से लोगुं तैं लगण चयेंद कि हम अपराधी छंवां। हमर बदजवान से लोगुं पिशाब चूण चयेंद। हमारि भाषा हमारो चरित्र बथांदो इलै हम तै गंदी गाळी इस्तेमाल करण इ चयांद जां से जनता मा डौर-भौ पैदा ह्वावो। हम गुंडों की अलग भाषा हूण चयेंद जां से ह्म साफ़ साफ़ पछेणे जंवां। चापलूसी, दिखलौटि, दिखावटी, क्या बुन्या-क्या कन्या भाषा,दुमुख्या-दुअर्थि , धोखादिंदेरि भाषा नेताओं, अधिकार्युं अर पुलिस वाळु पर ही जंचदी ना की हम खुंखार अपराध्युं पर। हम अपराध्युं तैं गाळी -गलौज, गंदी पण सीधि भाषा ही इस्तेमाल करण चयेंद। अर मेरि सलाह च बल जादा अखबार अर टीवी नि द्याखो खासकर नेताओं की दोगली भाषा वळ भाषण कतै नि द्याखो। अबि स्यु हरामी, बिलंच, खतराओन का ख़िलाड़ी सट्टा किंग विदेस ह्वेक आयि जरा विक जिबाड़ो से सूणों बल भाषा का कारण विदेशों मा इन्डियन क्रिमिनल कम्युनिटी कथगा बेज्जती हूणि च।
जनरल सेक्रेटरी लौन्चर - बोल बै कुत्ता तेरी क्या रिपोर्ट च।

सट्टा किंग - सालो ! भड़वो ! तुम तै पता च जुगाड़ से मि सरकारी डेलिगेसन का सदस्य बौणि विदेस जान्दो उख विदेसों मा हम अपराध्युं द्वारा सभी भाषा इस्तेमाल की विदेसी अपराधी मजाक उड़ान्दन अर व्यंग्य कौरिक बुल्दन बल इण्डिया मा अपराधी नेताओं की सकासौरि याने नकल करणा छन।
रांडो दलाल - हरामियो ! या बात सै च पूर्वी यूरोप का रंडीयो दलाल में तै फोन पर चिरड़ान्द छन बल हम भारतीय अपराधी अब नेताओं की सभ्य जुवान बुलण गीजि गेवां।

ड्रग ट्रेडर्स - हाँ अब त विदेशों मा सभ्य भाषा को इस्तेमाल से इन्डियन क्रिमिनलों इमेज भौत खराब हूणि च।
हफ्ता वसूली सरदार - अरे विदेशों बात क्या करणा छंवां इख इंडिया मा भाषा का कारण ही लोग अब हम तै हिराकत की नजर से दिखदन। कुछ करण चयेंद। हम सणि बिंगण चयेंद कि गंदी भाषा अर दुष्कर्म को आपस माँ एक रिश्ता होंद।
जनरल सेक्रेटरी लौन्चर -ओ दो बाप की औलाद कुत्र्या दोगला ! तुझे इस विषय में खोजबीन करने को कहा था।
कुत्र्या दोगला- ऐ लौन्चर ! मै सरकारी आयोगौ अध्यक्ष नि छौं कि अपण फैदा बान आयोग को समौ बढ़वाणों बान अपण फ़ाइनल रिपोर्ट देरी से द्यूं । मेरि खोज को नतीजा च चूंकि अब इन्डियन क्रिमिनलों मा राजनैतिक नेता, सामाजिक नेता, अधिकारी, सफेदपोश जन लोग घुसि गेन अर वो लोग हम अपराध्युं भाषाई संस्कृति बिगाड़ना छन। अर या समस्या इनि बेइलाज च जन उत्तराखंडम पलायन समस्या बेइलाज च।

सभापति ए. के. फोर्टी सेवन -चलो बै भाषा भूसा की बात छ्वाड़ो। धंधा की बात शुरू करदां। पैलो ऐजेंडा च उत्तराखंड का पहाड़ोंम अपराध कनकैक फैलाए जावो। दुसर ऐजेंडा च उत्तराखंड मा धार्मिक स्थलोंम माफियागिरी फैलाणों क्या करे जावो।
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Copyright @ Bhishma Kukreti 15 /3/2013

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